कक्षा 7 हिंदी वसंत अध्याय 4 मिठाईवाला के प्रश्न उत्तर
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी वसंत अध्याय 4 मिठाईवाला के प्रश्न उत्तर सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए सत्र 2024-25 के अनुसार यहाँ दी गई है। कक्षा 7 के छात्र हिंदी में वसंत भाग 2 के पाठ 4 के अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर को यहाँ से सरल भाषा में प्राप्त कर सकते हैं।
कक्षा 7 हिंदी वसंत अध्याय 4 मिठाईवाला के प्रश्न उत्तर
मिठाईवाला अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?
मिठाईवाला अलग-अलग चीजें इसलिए बेचता था जिससे कि वह बच्चों को भी तरह-तरह की चीजें देकर लुभा सके वह कभी खिलौनेवाला बनकर आता तो कभी बांसुरीवाला बनकर आता था तो कभी मिठाईवाला बनकर आता था और बच्चों की मधुर बोली का आनंद लेता था और उन्हें भी आनंदित करता था। वह महीनों बाद इसलिए आता था क्योंकि वह और जगहों पर भी घूमता था।
‘अब इस बार ये पैसे न लूँगा’ कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?
मिठाईवाले ने कहा कि मैं इन बच्चों में अपने बच्चे देखता हूँ पैसों की कमी थोड़े ही है, आपकी दया से पैसे तो काफी हैं। जो नहीं है, इस तरह उसी को पा जाता हूँ। ̧ रोहिणी ने अब मिठाईवाले की ओर देखा उसकी आँखें आँसुओं से तर हैं। उसने मिठाई की दो पुड़ियाँ, मिठाइयों से भरी, औरे चुन्नू-मून्नू को दे दी। रोहिणी ने भीतर से पैसे फेंक दिए। मिठाईवाले ने पेटी उठाई और यह कहते हुए चला गया इस बार ये पैसे मैं नहीं लूँगा।
मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे?
मिठाईवाले की आवाज और उसका सामान बेचने का तरीका तथा लोगों में घुलमिलकर उनकी जरूरत के अनुसार उनसे बात करना और उन्हें सामान बेचना इन्हीं गुणें के कारण बच्चे तो बच्चे बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे।
इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?
इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से इसलिए बात कर रही है क्योंकि उस जमाने में औरतें किसी बाहरी आदती से सामने आकर बातें नहीं करती थीं। आज भी बहुत से छोटे शहरों या गावों में औरतें किसी बाहरी आदमी के सामने नहीं आती हैं, लेकिन बदलते माहौल में आज औरतें किसी भी आदमी के सामने आकर उससे बातें करती हैं और उसकी बात सुनती हैं और अपनी बात रखती हैं। यह काफी हद तक सही भी है और सामाजिक व्यवस्था के अनुसार ज्यादा ठीक भी नहीं है।
विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?
विजय बाबू बोले तुम लोगों की झूठ बोलने की आदत होती है। देते होंगे सभी को दो-दो पैसे, पर एहसान का बोझ मेरे ही ऊपर लाद रहे हो। मुरलीवाला बोला आपको क्या पता बाबू जी कि इनकी असली लागत क्या है। यह तो ग्राहकों का दस्तूर होता है कि दुकानदार चाहे हानि उठाकर चीज क्यों न बेचे, पर ग्राहक यही समझते हैं कि दुकानदार मुझे लूट रहा है। आप भला काहे को विश्वास करेंगे? लेकिन सच पूछिए तो बाबू जी, इसका असली दाम दो पैसा ही है।
मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा? सोचिए और उस पर एक और कहानी बनाइए?
मिठाईवाले का भरा-पूरा संसार उजड़ गया था। वह भी अपने नगर का सम्पन्न व्यक्ति था। पर समय के साथ उसका सब-कुछ छिन गया। इसके आगे बच्चे अपनी समझ के अनुसार खुद कहानी का निर्माण करेंगे।
खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?
जब भी खिलौनेवाले की आवाज सुनाई देती बहलानेवाला, खिलौनेवाला। सुननेवाले एक बार अस्थिर हो उठते। उसके स्नेहाभिसिक्त कंठ से फूटा हुआ गान सुनकर निकट के मकानों में हलचल मच जाती। छोटे-छोटे बच्चों को अपनी गोद में लिए युवतियाँ चिकों को उठाकर छज्जों पर नीचे झाँकने लगती। गलियों और छोटे-छोटे उद्यानों में खेलते और इठलाते हुए बच्चों का झुंड उसे घेर लेता और तब वह खिलौनेवाला वहीं बैठकर खिलौने की पेटी खोल देता।
रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो आया?
नगर की प्रत्येक गली में मुरलीवाले का मृदुल स्वर सुनाई पड़ता बच्चों को बहलाने वाला, मुरलीवाला। रोहिणी ने भी मुरलीवाले का यह स्वर सुना। तुरंत ही उसे खिलौनेवाले का स्मरण हो आया। उसने मन-ही-मन कहा खिलौनेवाला भी इसी तरह गा-गाकर खिलौने बेचा करता था। इसीलिए मुरलीवाले की आवाज सुनकर उसे खिलौनेवाले का स्मरण हो आया।
किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?
रोहिणी ने जब मिठाईवाले से पूछा कि कभी तुम खिलौनेवाले कभी मुरलीवाले और अब मिठाईववाले बनकर आए हो इस प्रकार व्यवसाय बदलकर तुम्हें क्या मिलता है तब मिठाईवाला भावुक होते हुए बोला कि कुछ नहीं खाने भर को मिल जाता है उसके साथ संतोष, धीरज और कभी-कभी असीम सुख मिल जाता है। मेरा भी भरा-पूरा संसार था पत्नी, बच्चे थे मैं बहुत बड़ा आदमी था। मेरा सबकुछ मिट गया अब मैं अकेला हूँ और इन बच्चों में ही अपने बच्चों को ढूढ़ता हूँ।