एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 अर्थशास्त्र अध्याय 2

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान अर्थशास्त्र अध्याय 2 संसाधन के रूप में लोग पर आधारित प्रश्नों के उत्तर तथा अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर विस्तार से यहाँ उपलब्ध हैं। विद्यार्थी शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए एनसीईआरटी पुस्तक में अभ्यास के लिए दिए गए प्रश्नों के उत्तर के साथ-साथ पाठ के महत्वपूर्ण पश्नों के उत्तर भी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। उत्तरों को सरल तरीके से प्रस्तुत किया गया है ताकि प्रत्येक विद्यार्थी को आसानी से समझ आ सके।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 अर्थशास्त्र अध्याय 2

कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान अर्थशास्त्र अध्याय 2 के प्रश्न उत्तर

‘संसाधन के रूप में लोग’ से आप क्या समझते हैं?

लोग अधिक संसाधन बनाने के लिए प्रकृति का सबसे अच्छा उपयोग कर सकते हैं। यही कारण है कि मानव को एक संसाधन माना जाता है। संसाधन क रूप में लोग किसी देश के कार्यरत लोगों को उनके वर्तमान उत्पादन कौशल एवं योग्यताओं का वर्णन करने का एक तरीका है। यह मानव की क्षमताएं हैं जो एक भौतिक सामग्री को एक मूल्यवान संसाधन में स्थानांतरित करने में मदद करती हैं। अन्य संसाधन की भांति जनसंख्या भी एक संसाधन है जिसे ‘मानव संसाधन’ कहा जाता है।

मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से कैसे भिन्न है?

मानव संसाधन उत्पादन के लिए भूमि और भौतिक पूंजी जैसे अन्य संसाधनों का उपयोग करता है। लोगों को एक परिसंपत्ति बनाया जा सकता है यदि हम उनमें शिक्षा, प्रशिक्षण एवं चिकित्सा सुविधाओं के द्वारा निवेश करें। जिस प्रकार भूमि, जल, वन, खनिज आदि हमारे बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन हैं उसी प्रकार मनुष्य भी एक बहुमूल्य संसाधन हैं। अन्य संसाधन अपने आप उपयोगी नहीं हो सकते। यही कारण है कि मानव संसाधन को अन्य संसाधनों से बेहतर माना जाता है।

मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा की भूमिका है?

शिक्षा मानव पूँजी निर्माण का सबसे महत्वपूर्ण घटक है। एक उचित शिक्षा और प्रशिक्षण इस मानव पूंजी के गठन को सक्षम बनाता है। एक शिक्षित आबादी एक संपत्ति है, एक संसाधन है। यह कहने की आवश्यकता नहीं है की यह शिक्षा ही है जो एक व्यक्ति को उसके सामने उपलब्ध आर्थिक अवसरों का बेहतर उपयोग करने में सहायता करती है। शिक्षा श्रम की गुणवत्ता में वृद्धि करती है। कुल उत्पादकता में वृद्धि करने में भी सहायता करती है।

मानव पूँजी निर्माण स्वास्थ्य की भूमिका है?

मानव पूंजी निर्माण में स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति को अपनी पूरी क्षमता का एहसास होने की अधिक संभावना है और यह अर्थव्यवस्था के लिए एक संपत्ति बन सकता है। अस्वस्थ व्यक्ति को अपनी क्षमता का एहसास कम होता है और यह अर्थव्यवस्था के लिए एक दायित्व बन सकता है।

किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है?

एक व्यक्ति का स्वास्थ्य उसे उसकी क्षमता का एहसास करने में मदद करता है और उसे बीमारी से लड़ने की क्षमता भी देता है। एक अस्वस्थ व्यक्ति अपने काम के स्थान के लिए एक दायित्व है। किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य सीधे उसकी चंचलता से जुड़ा होता है। अस्वस्थ व्यक्ति की तुलना में, एक स्वस्थ व्यक्ति अधिक दक्षता और अधिक उत्पादकता के साथ काम कर सकता है।

प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में किस तरह की विभिन्न आर्थिक क्रियाएँ संचालित की जाती हैं?

