कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 4 एनसीईआरटी समाधान – अम्ल, क्षारक और लवण
कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 4 अम्ल, क्षारक और लवण एनसीईआरटी समाधान – सलूशन पीडीएफ़ तथा विडियो के रूप में अभ्यास के सभी प्रश्न उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। ऑनलाइन प्रयोग के लिए कक्षा 7 विज्ञान के सभी समाधान मुफ्त हैं और किसी पंजीकरण की आवश्यकता भी नहीं हैं। यदि आप सातवीं कक्षा के समाधान ऑफलाइन प्रयोग करना चाहते हैं तो डाउनलोड करें कक्षा 7 विज्ञान ऐप, जो प्ले स्टोर पर निशुल्क उपलब्ध है।
कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 4 के एनसीईआरटी समाधान नीचे दिए गए हैं:
रसायनिक यौगिक कितने प्रकार के होते है?
रासायनिक यौगिक तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किये गये हैं।
1.अम्ल
2.क्षार
3.लवण
कुछ कार्बनिक पदार्थ जैसे शक्कर, स्टॉर्च तथा एल्कोहल उपयुक्त श्रेणी में नहीं आते हैं। जल न तो अम्लीय है नही क्षारीय।
कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 4 के प्रश्न उत्तर
अम्लों और क्षारकों के बीच अंतर बताइए।
अम्ल
1. इसका स्वाद खट्टा होता है।
2. जब लिटमस विलयन में डाला जाता है, तो यह लाल हो जाता है।
3. उदाहरण: दही, नींबू का रस और सिरका।
क्षारक
1. इसका स्वाद कड़वा होता है।
2. जब लिटमस विलयन में डाला जाता है, तो यह नीला हो जाता है।
3. उदाहरण: खाने वाला सोडा, साबुन और चूने का पानी।
अनेक घरेलू उत्पादों, जैसे खिड़की साफ़ करने के मार्जकों आदि में अमोनिया पाया जाता है। ये लाल लिटमस को नीला कर देते हैं। इनकी प्रकृति क्या है?
अमोनिया लाल लिटमस को नीला कर देती हैं, इसलिए अमोनिया की प्रकृति क्षारीय है।
उस स्रोत का नाम बताइए, जिससे लिटमस विलयन को प्राप्त किया जाता है। इस विलयन का क्या उपयोग है?
लिटमस को लाइकेन से निकाला जाता है। आसुत जल में इसका मॉव (नीलशोण) होता है। जब एक अम्लीय विलयन में मिलाया जाता है, तो यह लाल हो जाता है। जब एक क्षारीय विलयन में मिलाया जाता है, तो यह नीला हो जाता है। इसका उपयोग विलयनों के अम्लीय या क्षारीय प्रकृति का परीक्षण करने के लिए किया जाता है।
क्या आसुत जल अम्लीय/क्षारीय/उदासीन होता है? आप इसकी पुष्टि कैसे करेंगे।
आसुत जल प्रकृति से उदासीन होता है। हम लिटमस परिक्षण द्वारा इसे सत्यापित कर सकते हैं। आसुत जल लाल या नीले लिटमस के रंग को नहीं बदलता है।
उदासीनीकरण के प्रक्रम को एक उदाहरण देते हुए समझाइए।
जब एक अम्लीय विलयन और एक क्षारीय विलयन को बराबर मात्रा में मिलाया जाता है, तो अम्ल की अम्लीय प्रकृति और क्षार की क्षारीय प्रकृति दोनों ही समाप्त हो जाती हैं। परिणामी विलयन न तो अम्लीय है और न ही क्षारीय, यह उदासीन हो जाता है। इस प्रक्रिया को उदासीनीकरण के रूप में जाना जाता है।
कम सांद्रता वाला हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को परखनली में एक चौथाई भरें और लिटमस विलयन की कुछ बूंद डालें। अब विलयन का रंग लाल हो जाता है। इसके बाड़ सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन को इस अम्लीय विलयन में धीरे-धीरे एक-एक करके ड्रॉपर से मिलाएं। परखनली को धीरे से हिलाएं। रंग के हरा होने तक हिलाते हुए सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन को बूँद-बूँद मिलाते रहें। इस प्रकार हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का प्रभाव क्षार सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन द्वारा उदासीन हो जाता है।
आपको तीन द्रव दीए गए हैं, जिनमें से एक हाइड्रोक्लोरिक अम्ल है, दूसरा सोडियम हाइडॉक्साइड और तीसरा शक्कर का विलयन है। आप हल्दी को सूचक के रूप में उपयोग करके उनकी पहचान कैसे करेंगे?
