एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 9 जैव अणु

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 9 जैव अणु के प्रश्न उत्तर हिंदी और अंग्रेजी मीडियम में सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए संशोधित रूप में यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 11 जीव विज्ञान पाठ 9 के अभ्यास के सवाल जवाब राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए भी उपयोगी हैं।

वृहत् जैव अणु

अम्ल अविलेय अंश में केवल चार प्रकार के कार्बनिक यौगिक जैसे प्रोटीन, न्यूक्लीक अम्ल, पॉलीसैकेराइड्स व लिपिड्स मिलते हैं। लिपिड्स के अतिरिक्त इस श्रेणी के यौगिकों का अणु भार दस हजार डाल्टॉन या इसके ऊपर होता है। इस कारण से जैव अणु अर्थात् जीवों में मिलने वाले रासायनिक यौगिक दो प्रकार के होते हैं। एक वे हैं जिनका अणुभार एक हजार डाल्टॉन से कम होता है उन्हें सामान्यतया सूक्ष्मअणु या जैव अणु कहते हैं जबकि जो अम्ल अविलेय अंश में पाए जाते हैं उन्हें वृहत् अणु या वृहत् जैव अणु कहते हैं।

कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 9 के बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर

Q1

सजीवों में अनेक तत्व या तो मुक्त अवस्था में होते हैं अथवा यौगिकों के रूप में। निम्नलिखित में से एक तत्व सजीवों में नहीं पाया जाता:

[A]. सिलिकॉन
[B]. मैग्नीशियम
[C]. लौह
[D]. सोडियम
Q2

ऐमीनो अम्लों, जैसा कि इनके नाम से पता चलता है की संरचना में एक ऐमीनो वर्ग होता है और एक कार्बोक्सिल वर्ग होता है। इसके अतिरिक्त, प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले सभी ऐमीनो अम्लों (जो प्रोटीनों में पाए जाते हैं) को ऐमीनो अम्ल कहते हैं। इस जानकारी के आधार पर, क्या आप सोच सकते हैं कि सरलतम ऐमीनो अम्ल कौन से यौगिक से बना होता है?

[A]. फ़ॉर्मिक अम्ल
[B]. मीथेन
[C]. फीनॉल
[D]. ग्लाइसीन
Q3

जब हम किसी ऊतक को एक अम्ल में डालकर समांगीकृत करते हैं तब अम्ल में घुलनशील वह पूल निम्नलिखित में से किसका प्रतिनिधित्व करता है?

[A]. कोशिकाद्रव्य
[B]. कोशिका झिल्ली
[C]. केंद्रक
[D]. सूत्रकणिका (माइटोकॉन्ड्रिया)
Q4

सजीवों का सबसे प्रचुर मात्रा में रसायन कौन-सा हो सकता है?

[A]. प्रोटीन
[B]. जल
[C]. शर्करा
[D]. न्यूक्लीइक अम्ल

प्रोटीन

प्रोटीन पॉलीपेप्टाइड होते हैं। ये अमीनो अम्ल की रेखीय शृंखलाएं होती हैं, जो पेप्टाइड बंधों से जुड़ी होती हैं प्रत्येक प्रोटीन अमीनो अम्ल का बहुलक है। अमीनो अम्ल 20 प्रकार के होने से (जैसे-एलेनीन, सिस्टीन, प्रोलीन, ट्रीप्टोफान, लाइसीन आदि) होते हैं। प्रोटीन समबहुलक नहीं, बल्कि विषम बहुलक होते हैं। एक समबहुलक एक एकलक की कई बार आवर्ती के कारण बनता है। प्रोटीन जीवों में बहुत सारे कार्य करते हैं, इनमें कुछ पोषकों के कोशिका झिल्ली से होकर अभिगमन करने तथा कुछ संक्रामक जीवों से बचाने में सहायक होती हैं और कुछ एंजाइम के रूप में होती हैं।

जीव अवस्था

कोई भी रासायनिक या भौतिक प्रक्रिया स्वतः साम्यावस्था को प्राप्त करती है। स्थिर अवस्था एक असाम्यावस्था होती है। भौतिक सिद्धांत के अनुसार कोई भी तंत्र साम्यावस्था में कार्य नहीं कर सकता है। जैसा कि जीव हमेशा कार्य करते हैं, उनमें कभी भी साम्यावस्था की स्थिति नहीं हो सकती है। अतः जीव अवस्था एक असाम्य स्थाई अवस्था होती है, जिससे कार्य संपन्न होता है। जीव प्रक्रिया एक लगातार प्रयास है जिसमें साम्यावस्था से बचा जा सके। इसके लिए सदा ऊर्जा की आवश्यकता होती है। उपापचय वह प्रक्रिया है जिससे ऊर्जा प्राप्त होती है। अतः जीव अवस्था व उपापचय एक दूसरे के पर्यायवाची होते हैं। बिना उपापचय के जीव अवस्था प्राप्त नहीं हो सकती है।

कक्षा 11 जीव विज्ञान पाठ 9 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रोटीन के विकृतीकरण से क्या अभिप्राय है?

उच्च ताप, दाब तथा दूसरी प्रतिकूल परिस्थितियों में प्रोटीन की संरचना में पाये जाने वाले कई बन्ध टूट जाते हैं, जिससे उनकी मूल संरचना तथा गुण बदल जाते हैं, इन्हीं परिवर्तनों को प्रोटीन विकृतीकरण कहते हैं।

प्रोस्थेटिक समूह सह-कारकों से कैसे भिन्न हैं?