प्राथमिक क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों के निष्कर्षण और प्रसार से संबंधित गतिविधियाँ शामिल हैं। कृषि, वानिकी, पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन, खनन और उत्खनन इस क्षेत्र में की जाने वाली गतिविधियाँ हैं।
द्वितीयक क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों के प्रसंस्करण से संबंधित गतिविधियाँ शामिल हैं। विनिर्माण इस क्षेत्र में शामिल है।
तृतीयक क्षेत्र में ऐसी गतिविधियाँ शामिल हैं जो विभिन्न सेवाओं के माध्यम से प्राथमिक और माध्यमिक क्षेत्रों को सहायता प्रदान करती हैं। व्यापार, परिवहन, संचार, बैंकिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, बीमा आदि, तृतीयक गतिविधियों के उदाहरण हैं।

आर्थिक और गैर-आर्थिक क्रियाओं में क्या अंतर है?

राष्ट्रीय आय में मूल्य जोड़ने वाली गतिविधियों को आर्थिक गतिविधियाँ कहा जाता है। इनके दो भाग हैं- बाजार गतिविधियाँ (वेतन या लाभ के लिए उत्पादन) और गैर-बाजार गतिविधियाँ (स्वयं की खपत के लिए उत्पादन)।
गैर-आर्थिक गतिविधियां वे हैं जो राष्ट्रीय आय में नहीं जोड़ते हैं; उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो घरेलू काम करता है।

महिलाएँ क्यों निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होती हैं?

शिक्षा और कौशल बाजार में एक व्यक्ति की कमाई के प्रमुख निर्धारक हैं। लैंगिक भेदभाव के कारण, महिलाओं को आमतौर पर शिक्षा और राष्ट्रीय आय के योग्य योगदानकर्ता बनने के लिए आवश्यक कौशल से वंचित किया जाता है। नतीजतन, अधिकांश महिलाओं के पास अल्प शिक्षा और कम कौशल का गठन है। एक कारण है कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है।

‘बेरोज़गारी’ शब्द की आप कैसे व्याख्या करेंगे?

बेरोजगारी का अर्थ है जब लोग काम करने के इच्छुक हो किंतु उन्हें रोजगार न मिले। यह स्थिति विकसित देशों की अपेक्षा विकासशील देशों में अधिक देखने में आती है। कामगार जनसंख्या में 25 से 59 वर्ष के आयु वर्ग के लोग आते हैं।

प्रच्छन्न और मौसमी बेरोज़गारी में क्या अंतर है?

प्रच्छन्न बेरोजगारी
जब कोई व्यक्ति वास्तव में आवश्यकता से अधिक काम कर रहा होता है, तो स्थिति को प्रच्छन्न बेरोजगारी कहा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई कृषि गतिविधि में आठ लोग लगे हुए हैं, लेकिन इस कार्य / गतिविधि को वास्तव में पांच लोगों की सेवाओं की आवश्यकता है, तो तीन व्यक्ति अतिरिक्त हैं। अगर आठ में से तीन लोगों को वापस ले लिया जाता है, तो कुल उत्पादन अप्रभावित रहेगा।
मौसमी बेरोजगारी
मौसमी बेरोजगारी तब होती है जब लोग साल के कुछ महीनों के दौरान ही नौकरी पा पाते हैं। उदाहरण के लिए, कृषि मजदूर व्यस्त मौसम के दौरान, अर्थात्, बुवाई, कटाई, निराई और गाहनाके दौरान ही काम करते हैं। यह भारत में कृषि के मौसमी चरित्र के कारण है।

शिक्षित बेरोज़गारी भारत के लिए एक विशेष समस्या क्यों है?

