एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 13 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

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पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

पादप वृद्धि अनूठे ढंग से होती है क्योंकि पौधे जीवन भर असीमित वृद्धि की क्षमता को अर्जित किए होते हैं। इस क्षमता का कारण उनके शरीर में कुछ खास जगहों पर विभज्योतक (मेरिस्टेम) ऊतकों की उपस्थिति है। ऐसे विभज्योतकों की कोशिकाओं में विभाजन एवं स्वशाश्वतता (निरंतरता) की क्षमता होती है। हालाँकि यह उत्पाद जल्द ही विभाजन की क्षमता खो देते हैं और ऐसी कोशिकाएं जो विभाजन की क्षमता खो देती है, वे पादप शरीर की रचना करती हैं। इस प्रकार की वृद्धि जहाँ पर विभज्योतक की क्रियात्मकता से पौधे के शरीर में सदैव नई कोशिकाओं को जोड़ा जाता है, उसे वृद्धि का खुला स्वरूप कहा जाता है।

कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 13 के बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर

Q1

ऐथिलीन का प्रयोग किया जाता है:

[A]. टमाटरों को पकने से रोकने में
[B]. फ़लों को जल्दी पकाने के लिए
[C]. सेबों के पकने को धीमा करने में
[D]. (B) तथा (C) दोनों
Q2

नारियल के दुग्ध में यह नहीं होता:

[A]. ऐब्सिसिक अम्ल (ABA)
[B]. ऑक्सिन
[C]. साइटोकाइनिन
[D]. जिबरेलिन
Q3

शीर्षस्थ कलिका के हटाने के कारण शाखाओं का विकास होता है। यह किस हार्मोन के प्रभाव से होता है?

[A]. इंडोल-3 एसीटिक अम्ल (IAA)
[B]. एथिलीन
[C]. जिबरेलिन
[D]. साइटोकाइनिन
Q4

सेबों को सामान्यतः मोम लगे कागज में लपेट कर रखा जाता है:

[A]. सूर्य के प्रकाश को रोकने के लिए ताकि उनके रंग में परिवर्तन न आ जाए।
[B]. O₂ के प्रवेश को रोककर वायवीय श्वसन के होने को रोकता है।
[C]. क्षति के दौरान ऐथिलीन निर्माण को रोकता है।
[D]. सेव अधिक आकर्षक दिखाई दें।

वृद्धि के चरण

वृद्धि की अवधि को मुख्यतः तीन चरणों में बाँटा गया है: विभज्योतकीय, दीर्घीकरण एवं परिपक्वता। विभज्योतकीय चरण में कोशिकाएं मूल शिखाग्र तथा प्ररोह शिखाग्र दोनों में लगातार विभाजित होती हैं। इन क्षेत्रें की कोशिकाएं जीवद्रव्य से भरपूर होती हैं और व्यापक संलक्ष्य केंद्रक को अधिकृत किए होती हैं। उनकी कोशिका भित्ति प्राथमिक, पतली तथा प्रचुर जीवद्रव्य तंतु संयोजन के साथ सेलुलाजिक होती है। विभज्योतक क्षेत्र के समीपस्थ (ठीक अगला, नोक से दूर) कोशिका दीर्घीकरण के चरण का प्रतिनिधित्व करता है।

इस चरण में कोशिकाओं का बड़ा हुआ रसधानी भवन, कोशिका विशालीकरण तथा नव कोशिका भित्ति निक्षेपण आदि विशिष्टताएं हैं। पुनः शिखाग्र से आगे अर्थात् दीर्घीकरण के अधिक समीपस्थ अक्ष का वह भाग स्थित होता है जो कि परिपक्वता के चरण में जा रहा होता है। इस परिक्षेत्र में स्थित होने वाली कोशिकाएं अपने अंतिम आकार को प्राप्त किए होती हैं तथा उनकी भित्ति की मोटाई एवं रसधानी चरम पर होता है।

कक्षा 11 जीव विज्ञान पाठ 13 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

सभी जीवधारियों का वृद्धि करना एक महत्वपूर्ण लक्षण है। क्या एककोशिकीय जीव भी वृद्धि करते हैं यदि हाँ तो इसमें पैरामीटर क्या हैं?