हल्दी का रंग पीला होता है। जब इसमें क्षार मिलाया जाता है, तो विलयन गुलाबी रंग में बदल जाता है। जब इसमें अम्लीय या उदासीन विलयन डाला जाता है, इसका रंग नहीं बदलता है। हम क्षार, अम्ल या उदासीन की पहचान करने के लिए निम्न चरणों का पालन करेंगे।
1. प्रत्येक घोल से कुछ बूंदें लें और हल्दी के घोल से इसका परीक्षण करें। अगर घोल गुलाबी रंग में बदल जाता है तो वह घोल क्षार यानी सोडियम हाइड्रॉक्साइड है। क्षार के रूप में उस को चिह्नित करें।
2. एक परखनली में कुछ क्षार घोल ले और दूसरे घोल में डालें। जांचें कि क्या परखनली गर्म हो गई है और फिर उसमें हल्दी घोल डालें। यदि रंग नहीं बदलता है, तो इसका मतलब है कि मिलाया गया विलयन अम्लीय (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) है।
3. यदि उपरोक्त घोल की परखनली गर्म नहीं होती है और हल्दी डालने पर यह गुलाबी रंग नहीं दिखाती है, तो दूसरा घोल उदासीन (शक्कर का विलयन) है।
नीले लिटमस पत्र को एक विलयन में डुबोया गया। यह नीला ही रहता है। विलयन की प्रकृति क्या है? समझाइए।
यदि किसी विलयन में नीला लिटमस डूबने पर नीला ही रहता है, तो इसका मतलब है कि विलयन या तो क्षार है या उदासीन है।
कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 4 के प्रश्न उत्तर विस्तार से
कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 4 के मुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
अम्ल किसे कहते हैं?
वे पदार्थ जो स्वाद में खट्टे होते हैं, अम्ल कहलाते हैं। प्राय: दही, इमली, नींबू, कच्चाआम, करोंदा, टमाटर, सिरका आदि पदार्थ स्वाद में खट्टे होते हैं क्योंकि इनमें अम्ल होता है। अम्ल शब्द लैटिन भाषा के शब्द बपकने से लिया गया है जिसका अर्थ ‘खट्टा’ होता है।
कार्बनिक अम्ल क्या होते हैं?
कुछ फलों और खाद्य पदार्थों का स्वाद खट्टा होता है क्योंकि इनमें प्राकृतिक अम्ल विद्यमान रहते हैं। इन अम्लों को कार्बनिक अम्ल कहते हैं। कार्बनिक अम्लों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
(i) एसिटिक एसिड – सिरका।
(ii) सिट्रिक एसिड -नींबू, सतंरा, अंगूर आदि।
(iii) टाइटेरिक एसिड – इमली, आँवला आदि।
(iv) आक्जेलिक एसिड – टमाटर।
(v) एस्कार्बनिक एसिड – बिटामिन‘सी
कार्बनिक अथवा खनिज अम्ल किसे कहते हैं?
रसायनों ने प्रयोगशालाओं, अनुसंधानशालाओं तथा उद्योगों में प्रयोग करने के लिए बहुत से अम्लों का निर्माण किया है। चूँकि ये अम्ल प्राय: खनिज तत्वों से बनाए जाते हैं, अत: इन्हें खनिज अथवा अकार्बनिक अम्ल कहते हैं। कुछ प्रमुख अम्लों (अकार्बनिक) के नाम निम्नलिखित हैं:
(i) सल्फ्यूरिक एसिड – गंधक का अम्ल
(ii) नाइट्रिक एसिड – शीरे का अम्ल
(iii) हाइड्रोक्लोरिक एसिड – नमक का अम्ल
ये अम्ल अत्यधिक संक्षारक होने के कारण त्वचा, वस्त्रों तथा धातुओं आदि का क्षय करते हैं। अकार्बनिक अम्लों को कभी भी छूना या चखना नहीं चाहिए।
लवण किसे कहते हैं?