शिक्षित बेरोजगारी ऐसी स्थिति है, जहां मैट्रिक, स्नातक और स्नातकोत्तर उपाधि वाले कई युवाओं को उपयुक्त रोजगार नहीं मिल पा रहा है। भारत में एक बड़ी आबादी है और हर साल बड़ी संख्या में लोग स्कूल और कॉलेजों से स्नातक होते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन शिक्षण संस्थानों से निकलने वाले शिक्षित लोगों की संख्या के साथ तालमेल नहीं बैठा रहा है। इसके कारण शिक्षित बेरोजगार भारत की एक अजीबोगरीब समस्या है।

आपके विचार से भारत किस क्षेत्रक में रोज़गार के सर्वाधिक अवसर सृजित कर सकता है?

भारत कृषि क्षेत्र और इसके आधारित उद्योगों में अधिकतम रोजगार के अवसर का निर्माण कर सकता है। कृषि अर्थव्यवस्था का सबसे अधिक श्रम अवशोषित करने वाला क्षेत्र है। जब कुशल और गुणवत्ता की पैकिंग कृषि उत्पादों के साथ होती है तो यह बहुत सारे रोजगार उत्पन्न कर सकती है।

क्या आप शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोज़गारों की समस्या दूर करने के लिए कुछ उपाय सुझा सकते है?

शिक्षित बेरोजगारों की समस्या को कम करने के लिए शिक्षा प्रणाली में उपाय:

    • माध्यमिक स्तर पर शिक्षा को अधिक वृत्ति-उन्मुख बनाना, जो न केवल शिक्षा के साथ-साथ सफल रोजगार प्राप्त करने के लिए उत्कृष्ट कौशल के साथ व्यक्ति को संपन्न बनाएगा।
    • एक प्रकार की जाँचप्रक्रिया बनाएं जिससे प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमताओं के अनुरूप विषयों का चयन करता है।
    • स्कूली स्तर पर नए विषयों और अध्ययन के क्षेत्रों की शुरूआत के साथ उन क्षेत्रों में नौकरी के अवसरों की वृद्धि होनी चाहिए जो ऐसे विषयों का अध्ययन करने के लिए चुनाव करने वाले छात्रों को नियुक्त करेंगे।
क्या आप कुछ ऐसे गाँवों की कल्पना कर सकते हैं जहाँ पहले रोज़गार का कोई अवसर नहीं था, लेकिन बाद में बहुतायत में हो गया?

हाँ, मुझे अपने गांव के एक किसान द्वारा सुनाई गई कहानी याद आती है। उसने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व उसके गांव में सभी मूलभूत सुविधाओं जैसे कि स्कूल, अस्पताल, सड़कों,बाजार और यहां तक कि पानी व बिजली की उचित आपूर्ति का भी अभाव था। गाँव के लोगों ने पंचायत का ध्यान इन सभी समस्याओं की ओर आकृष्ट किया। पंचायत ने एक स्कूल खोला जिसमें कई लोगों को रोजगार मिला। जल्द ही गान के बच्चे वहां पढ़ने लगे और वहां कई प्रकार की तकनीकों का विकास हुआ। अब गांव वालों के पास बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं एवं पानी एवं बिजली की भी उचित आपूर्ति उपलब्ध थी। सरकार ने भी जीवन स्तर को सुधारने के लिए विशेष प्रयास किए थे। कृषि एवं गैर कृषि क्रियाएं भी अब आधुनिक तरीकों की जाती हैं।

किस पूँजी को आप सबसे अच्छा मानते हैं- भूमि, श्रम, भौमिक पूँजी और मानव पूँजी? क्यों?

मानवपूंजी उत्पादन करने के लिए भूमि, श्रम और भौतिक पूंजी जैसे अन्य संसाधनों का उपयोग करती है। अन्य संसाधन अपने आप उपयोगी नहीं हो सकते। इसलिए, मानव पूंजी को सभी संसाधनों में सबसे अच्छा माना जा सकता है।

कक्षा 9 अर्थशास्त्र अध्याय 2 अतिरिक्त प्रश्न उत्तर

मानव संसाधन का देश की उत्पादकता में क्या योगदान है?

