कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 12 एनसीईआरटी समाधान – विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव
कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 12 के लिए एनसीईआरटी समाधान पाठ 12 विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव अभ्यास के प्रश्न उत्तर तथा अध्याय के बीच के पेजों में दिए गए प्रश्नों के जवाब हिंदी और अंग्रेजी मीडियम में यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 10 विज्ञान के ये समाधान सीबीएसई सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित किए गए हैं। यूपी बोर्ड, एमपी बोर्ड, बिहार तथा उत्तराखंड बोर्ड में वर्ग 10 के विद्यार्थी इन समाधानों का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। मोबाइल से पढने वाले विद्यार्थी कक्षा 10 विज्ञान ऐप डाउनलोड कर सकते हैं जो प्ले स्टोर पर निशुल्क उपलब्ध है।
कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 12 के लिए एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 12 के लिए एनसीईआरटी समाधान नीचे दिए गए हैं:
कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 12 के बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) उत्तर
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के संबंध में निम्न में से असत्य प्रकथन का चयन कीजिए:
व्यापारिक विद्युत मोटरों में निम्नलिखित में से किसका उपयोग नहीं किया जाता है?
किसी लंबी सीधी धारावाही परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता
घरेलू साधित्रों को लघुपथन अथवा अतिभारण से बचाने के लिए उपयोग किया जाने वाला सर्वाधिक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय क्या है?
चुम्बक के कौन कौन से गुण होते हैं?
चुम्बक के गुण:
- प्रत्येक चुम्बक के दो ध्रुव होते हैं – उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव।
- समान ध्रुव एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।
- असमान ध्रुव एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
- स्वतंत्र रूप से लटकाई हुई चुम्बक लगभग उत्तर-दक्षिण दिशा में रुकती है, उत्तरी ध्रुव उत्तर दिशा की ओर संकेत करते हुए दिखाई देती है।
कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 12 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर
चुम्बकीय क्षेत्र से आप क्या समझते हैं?
चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें चुम्बक के बल का संसूचन किया जाता है, चुम्बक का चुंबकीय क्षेत्र कहलाता है। इसका SI मात्रक टेस्ला (Tesla) है। चुम्बकीय क्षेत्र में परिमाण व राशि दोनों होते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र को दिकसूचक की सहायता से समझाया जा सकता है।
विद्युत धारावाही वृताकार पाश के कारण चुम्बकीय क्षेत्र के बारे में आप क्या जानते हैं?
चुम्बकीय क्षेत्र प्रत्येक बिंदु पर संकेंद्री वृत्तों द्वारा दर्शाया जा सकता है।
जब हम तार से दूर जाते हैं तो वृत निरंतर बडे़ होते जाते हैं।
विद्युत धारावाही तार के प्रत्येक बिंदु से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ पाश के केंद्र पर सरल रेखा जैसे प्रतीत होने लगती है।
पाश के अंदर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा एक समान होती है।
दक्षिण (दांयाँ) हस्त अंगुष्ठ नियम क्या है?
इस नियम के अनुसार यदि हम अपने दाहिने हाथ में विद्युत धारावाही चालक को इस प्रकार पकडे़ कि हमारा अंगूठा विद्युत धारा की ओर संकेत करता हो तो आपकी अंगुलियाँ चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा बताएँगी।
दिव्सूचक क्या काम करता है?
किसी दिव्सूचक की सुई के दोनों सिरे लगभग उत्तर और दक्षिण दिशाओं की ओर संकेत करते हैं। उत्तर दिशा की ओर संकेत करने वाले सिरे को उत्तरोमुखी ध्रुव अथवा उत्तर ध्रुव कहते हैं। दूसरा सिरा जो दक्षिण दिशा की ओर संकेत करता है उसे दक्षिणोमुखी ध्रुव अथवा दक्षिण ध्रुव कहते हैं।
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएं एक-दूसरे जो प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं हैं?
दो क्षेत्र रेखाएँ कहीं भी एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करतीं। यदि वे ऐसा करें तो इसका यह अर्थ होगा कि प्रतिच्छेद बिंदु पर दिव्सूची को रखने पर उसकी सुई दो दिशाओं की ओर संकेत करेगी जो संभव नहीं हो सकता।
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के विशेष गुण क्या हैं?