द्रव्यमान में वृद्धि और जीवों की संख्या में वृद्धि दोनों वृद्धि की जुड़वां विशेषताएं हैं। कोशिका विभाजन द्वारा एक बहुकोशिकीय जीव बढ़ता है। एककोशिकीय जीव कोशिका विभाजन द्वारा संख्यात्मक वृद्धि करते हैं। माइक्रोस्कोप के तहत कोशिकाओं की संख्या की गणना करके एककोशिकीय जीवों की वृद्धि को आसानी से देखा जा सकता है।

वृद्धि नियामक पदार्थ से आप क्या समझते हैं? किन्हीं तीन वृद्धि नियामक पदार्थों के नाम लिखिए।

वे रासायनिक पदार्थ, जो जीवों की वृद्धि तथा विकास को नियन्त्रित करते हैं, वृद्धि नियामक पदार्थ कहलाते हैं। ये विशिष्ट प्रकार के कार्बनिक रसायन होते हैं, जिन्हें हॉर्मोन कहते हैं। पादपों में यह उनके शीर्षों पर तथा जन्तुओं में अन्तःस्रावी ग्रन्थियों में बनते हैं। ये संवहन तन्त्र द्वारा जीव के शरीर के अन्दर फैलकर अपना नियन्त्रण एवं समन्वय का कार्य करते हैं। इनका कम अथवा अधिक मात्रा में बनना हानिकारक होता है। पौधों में पाये जाने वाले तीन प्रमुख नियामक पदार्थों के नाम निम्नानुसार हैं:
(i) ऑक्जिन
(ii) जिबरेलिन
(iii) साइटोकाइनिन

एब्सिसिक अम्ल को तनाव हार्मोन क्यों कहते हैं?

एब्सिसिक अम्ल का मुख्य कार्य प्रसुप्ति तथा विलगन को नियन्त्रित करना है। यह पादप वृद्धि निरोधक है। यह बीज के अंकुरण को रोकता है, रन्ध्र के बन्द होने को उत्तेजित करता है तथा विभिन्न प्रकार के तनावों को झेलने की क्षमता पौधों को देता है। इन्हीं सब विशेषताओं के आधार पर इसे तनाव हार्मोन कहते हैं।

पादपों में विभेदन

मूल शिखाग्र विभज्योतक तथा प्ररोह शिखाग्र विभज्योतक से आने वाली कोशिकाएं और कैंबियम विभेदित होती है। तथा विशिष्ट क्रियाकलाप को संपन्न करने के लिए परिपक्व होती है। यह परिपक्वता की ओर अग्रसर होने वाली कार्यवाही विभेदन कहलाती है। वे अपनी कोशिकाभित्ति एवं जीवद्रव्य दोनों में ही या कुछ व्यापक संरचनात्मक बदलावों से गुजरती है। उदाहरणस्वरूप एक वाहिकीय तत्व के बनने में कोशिका अपने जीव द्रव्य को खो देती है और बाद में एक बहुत सुदृढ़ तन्यतापूर्ण लिग्नोसेल्युलोसिक (काष्ठ कोशिका सधानी) द्वितीय कोशिका भित्ति विकसित होती है, जो लंबी दूरी तक सर्वोच्च तनाव में भी जल को वहन करने के लिए उपर्युक्त होता है।

परिवर्धन

परिवर्धन वह शब्द है जिसके अंतर्गत एक जीव के जीवन चक्र में आने वाले वे सारे बदलाव शामिल हैं, जो बीजांकुरण एवं जरावस्था के बीच आते हैं। उच्च पादप की कोशिकाओं में होने वाले परिवर्धन की क्रमिक प्रतिक्रियाओं को रेखा चित्र के द्वारा प्रस्तुत किया गया है। यह ऊतकों/अवयवों (अंगों) पर भी लागू होता है। परिवर्धन वह शब्द है जिसके अंतर्गत एक जीव के जीवन चक्र में आने वाले वे सारे बदलाव शामिल हैं, जो बीजांकुरण एवं जरावस्था के बीच आते हैं। उच्च पादप की कोशिकाओं में होने वाले परिवर्धन की क्रमिक प्रतिक्रियाओं को रेखा चित्र के द्वारा प्रस्तुत किया गया है। यह ऊतकों/अवयवों (अंगों) पर भी लागू होता है।

