एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 गणित प्रश्नावली 7.1

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 गणित प्रश्नावली 7.1 त्रिभुज के प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए संशोधित रूप में विद्यार्थी यहाँ से निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। कक्षा 9 गणित की प्रश्नावली 7.1 के हल पीडीएफ और विडियो के रूप में यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। प्रत्येक प्रश्न में प्रयुक्त त्रिकोण के गुणधर्म को भी दिखाया गया है।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 गणित प्रश्नावली 7.1

त्रिभुजों की सर्वांगसमता

यदि दो त्रिभुजों की तीनों भुजायें एवं संगत कोण समान हों तो वे परस्पर सर्वांगसम होते हैं। दूसरे शब्दों में दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं यदि वे एक दूसरे की प्रतिलिपियाँ हों और एक को दूसरे के ऊपर रखे जाने पर, वे एक दूसरे को आपस में पूर्णतया ढक लें।

त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए कसौटियाँ

दो त्रिभुज परस्पर सर्वांगसम होंगे इसको सिद्ध करने के लिए कुछ नियम हैं:
अभिगृहीत 7.1 (SAS सर्वांगसमता नियम):
दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं, यदि एक त्रिभुज की दो भुजाएँ और उनका अंतर्गत कोण दूसरे त्रिभुज की दो भुजाओं और उनके अंतर्गत कोण के बराबर हों।
नोट:
इस परिणाम को इससे पहले ज्ञात परिणामों की सहायता से सिद्ध नहीं किया जा सकता है और इसीलिए इसे एक अभिगृहीत के रूप में सत्य मान लिया गया है।

ASA सर्वांगसमता

यदि एक त्रिभुज के दो कोण और उनके बीच की एक भुजा संगत कोण और भुजा के बराबर हो, तो त्रिभुज सर्वांगसम कहलाता है।
नोट:
चूँकि इस परिणाम को सिद्ध किया जा सकता है, इसलिए इसे एक प्रमेय कहा जाता है। इसे सिद्ध करने के लिए, हम ASA सर्वांगसमता नियम का प्रयोग करेंगे।

प्रमेय 7.1 (ASA सर्वांगसमता नियम)

दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं, यदि एक त्रिभुज के दो कोण और उनकी अंतर्गत भुजा दूसरे त्रिभुज के दो कोणों और उनकी अंतर्गत भुजा के बराबर हों।
उपपत्ति
हमें दो त्रिभुज ABC और DEF दिए हैं, जिनमें ∠B = ∠E, ∠C = ∠F और BC = EF है। हमें ∆ ABC ≅ ∆ DEF सिद्ध करना है।
दोनों त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए देखिए कि यहाँ तीन स्थितियाँ संभव हैं।
स्थिति (i):
मान लीजिए AB = DE है।
इस स्थिति में AB = DE (माना है)
∠B = ∠E (दिया है)
BC = EF (दिया है)
अतः ∆ ABC ≅ ∆ DEF (SAS नियम द्वारा)

स्थिति (ii)

मान लीजिए, यदि संभव है तो, AB > DE है। इसलिए, हम AB पर एक बिंदु P ऐसा ले सकते हैं कि PB = DE हो
अब ∆ PBC और ∆ DEF में,
PB = DE (रचना से)
∠B = ∠E (दिया है)
BC = EF (दिया से)
अतः, हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि
∆ PBC ≅ ∆ DFE (SAS सर्वांगसमता अभिगृहीत द्वारा)
चूँकि दोनों त्रिभुज सर्वांगसम हैं, इसलिए इनके संगत भाग बराबर होने चाहिए।
अतः, ∠ACB = ∠DFE
अतः ∠ACB = ∠PCB
परन्तु क्या यह संभव है?
यह तभी संभव है, जब P बिंदु A के साथ संपाती हो।
या BA = ED
अतः ∆ ABC ≅ ∆ DEF (SAS सर्वांगसमता अभिगृहीत द्वारा)

स्थिति (iii):

यदि AB, DE से छोटा हो, तो हम DE पर एक बिंदु M इस प्रकार ले सकते हैं कि ME = AB हो। अब स्थिति (ii) वाले तर्कण को दोहराते हुए, हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि AB = DE है और इसीलिए ∆ ABC ≅ ∆ DEF है।
अब मान लीजिए कि दो त्रिभुजों में दो कोणों के युग्म और संगत भुजाओं का एक युग्म बराबर हैं, परन्तु ये भुजाएँ बराबर कोणों के युग्मों की अंतर्गत भुजाएँ नहीं हैं। क्या ये त्रिभुज अभी भी सर्वांगसम हैं? आप देखेंगे कि ये त्रिभुज सर्वांगसम हैं। क्या आप इसका कारण बता सकते हैं?

आप जानते हैं कि त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180° होता है। अतः त्रिभुजों के कोणों के दो युग्म बराबर होने पर उनके तीसरे कोण भी बराबर होंगे (180° – दोनों बराबर कोणों का योग)।
अतः, दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं, यदि इन त्रिभुजों के दो कोणों के युग्म बराबर हों और संगत भुजाओं का एक युग्म बराबर हो। हम इसे AAS सर्वांगसमता नियम कह सकते हैं।

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