एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 21 किसकी झलक किसकी छाप
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 21 किसकी झलक किसकी छाप पर्यावरण अध्ययन के उत्तर हिंदी तथा अंग्रेजी मीडियम में सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 5 पर्यावरण पाठ 21 के सभी प्रश्नों के उत्तर सवाल जवाब सरल भाषा में चरण दर चरण समझकर लिखे गए हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 21
कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 21 किसकी झलक किसकी छाप के प्रश्नों के उत्तर
कक्षा 5 ईवीएस पाठ 21 का परिचय किसकी झलक किसकी छाप
प्रस्तुत पाठ में बच्चों में माता-पिता के लक्षण और उनकी छाप को बताने का प्रयास किया गया है। सभी वनस्पतियों एवं प्राणियों का यह एक मूलभूत गुण है कि संतानों में माता-पिता के कुछ गुण आ जाते हैं।
बच्चों में माता-पिता की छाप
आशिमा का खिड़की के पास बैठकर छींकना भी उसकी माँ को उसके पिता की छींक लगती है। नीलिमा के मामा की बड़ी लड़की किरण के बाल और नीलिमा के बाल, आँखे और कान काफ़ी मिलते जुलते हैं। दोनों के बाल घने और घुंघराले हैं, दोनों में अपने पिता और माँ की छाप दिखती हैं। परिवार में रहने वाले हर एक सदस्य की कोई न कोई छाप दुसरे सदस्य में देखी जाती हैं। बच्चों के बाल, कान, नाक, माथा और आँखें सबसे ज़्यादा मिलते-जुलते दिखाई देते हैं।
जुड़वा बहनें
कोई न कोई छाप हमें अपने परिवार के होने का प्रमाण देते है, पीढ़ी-दर–पीढ़ी यह सिलशिला चलता रहता है। ये छाप हमें अपने पिता की तरफ़ से और माँ की तरफ़ से मिलते हैं। सरोजा जब अपनी बहन सुवासिनी के सामने खड़ी होती है, तो देखने पर सब को लगता है, कि वह आईने के आगे खड़ी है, क्योंकि दोनों बहने जुड़वाँ पैदा हुई थी। जब कभी वे दोनों मिलती हैं तो उनके मामा भी गड़बड़ा जाते, किसी की डांट दूसरे को पड़ जाती थी। सुवासिनी इसका लाभ शैतानी में उठाती है। कभी सुवासिनी खुद अपने मामा को कहती है, कि सुवासिनी बाहर गई। वह अपने द्वारा की गई सारी गलतियों को अपनी बहन सरोजा पर डाल देती है।
सत्ती और पोलियो का भ्रम
सत्ती जब कुछ महीने की थी, जब उसकी एक पैर में पोलियो हो गया था। इतने वर्षो में उसने कभी भी अपनी इस दिक्कत को अपने काम के आड़े नहीं आने दिया। वह दूर-दूर तक पैदल जाती कई मंज़िल सीढ़ियाँ चढ़ना, उसके काम का हिस्सा रही। अब, जब उसकी शादी हुई तो लोगो ने उसे माँ न बनने की सलाह दे डाली। जिससे वह खुद भी डर गई।
कहीं उसके बच्चे को भी पोलियो न हो जाए। लेकिन यह सब उसका भ्रम था। डाँक्टर की सलाह के बाद ही उसका यह भ्रम टूटा कि पोलियो कोई पैत्रिक बीमारी नहीं है जो उसे मिली थी। ये बीमारी तो छोटे बच्चों को पोलियो की दवाई समय पर न मिलने से होती हैं।