अतः एक पौधे के जीवन में वृद्धि, विभेदन और परिवर्धन बहुत ही निकट संबंध रखने वाली घटनाएं हैं। व्यापक तौर पर परिवर्धन को वृद्धि एवं विभेदन के योग के रूप में माना जाता है। पौधों में परिवर्धन अर्थात् वृद्धि एवं विभेदन दोनों आंतरिक एवं बाह्य कारकों से नियंत्रित है। आंतरिक कारकों में अंतरकोशिकीय आनुवंशिक तथा अंतर कोशिकी कारक (जैसे की पादप वृद्धि नियामक रसायन) शामिल होते हैं, जबकि बाह्य कारकों के अंतगर्त प्रकाश, तापक्रम, जल, ऑक्सीजन तथा पोषक आदि शामिल होते हैं।

कक्षा 11 जीव विज्ञान पाठ 13 एमसीक्यू के उत्तर
Q5

वृद्धि की माप कई प्रकार से की जा सकती है। इनमें से किस पैरामीटर को वृद्धि मापन के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है?

[A]. कोशिका संख्या का बढ़ना
[B]. कोशिका आकार (साइज) का बढ़ना
[C]. लंबाई तथा भार का बढ़ना
[D]. उपर्युक्त सभी
Q6

हार्मोनों की योगवाही क्रिया शब्द किसके लिए प्रयोग में लाया जाता है?

[A]. जब दो हार्मोन एक साथ कार्य करते हैं परंतु विपरीत प्रभाव उत्पन्न करते हैं।
[B]. जब दो हार्मोन एक साथ कार्य करते हैं और दोनों एक ही कार्य के लिए योगदान दें।
[C]. जब एक हार्मोन एक से अधिक कार्यों को प्रभावित करता हो।
[D]. जब अनेक हार्मोन मिलकर एक ही कार्य को संपन्न करते हैं।
Q7

पादप वृद्धि में सुघट्यता का अर्थ है:

[A]. पादप की जड़ें विस्तार करने वाली होती हैं।
[B]. पादप वृद्धि पर्यावरण पर निर्भर करती है।
[C]. स्तंभ बढ़ सकता है।
[D]. उपर्युक्त में कोई नहीं।
Q8

गन्ने में शर्करा उत्पादन को बढाने के लिए निम्नलिखित में से किसका छिड़काव किया जाता है:

[A]. इंडोल-3 एसीटिक अम्ल (IAA)
[B]. साइटोकाइनिन
[C]. जिबरेलिन
[D]. एथिलीन
दीप्तिकालिता

ऐसा देखा गया है कि कुछ पौधों में पुष्पन को प्रेरित/प्रवृत करने में प्रकाश की नियतकालिकता की आवश्यकता होती है। ऐसे पौधे प्रकाश की नियतकालिकता की अवधि को माप सकते हैं, उदाहरण स्वरूप: कुछ पौधों में क्रांतिक अवधि से ज्यादा प्रकाश की अवधि चाहिए, जबकि दूसरे पोधों में प्रकाश की अवधि संकट क्रांतिक अवधि से कम चाहिए, जिससे कि दोनों तरह के पौधों में पुष्पन की शुरूआत हो सके। प्रथम तरह के पौधों के समूह को अल्प प्रदीप्तकाली पौधा कहते हैं तथा बाद वाले पौधों को दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधा कहते हैं। बहुत सारे ऐसे पौधे होते हैं, जिसमें प्रकाश की अवधि एवं पुष्पन प्रेरित करने में कोई संबंध नहीं होता है।

ऐसे पौधों को तटस्थ प्रदीप्तकाली पौधा कहते हैं। यह भी ज्ञातव्य है कि सिर्फ प्रकाश की अवधि ही नहींबल्कि अंधकार की अवधि भी महत्वपूर्ण है। अतः कुछ पौधों में पुष्पन सिर्फ प्रकाश और अंधकार के अवधि पर ही निर्भर नहीं करता, बल्कि उसकी सापेक्षित अवधि पर निर्भर करता है। इस घटना को दीप्तिकालिता कहते हैं।

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कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 13 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन
कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 13 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 13 के हल
कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 13 के सवाल जवाब