एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 17 फाँद ली दीवार
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 17 फाँद ली दिवार पर्यावरण अध्ययन के सभी सवाल जवाब राजकीय बोर्ड तथा सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ निशुल्क दिए गए हैं। कक्षा 5 पर्यावरण पाठ 17 के अभ्यास के प्रश्न उत्तर सरल तथा आसान तरीके से बनाए गए हैं ताकि प्रत्येक विद्यार्थी इसे आसानी से समझ सके।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 17
कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 17 फाँद ली दीवार के प्रश्नों के उत्तर
कक्षा 5 ईवीएस पाठ 17 का परिचय फाँद ली दीवार
प्रस्तुत पाठ में अफ़साना मंसूरी के साथ मुलाकात करते हुए उसके बारे में बताया गया है, जो तेरह वर्ष की आयु में समाज की लिंग-भेद की दीवार फाँद कर खुद एक बुलंद, मजबूत दीवार बनकर उभरी है।
अफसाना का सफ़र
आज वह मुंबई की नागपाड़ा बास्केटबाल एसोसिएशन की प्रेरणा बन गई है। अफ़साना एक सितारा बन चुकी है। आज वह खुद की एक टीम बना चुकी है। उसकी टीम ने मुंबई के कई क्लबों की टीमों को अचरज में डाल दिया है। सिर्फ़ अपनी हिम्मत और थोड़ी सी मदद के सहारे यह टीम जिला स्तर टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुँच गई।
अफसाना की टीम के अन्य खिलाड़ी
अफ़साना और नागपाड़ा बास्केटबाँल इसोसिएशन की कुछ लड़कियों में ज़रीन खुशनूर, आफरीन से खास बातचीत से बहुत कुछ जानने को मिला था। सबसे पहले ज़रीन से बात हुई उसने बताया उसका घर ग्राउंड के बिल्कुल सामने है। उसका भाई भी यहाँ खेलता है। जब वह सातवीं कक्षा में थी, वह घर से खड़े-खड़े लड़कों का खेल देखती थी। जीतने वाली टीम को बहुत सराहा जाता था। सभी खिलाड़ियों को ‘चीयर्स किया जाता था। यह देख कर ज़रीन को लगा कि मैं भी अपना हुनर सबके सामने क्यों न रखूं। तब उसने अपने ‘कोच’ से पूछा क्या मैं भी खेल सकती हूँ, ‘कोच’ सर ने कहा क्यों नहीं बिलकुल खेल सकती हो। उन्होंने कहा अगर तुम कुछ और लड़कियों को साथ में ले आओ, तो वे हमें सिखाएँगे और हमारी टीम भी बनाएँगे। फिर खुशनूर से पूछा क्या खेल की शुरुआत करना आसान था।
घर की परेशानियाँ और खेल
खुशनूर ने बताया शुरू में मम्मी-पापा ने मुझे मना कर दिया था जब उसने थोड़ी ज़िद की तो वे मान गए। अफ़साना ने अपने बारे में बताते हुए कहा, उसकी अम्मी बिल्डिंग के घरों में काम करती हैं, और हम बच्चों को स्कूल भेजती है। वो भी उनकी मदद करती है। खेलने की बात सुनकर उसकी मम्मी गुस्सा हो गई। जब मेरी सहेलियों और कोच सर ने अम्मी को समझाया तो वह मान गई। आफरीन ने अपने बारे में बताते हुए कहा, हम लडकियाँ हैं, इसलिए हमें खेलने से मना किया जाता है। उसकी दादी उस पर बहुत गुस्सा करती थी। फिर भी वह अपनी तीनों बहनों के साथ यहाँ खेलने आती हैं। आज भी उसकी दादी उन्हें और कोच सर को डांटती है। दादी कहती है “खेलने के लिए ठीक सामान चाहिए, और ताकत के लिए दूध पीना पड़ेगा” इसके लिए पैसे कहाँ से आएँगे। मगर डैडी उनके मन की बात को समझते थे, वे उन्हें खेल के पैंतरे भी सिखाते हैं। आफरीन ने बताया कि उसके डैडी बहुत अच्छे खिलाड़ी बन सकते थे, पर घर की ज़िम्मेदारी के कारण उन्हें यह सब छोड़कर काम पर जाना पड़ा। इसलिए वे चाहते हैं कि हम बच्चे खेलें और अच्छा खिलाड़ी बनें।
फिर इन सब लड़कियों से उनकी टीम के बारे में पूछा गया। एक लड़की ने बताया शुरुआत में उन्हें थोड़ा सा अजीब लगा, कि यहाँ पर लड़कियों की हम पहली टीम बनकर आए थे। जब उन्हें कोई प्रैक्टिस करते देखते तो उन्हें लगता कि लडकियाँ कैसे बास्केटबाल खेल रही हैं। मगर अब कोई अचरज से नहीं देखता। अब सब मानने लगे हैं कि हम भी अच्छा खेल सकती हैं।
कोच की ट्रेनिंग
अफ़साना ने बताया कि उसने ग्यारह साल की उम्र से खेलना शुरू किया था। तब उन्हें मैच के लिए बाहर जाना भी मना था। अब वे हर जगह मैच खेलने जा सकती हैं।यह सब हमारे खेल पर मेहनत के कारण हुआ है। दूसरी लड़की ने बताया कि उनके सर बहुत सख्त हैं, सबसे पहले दौड़ कराते हैं, फिर कसरत कराते है, फिर हमें अच्छा खेलना सीखाते हैं। बाल को कैसे अपने पास टिकाए रखना है, दूसरी टीम को चकमा कैसे देना है।
बास्केट में बाल कैसे डालना है, और एक दुसरे को बाल कैसे पास करना है। सब सिखाया है। आफ़रीन ने सर की तारीफ़ करते हुए बताया कि सर हमेशा कहते हैं, कि तुम यह सोचकर मत खेलो कि तुम लडकियाँ हो, यदि छोटी-मोटी चोट लगे तो भी खेलते रहो। आज वे सब बहुत खुश थी, क्योंकि अब उनकी खबर अख़बार में भी आ गई थी।