कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 1 एनसीईआरटी समाधान – पादपों में पोषण

कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 1 पादपों में पोषण एनसीईआरटी समाधान – सलूशन अभ्यास के सभी प्रश्न उत्तर, नोट्स, अध्ययन सामाग्री तथा विडियो समाधान शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए उपलब्ध है। कक्षा 7 विज्ञान पाठ 1 के ये समाधान यूपी, एमपी और सीबीएसई बोर्ड के साथ साथ अन्य राजकीय बोर्डों के लिए भी मददगार हैं। कक्षा 7 विज्ञान समाधान ऑफलाइन ऐप से छात्र बिना इंटरनेट के भी पढ़ सकता है। सातवीं कक्षा के विज्ञान के प्रश्न उत्तर का यह ऐप निशुल्क है।

कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 1 के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

जीवों को खाद्य की आवश्यकता क्यों होती है?

सभी जीवों को अपने शरीर के विकास और रखरखाव के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ये ऊर्जा हमें भोजन से प्राप्त होती है।

परजीवी एवं मृतजीवी में अंतर स्पष्ट कीजिए।

परजीवी एवं मृतजीवी में अंतर:
परजीवी: जो जीव अपना पोषण परपोषी पादप से प्राप्त करते हैं, परजीवी कहलाते हैं। जैसे: अमरबेल ।
मृतजीवी: जो जीव अपना पोषण मृत एवं अपघटित जैव पदार्थों से प्राप्त करते हैं, मृतजीवी कहलाते हैं। जैसे: कवक ।

आप पत्ती में मंड (स्टार्च) की उपस्थिति का परीक्षण कैसे करेंगे?

पत्ती में मंड की उपस्थिति का परीक्षण:

    1. विभेदित पत्तियों के साथ एक पौधा लें – उदाहरण के लिए, मनी प्लांट या क्रोटन।
    2. पौधे को तीन दिनों के लिए एक अंधेरे कमरे में रखें ताकि सभी स्टार्च का उपयोग हो जाए।
    3. अब एक पत्ती के कुछ भाग को काली पट्टी पेपर से ढँक दें और पौधे को लगभग छह घंटे तक धूप में रखें।
    4. पौधे से पत्ती को अलग करें। इसमें खुले क्षेत्र को चिह्नित करें और उन्हें कागज की एक शीट पर इसका आकार बना लें।
    5. कुछ मिनट के लिए पत्ती को उबलते पानी में पत्ती डुबोएं।
    6. इसके बाद, इसे अल्कोहल के बीकर में डुबो दें।
    7. उपरोक्त बीकर को ध्यान से पानी के बर्तन में डालकर तब तक गर्म करें जब तक अल्कोहल उबलने न लगे।
    8. अब पत्ती को आयोडीन के घोल में कुछ मिनट के लिए डुबोएं।
    9. पत्ती को बाहर निकालें और आयोडीन के घोल को धोएं।
    10. आप देखते हैं कि पत्ती के विभिन्न क्षेत्रों में स्टार्च की उपस्थिति दिखाई देने लगती है।
हरे पादपों में खाद्य संश्लेषण प्रक्रम का संक्षिप्त विवरण दीजिए।

पौधों में भोजन का संश्लेषण पत्तियों में होता है इसलिए पत्तियां पौधों की खाद्य फैक्ट्रियां हैं। सभी कच्चे माल (जल, कार्बन डाइऑक्साइड और सूर्य के प्रकाश) को पत्तियों तक पहुंचना चाहिए। पानी और खनिजों को जड़ों द्वारा पत्तियों में ले जाया जाता है। पत्तियों में एक हरा वर्णक होता है जिसे क्लोरोफिल कहा जाता है जो पत्तियों को सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा को अब्शोषित करने में मदद करता है। इस ऊर्जा का उपयोग कार्बन डाइऑक्साइड और पानी की उपस्थिति में भोजन तैयार करने के लिए किया जाता है।

किसी प्रवाह चित्र की सहायता से दर्शाइए कि पादप भोजन के मूलभूत स्रोत हैं।

सभी जीव सीधे या परोक्ष रूप से पौधों पर निर्भर करते हैं। उदाहरण के लिए, पौधे खाने वाले जानवर सीधे पौधों पर निर्भर करते हैं और मांसाहारी इन पौधे खाने वाले जीवों पर निर्भर रहते हैं। इस प्रकार ये जीव अप्रत्यक्ष रूप से पौधों पर ही निर्भर करते हैं।

