NIOS कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 22 जैव प्रक्रियाएँ I – पोषण, अभिगमन, श्वसन, उत्सर्जन

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NIOS कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 22 जैव प्रक्रियाएँ I

जैव प्रक्रियाएँ I: पोषण, अभिगमन, श्वसन, उत्सर्जन

पोषण की आवश्यकता: पोषण जीवों के जीवन का एक मूलभूत पहलू है। यह ऊर्जा प्रदान करता है, जो विभिन्न जैविक क्रियाओं को संचालित करती है, और वृद्धि, मरम्मत, और प्रजनन के लिए आवश्यक निर्माण सामग्री भी प्रदान करता है। विभिन्न जीव विभिन्न प्रकार के पोषण संबंधी तंत्रों का उपयोग करते हैं, जैसे कि स्वपोषण और परपोषण। स्वपोषी जीव, जैसे कि पौधे, सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करके अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, जबकि परपोषी जीव, जैसे कि मनुष्य और अन्य जानवर, अपने पोषण के लिए अन्य जीवों पर निर्भर रहते हैं।

अभिगमन की प्रक्रिया: अभिगमन या अंतरण की प्रक्रिया में आहार संबंधी पदार्थों का शरीर में समावेशन शामिल है। यह आहार संबंधी तत्वों के पाचन और अवशोषण के माध्यम से होता है। पाचन क्रिया जटिल खाद्य पदार्थों को उनके सरल अणुओं में तोड़ देती है, जिसे शरीर आसानी से उपयोग कर सकता है। इसके बाद, अवशोषण प्रक्रिया इन सरलीकृत अणुओं को रक्तधारा में ले जाती है, जहाँ से वे विभिन्न ऊतकों और कोशिकाओं तक पहुँचाए जाते हैं।

श्वसन का महत्व

श्वसन जीवों के लिए ऊर्जा उत्पादन की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन का उपयोग करके पोषक तत्वों से ऊर्जा निकाली जाती है, और कार्बन डाइऑक्साइड और पानी उत्सर्जित होते हैं। यह ऊर्जा, एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट (ATP) के रूप में संग्रहीत होती है, जो कोशिकाओं को उनके विभिन्न कार्यों के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करती है। श्वसन क्रिया सेलुलर स्तर पर होती है और इसे आरोबिक (ऑक्सीजन की उपस्थिति में) और अनारोबिक (ऑक्सीजन के बिना) श्वसन में विभाजित किया जा सकता है।

उत्सर्जन की प्रक्रिया: उत्सर्जन जीविक प्रक्रियाओं के दौरान उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट पदार्थों को हटाने की प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया जीवों को उनके आंतरिक वातावरण को नियंत्रित और संतुलित रखने में मदद करती है। मानव में, मुख्य उत्सर्जन अंगों में गुर्दे, फेफड़े, त्वचा, और यकृत शामिल हैं। गुर्दे रक्त से अतिरिक्त जल और विषैले पदार्थों को छानकर मूत्र के रूप में बाहर निकालते हैं, फेफड़े कार्बन डाइऑक्साइड और जल वाष्प को उत्सर्जित करते हैं, त्वचा पसीने के माध्यम से जल और लवणों को उत्सर्जित करती है, और यकृत विभिन्न विषैले पदार्थों को अधिक सुरक्षित रूपों में परिवर्तित करता है।

मानव पाचन तंत्र का कार्य

मानव पाचन तंत्र एक जटिल प्रणाली है जो खाद्य पदार्थों को पचाने, उनसे पोषक तत्वों को अवशोषित करने, और अवांछित अपशिष्टों को उत्सर्जित करने के लिए जिम्मेदार होती है। यह तंत्र मुख, ग्रासनली, अमाश, छोटी आंत, बड़ी आंत, और गुदा में विभाजित होता है। पाचन की प्रक्रिया मुख में शुरू होती है, जहां लार में उपस्थित एंजाइम खाद्य पदार्थों को तोड़ना शुरू करते हैं। अमाश में, खाद्य पदार्थ अम्लीय पाचन रसों के संपर्क में आते हैं, जो उन्हें और भी अधिक सरल रूपों में विघटित करते हैं। छोटी आंत में, खाद्य पदार्थों का अधिकांश अवशोषण होता है, और बड़ी आंत में, अवशोषण जारी रहता है और अंत में, अपशिष्ट पदार्थ गुदा के माध्यम से शरीर से बाहर निकलते हैं।

प्रतिरक्षा प्रणाली और जैव प्रक्रियाएं

जबकि यह आलेख मुख्य रूप से पोषण, अभिगमन, श्वसन, और उत्सर्जन पर केंद्रित है, प्रतिरक्षा प्रणाली का कार्य भी इन जैव प्रक्रियाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर को रोगजनकों और विदेशी अणुओं से बचाती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि श्वसन और पाचन तंत्र सहित जैविक प्रक्रियाएँ बिना किसी बाधा के चलती रहें। प्रतिरक्षा प्रणाली विशिष्ट और अविशिष्ट दोनों प्रकार की रक्षा क्रियाओं को संचालित करती है, जो शरीर को विविध प्रकार के संक्रमणों और बीमारियों से सुरक्षित रखती है। अविशिष्ट प्रतिरक्षा में त्वचा और श्लेष्मा झिल्लियों जैसी बाधाएं शामिल हैं, जो रोगजनकों के प्रवेश को रोकती हैं, जबकि विशिष्ट प्रतिरक्षा अधिक लक्षित होती है, जिसमें लिम्फोसाइट्स (व्हाइट ब्लड सेल्स) विशिष्ट रोगजनकों को पहचानते और नष्ट करते हैं। इस प्रकार, प्रतिरक्षा प्रणाली एक अहम कड़ी के रूप में काम करती है, जो शरीर को स्वस्थ और कार्यात्मक रखने में मदद करती है, विशेष रूप से जब यह पोषण और उत्सर्जन जैसी मौलिक जैव प्रक्रियाओं की बात आती है।

इस तरह, “जैव प्रक्रियाएँ I: पोषण, अभिगमन, श्वसन, और उत्सर्जन” कक्षा 10 के छात्रों के लिए विज्ञान की महत्वपूर्ण अवधारणाओं में से एक है, जो जीवन के मूलभूत पहलुओं को समझने के लिए आवश्यक है। ये जैव प्रक्रियाएँ जीवन की नींव हैं और स्वास्थ्य, रोग, और जीवन चक्र के समझ के लिए अपरिहार्य हैं।

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