एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 14 जब धरती काँपी
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 14 जब धरती काँपी पर्यावरण अध्ययन के प्रश्न उत्तर नए सिलेबस के अनुसार सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 5 पर्यावरण पाठ 14 के लिए सभी सवाल जवाब हिंदी और अंग्रेजी में विडियो के माध्यम से भी समझाए गए हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 14
कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 14 जब धरती काँपी के प्रश्नों के उत्तर
कक्षा 5 ईवीएस पाठ 14 जब धरती काँपी
प्रस्तुत पाठ में गुजरात के कच्छ इलाके में रहने वाली जस्मा के बारे में बताया हैं। जब वह ग्यारह साल की थी। 26 जनवरी वाले दिन गाँव के बच्चे, बड़े और सब स्कूल के आँगन में टी.वी. पर 26 जनवरी की परेड देख रहे थे। अचानक ज़मीन तेज़ी से हिलने लगी। सभी लोग घबराकर इधर-उधर भागने लगे, किसी को भी कुछ समझ नहीं आया कि क्या करें। आज भी यह दृश्य वह सपने में देख चिल्लाने लगती हैं।
धरती काँपने के बाद
उस दिन कुछ ही पल में उसका पूरा गाँव मलबे का ढेर बन गया था। उसके घर का सारा सामान मलबे में दब चूका था। सभी लोगों का ध्यान मलबे में दबे लोगों को निकालना और घायलों की मरहम-पट्टी करने में था। गाँव के अस्पताल को भी भारी नुकसान हुआ था। डांक्टर बाबू ने गांववालों की मदद से ही घायलों का इलाज किया था।
भूकंप के बाद जीवन
इस घटना में बहुत से लोगों को गहरी चोटें लगी थी, जस्मा की भी टाँग टूट है थी। नाना के साथ गाँव के छह लोगों की मृत्यु मलबे में दब कर हो गई थी। उस दिन जस्मा की माँ पूरे दिन रोती रही थी। गाँव के सरपंच मोटा बाबू ने अपने गोदाम से सभी को अनाज दिया था। कई दिनों तक गाँव की औरतें मिलकर मोटा बाबू के घर पर ही सभी गाँववालों के लिए खाना पकाती रही थीं।
दूसरों का नजरिया
कई दिनों के बाद दूर शहर से लोग उन्हें देखने आए थे। जैसे कोई तमाशा देखने आया हो। फिर कुछ दिन बाद दवाइयाँ, कपड़े और खाने का सामान आने लगा था। उन्हीं दिनों शहर की एक संस्था से आए लोगों ने सभी के रहने के लिए तंबू लगाए। तब जनवरी-फ़रवरी का महीना था और छत के नाम पर एक प्लास्टिक का तंबू था। कुछ वैज्ञानिक अपने खास तरीकों से यह पता कर रहे थे, कि इस इलाके में भूकंप के आने का कितना खतरा है। कुछ इंजीनियर और आर्किटेक्ट ने मकानों के लिए खास तरह के डिज़ाइन दिखाए थे, जिसे भूकंप आने पर कम-से-कम नुकसान होता है।
भूकंप के बाद पुनर्निर्माण
सरकार की मदद और गाँव वालों ने मिलकर अबकी बार अस्पताल, मकान और गाँव के स्कूल का निर्माण संस्था के सुझाए डिज़ाइन के अनुसार ही किया था। सबने मिलकर पूरा गाँव फिर से खड़ा कर दिया था। जस्सा के घर वालों और गाँव वालों ने आईने के टुकड़ो से घर की दीवारों को सजाया था, और उन पर चित्रकारी भी की थी। अब रात को उसका घर हीरे-सा चमकता हैं।