कक्षा 7 भूगोल अध्याय 7 एनसीईआरटी समाधान – रेगिस्तान में जीवन
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 भूगोल अध्याय 7 रेगिस्तान में जीवन अभ्यास के प्रश्न उत्तर तथा परीक्षा की तैयारी के लिए अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर सत्र 2024-25 के लिए विद्यार्थी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। पाठ 7 का विवरण तथा प्रश्न उत्तर विडियो के रूप में भी यहाँ दिए गए हैं ताकि पाठ को पढ़ने या समझने में छात्रों को कोई परेशानी न हो। पीडीएफ तथा विडियो के लिए छात्रों को किसी पंजीकरण की भी कोई आवश्यकता नहीं है।
कक्षा 7 भूगोल अध्याय 7 के लिए एनसीईआरटी समाधान
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 भूगोल अध्याय 7 रेगिस्तान में जीवन
रेगिस्तान में जीवन
रेगिस्तानी क्षेत्रों में कम वर्षा, विरल वनस्पति एवं चरम तापमान होते हैं। तापमान के आधार पर रेगिस्तान गर्म या ठंडे हो सकते हैं। इन स्थानों में जहाँ कहीं भी थोड़ा-बहुत जल उपलब्ध होता है, लोग वहाँ कृषि करने के लिए बस जाते हैं।
गर्म रेगिस्तान-सहारा
उत्तरी अफ्रीका के बड़े भू-भाग पर फैले सहारा का रेगिस्तान विश्व का सबसे बड़ा रेगिस्तान है। यह लगभग 8.54 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। सहारा रेगिस्तान ग्यारह देशों से घिरा हुआ है। ये देश हैं: अल्जीरिया, चाड, मिस्र, लीबिया, माली, मौरितानिया, मोरक्को, नाइजर, सूडान, ट्यूनिशिया एवं पश्चिमी सहारा।
जलवायु
सहारा रेगिस्तान की जलवायु अत्यधिक गर्म एवं शुष्क है। यहाँ की वर्षा ऋतु अल्पकाल के लिए होती है। यहाँ आकाश बादल रहित एवं निर्मल होता है। यहाँ नमी संचय होने की अपेक्षा तेजी से वाष्पित हो जाती है। दिन अविश्वसनीय रूप से गर्म होते हैं। दिन के समय तापमान 50⁰ सेल्सियस से ऊपर पहुँच जाता है, जिससे रेत एवं नग्न चट्टाने अत्यधिक गर्म हो जाती हैं। इनके ताप का विकिरण होने से चारों तरफ सब कुछ गर्म हो जाता है। रातें अत्यधिक ठंडी होती हैं तथा तापमान गिरकर हिमांक बिंदु, लगभग 0⁰ सेल्सियस तक पहुँच जाता है।
वनस्पतिजात एवं प्राणिजात
सहारा रेगिस्तान की वनस्पतियों में कैक्टस, खजूर के पेड़ एवं ऐकेशिया पाए जाते हैं। यहाँ कुछ स्थानों पर मरूद्यान-खजूर के पेड़ों से घिरे हरित द्वीप पाए जाते हैं। ऊँट, लकड़बग्घा, सियार, लोमड़ी, बिच्छू, साँपों की विभिन्न जातियाँ एवं छिपकलियाँ यहाँ के प्रमुख जीव-जंतु हैं।
लोग
