एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 2 जीव जगत का वर्गीकरण

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 2 जीव जगत का वर्गीकरण के प्रश्नों के उत्तर हिंदी और अंग्रेजी मीडियम में यहाँ दिए गए हैं। ग्यारहवीं कक्षा जीव विज्ञान में पाठ 2 के सवाल जवाब सीबीएसई के साथ साथ राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए भी उपयोगी हैं।

जीवों का वर्गीकरण

सन् 1969 में आर. एच. व्हिटेकर द्वारा एक पाँच जगत वर्गीकरण की पद्धति प्रस्तावित की गई थी। इस पद्धति के अंतर्गत सम्मिलित किए जाने वाले जगतों के नाम मॉनेरा, प्रोटिस्टा, फंजाई, प्लांटी एवं एनिमैलिया हैं। कोशिका संरचना, शारीरिक संरचना, पोषण की प्रक्रिया, प्रजनन एवं जातिवृत्तीय संबंध उनके वर्गीकरण की पद्धति के प्रमुख मानदंड थे।

कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 2 के बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर

Q1

सभी यूकैरियोटिक एककोशियीय जीवों का संबंध किससे होता है?

[A]. मोनेरा
[B]. प्रोटिस्टा
[C]. कवक
[D]. जीवाणु
Q2

पाँच जगत वर्गीकरण इन्होंने प्रस्तावित किया था:

[A]. आर. एच. व्हिटेकर
[B]. सी. लीनियस
[C]. ए. रॉक्सबर्ग
[D]. विरचो / विर्को
Q3

लवणीय क्षेत्र में पाए जाने वाले जीव कहलाते हैं:

[A]. मेथैनजन
[B]. लवणरागी
[C]. आतपोद्भिद (हैलियोफ़ाइट)
[D]. थर्मोऐसिड़ोफिल
Q4

अनावृत कोशिकाद्रव्य, बहुकेनुकित तथा मृतजीवी किसके अभिलक्षण हैं?

[A]. मोनेरा
[B]. प्रोटिस्टा
[C]. कवक
[D]. अवपक फफूँदी

मॉनेरा जगत

इस जगत के जीव सूक्ष्मतम तथा सरलतम होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस जगत के जीव प्राचीनतम हैं। मोनेरा जगत के जीव उन सभी स्थानों में पाये जाते हैं जहाँ जीवन की थोड़ी भी संभावना मौजूद होती है, जैसे: मिट्टी, जल, वायु, गर्म जल के श्रोत (80° C तक), हिमखण्डों की तली, रेगिस्तान आदि में।
बैक्टीरिया को उनके आकार के आधार पर चार समूहों गोलाकार कोकस (बहुवचन कोकाई), छड़ाकार बैसिलस (बहुवचन बैसिलाई) कॉमा-आकार के, विब्रियम (बहुवचन-विब्रियाँ) तथा सर्पिलाकार स्पाइरिलम (बहुवचन स्पाइरिला) में बाँटा गया है।

कक्षा 11 जीव विज्ञान पाठ 2 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

फ़सलों के सुधार के लिए खेतों में सायनोबैक्टीरिया के प्रयोग करने के क्या सिद्धांत हैं?

सायनोबैक्टीरिया (BGA) स्वपोषी सूक्ष्मजीव हैं। साइनोबैक्टीरिया व्यापक रूप से जलीय और स्थलीय वातावरण में वितरित किए जाते हैं। नोस्टॉक, अनाबीना और औसिलिटोरिया साइनोबैक्टीरिया हैं जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ठीक कर सकते हैं। ये जीव विशेष कोशिकाओं में वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ठीक कर सकते हैं जिन्हें हेट्रोसिस्ट कहा जाता है, जैसे, नोस्टॉक और अनाबीना। धान के खेतों में साइनोबैक्टीरिया एक महत्वपूर्ण जैव उर्वरक के रूप में कार्य करता है। बीजीए मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ भी जोड़ता है और इसकी उर्वरता बढ़ाता है।

प्रदूषित जलाशयों में नॉस्टॉक तथा औसिलिटोरिया जैसे पादपों की संख्या बहुत अधिक होती है। कारण बताइए।

प्रदूषित जल निकायों (तालाबों, खाइयों और नदियों आदि) में आमतौर पर पोषक तत्व होते हैं (जैसे नाइट्रेट, फॉस्फेट) घरेलू सीवेज में मुख्य रूप से बायोडिग्रेडेबल कार्बनिक पदार्थ होते हैं। पानी में बड़ी मात्रा में पोषक तत्वों की उपस्थिति भी प्लैंकटोनिक (मुक्त तैरने वाले शैवाल) के अत्यधिक विकास का कारण बनती है, जिसे एल्गल ब्लूम कहा जाता है, जो जल निकायों को एक अलग रंग प्रदान करता है।
शैवाल प्रस्फुटन से जल की गुणवत्ता में कमी आती है और मछलियों की मृत्यु दर में कमी आती है। कुछ ब्लूम बनाने वाले शैवाल मुख्य रूप से नोस्टॉक और ऑस्किलिटोरिया मनुष्यों और जानवरों के लिए अत्यंत विषैले होते हैं।

डायटम समुद्री मोती भी कहलाते हैं, क्यों? डायटमी पृथ्वी से आप क्या समझते हैं?

