कक्षा 7 भूगोल अध्याय 5 एनसीईआरटी समाधान – जल

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 भूगोल अध्याय 5 जल के सभी प्रश्न उत्तर तथा पाठ पर आधारित परीक्षा के लिए अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर छात्र यहाँ से निशुल्क डाउनलोड कर सकते हैं। कक्षा 7 सामाजिक जीवन भूगोल के सभी पाठों के लिए समाधान सीबीएसई सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित किए गए हैं और पीडीएफ तथा विडियो दोनों ही प्रारूपों में मुफ़्त उपलब्ध हैं। इसे तिवारी अकादमी ऐप या वेबसाइट से प्राप्त किया जा सकता है।

कक्षा 7 भूगोल अध्याय 5 के लिए एनसीईआरटी समाधान

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जल चक्र

पृथ्वी पर जल लगभग 72% है। क्या हमने कभी विचार किया कि वर्षा का जल कहाँ से आता है? सूर्य के ताप के कारण जल वाष्पित हो जाता है। ठंडा होने पर जलवाष्प संघनित होकर बादलों का रूप ले लेता है। यहाँ से यह वर्षा, हिम अथवा सहिम वृष्टि के रूप में धरती या समुद्र पर नीचे गिरता है। जिस प्रक्रम में जल लगातार अपने स्वरूप को बदलता रहता है और महासागरों, वायुमंडल एवं धरती के बीच चक्कर लगाता रहता है, उस को जल चक्र कहते हैं।

जल का वितरण

हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी की सतह का तीन-चौथाई भाग जल से ढँका हुआ है। क्या पृथ्वी पर मौज़ूद संपूर्ण जल हमारे लिए उपलब्ध है? निम्नलिखित तालिका में जल वितरण का प्रतिशत दिया गया है।
महासागर: 97.3
बर्फ छत्रक: 02.0
भूमिगत जल: 00.68
झीलों का अलवण जल: 0.009
स्थलीय समुद्र एवं नमकीन झीलें: 0.009
वायुमंडल: 0.0019
नदियाँ: 0.0001

महासागरीय परिसंचरण

महासागरीय जल हमेशा गतिमान रहता है। यह कभी शांत नहीं रहता है। महासागरों की गतियों को इस प्रकार वर्गीकृत कर सकते हैं जैसे: तरंगें, ज्वार-भाटा एवं धाराएँ।

सुनामी आने के क्या कारण हैं और इससे क्या प्रभाव पड़ता है?

तूफान में तेज़ वायु चलने पर विशाल तरंगें उत्पन्न होती हैं। इनके कारण अत्यधिक विनाश हो सकता है। भूकंप, ज्वालामुखी उद्‌गार, या जल के नीचे भूस्खलन के कारण महासागरीय जल अत्यधिक विस्थापित होता है। इसके परिणामस्वरूप 15 मीटर तक की ऊँचाई वाली विशाल ज्वारीय तरंगें उठ सकती हैं, जिसे सुनामी कहते हैं। अब तक का सबसे विशाल सुनामी 150 मीटर मापा गया था। ये तरंगें 700 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से चलती हैं। दिसंबर 2004 में जिस सुनामी ने दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्वी एशिया के तटों पर तबाही मचाई वह पिछले कई सौ वर्षों की सर्वाधिक विनाशकारी सुनामी थी। हिंद महासागर में निरीक्षण, आरंभिक चेतावनी की प्रणालियों एवं हिंद महासागर के तटीय निवासियों में जागरूकता की कमी के कारण जीवन एवं संपत्ति की अत्यधिक क्षति हुई।

ज्वार-भाटा

दिन में दो बार नियम से महासागरीय जल का उठना एवं गिरना ‘ज्वार-भाटा’ कहलाता है। जब सर्वाधिक ऊँचाई तक उठकर जल, तट के बड़े हिस्से को डुबो देता है, तब उसे ज्वार कहते हैं। जब जल अपने निम्नतम स्तर तक आ जाता है एवं तट से पीछे चला जाता है, तो उसे भाटा कहते हैं। सूर्य एवं चंद्रमा के शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पृथ्वी की सतह पर ज्वार-भाटे आते हैं।

महासागरीय धाराएँ

महासागरीय धाराएँ, निश्चित दिशा में महासागरीय सतह पर नियमित रूप से बहने वाली जल की धाराएँ होती हैं। महासागरीय धाराएँ गर्म या ठंडी हो सकती हैं। सामान्यत: गर्म महासागरीय धाराएँ, भूमध्य रेखा के निकट उत्पन्न होती हैं एवं धु्रवों की ओर प्रवाहित होती हैं। ठंडी धाराएँ, धु्रवों या उच्च अक्षांशों से उष्णकटिबंधीय या निम्न अक्षांशों की ओर प्रवाहित होती हैं। लेब्राडोर महासागरीय धाराएँ, शीत जलधाराएँ होती हैं जबकि गल्फस्ट्रीम गर्म जलधाराएँ होती हैं।

महासागरीय धाराएँ पृथ्वी के तापमान को किस प्रकार प्रभावित करती है?

महासागरीय धाराएँ, किसी क्षेत्र के तापमान को प्रभावित करती हैं। गर्म धाराओं से स्थलीय सतह का तापमान गर्म हो जाता है। जिस स्थान पर गर्म एवं शीत जलधाराएँ मिलती हैं, वह स्थान विश्वभर में सर्वोत्तम मत्स्यन क्षेत्र माना जाता है। जापान के आस-पास एवं उत्तर अमेरिका के पूर्वी तट इसके कुछ उदाहरण हैं। जहाँ गर्म एवं ठंडी जलधाराएँ मिलती हैं, वहाँ कुहरे वाला मौसम बनता है। इसके फलस्वरूप नौसंचालन में बाधा उत्पन्न होती है।

लाल सागर को मृत सागर क्यों कहा जाता है?

सामान्यतः समुद्र के जल में नमक 35 ग्राम प्रति 1000 ग्राम होता है। लेकिन इजराइल के मृत सागर में 340 ग्राम प्रति लीटर लवणता होती है। तैराक इसमें प्लव कर सकते हैं, क्योंकि नमक की अधिकता इसे सघन बना देती है। इसका पानी इतना ज्यादा खारा है कि इसमें न कोई जीव जीवित नहीं रह सकता, लेकिन इसमें नहाने से कई बीमारियां भी खत्म हो जाती हैं।

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