कक्षा 7 नागरिक शास्त्र अध्याय 7 एनसीईआरटी समाधान – हमारे आस पास के बाज़ार
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कक्षा 7 नागरिक शास्त्र अध्याय 7 के लिए एनसीईआरटी समाधान
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 नागरिक शास्त्र अध्याय 7 हमारे आस पास के बाज़ार
हमारे आस-पास के बाज़ार
हमें अपने दैनिक प्रयोग में आने वाली बहुत सारी चीजों को बाजार से खरीदते हैं जैसे- सब्जियाँ, साबुन, दंतमंजन, मसाले, ब्रेड, बिस्किट, चावल, दाल, कपड़ें, किताबें, कॉपियाँ, आदि। हम जो कुछ खरीदते हैं, यदि उन सब की सूची बनाई जाए, तो वह काफ़ी लंबी होगी। बाज़ार भी कई प्रकार के होते हैं, जहाँ हम अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए जाते हैं, जैसे – हमारे पड़ोस की गुमटी, साप्ताहिक हाट (बाज़ार), बड़े-बड़े शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और शॉपिंग मॉल आदि।
लोग साप्ताहिक बाज़ारों में क्यों जाते हैं? तीन कारण बताइए।
साप्ताहिक बाज़ार का यह नाम इसलिए पड़ा है, क्योंकि यह सप्ताह के किसी एक निश्चित दिन लगता है। इस साप्ताहिक बाज़ार में रोज़ खुलनेवाली पक्की दुकानें नहीं होती हैं। व्यापारी दिन में दुकान लगाते हैं और शाम होने पर उन्हें समेट लेते हैं। अगले दिन वे अपनी दुकानें किसी और जगह पर लगाते हैं। देश-भर में ऐसे हज़ारों बाज़ार लगते हैं और लोग इनमें अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों की चीजें खरीदने आते हैं।
लोग साप्ताहिक बाजारों में इसलिए जाते हैं क्योंकि साप्ताहिक बाज़ारों में बहुत-सी चीजें सस्ते दामों पर मिल जाती हैं। यदि एक दुकानदार किसी वस्तु के लिए अधिक कीमत माँगता है, तो लोगों के पास यह विकल्प होता है कि वे अगली दुकानों पर वही सामान देख लें, जहाँ संभव है कि वही वस्तु कम कीमत में मिल जाए। ऐसी स्थितियों में खरीदारों के पास यह अवसर भी होता है कि वे मोल-तोल करके भाव कम करवा सकें। साप्ताहिक बाज़ारों का एक फ़ायदा यह भी होता है कि ज़रूरत का सभी सामान एक ही जगह पर मिल जाता है।
लोग ज्यादातर सामान एक निश्चित दुकान से क्यों खरीदना चाहते हैं?
साप्ताहिक बाज़ार में मिलने वाले सामान की तुलना में पक्की दुकानों पड़ोस की दुकानें कई अर्थों में बहुत उपयोगी होती हैं। ये दुकानें हर समय खुली रहती हैं और हम सप्ताह के किसी भी दिन और किसी भी समय इन दुकानों पर जा सकते हैं। समान्यतः दुकानदार और खरीदार एक-दूसरे से परिचित भी हो जाते हैं और दुकानदार, ग्राहकों के लिए उधार भी देने को तैयार होते हैं।
शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और मॉल
शहरों में कुछ अन्य प्रकार के दुकानदारों से मोल-तोल नहीं करते हैं; कुछ बाज़ार ऐसे भी होते हैं, जहाँ एक साथ कई तरह की दुकानें होती हैं। इन्हें लोग शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के नाम से जानते हैं। अब तो कुछ शहरी इलाकों में आपको बहुमंजिला वातानुकूलित दुकानें भी देखने को मिलेंगी, जिनकी अलग-अलग मंज़िलों पर अलग-अलग तरह की वस्तुएँ मिलती हैं। इन्हें मॉल कहा जाता है। इन शहरी दुकानों में आपको बड़ी-बड़ी कंपनियों का ब्रांडेड सामान भी मिलता है और कुछ बिना ब्रांड का सामान भी मिलता है।
थोक व्यापारी किसे कहते हैं?
हर शहर में थोक बाज़ार का एक क्षेत्र होता है। यहाँ वस्तुएँ पहले पहुँचती हैं और यहीं से वे अन्य व्यापारियों तक पहुँचती हैं। सड़क किनारे की दुकान का छोटा व्यापारी, जिसके बारे में आपने पहले पढ़ा था, बड़ी संख्या में प्लास्टिक का सामान शहर के थोक व्यापारी से खरीदता है। हो सकता है कि वह बड़ा व्यापारी अपने से भी बड़े थोक व्यापारी से स्वयं सामान खरीदता हो। शहर का बड़ा थोक व्यापारी प्लास्टिक का यह सामान कारखाने से खरीदता है और उन्हें बड़े गोदामों में रखता है। इस तरह से बाज़ार की एक शृंखला बनती है। जब हम एक सामान खरीदते हैं, तब हम यह ध्यान नहीं देते हैं कि वह सामान किस-किस के पास से सफ़र करता हुआ हम तक पहुँचता है।
ऑनलाइन बाजार क्या है और किस प्रकार कार्य करता है?
तकनीक के विकास के साथ व्यापार के भी कई नए रास्ते खुले हैं इनमें से एक ऑनलाइन व्यापार है। इसमें खरीददारी करने के लिए हमें कहीं और जाने की जरुरत नहीं पड़ती। कई बार तो यह भी आवश्यक नहीं होता है, कि आप सामान खरीदने के लिए बाज़ार जाएँ। अब तो तरह-तरह के सामान के लिए फोन या इंटरनेट पर भी ऑर्डर दे दिए जाते हैं और सामान आपके घर तक पहुँचा दिया जाता। शहरी क्षेत्रों के लोग इन्टरनेट के ज़रिए घर से बाहर कदम रखे बिना ही बाज़ार में प्रवेश कर लेते हैं। वे अपने क्रेडिट कार्ड से ‘ऑनलाइन’ खरीदारी कर लेते हैं।