सहारा रेगिस्तान की कष्टकारी जलवायु में भी विभिन्न समुदायों के लोग निवास करते हैं, जो भिन्न-भिन्न क्रियाकलापों में भाग लेते हैं। इनमें बेदुईन एवं तुआरेग भी शामिल हैं। चलवासी जनजाति वाले ये लोग बकरी, भेड़, ऊँट एवं घोड़े जैसे पशुधन को पालते हैं। इन पशुओं से इन लोगों को दूध मिलता है, इनकी खाल से ये पेटी, जूते, पानी की बोतल बनाने के लिए चमड़ा प्राप्त करते हैं तथा पशुओं के बालों का उपयोग चटाई, कालीन, कपड़े एवं कंबल बनाने के लिए होता है। धूल भरी आँधियों एवं गर्म वायु से बचने के लिए ये लोग भारी वस्त्र पहनते हैं।
ठंडा रेगिस्तान-लद्दाख
जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व में बृहत् हिमालय में स्थित लद्दाख एक ठंडा रेगिस्तान है। इसके उत्तर में काराकोरम पवर्त श्रेणियाँ एवं दक्षिण में जास्कर पवर्त स्थित है। लद्दाख से होकर अनेक नदियाँ बहती हैं जिनमें सिन्धु नदी प्रमुख है। ये नदियाँ गहरी घाटियों एवं महाखड्ड (गॉर्ज) का निर्माण करती हैं। लद्दाख में अनेक हिमानियाँ हैं जैसे गैंग्री हिमानी। लद्दाख की उँचाई कारगिल में लगभग 3000 मीटर से लेकर काराकोरम में 8000 मीटर से भी अधिक पाई जाती है। अधिक ऊँचाई के कारण यहाँ की जलवायु अत्यधिक शीतल एवं शुष्क होती है। इस ऊँचाई पर वायु परत पतली होती है जिससे सूर्य की गर्मी की अत्यधिक तीव्रता महसूस होती है। ग्रीष्म ऋतु में दिन का तापमान 0⁰ सेल्सियस से कुछ ही अधिक होता है एवं रात में तापमान शून्य से 30⁰ सेल्सियस से नीचे चला जाता है। शीत ऋतु में यह बर्फीला ठंडा हो जाता है, तापमान लगभग हर समय 40⁰ सेल्सियस से नीचे ही रहता है। चूँकि यह हिमालय के वृष्टि-छाया क्षेत्र में स्थित है, अत: यहाँ वर्षा बहुत ही कम होती है, मुश्किल से 10 सेंटीमीटर प्रति वर्ष।
लद्दाख में वनस्पतिजात एवं प्राणिजात
यहाँ उच्च शुष्कता के कारण वनस्पति विरल है। यहाँ जानवरों के चरने के लिए कहीं-कहीं पर ही घास एवं छोटी झाड़ियाँ मिलती हैं। घाटी में शरपत (विलो)एवं पॉप्लर के उपवन देखे जा सकते हैं। ग्रीष्म ऋतु में सेब, खुबानी एवं अखरोट जैसे पेड़ पल्लवित होते हैं। लद्दाख में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ नजर आती हैं। इनमें रॉबिन, रेडस्टार्ट, तिब्बती स्नोकॉक, रैवेन एवं हूप यहाँ पाए जाने वाले सामान्य पक्षी हैं। इनमें से कुछ प्रवासी पक्षी हैं। लद्दाख के पशुओं में जंगली बकरी, जंगली भेड़, याक एवं विशेष प्रकार के कुत्ते आदि पाए जाते हैं। इन पशुओं को दूध, मांस एवं खाल प्राप्त करने के लिए पाला जाता है। याक के दूध का उपयोग पनीर एवं मक्खन बनाने के लिए होता है। भेड़ एवं बकरी के बालों का उपयोग ऊनी वस्त्र बनाने के लिए किया जाता है।
लोग
क्या आप लद्दाख एवं तिब्बत तथा मध्य एशिया के निवासियों के बीच कोई समानता पाते हैं? यहाँ के अधिकांश लोग या तो मुसलमान हैं या बौद्ध। वास्तव में लद्दाख क्षेत्र में अनेक बौद्ध मठ अपने परंपरागत ‘गोंपा’ के साथ स्थित हैं। कुछ प्रसिद्ध मठ हैं – हेमिस, थिकसे, शे एवं लामायुरू।