एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 12 खत्म हो जाए तो
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 12 खत्म हो जाए तो पर्यावरण अध्ययन के प्रश्न उत्तर हिंदी और अंग्रेजी मीडियम में यहाँ से सत्र 2024-25 के लिए निशुल्क प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 5 पर्यावरण पाठ 12 के सवाल जवाब पीडीएफ और विडियो में इसलिए दिए गए हैं ताकि जिन छात्रों को पीडीएफ से समझने में दिक्कत हो वे विडियो की मदद से समझ सकें।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 12
कक्षा 5 ईवीएस अध्याय 12 खत्म हो जाए तो के प्रश्नों के उत्तर
कक्षा 5 ईवीएस पाठ 12 का परिचय – खत्म हो जाए तो
प्रस्तुत पाठ में पेट्रोल, डीजल, एल. पी. जी. और सी. एन. जी. की बढ़ती ज़रूरत और आए दिन सड़कों पर बढ़ते वाहनों की संख्या को एक गंभीर समस्या बताते हुए पेश किया गया है। भविष्य के खतरे को ध्यान में रखते हुए किस प्रकार से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है जिससे भविष्य को सुरक्षित बनाया जा सके।
सीमित संसाधन और बढ़ती खपत
यह बात हम सभी जानते है कि तेल का भंडार सीमित है, हमें तेल की हर बूँद का सही इस्तेमाल करना चाहिए। गाड़ी रोकें तो हमें इंजन बंद कर देना चाहिए जिससे तेल और प्रदूषण की समस्या से हमें कुछ राहत अवश्य मिलेगी। तेल की बढ़ती ज़रूरत के चलते आए दिन इसकी कीमतों में बढ़ोतरी होती रहती है। आज रोड़ पर चलने वाले वाहनों में पेट्रोल और डीजल के वाहन सबसे अधिक हैं, अगर इसी तरह वाहनों की संख्या बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब यह संशाधन जल्दी ही खत्म होने के कगार पर होंगे।
खनिक के श्रोत और शोधन
तेल को ज़मीन में बनने के लिए लाखों साल का समय लगता है। आज जितनी तेज़ी से तेल निकाल रहे हैं उतनी तेज़ी से वह बन नहीं रहा है, इसलिए इसे सीमित भंडार कहा गया है। यह एक ज़मीनी खज़ाना है, यह पता लगाना आसान नहीं है कि ज़मीन के अंदर गहराई में तेल कहाँ मौजूद है। वैज्ञानिक खास तरीकों और मशीनों से यह समझते हैं और अंदाजा लगाते हैं फिर गहराई तक पाइप और मशीनों द्वारा तेल ऊपर खींचा जाता है।
इसमें घुली, मिली और छुपी हुई बहुत सारी चींजे होती है। इन चीज़ों को अलग-अलग और साफ़ करने के लिए तेल को रिफाइनरी में भेजा जाता है। रिफाइनरी द्वारा ही हमें इसी तेल से केरोसिन, डीजल, पेट्रोल, इंजन आँयल और हवाई जहाज़ के लिए इंधन मिलता हैं। इसी तेल से एल. पी. जी., मोम, कोलतार और ग्रीस बनता हैं।
तेल की खपत और उसके विकल्प
देश में लगभग दो-तिहाई लोग खाना बनाने के लिए उपले, लकड़ी, सूखी टहनियों का इस्तेमाल करते हैं। 1976 में देश में 10% लोग मिटटी का तेल और एल. पी. जी. गैस का इस्तेमाल करते थे। जो 1996 तक बढ़ कर 18% हो गया था। इसी तरह देखा जाए तो कोयल का उपयोग अवस्य कम हुआ है।
पहले 5% से घट कर 2% हुआ है। देश में बिजली का उपयोग काफ़ी बढ़ा है। 1976 में बिजली की खपत 1% थी, जो बीस साल में बढ़ कर 5% हो गई। आज घरों में बिजली के चूल्हों का इस्तेमाल होता है। बिजली की खपत आने वाले समय में बढ़ती ही जा रही है।