प्रोस्थेटिक समूह कार्बनिक यौगिक होते हैं और अन्य सहकारकों से अलग होते हैं, क्योंकि वे एपोएंजाइम से कसकर बंधे होते हैं। उदाहरण के लिए, पेरोक्सीडेज और कैटालेज में, जो हाइड्रोजन पेरोक्साइड के पानी और ऑक्सीजन में टूटने को उत्प्रेरित करता है, हेम प्रोस्थेटिक समूह है और यह एंजाइम की सक्रिय स्थल का एक हिस्सा है।
सहकारक कार्बनिक या अकार्बनिक (धातु आयन) हो सकते हैं।

काइटिन क्या है?

काइटिन एक पॉलिसैकेराइड है, जो ग्लूकोज के ही समान मोनोसैकेराइड का बना होता है, लेकिन इसमें नाइट्रोजन पाया जाता है। आर्थोपोड्स जन्तुओं की कड़ी त्वचा काइटिन की ही बनी होती है। वैसे तो यह नरम चमड़े के समान होता है, लेकिन कैल्सियम कार्बोनेट अथवा प्रोटीन के मिल जाने के कारण कठोर हो जाता है।

पॉलीसैकेराइड

अम्ल अविलेय भाग में दूसरे श्रेणी के वृहत् अणुओं की तरह पॉलीसैकेराइड्स (कार्बोहाइट्रेडस) भी पाए जाते हैं। ये पॉलीसैकेराइड्स शर्करा की लंबी श्रृंखला होती है। यह श्रृंखला सूत्र की तरह (कपास के रेशे) विभिन्न प्रकार के एकल सैकेराइड्स से मिलकर बने होते हैं। उदाहरणार्थ, सेलुलोज एक बहुलक पॉलीसैकेराइड होता है जो एक प्रकार के मोनोसैकेराइड जैसे ग्लूकोज का बना होता है। सेलुलोज एक सम बहुलक है। इसका एक परिवर्तित रूप स्टार्च (मंड) सेलुलोज से भिन्न होता है, लेकिन यह पादप ऊतकों में ऊर्जा भंडार के रूप में मिलता है। प्राणियों में एक अन्य परिवर्तित रूप होता है जिसे ग्लाइकोजन कहते हैं। इनूलिन फ्रुक्टोज का बहुलक है। एक पॉलीसैकेराइड श्रृंखला (जैसे ग्लाइकोजन) का दाहिना सिरा अपचायक व बायां सिरा अनअपचायक कहलाता है। यह शाखायुक्त होता है।

कक्षा 11 जीव विज्ञान पाठ 9 एमसीक्यू के उत्तर

Q5

प्रोटीन अनेक शरीर क्रियात्मक कार्य करते है। उदाहरण के लिए कुछ प्रोटींस एंजाइमों के रूप में कार्य करते हैं। निम्नलिखित में से कोई एक ऐसा अतिरिक्त कार्य है जो प्रोटींस करते हैं:

[A]. प्रतिजैविक
[B]. त्वचा को रंग प्रदान करने वाला वर्णक
[C]. पुष्पों को रंग प्रदान करने वाले वर्णक
[D]. हॉर्मोन
Q6

ग्लूकोज एक समबहुलक (होमोपॉलीमर) है जो निम्नलिखित में से किसका बना होता है?

[A]. ग्लूकोज इकाईयाँ
[B]. गैलेक्टोस इकाईयाँ
[C]. राइबोस इकाईयाँ
[D]. ऐमीनो अम्ल
Q7

एक ग्लाइकोजना अणु में ‘अंत्यों’ (एंड्स) की संख्या कितनी होगी?

[A]. शाखाओं की संख्या जमा (+) एक के बराबर
[B]. शाखा-बिदुओं की संख्या के बराबर
[C]. एक
[D]. दो, एक बाँयी तरफ, और दूसरा दाँयी तरफ
Q8

एक शुद्ध प्रोटीन में सामान्यतः कितने शिरे होने चाहिए?

[A]. दो शिरे
[B]. एक शिरा
[C]. तीन शिरे
[D]. शिरा विहीन
एंजाइम

एंजाइम एक तरह का प्रोटीन है जो कोशिकाओं के अंदर पाया जाता है। एंजाइम मानव शरीर में कैमिकल (रसायनिक) प्रतिक्रियाओं को तेज करने में मदद करते हैं। एंजाइम भोजन को पचाने, मांसपेशियों के बनने और शरीर में विषाक्त पदार्थ खत्म करने के साथ शरीर के हजारों कामों को करने के लिए आवश्यक होते हैं।

सहकारक

सहकारक एक ऐसा धातु आयन या ग़ैर-प्रोटीन रासायनिक यौगिक होता है जिसकी उपस्थिति किसी प्रकिण्व (ऍन्ज़ाइम) के कार्य के लिए आवश्यक हो। सहकारक जैवरसायनिक प्रक्रियाओं में सहायक यौगिकों की भूमिका अदा करते हैं। एंजाइम एक या अनेक बहुपेप्टाइड शृंखलाओं से मिलकर बना होता है। फिर भी कुछ स्थितियों में इतर प्रोटीन अवयव, जिसे सह-कारक कहते हैं, एंजाइम से बंधकर उसे उत्प्रेरक सक्रिय बनाते हैं। इन उदाहरणों में एंजाइम के केवल प्रोटीन भाग को एपोएंजाइम कहते हैं। सह-कारक तीन प्रकार के होते है: प्रोस्थेटिक-समूह, सह-एंजाइम व धातु-आयन।

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