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के विशेष गुण
- चुंबकीय रेखाएं उत्तरी ध्रुव से प्रकट होती हैं तथा दक्षिणी ध्रुव पर विलीन हो जाती हैं।
- क्षेत्र रेखाएं बंद वक्र होती हैं।
- प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र में रेखाएँ अपेक्षाकृत अधिाक निकट होती हैं।
- दो रेखाएँ कहीं भी एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करतीं क्योंकि यदि वे प्रतिच्छेद करती हैं तो इसका अर्थ है कि एक बिंदु पर दो दिशाएँ हैं, जो संभव नहीं हैं।
- चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता को क्षेत्र रेखाओं की निकटता की कोटि द्वारा दर्शाया जाता है।
परिनालिका किसे कहते हैं?
पास-पास लिपटे विद्युत रोधाी तांबे के तार की बेलन की आकृतियों की अनेक फेरों वाली कुंडली को परिनालिका कहते हैं।
- परिनालिका का चुम्बकीय क्षेत्र छड़ चुम्बक के जैसा होता है।
- परिनालिका के अंदर चुम्बकीय क्षेत्र एक समान है तथा समांतर रेखाओं के द्वारा दर्शाया जाता है।
- चुम्बकीय क्षेत्र् की दिशा: परिनालिका के बाहर – उत्तर से दक्षिण, परिनालिका के अंदर – दक्षिण से उत्तर होती है।
- परिनालिका का उपयोग किसी चुम्बकीय पदार्थ जैसे नर्म लोहे को चुम्बक बनाने में किया जाता है।
कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 12 अभ्यास के लिए प्रश्न उत्तर
फ्लेमिंग का वाम (बायां) हस्त नियम क्या है?
यदि हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अंगूठे को इस प्रकार फैलाएँ कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लम्बवत हों। यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित धारा की दिशा की ओर संकेत करती है तो अंगूठा चालक की गति की दिशा या बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।
विद्युत मोटर किसे कहते हैं?
विद्युत मोटर एक ऐसी घूर्णन युक्ति है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित करती है। विद्युत मोटर का उपयोग विद्युत पंखों, रेफ्रिजेरेटरों, वाशिंग मशीन, विद्युत मिश्रकों आदि में किया जाता है।
विद्युत मोटर का सिद्धांत क्या है?
विद्युत मोटर-विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव का उपयोग करती है। जब किसी धारावाही आयतकार कुंडली को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो कुंडली पर एक बल आरोपित होता है जिसके फलस्वरूप कुंडली और धुरी का निरंतर घुर्णन होता रहता है। जिससे मोटर को दी गई विद्युत उर्जा यांत्रिक उर्जा में रूपांतरित हो जाती है।
विद्युत मोटर के विभिन्न भागों के बारे में आप क्या जानते हैं?
आर्मेचर – विद्युत मोटर में एक विद्युत रोधाी तार की एक आयतकार कुंडली ABCD जो कि एक नर्म लोहे पर लपेटी जाती है उसे आर्मेचर कहते हैं।
प्रबल चुम्बक : यह कुंडली किसी प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र के दो ध्रुवों के बीच इस प्रकार रखी जाती है कि इसकी भुजाएँ AB तथा CD चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लबंवत रहें।
विभक्त वलय या दिक परिवर्तक: कुंडली के दो सिरे धातु की बनी विभक्त वलय को दो अर्धा भागों P तथा Q से संयोजित रहते हैं। इस युक्ति द्वारा कुंडली में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा को बदला या उत्क्रमित किया जा सकता है।
ब्रुश: दो स्थिर चालक (कार्बन की बनी) ब्रुश X तथा Y विभक्त वलय P तथा Q से हमेशा स्पर्श में रहती है। ब्रुश हमेशा विभक्त वलय तथा बैटरी को जोड़ कर रखती है।
बैटरी: बैटरी दो ब्रुशों X तथा Y के बीच संयोजित होती है। विद्युत धारा बैटरी से चलकर ब्रुश X से होते हुए कुंडली ABCD में प्रवेश करती है तथा ब्रुश Y से होते हुए बैटरी के दूसरे टर्मिनल पर वापस आ जाती है।
विद्युत चुंबक तथा स्थायी चुंबक में अंतर
विद्युत चुंबक | स्थायी चुंबक |
---|---|
1. यह अस्थायी चुम्बक होता है अत: आसानी से चुम्बकत्व समाप्त हो सकता है। | 1. आसानी से चुम्बकत्व समाप्त नहीं किया जा सकता। |
2. इसकी शक्ति बदली जा सकती है। | 2. शक्ति निश्चित होती है। |
3. इसके धुवों को बदला जा सकता है। | 3. ध्रुवों को नहीं बदला जा सकता है। |
4. प्राय: अधिाक शक्तिशाली होते हैं। | 4. प्राय: कमजोर चुम्बक होते हैं। |
कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 12 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
विद्युत मोटर की कार्यविधि को समझाइए?
