कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 13 एनसीईआरटी समाधान – हमारा पर्यावरण
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कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 13 के लिए एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 13 के लिए एनसीईआरटी समाधान नीचे दिए गए हैं:
कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 13 के बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) उत्तर
एक पारितंत्र में निम्नलिखित में से कौन शामिल होता है?
किसी आहार-शृंखला में गैर-जैवनिम्नीकरणीय पीड़कनाशियों का प्रत्येक उच्चतर पोषी स्तर पर बढ़ती हुई मात्रा में एकत्रित होते जाना क्या कहलाता है?
पारितंत्र में एक पोषी स्तर से अगले पोषी स्तर तक स्थानांतरित होने के लिए उपलब्ध 10% ऊर्जा किस रूप में जाती है?
निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
पारितंत्र किसे कहते हैं?
किसी क्षेत्र के सभी जीव तथा अजैव कारक संयुक्त रूप से पारितंत्र बनाते हैं। सभी जीव जैसे कि पौधे, जंतु, सूक्ष्मजीव एवं मानव तथा भौतिक कारकों में परस्पर अन्योन्यक्रिया होती है तथा प्रकृति में संतुलन बनाए रखते हैं। अत: एक पारितंत्र में सभी जीवों के जैव घटक तथा अजैव घटक होते हैं। भौतिक कारक; जैसे- ताप, वर्षा, वायु, मृदा एवं खनिज इत्यादि अजैव घटक हैं।
अथवा
एक क्षेत्र के सभी जैविक व अजैविक घटक मिलकर एक पारितंत्र का निर्माण करते हैं। इसलिए एक पारितंत्र जैविक (जीवित जीव) व अजैविक घटक; जैसे-तापमान, वर्षा, वायु, मृदा आदि से मिलकर बनता है। पारितंत्र दो प्रकार होते हैं:
- 1. प्राकृतिक परितंत्र जो प्रकृति में विद्यमान हैं। जैसे जंगल, सागर, झील।
- 2. मानव निर्मित परितंत्र जो पारितंत्र मानव ने निर्मित किए हैं, उन्हें मानव निर्मित पारितंत्र कहते हैं। जैसे खेत, जलाशय, बगीचा।
कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 13 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर
पारितंत्र को एक उदहारण देकर समझाइए।
बगीचा एक परितंत्र है। बगीचे में विभिन्न पौधे जैसे- घास, वृक्ष, गुलाब, चमेली, सूर्यमुखी जैसे फूल वाले सजावटी पौधे तथा मेंढ़क, कीट एवं पक्षी जैसे जंतु दिखाई देते हैं। यह सभी सजीव परस्पर अन्योन्यक्रिया करते हैं तथा इनकी वृद्धि, जनन एवं अन्य क्रियाकलाप पारितंत्र के अजैव घटकों द्वारा प्रभावित होते हैं। अत: एक बगीचा एक पारितंत्र है।
पारितंत्र कितने प्रकार के होते हैं?
पारितंत्र मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
प्राकृतिक पारितंत्र: वन, तालाब तथा झील आदि प्राकृतिक पारितंत्र हैं।
मानव निर्मित पारितंत्र: बगीचा तथा खेत मानव निर्मित (कृत्रिम) पारितंत्र हैं।
पारितंत्र में अजैविक तथा जैविक घटक किसे कहते हैं?
अजैविक घटक: सभी निर्जीव घटक, जैसे-हवा, पानी, भूमि, प्रकाश और तापमान आदि मिलकर अजैविक घटक बनाते हैं।
जैविक घटक: सभी सजीव घटक; जैसे-पौधो, जानवर, सूक्ष्मजीव, फफूंदी आदि मिलकर जैविक घटक बनाते हैं।
पर्यावरण से आप क्या समझते हैं तथा यह पारितंत्र से किस प्रकार संबंधित है?
पर्यावरण का मतलब वह सभी चीजें होती हैं जो हमें घेरे रहती हैं। सभी जैविक एवं अजैविक घटक शामिल हैं। जैविक व अजैविक घटकों के पारस्परिक मेल से पारितंत्र् बनता है। एक पारितंत्र् में जीव भोजन के लिए एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं, जिससे आहार श्रंखला व आहार जाल बनते हैं।
उत्पादक किसे कहते हैं?
जो जीव सूर्य के प्रकाश एवं क्लोरोफिल की उपस्थिति में अकार्बनिक पदार्थों से कार्बनिक पदार्थ जैसे कि, शर्करा (चीनी) एवं मंड का निर्माण कर सकते हैं, उन्हें उत्पादक की श्रेणी में रखा गया है। सभी हरे पौधों एवं नील-हरित शैवाल जिनमें प्रकाश संश्लेषण की क्षमता होती है, इसी वर्ग में आते हैं तथा उत्पादक कहलाते हैं।
उपभोक्ता किसे कहते हैं?
