एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 2 कहानी सँपेरों की
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 2 कहानी सँपेरों की पर्यावरण अध्ययन अभ्यास के प्रश्न उत्तर हिंदी मीडियम सवाल जवाब शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त करें। कक्षा 5 पर्यावरण पाठ 2 के सभी प्रश्नों को छात्र विडियो के माध्यम से भी आसानी से समझ सकते हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 2
कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 2 कहानी सँपेरों की के प्रश्नों के उत्तर
कक्षा 5 ईवीएस पाठ परिचय – कहानी सँपेरों की
प्रस्तुत पाठ में आर्यनाथ, जो एक सँपेरा हैं, और ‘कालबेलिया’ जाति से हैं, उसके और उसके दादा रोशननाथ के बारे में बताया गया हैं। आर्यनाथ बीन की धुन पर सापों को नचाता हैं। यह कला उसने अपने लोगो से सीखी है।आर्यनाथ के दादा रोशननाथ उनकी जाति के सबसे मशहूर व्यक्ति थे। वे बहुत आसानी से खतरनाक और ज़हरीले साँपों को पकड़ लेते थे। वे अकसर अपने बीते दिनों के किस्से आर्यनाथ को अभी भी सुनाते हैं।
रोशननाथ का पारिवारिक व्यवसाय
रोशननाथ ने बताया कि उनके दादा-परदादा सभी सँपेरे थे, उनकी ज़िंदगी साँपों से ही जुड़ी रही। कंधे पर कांवड़ जैसी पिटारी लटकाए, हम एक गाँव से दुसरे गाँव में घूमते हैं। हम जहाँ भी जाते हैं, हमें देखकर लोगों की भीड़ इकट्ठी हो जाती थी, फिर हम पिटारी में रखी बाँस की टोकरी में से अपने प्यारे साँप निकालते थे। साँपों का नाच देख लेने के बाद भी लोग वहीं रुके रहते क्योंकि वे जानते थे, कि हमारे पास कई रोगों की दवा होती हैं। ये दवा हम जंगल से जड़ी-बूटियाँ इकट्ठी करके बनाते हैं। रोशननाथ ने भी यह सब अपने दादा से सीखा था। रोशननाथ को बहुत अच्छा लगता जब वह अपनी दवाइयों से लोगों की कुछ मदद कर पाते इसके बदले में लोग उन्हें कभी अनाज देते तो कभी पैसे बस इसी तरह गुजर- बसर हो जाती थी।
लोगों के साथ रिश्ता और सांप के काटने का ईलाज
कई बार उन्हें घरों में भी बुलाया जाता था, जब किसी को साँप ने काँटा हो। साँप के डंक के निशान से यह जानने की कोशिश करता की किस साँप ने काँटा है। उसे रोशननाथ साँप के काटने की दवा देता, पर कई बार समय से न पहुँचने पर कई जान चली गई थी। कुछ साँप ऐसे भी होते हैं, जिनके काटते ही जान चली जाती है। पर ज़्यादातर साँप ज़हरीले नहीं होते। कभी-कभी जब कोई किसान साँप-साँप चिल्लाता हुआ भागा आता, तब रोशननाथ स्वयं उस साँप को पकड़ते थे। उस समय लोग उनकी बहुत इज्जत करते थे। जब रोशननाथ बड़े हुए तो उनके पिता ने साँप के डसने वाले दाँत निकालने सिखाए, ज़हरीले साँप की ज़हर की नली बंद करना भी सिखाया था।
सपेरे और साँप का साथ
रोशननाथ ने आर्यनाथ को बताया कि उसके पिता बहुत कम उम्र से ही उनके साथ गाँव-गाँव घूमा करते थे उन्होंने बीन बजाना अपने आप सीख लिया था। सरकार के कानून के अनुसार आज न तो कोई जंगली जानवरों को पकड़ सकता है, और न ही उन्हें अपने पास रख सकता है। कुछ लोग जानवरों को मारते है, और उनकी खाल ऊँचे दामों में बेच देते है। लेकिन सँपेरों ने कभी भी साँपों को नहीं मारा, न ही कभी उनकी खाल बेचीं। चाहते तो हम भी साँपों को मारकर खूब पैसा कमा सकते थे। तब हमारी जिंदगी इतनी मुश्किल भरी न होती। उनकी जाति के लोग साँपों को मारना तो दूर की बात है, वे इन्हें अपनी पूँजी समझते हैं, जो अपनी आने वाली पीढ़ी को सौंपते हैं।
कालबेलिया समुदाय का जीवन
साँपों को तो कालबेलिया जाति के लोग अपनी बेटियों को शादी में तोहफ़े के रूप में देते हैं। इनके कालबेलिया नाच में भी साँप जैसी मुद्राएँ होती हैं। रोशननाथ ने आर्य नाथ को बताया की उसे अपने लिए अलग तरह की जिंदगी सोचनी पड़ेगी तुम अपने साथियों के साथ मिलकर एक बीन पार्टी बनाकर लोगों का मनोरंजन कर सकते हो। पर तुम पीढ़ियों से मिले साँपों के इस ज्ञान को व्यर्थ न गँवाना। तुम साँपों से जुड़ी बातों को गाँव और शहर के बच्चों को जरुर बताना जिससे वे साँपों से न तो डरे और न ही नफ़रत करें। उन्हें बताना कि साँप तो किसान के मित्र होते है, जो चूहों से उनकी फसल की रक्षा करते हैं।
जहरीले सांप और उनके काटे का ईलाज
हमारे देश में पाए जाने वाले साँपों में से केवल चार तरह के साँप ही जहरीले होते हैं। वे है, नाग, करैत, दुबोइया और अफाई साँप। जिस व्यक्ति को साँप ने काँटा हो उसे तुरंत सीरम नामक दवाई देनी चाहिए जो साँप के ज़हर से ही बनती है। यह दवा सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में मिलती हैं।