1. जब कुंडली ABCD में विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो कुंडली के दोनों भुजा AB तथा CD पर चुम्बकीय बल आरोपित होता है।
2. लेमिंग बामहस्त नियम अनुसार कुंडली की AB भुजा पर आरोपित बल उसे अधाोमुखी धकेलता है तथा CD भुजा पर आरोपित बल उपरिमुखी धकेलता है।
3. दोनों भुजाओं पर आरोपित बल बराबर तथा विपरित दिशाओं में लगते हैं। जिससे कुंडली अक्ष पर वामावर्त घूर्णन करती है।
4. आधे घूर्णन के पश्चात् Q का सम्पर्क ब्रुश X से होता है तथा P का सम्पर्क ब्रुश Y से होता है। अंत: कुंडली में विद्युत धारा उत्क्रमित होकर पथ DCBA के अनुदिश प्रवाहित होती है।
5. प्रत्येक आधे घूर्णन के पश्चात विद्युत धारा के उत्क्रमित होने का क्रम दोहराता रहता है जिसके फलस्वरूप कुंडली तथा धुरी का निरंतर घूर्णन होता रहता है।
“फ्लेमिंग दक्षिण (दायां) हस्त नियम क्या है?
फ्लेमिंग दक्षिण हस्त नियम के अनुसार यदि हम अपने दाहिने हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अंगूठे को इस प्रकार फैलाएँ कि तीनों एक-दूसरे के लम्बवत हों। यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा तथा अंगूठा चालक की दिशा की गति की ओर संकेत करता है तो मध्यमा चालक में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा दर्शाती है।
विद्युत जनित्र से आप क्या समझते हैं? यह किस सिद्धांत पर आधारित है?
विद्युत जनित्र् द्वारा विद्युत उर्जा या विद्युत धारा का निर्माण किया जाता है। विद्युत जनित्र में यांत्रिक उर्जा को विद्युत उर्जा में रूपांतरित किया जाता है।
विद्युत जनित्र का सिद्धांत:
विद्युत जनित्र् में यांत्रिक उर्जा का उपयोग चुम्बकीय क्षेत्र में रखे किसी चालक को घूर्णी गति प्रदान करने में किया जाता है। जिसके लस्वरूप विद्युत धारा उत्पन्न होती है। विद्युत जनित्र वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है। एक आयताकार कुंडली को स्थायी चुम्बकीय क्षेत्र में घुर्णन कराए जाने पर, जब कुंडली की गति की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत होती है तब कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होती है। विद्युत जनित्र फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम पर आधारित है।
दिष्ट धारा किसे कहते हैं?
1. जो विद्युत धारा अपनी दिशा परिवर्तित नहीं करती, दिष्ट धारा कहलाती है।
2. दिष्ट धारा को संचित कर सकते हैं।
3. सुदूर स्थानों पर प्रेषित करने में ऊर्जा का क्षय ज्यादा होता है।
4. स्रोत : सेल, बेटरी, संग्रहक सेल।
लघुपथन क्या होता है?
जब अकस्मात विद्युन्मय तार व उदासीन तार दोनों सीधो संपर्क में आते हैं तो परिपथ में प्रतिरोधा कम हो जाता है और अतिभारण हो सकता है। इस घटना को लघुपथन कहते हैं।
अभिभारण क्या होता है?
अतिभारण: जब विद्युत तार की क्षमता से ज्यादा विद्युत धारा खींची जाती है तो यह अभिभारण पैदा करता है।
इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
1. आपूर्ति वोल्टता में दुर्घटनावश होने वाली वृद्धि।
2. एक ही सॉकेट में बहुत से विद्युत साधित्रों को संयोजित करना।