सभी जीव प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से अपने निर्वाह हेतु उत्पादकों पर निर्भर करते हैं। ये जीव जो उत्पादक द्वारा उत्पादित भोजन पर प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से निर्भर करते हैं, उपभोक्ता कहलाते हैं। उपभोक्ता को मुख्यत: शाकाहारी, मांसाहारी तथा सर्वाहारी एवं परजीवी में बाँटा गया है।
आहार के आधाार पर जैविक घटकों को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
आहार के आधाार पर जैविक घटकों को निम्न भागों में बांटा जा सकता है:
1. उत्पादक: सभी हरे पौधो, नील-हरित शैवाल अपना भोजन (शर्करा व स्टार्च) अकार्बनिक पदार्थों से सूर्य की रोशनी का प्रयोग करके बनाते हैं।
2. उपभोक्ता: ऐसे जीव जो अपने निर्वाह के लिए परोक्ष या अपरोक्ष रूप से उत्पादकों पर निर्भर करते हैं।
उपभोक्ता कितने प्रकार के होते हैं?
उपभोक्ता के प्रकार:
- (i) शाकाहारी: पौधो, पत्तियाँ व फल खाने वाले जैसे-बकरी, हिरण।
- (ii) मांसाहारी: मांस खाने वाले जैसे-शेर, मगरमच्छ।
- (iii) सर्वाहारी: पौधो व मांस दोनों खाने वाले जैसे-कौआ, मनुष्य।
- (iv) परजीवी: दूसरे जीव के शरीर में रहने व भोजन लेने वाले जैसे-जू, अमरबेल।
जैव-आवर्धन से आप क्या समझते हैं?
विभिन्न फसलों को रोग, एवं पीड़कों से बचाने के लिए पीड़कनाशक एवं रसायनों का अत्यधिक प्रयोग करते हैं तो ये रसायन बह कर मिट्टी में अथवा जल स्रोत में चले जाते हैं। मिट्टी से इन पदार्थों का पौधों द्वारा जल एवं खनिजों के साथ-साथ अवशोषण हो जाता है तथा जलाशयों से यह जलीय पौधों एवं जंतुओं में प्रवेश कर जाते हैं। क्योंकि ये पदार्थ अजैव निम्नीकृत हैं, यह प्रत्येक पोषी स्तर पर उतरोत्तर संग्रहित होते जाते हैं। इस प्रकार आहार शृंखला से हानिकारक रासायनिक पदार्थ हमारे शरीर में प्रविष्ट हो जाते हैं। क्योंकि किसी भी आहारशृंखला में मनुष्य शीर्षस्थ है, अत: हमारे शरीर में यह रसायन सर्वाधिक मात्रा में संचित हो जाते हैं। इसे ‘जैव-आवर्धन’ कहते हैं।
कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 13 अभ्यास के लिए प्रश्न उत्तर
आहार श्रंखला क्या है?
प्रकृति में सभी जीव प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अन्य जीवों पर निर्भर रहते हैं। जीवों की एक शृंखला होती है जो एक-दूसरे का आहार करते हैं। विभिन्न जैविक स्तरों पर भाग लेने वाले जीवों की यह शृंखला आहार शृंखला कहलाती है।
आहार श्रंखला में सामान्यतः कम चरण क्यों होते हैं?
एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर में केवल 10% ऊर्जा का स्थानांतरण होता है जबकि 90% ऊर्जा वर्तमान पोषी स्तर में जैव क्रियाओं में उपयोग होती है। इसप्रकार उपभोक्ता के अगले स्तर के लिए ऊर्जा की बहुत ही कम मात्र उपलब्धा हो पाती है, अत: आहार शृंखला में सामान्यत: तीन अथवा चार चरण ही होते हैं।
पोषी स्तर से आप क्या समझते हैं?
एक आहार शृंखला में ऊर्जा का स्थानांतरण एक दिशा में होता है। एक आहार शृंखला में, उन जैविक घटकों को जिनमें ऊर्जा का स्थानांतरण होता है, पोषी स्तर कहलाता है।
पत्तियों पर पड़ने वाले ऊर्जा के कितने भाग को पौधे अवशोषित करते हैं?
हरे पौधो सूर्य की ऊर्जा का 1% भाग जो पत्तियों पर पड़ता है, अवशोषित करते हैं।
विभिन्न पोषी स्तरों से आप क्या समझते हैं?