अपनी विशिष्ट कोशिका भित्ति के कारण डायटम अद्वितीय जीव हैं। कोशिका भित्ति सिलिका से बनी होती हैं और इस प्रकार कोशिका भित्ति मजबूत होती हैं। इनकी बनावट में अलंकरण दिखता है इसीलिये डायटम को ‘समुद्र के मोती’ भी कहा जाता है।
डायटम ने अपने आवास में बड़ी मात्रा में कोशिका भित्तियां छोड़ दी हैं; अरबों वर्षों में इस संचय को ‘डायटोमेसियस पृथ्वी’ कहा जाता है। किरकिरा होने के कारण इस मिट्टी का उपयोग पॉलिश करने, तेल छानने और सीरप बनाने में किया जाता है। महासागरों में डायटम प्रमुख ‘उत्पादक’ हैं।

पादप जगत (प्लांटी किंगडम)

पादप जगत में वे सभी जीव आते हैं जो यूकैरिऑटिक हैं और जिनमें क्लोरोफिल होते हैं। ऐसे जीवों को पादप कहते हैं। इनमें से कुछ पादप जैसे कीटभक्षी पौधे तथा परजीवी आंशिक रूप से विषमपोषी होते हैं। ब्लेडरवर्ट तथा वीनस फ्रलाईट्रेप कीटभक्षी पौधों के और अमरबेल (क्सकूटा) परजीवी का उदाहरण हैं। पादप कोशिका में कोशिका भित्ति होती है जो सेल्यूलोज की बनी होती है। प्लांटी जगत में शैवाल, ब्रायोफाइट, टैरिडोफाइट, जिम्नोस्पर्म तथा एंजियोस्पर्म आते हैं।

कक्षा 11 जीव विज्ञान पाठ 2 एमसीक्यू के उत्तर

Q5

उच्चतर पादपों तथा कवकों की जड़ों में पाया जाने वाला संबंध कहलाता है:

[A]. लाइकेन
[B]. फर्न
[C]. माइकोराइजा
[D]. बी. जी. ए.
Q6

केंद्रकयुग्म का निर्माण तब होता है जब:

[A]. अर्धसूत्री विभाजन रुक जाता है।
[B]. दो अगणित कोशिकाओं में परस्पर तुरंत संलयन नहीं होता।
[C]. कोशिकाद्रव्य का संलयन नहीं होता।
[D]. उपर्युक्त में से कोई नहीं।
Q7

कंटेजियम वाइवम फ्रलूइडियम किनके द्वारा प्रस्तावित किया गया?

[A]. डी. जे. इवानोवस्की
[B]. एम. डब्ल्यु बेजेरिनेक
[C]. स्टेन्ले
[D]. राबर्ट हुक
Q8

माइकोबायौंट (कवकांश) तथा फ़ाइकोबायौंट (शैवालांश) किसमें पाए जाते हैं?

[A]. माइकोराइजा
[B]. मूल
[C]. लाइकेन
[D]. बी. जी. ए.
जंतु जगत (एनिमेलिया किंगडम)

इस जगत के जीव विषमपोषी यूकैरिऑटिक हैं जो बहुकोशिक हैं और उनकी कोशिका में कोशिका भित्ति नहीं होती। ये भोजन के लिए परोक्ष तथा अपरोक्ष रूप से पौधों पर निर्भर रहते हैं। ये अपने भोजन को एक आंतरिक गुहिका में पचाते हैं और भोजन को ग्लाइकोजन अथवा वसा के रूप में संग्रहण करते हैं। इनमें प्राणि समपोषण, अर्थात् भोजन, का अंतर्ग्रहण करना होता हैं। उनमें वृद्धि का एक निर्दिष्ट पैटर्न होता है और वे एक पूर्ण वयस्क जीव बन जाते हैं जिसकी सुस्पष्ट आकृति तथा माप होती है। उच्चकोटि के जीवों में विस्तृत संवेदी तथा तंत्रिका प्रेरक क्रियाविधि विकसित होती है। इनमें से अधिकांश चलन करने में सक्षम होते हैं। लैंगिक जनन नर तथा मादा के संगम से होता है और बाद में उसमें भ्रूण का विकास होता है।

विषाणु (वाइरस)

वाइरस का अर्थ है विष अथवा विषैला तरल। विषाणु अकोशकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं। ये नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर गठित होते हैं, शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं। इन्हे क्रिस्टल के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है। वाइरस में प्रोटीन के अतिरिक्त आनुवंशिक पदार्थ भी होता है, जो आरएनए अथवा डीएनए हो सकता है। किसी भी वाइरस में आरएनए तथा डीएनए दोनों नहीं होते। वाइरस केंद्रक प्रोटीन (न्यूक्लियो प्रोटीन) और इसका आनुवंशिक पदार्थ संक्रामक होता है।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 2
कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 2 जीव जगत का वर्गीकरण
कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 2 के उत्तर
कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 2
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