एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 20 किसके जंगल
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 20 किसके जंगल पर्यावरण अध्ययन के प्रश्न उत्तर सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड सत्र 2024-25 के लिए छात्र यहाँ से निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। कक्षा 5 पर्यावरण पाठ 20 के सभी सवाल जवाब पीडीएफ तथा विडियो के माध्यम से यहाँ दिए गए हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 20
कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 20 किसके जंगल प्रश्नों के उत्तर
जंगल की बेटी सूर्यमणि
प्रस्तुत पाठ में सूर्यमणि, जिसे जंगल की बेटी के नाम से जानते हैं। हर रविवार को बच्चों को जंगल में ले जाती है। झारखंड के इन जंगलों में घूमते समय सूर्यमणि बच्चों को वहाँ के पेड़-पौधों और जानवरों की पहचान कराती है। बच्चों को जंगल की इस कक्षा में बड़ा मजा आता है। जंगल को पढ़ना, किताबें पढ़ने जितना ही ज़रूरी है। सूर्यमणि ने कहा है, आदिवासियों की ज़िंदगी जंगलों से ही जुड़ी है। अगर जंगल नहीं बचेंगें तो हम भी नहीं बचेंगें।
सूर्यमणि का परिवार
सूर्यमणि को बचपन से ही जंगल से लगाव था। स्कूल भी वह जंगल के रास्ते से ही जाती थी। उनका पूरा परिवार जंगल से जड़ी-बूटी इकट्ठी कर बाज़ार में बेचते थे। उनकी माँ बाँस से टोकरी बुनती और गिरे हुए पत्तों से पत्तल बनाकर बेचती थी। लेकिन जब से शंभू ठेकेदार आया, जंगल से एक पत्ता भी कोई नहीं उठा सकता। बुधियामाई किसी से नहीं डरती वह कहती है, इन जंगलों पर आदिवासियों का हक़ है। उनके लिए जंगल एक साझा बैंक है। जितनी ज़रूरत होती है जंगल से उतना ही लेते हैं जंगल का खज़ाना लुटाते नहीं हैं।
सूर्यमणि का स्कूल
सूर्यमणि जंगलों को बचाना चाहती थी इसलिए उसने मनिया चाचा की बात को मान कर पढ़ने-लिखने की बात को माना था। सूर्यमणि का दाखिला बिशनपुर गाँव के स्कूल में करा दिया था। स्कूल को देख सूर्यमणि का मन खिल उठा, क्योंकि स्कूल घने जंगल के पास था। स्कूल में उसने कड़ी मेहनत कर स्कॉलरशिप लेकर बी० ए० पास किया। वह गाँव की ऐसी पहली लड़की थी।
सूर्यमणि का जंगल और आदिवासी बचाओ अभियान
कॉलेज़ में उसकी पहचान वासवी दीदी से हुई जो पत्रकार थी। उनके साथ मिलकर सूर्यमणि ने झारखंड जंगल बचाओं आंदोलन का काम किया। इस काम में उसके बचपन के साथी विजय ने उसका साथ दिया। सूर्यमणि का सपना था कि वह अपने ‘कुडुक’ समाज की पहचान को बनाए रखे। आदिवासी होने पर जो गर्व उसे महसूस होता है, वह गर्व हर आदिवासी को होना चाहिए।
सूर्यमणि का एक साथी उसका तोता मिर्ची था। जो उसके मन की बात सुनता था। सूर्यमणि लोगों को अपने लोकगीत और पहनावे को कभी न भूलने के लिए समझाती है। उनकी हर कला और भाषा को अपने बच्चों को सिखाने पर ज़ोर देती हैं। सूर्यमणि सबके हक़ के लिए लड़ती रहती है। सूर्यमणि ने अपने साथी विजय के साथ शादी कर ली है। आज दोनों साथ में काम कर रहे हैं।