अम्लों व धातुओं की अभिक्रिया के दौरान धातुओं का एक यौगिक बनता है जिसे लवण कहते हैं। जिंक क्लोराइड, सिल्वर क्लोराइड, आयरन क्लोराइड, मैग्नीशियम सल्फेट तथा जिंक सल्फेट आदि सभी लवण हैं।
सांद्र तथा तनु अम्ल क्या होते हैं?
कुछ अम्लों में जल की मात्रा बहुत कम होती है तथा उनका प्रभाव बहुत प्रबल होता है। ये अम्ल सांद्र अम्ल कहलाते हैं। सांद्र अम्ल को धीरे-धीरे जल में मिलाने से उसकी तीव्रता कम हो जाती है। सांद्र अम्ल में पर्याप्त मात्रा में जल मिला कर उसे निरंतर हिलाते रहने से वह तनु अम्ल बन जाता है। तनु अम्ल अधिक प्रबल नहीं होता।
प्रबल तथा दुर्बल अम्ल की पहचान आप किस प्रकार करोगे।
कुछ अम्ल अत्यंत तीव्रता से अन्य रसायनों के साथ अभिक्रिया करते हैं। जबकि कुछ अम्ल बहुत ही मंद गति से अभिक्रिया करते हैं। उदाहरण के लिए गंधक का अम्ल, शीरे का अम्ल तथा नमक का अम्ल बहुत तीव्रता से अभिक्रिया करते हैं। इन अम्लों को प्रबल अम्ल कहते हैं। इसके विपरीत एसिटिक अम्ल, साइट्रिक अम्ल तथा कार्बनिक अम्ल अत्यंत धीरे-धीरे अभिक्रिया करते हैं। अत: ये दुर्बल अम्ल कहलाते हैं। दुर्बल अम्लों का कई बार आपने खाद्य पदार्थों में भी प्रयोग किया है। पेय पदार्थों के स्वाद को बढ़ाने के लिए उनमें कार्बनिक अम्ल का प्रयोग किया जाता है।
गंधक का अम्ल अथवा सल्फ्यूरिक एसिड (H₂SO₄) के उपयोग
गंधक का अम्ल अथवा सल्फ्यूरिक एसिड (H₂SO₄) के उपयोग:
- (i) यह कागज, चमड़े तथा वस्त्र उद्योगों में प्रयोग किया जाता है।
- (ii) इसका उपयोग पेट्रोलियम के शोधन में किया जाता है।
- (iii) यह अमोनियम सल्फेट जैसा उर्वरक बनाने के काम में आता है।
- (iv) जल अवशोषक के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
- (v) यह संचालक बैटरियों में प्रयोग किया जाता है।
- (vi) प्रयोगशालाओं में यह अम्ल अन्य प्रयोगों को करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
क्षारक क्या होते है? उदाहरण सहित समझाइए।
लिटमस पेपर का लाल रंग से नीले रंग में परिवर्तन होना पदार्थ के क्षारकीय गुण को दर्शाता है। मैग्नीशियम एवं अन्य बहुत सी धातुओं के ऑक्साइड जल में घुलकर अपनी धातुओं के हाइड्राक्साइड बनाते हैं। जिन यौगिकों के एक अणु में एक या एक से अधिक हाइड्रॉक्साइड समूह उपस्थित होते हैं वे यौगिक ‘क्षारक’ कहलाते हैं। क्षारकों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
1. धावन सोडा या वाशिंग सोडा (सोडियम कार्बोनेट)
2. मीठा सोडा या बेकिंग सोडा (सोडियम बाइकार्बोनेट)
क्षारकों के मुख्य गुण क्या हैं?
क्षारकों के मुख्य गुण:
- ये फिनोफ्थेलीन को गुलाबी तथा मिथाइल आरेंज को पीला बना देते हैं।
- क्षारक साबुन की भाँति चिकने लगते हैं।
- क्षारक नामक यौगिकों में एक या एक से अधिक हाइड्रॉक्साइड समूह होते हैं।
- ये लाल लिटमस के घोल को नीला कर देते हैं।
- क्षारक का स्वाद कड़वा होता है।
- अम्लों के साथ अभिक्रिया करके क्षारक लवण और जल बनाते हैं।