कक्षा 7 भूगोल अध्याय 4 एनसीईआरटी समाधान – वायु

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 भूगोल अध्याय 4 वायु के अभ्यास के प्रश्न उत्तर के साथ साथ अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर छात्र यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। यह समाधान पीडीएफ तथा विडियो दोनों ही प्रारूपों में उपलब्ध है और बिना किसी पंजीकरण के इन्हें डाउनलोड किया जा सकता है। कक्षा 7 भूगोल के समाधान को सीबीएसई पाठ्यक्रम 2024-25 के अनुसार बनाया गया है ताकि विद्यार्थी नवीनतम पाठ्यक्रम से परीक्षा की तैयारी कर सकें।

कक्षा 7 भूगोल अध्याय 4 के लिए एनसीईआरटी समाधान

सातवीं के लिए एनसीईआरटी समाधान

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वायुमंडल

हमारी पृथ्वी चारों ओर से वायु की घनी चादर से घिरी हुई है, जिसे वायुमंडल कहते हैं। पृथ्वी पर सभी जीव जीवित रहने के लिए वायुमंडल पर निर्भर हैं। यह हमें साँस लेने के लिए वायु प्रदान करता है एवं सूर्य की किरणों के हानिकारक प्रभाव से हमारी रक्षा करता है। यदि सुरक्षा की यह चादर न हो तो हम दिन के समय सूर्य की गर्मी से तप्त होकर जल सकते है एवं रात के समय ठंड से जम सकते हैं। अत: यह वह वायुराशि है जिसने पृथ्वी के तापमान को रहने योग्य बनाया है।

वायुमंडल का संघटन

नाइट्रोजन (78%) तथा ऑक्सीजन (21%) ऐसी दो गैसें हैं, जिनसे वायुमंडल का बड़ा भाग बना है। कार्बन डाइऑक्साइड (0.03%), हीलियम, ओज़ोन, आर्गान (0.93%) एवं हाइड्रोजन कम मात्रा में पाई जाती हैं। इन गैसों के अलावा धूल के छोटे-छोटे कण भी हवा में मौजूद होते हैं।

ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है और यह पृथ्वी के तापमान को कैसे प्रभावित करता था?

कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में फैल कर पृथ्वी से विकिरित उष्मा को पृथ्वी पर रोककर ग्रीन हाउस प्रभाव पैदा करती है। इसलिए इसे ग्रीन हाउस गैस भी कहते हैं। और इसके अभाव में धरती इतनी ठंडी हो जाती कि इस पर रहना असंभव होता। किंतु जब कारखानों एवं कार के धुएँ से वायुमंडल में इसका स्तर बढ़ता है, तब इस उष्मा के द्वारा पृथ्वी का तापमान बढ़ता है। इसे भूमंडलीय तापन (ग्लोबल वार्मिंग) कहते हैं। तापमान में इस वृद्धि के कारण पृथ्वी के सबसे ठंडे प्रदेश में जमी हुई बप़्ार् पिघलती है। जिसके परिणामस्वरूप समुद्र के जलस्तर में वृद्धि होती है, जिससे तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है। दीर्घ अवधि में इसके कारण जलवायु में अत्यधिक परिवर्तन हो सकता है, जिसके फलस्वरूप कुछ पौधे एवं पशु लुप्त हो सकते हैं।

वायुमंडल की संरचना

हमारा वायुमंडल पाँच परतों में विभाजित है, जो पृथ्वी की सतह से आरंभ होती हैं। ये हैं:
1. क्षोभमंडल (13 किलोमीटर)
2. समतापमंडल (50 किलोमीटर)
3. मध्यमंडल (80 किलोमीटर)
4. बाह्य वायुमंडल एवं बहिर्मंडल (80 – 400 किलोमीटर)

मौसम एवं जलवायु

मौसम, वायुमंडल की प्रत्येक घंटे तथा दिन-प्रतिदिन की स्थिति होती है। आर्द्र एवं गर्म मौसम किसी को भी चिड़चिड़ा बना सकता है। अच्छा, हवादार मौसम हमें आनंद देता है और हम घूमने की योजना भी बना सकते हैं। मौसम नाटकीय रूप से दिन-प्रतिदिन बदलता है। किंतु दीर्घ काल में किसी स्थान का औसत मौसम, उस स्थान की जलवायु बताता है।

आतपन को स्पष्ट कीजिए।

आतपन एक महत्त्वपूर्ण कारक है, जो तापमान के वितरण को प्रभावित करता है। सूर्य से आने वाली वह ऊर्जा जिसे पृथ्वी रोक लेती है, आतपन कहलाती है। आतपन (सूर्यातप) की मात्रा भूमध्य रेखा से धु्रवों की ओर घटती है। इसलिए तापमान उसी प्रकार घटता जाता है।

वायु दाब

पृथ्वी की सतह पर वायु के भार द्वारा लगाया गया दाब, वायु दाब कहलाता है। वायुमंडल में ऊपर की ओर जाने पर दाब तेज़ी से गिरने लगता है। समुद्र स्तर पर वायु दाब सर्वाधिक होता है और ऊँचाई पर जाने पर यह घटता जाता है। वायु दाब का क्षैतिज वितरण किसी स्थान पर उपस्थित वायु के ताप द्वारा प्रभावित होता है। अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में वायु गर्म होकर ऊपर उठती है। यह निम्न दाब क्षेत्र बनाता है। निम्न दाब, बादलयुक्त आकाश एवं नम मौसम के साथ जुड़ा होता है। कम तापमान वाले क्षेत्रों की वायु ठंडी होती है। इसके फलस्वरूप यह भारी होती है। भारी वायु निमज्जित होकर उच्च दाब क्षेत्र बनाती है। उच्च दाब के कारण स्पष्ट एवं स्वच्छ आकाश होता है। वायु सदैव उच्च दाब क्षेत्र से निम्न दाब क्षेत्र की ओर गमन करती है।

पवन कितने प्रकार की होती है?

पवन को मुख्यत: तीन प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है।
1. स्थायी पवनें : व्यापारिक पश्चिमी एवं पूर्वी पवनें स्थायी पवनें हैं। ये वर्षभर लगातार निश्चित दिशा में चलती रहती हैं।
2. मौसमी पवनें : ये पवनें विभिन्न ऋतुओं में अपनी दिशा बदलती रहती हैं। उदाहरण के लिएभारत में मानसूनी पवनें।
3. स्थानीय पवनें : ये पवनें किसी छोटे क्षेत्र में वर्ष या दिन के किसी विशेष समय में चलती हैं। उदाहरण के लिएस्थल एवं समुद्री समीर।

क्षोभमंडल हमारे लिए किस प्रकार महत्वपूर्ण है?

यह परत वायुमंडल की सबसे महत्त्वपूर्ण परत है। इसकी औसत ऊँचाई 13 किलोमीटर है। हम इसी मंडल में मौजूद वायु में साँस लेते हैं। मौसम की लगभग सभी घटनाएँ जैसे वर्षा, कुहरा एवं ओलावर्षण इसी परत के अंदर होती हैं।

कक्षा 7 भूगोल अध्याय 4 एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 7 भूगोल अध्याय 4