‘संसाधन के रूप में लोग’ वर्तमान उत्पादन कौशल और क्षमताओं के संदर्भ में किसी देश के कार्यरत लोगों का वर्णन करने का एक तरीका है। उत्पादक पहलू की दृष्टि से जनसंख्या पर विचार करना सकल राष्ट्रीय उत्पाद के सृजन में उनके योगदान की क्षमता पर बल देता है। दूसरे संसाधनों की भाँति ही जनसंख्या भी एक संसाधन है‘एक मानव संसाधन’।

मानव पूंजी का निर्माण किस प्रकार किया जा सकता है?

विद्यमान मानव संसाधन को और अधिक शिक्षा तथा स्वास्थ्य द्वारा और विकसित किया जाता है, तब हम इसे मानव पूँजी निर्माण कहते हैं, जो भौतिक पूँजी निर्माण की ही भाँति देश की उत्पादक शक्ति में वृद्धि करता है। मानव पूँजी में निवेश (शिक्षा, प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सेवा के द्वारा) भौतिक पूँजी की ही भाँति प्रतिफल प्रदान करता है। अधिक शिक्षित या बेहतर प्रशिक्षित लोगों की उच्च उत्पादकता के कारण होने वाली अधिक आय और साथ ही अधिक स्वस्थ लोगों की उच्च उत्पादकता के रूप में इसे प्रत्यक्षत: देखा जा सकता है।

मानव पूंजी को भौतिक पूंजी से श्रेष्ठ क्यों माना गया है?

मानव पूँजी एक तरह से अन्य संसाधनों जैसे, भूमि और भौतिक पूँजी से श्रेष्ठ है, क्योंकि मानव संसाधन भूमि और पूँजी का उपयोग कर सकता है। भूमि और पूँजी अपने आप उपयोगी नहीं हो सकते।

भारत की विशाल जनसँख्या को दायित्व की जगह पूंजी में कैसे बदल सकते हैं?

अनेक दशकों से भारत में विशाल जनसंख्या को एक परिसंपत्ति की अपेक्षा एक दायित्व माना जाता रहा है। लेकिन, यह आवश्यक नहीं कि एक विशाल जनसंख्या देश के लिए दायित्व ही हो। मानव पूँजी में निवेश द्वारा इसे एक उत्पादक परिसंपत्ति में बदला जा सकता है (उदाहरण के लिए, सबके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य, आधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रयोग में औद्योगिक और कृषि श्रमिकों के प्रशिक्षण, उपयोगी वैज्ञानिक अनुसंधान आदि पर संसाधनों के व्यय द्वारा)। मानव संसाधन में (शिक्षा और चिकित्सा सेवा के द्वारा) निवेश से भविष्य में उच्च प्रतिफल प्राप्त हो सकते हैं। लोगों में यह निवेश भूमि और पूँजी में निवेश की ही तरह है।

बच्चों के पालन-पोषण में माता-पिता के शिक्षित होने का किस तरह से प्रभाव पड़ता है?

यह देखा जाता है कि शिक्षित माँ-बाप अपने बच्चों की शिक्षा पर अधिक निवेश करते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्होंने स्वयं भी शिक्षा के महत्त्व को अनुभव किया होता है। वे उचित पोषण और स्वच्छता के प्रति भी सचेत होते हैं। इसी प्रकार वे अपने बच्चों की स्कूली शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखते हैं। इस तरह इस मामले में एक अच्छा चक्र बन जाता है। इसके विपरीत, स्वयं भी अशिक्षित और अस्वच्छता तथा सुविधावंचित स्थिति में रहने वाले माँ-बाप एक दुष्चक्र सृजित कर लेते हैं और अपने बच्चों को अपनी ही तरह सुविधाओं से वंचित स्थिति में रखते हैं।

किसी देश की जनसँख्या की गुणवता का निर्धारण किस आधार पर किया जाता है?