आहार शृंखला का प्रत्येक चरण अथवा कड़ी एक पोषी स्तर बनाते हैं। स्वपोषी अथवा उत्पादक प्रथम पोषी स्तर हैं तथा सौर उर्जा का स्थिरीकरण करके उसे विषमपोषियों अथवा उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध कराते हैं। शाकाहारी अथवा प्राथमिक उपभोक्ता द्वितीय पोषी स्तर; छोटे मांसाहारी अथवा द्वितीय उपभोक्ता तीसरे पोषी स्तर; तथा बड़े मांसाहारी अथवा तृतीय उपभोक्ता चौथे पोषी स्तर का निर्माण करते हैं।
आहार श्रंखला में 10% नियम क्या है?
10% नियम: एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर में केवल 10% ऊर्जा का स्थानांतरण होता है जबकि 90% ऊर्जा वर्तमान पोषी स्तर में जैव क्रियाओं में उपयोग होती है।
कचरा प्रबंधन की मुख्य विधियाँ कौन-कौन सी हैं?
कचरा प्रबंधान की विधियाँ:
- जैवमात्र संयंत्र: जैव निम्नीकरणीय पदार्थ (कचरा) इस संयंत्र् द्वारा जैवमात्र व खाद में परिवर्तित किया जा सकता है।
- सीवेज उपचार तंत्र: नाली के पानी को नदी में जाने से पहले इस तंत्र द्वारा संशोधिात किया जाता है।
- कूड़ा भराव क्षेत्र: कचरा निचले क्षेत्रें में डाल दिया जाता है और दबा दिया जाता है।
- कम्पोस्टिंग: जैविक कचरा कम्पोस्ट गड्डे में भर कर ढक दिया जाता है और तीन महीने में कचरा खाद में बदल जाता है।
- पुन:चक्रण: अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ कचरा पुन: इस्तेमाल के लिए नए पदार्थों में बदल दिया जाता है।
- पुन: उपयोग: यह एक पारंपारिक तरीका है जिसमें एक वस्तु का पुन:-पुन: इस्तेमाल कर सकते हैं। उदाहरण अखबार से लिफाफे बनाना।
कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 13 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
आहार जाल क्या है?
विभिन्न आहार शृंखलाओं की लंबाई एवं जटिलता में काफी अंतर होता है। आमतौर पर प्रत्येक जीव दो अथवा अधिक प्रकार के जीवों द्वारा खाया जाता है, जो स्वयं अनेक प्रकार के जीवों का आहार बनते हैं। अत: एक सीधी आहार शृंखला के बजाय जीवों के मध्य आहार संबंध शाखान्वित होते हैं तथा शाखान्वित शृंखलाओं का एक जाल बनाते हैं जिससे ‘आहार जाल’ कहते हैं।
जैव आवर्धान क्या है? मानव को इससे क्या हानि है?
जैव आवर्धान: आहार श्रंखला में हानिकारक रसायनों की मात्र में एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर में जाने पर वृद्धि होती है। इसे जैव आवर्धान कहते हैं। ऐसे रसायनों की सबसे अधिक मात्र मानव शरीर में होती है।
ओजोन परत जीवों के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
ओजोन परत पृथ्वी के चारों ओर एक रक्षात्मक आवरण है (जमीनी स्तर पर ओजोन एक घातक जहर है) जो कि सूर्य के हानिकारक पराबैंगनी प्रकाश को अवशोषित कर लेती हैं। इस प्रकार से यह जीवों की स्वास्थय संबंधाी हानिया जैसे-त्वचा, कैंसर, मोतियाबिंद, कमजोर परिरक्षा तंत्र, पौधाों का नाश आदि से रक्षा करती है। मुख्य रूप से ओजोन परत समताप मंडल में पाई जाती है जो कि हमारे वायुमंडल का हिस्सा है।
कचरे में मुख्य पदार्थ क्या-क्या हैं?
कचरे में निम्न पदार्थ होते हैं:
(i) जैव निम्नीकरणीय पदार्थ: पदार्थ जो सूक्ष्मजीवों के कारण छोटे घटकों में बदल जाते हैं। जैसे – फल तथा सब्जियों के छिलके, सूती कपड़ा, जूट, कागज आदि। सूक्ष्मजीव एंजाइम उत्पन्न करते हैं जो पदार्थों को छोटे घटकों में बदल देते हैं।
(ii) अजैव निम्नीकरण पदार्थ: पदार्थ जो सूक्ष्मजीवों के कारण घटकों में परिवर्तित नहीं होते हैं। जैसे – प्लास्टिक, पॉलिथीन, संश्लिष्ट रेशे, धाातु, रेडियोएक्टिव अपशिष्ट आदि। सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पन्न एंजाइम अपनी क्रिया में विशिष्ट होते हैं। इसलिए अजैव निम्नीकरण पदार्थों का अपघटन नहीं कर सकते हैं।