कक्षा 7 भूगोल अध्याय 2 एनसीईआरटी समाधान – हमारी पृथ्वी के अंदर
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 भूगोल अध्याय 2 हमारी पृथ्वी के अंदर अभ्यास के प्रश्न उत्तर तथा अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए छात्र यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं। कक्षा 7 भूगोल पाठ 2 के लिए यह समाधान सीबीएसई के साथ साथ राजकीय बोर्ड के लिए भी लाभकारी है। जिन छात्रों को प्रश्न उत्तर पीडीएफ के माध्यम से समझ न आए वे विडियो की मदद ले सकते हैं। पीडीएफ तथा विडियो दोनों ही निशुल्क उपलब्ध हैं।
कक्षा 7 भूगोल अध्याय 2 के लिए एनसीईआरटी समाधान
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 भूगोल अध्याय 2 हमारी पृथ्वी के अंदर
थ्वी का आंतरिक भाग
पृथ्वी की संरचना एक प्याज की तरह है। पृथ्वी भी एक के उपर एक संकेंद्री परतों से बनी है। पृथ्वी की सतह की सबसे उपरी परत को पर्पटी कहते हैं। यह सबसे पतली परत होती है। यह महाद्वीपीय संहति में 35 किलोमीटर एवं समुद्री सतह में केवल 5 किलोमीटर तक है। महाद्वीपीय संहति मुख्य रूप से सिलिका एवं एलुमना खनिजों से बनी है। महासागर की पर्पटी मुख्यत: सिलिका एवं मैग्नीशियम की बनी है पर्पटी के ठीक नीचे मैंटल होता है जो 2900 किलोमीटर की गहराई तक फैला होता है। इसकी सबसे आंतरिक परत क्रोड है जिसकी त्रिज्या लगभग 3500 किलामीटर है। यह मुख्यत: निकल एवं लोहे की बनी होती है केन्द्रीय क्रोड का तापमान एवं दाब काफी उच्च होता है।
शैल एवं खनिज
पृथ्वी की पर्पटी अनेक प्रकार के शैलों से बनी है। पृथ्वी की पर्पटी बनाने वाले खनिज पदार्थ के किसी भी प्राकृतिक पिंड को शैल कहते हैं। मुख्य रूप से शैल तीन प्रकार की होती हैं:
1. आग्नेय (इग्नियस) शैल
2. अवसादी (सेडिमेंट्री) शैल
3. कायांतरित (मेटामोरफिक) शैल
आग्नेय शैल कैसे निर्मित होते हैं?
द्रवित मैग्मा ठंडा होकर ठोस हो जाता है। इस प्रकार बने शैल को आग्नेय शैल कहते हैं। इन्हें पा्र थमिक श् ालै भी कहते हं।ै आग्नेय शलै दो पक्र ार की होती हैं :
1. अंतर्भेदी शैल
2. बर्हिभेदी शैल
बहिर्भेदी आग्नेय शैल
ज्वालामुखी से निकालने वाला द्रवित लावा जब पृथ्वी की सतह पर आता है, यह तेज़ी से ठंडा होकर ठोस बन जाता है। पर्पटी पर इस प्रकार से बने शैल को बहिर्भदेी आग्नये शलै कहते हैं। इनकी सरंचना बहुत महीन दानों वाली होती है। उदाहरण के लिए बेसाल्ट। दक्कन पठार बेसाल्ट शैलों से ही बना है।
अंतर्भेदी आग्नेय शैल से क्या तात्पर्य है?
द्रवित मैग्मा कभी-कभी भू-पर्पटी के अंदर गहराई में ही ठंडा हो जाता है। इस प्रकार बने ठोस शैलों को अंतर्भेदी आग्नेय शैल कहते हैं। धीरे-धीरे ठंडा होने के कारण ये बड़े दानों का रूप ले लेते हैं। ग्रेनाइट ऐसे ही शैल का एक उदाहरण है। लेई/मसालों तथा दानों का चूर्ण बनाने के लिए जिन अपघर्षण पत्थरों का उपयोग होता है वे ग्रेनाइट के बने होते हैं।
अवसादी शैल
शैल लुढ़ककर, चटककर तथा एक-दूसरे से टकराकर छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं। इन छोटे कणों को अवसाद कहते हैं। ये अवसाद हवा, जल आदि के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाकर, जमा कर दिए जाते हैं। ये अदृढ़ अवसाद दबकर एवं कठोर होकर शैल की परत बनाते हैं। इस प्रकार की शैलों को अवसादी शैल कहते है। उदाहरण के लिए, बलुआ पत्थर, रेत के दानों से बनता है।
कायांतरित शैल कैसे बनते हैं?
आग्नेय एवं अवसादी शैल उच्च ताप एवं दाब के कारण कायांतरित शैलों में परिवर्तित हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, चिकनी मिट्टी स्लेट में एवं चूना पत्थर संगमरमर में परिवर्तित हो जाता है।
शैल चक्र
एक शैल से दूसरे शैल में परिवर्तन होने की इस प्रक्रिया को शैल चक्र कहते हैं। आप जानते हैं कि द्रवित मैग्मा ठंडा होकर ठोस आग्नेय शैल बन जाता है। ये आग्नेय शैल छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होकर अवसादी शैल का निर्माण करते हैं। ताप एवं दाब के कारण ये आग्नेय एवं अवसादी शैल कायांतरित शैल में बदल जाते हैं। अत्यधिक ताप एवं दाब के कारण कायांतरित शैल पुन: पिघलकर द्रवित मैग्मा में बदल जाती है। यह द्रवित मैग्मा पुन: ठंडा होकर ठोस आग्नेय शैल में परिवर्तित हो जाता है।
शैलों का क्या उपयोग हैं?
शैल विभिन्न खनिजों से बनी होती हैं। खनिज प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले पदार्थ हैं जिनका निश्चित भौतिक गुणधर्म एवं निश्चित रासायनिक मिश्रण होता है। खनिज मानव जाति के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। कुछ का उपयोग र्इंधन की तरह होता है जैसे: कोयला, प्राकृतिक गैस एवं पेट्रोलियम। इनका उपयोग उद्योगों, औषधि एवं उर्वरक में भी होता है। अन्य खनिज पदार्थ हैं जैसे: लोहा, एल्यूमिनियम, सोना, यूरेनियम, आदि।