जनसंख्या की गुणवत्ता साक्षरता-दर, जीवन-प्रत्याशा से निरूपित व्यक्तियों के स्वास्थ्य और देश के लोगों द्वारा प्राप्त कौशल निर्माण पर निर्भर करती है। जनसंख्या की गुणवत्ता अंतत: देश की संवृद्धि-दर निर्धारित करती है। साक्षर और स्वस्थ जनसंख्या परिसंपत्तियाँ होती हैं।

वर्तमान समय में भारत में शिक्षा की क्या स्थिति है?

साक्षरता प्रत्येक नागरिक का न केवल अधिकार है बल्कि यह नागरिकों द्वारा अपने कर्तव्यों का ठीक प्रकार से पालन करने तथा अपने अधिकारों का ठीक प्रकार से लाभ उठाने के लिए अनिवार्य भी है। तथापि, जनसंख्या के विभिन्न भागों के बीच व्यापक अंतर पाया जाता है। इससे साक्षरता-दर 1951 के 18 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 85 प्रतिशत हो गई है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में साक्षरता-दर करीब 14.4 प्रतिशत अधिक है और ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा नगरीय क्षेत्रों में साक्षरता-दर करीब 14.2 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2011 केरल के कुछ ज़िलों में साक्षरता-दर 96.2 प्रतिशत है जबकि बिहार में 70.9 प्रतिशत ही है।

स्वस्थ जनसँख्या का देश की प्रगति में किस प्रकार योगदान करती है?

किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य उसे अपनी क्षमता को प्राप्त करने और बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है। ऐसा कोई भी अस्वस्थ स्त्री /पुरुष संगठन वे समग्र विकास में अपने योगदान को अधिकतम करने में सक्षम नहीं होगा। वास्तव में, स्वास्थ्य अपना कल्याण करने का एक अपरिहार्य आधार है। इसलिए जनसंख्या की स्वास्थ्य स्थिति को सुधारना किसी भी देश की प्राथमिकता होती है। हमारी राष्ट्रीय नीति का लक्ष्य भी जनंसख्या के अल्प सुविधा प्राप्त वर्गों पर विशेष ध्यान देते हुए स्वास्थ्य सेवाओं, परिवार कल्याण और पौष्टिक सेवा तक इनकी पहुँच को बेहतर बनाना है। पिछले पाँच दशकों में भारत ने सरकारी और निजी क्षेत्रकों में प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक सेवाओं के लिए अपेक्षित एक विस्तृत स्वास्थ्य आधारिक संरचना और जनशक्ति का निर्माण किया है।

बेरोजगारी का देश की आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है?

बेरोज़गारी से आर्थिक बोझ में वृद्धि होती है। कार्यरत जनसंख्या पर बेरोज़गारों की निर्भरता बढ़ती है। किसी व्यक्ति और साथ ही साथ समाज के जीवन की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जब किसी परिवार को मात्र जीवन-निर्वाह स्तर पर रहना पड़ता है, तो उसके स्वास्थ्य स्तर में एक आम गिरावट आती है और स्कूल प्रणाली से अलगाव में वृद्धि होती है। इसलिए, किसी अर्थव्यवस्था के समग्र विकास पर बेरोज़गारी का अहितकर प्रभाव पड़ता है। बेरोज़गारी में वृद्धि मंदीग्रस्त अर्थव्यवस्था का सूचक है।

कक्षा 9 अर्थशास्त्र अध्याय 2 एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 9 अर्थशास्त्र अध्याय 2 एनसीईआरटी के प्रश्न उत्तर
कक्षा 9 अर्थशास्त्र अध्याय 2 एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 9 अर्थशास्त्र पाठ 2 अध्ययन सामग्री
कक्षा 9 अर्थशास्त्र पाठ 2 गाइड
कक्षा 9 अर्थशास्त्र पाठ 2 नोट्स
कक्षा 9 अर्थशास्त्र पाठ 2 प्रश्न उत्तर
कक्षा 9 अर्थशास्त्र पाठ 2 हिंदी में
कक्षा 9 अर्थशास्त्र पाठ 2 नोट्स हिंदी में