पादपों में पोषण की विधि

केवल पादप ही ऐसे जीव हैं, जो जल, कार्बन डाइऑक्साइड एवं खनिज की मदद से अपना भोजन बना सकते हैं। ये सभी पदार्थ उनके परिवेश में उपलब्ध होते हैं। पोषक पदार्थ ही सजीवों की शारीरिक संरचना, वृद्धि तथा क्षतिग्रस्त भागों के रखरखाव के लिए समर्थ बनाते हैं तथा विभिन्न जैव प्रक्रमों के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करते हैं। सजीवों द्वारा भोजन ग्रहण करने एवं इसके उपयोग की विधि को पोषण कहते हैं। पोषण की वह विधि, जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं निर्मित करते हैं, स्वपोषण कहलाती है। अत: ऐसे पादपों को स्वपोषी कहते हैं। जंतु एवं अधिकतर अन्य जीव पादपों द्वारा संश्लेषित भोजन ग्रहण करते हैं। उन्हें विषमपोषी कहते हैं।

कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 1 के प्रश्न उत्तर विस्तार से

हरे पौधों में प्रकाश संश्लेषण

पत्तियों को पादपों की खाद्य फैक्ट्रियाँ कहा जाता है। पादपों में खाद्य पदार्थों का निर्माण उनकी पत्तियों में ही होता है। इसी कारण समस्त कच्चे पदार्थों का उन तक पहुँचना बहुत आवश्यक होता है। ये सभी कच्चे पदार्थ मृदा में पाए जाते हैं। मृदा में उपस्थित ये जल एवं खनिज जड़ द्वारा अवशोषित किए जाते हैं तथा तने के माध्यम से पत्तियों तक पहुँचाए जाते हैं। पत्ती की सतह पर उपस्थित छोटे-छोटे छिद्रों द्वारा वायु में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड प्रवेश करती है। यह छिद्र द्वार कोशिकाओं द्वारा घिरे होते हैं। इन छिद्रों को रंध्र (ेजवउंजं) कहते हैं। जल तथा खनिज वाहिकाओं द्वारा पत्तियों तक पहुँच जाते हैं। पत्तियों में एक हरा वर्णक होता है, जिसे क्लोरोफिल कहते हैं। क्लोरोफिल का कार्य सौर ऊर्जा को ग्रहण करना होता है। इस ऊर्जा का प्रयोग जल एवं कार्बन डाइऑक्साइड से खाद्य संश्लेषण करने के लिए होता है क्योंकि खाद्य का संश्लेषण केवल सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में ही होता है। इसी कारण इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। अत: प्रकाश संश्लेषण के दौरान पत्तियों की क्लोरोफिल युक्त कोशिकाएँ, सौर ऊर्जा की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल से कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण करती हैं। इसी प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।

पौधों के अन्य भागों से प्रकाश संश्लेषण

पत्तियों के अलावा पादपों के अन्य हरे भागों जैसे तना तथा हरी शाखाओं में भी प्रकाश संश्लेषण होता है। मरुस्थलीय पादपों में वाष्पोत्सर्जन द्वारा जल क्षय को कम करने के लिए पत्तियाँ शुष्क एवं शूल रूपी हो जाती हैं। इन पादपों के तने हरे होते हैं जो प्रकाश संश्लेषण का कार्य करते हैं। पत्तियों में क्लोरोफिल वर्णक के कारण ही इनका रंग हरा होता है।

पादपों में कार्बोहाइड्रेट के अतिरिक्त अन्य खाद्यों की निर्माण प्रक्रिया
    • पादप जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड की सहायता से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण करते हैं। कार्बोहाइड्रेट ऑक्सीजन, कार्बन तथा जल से बनते हैं किंतु प्रोटीन नाइट्रोजीनी पदार्थ है, जिसमें कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन के अतिरिक्त नाइट्रोजन की मात्रा भी होती है।
    • साथ ही वायु में नाइट्रोजन भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। किंतु वायु से नाइट्रोजन को अवशोषित करने में पादप सक्षम नहीं होते। मृदा में कुछ विशेष जीवाणु होते हैं, जो गैसीय नाइट्रोजन को यौगिकों में परिवर्तित कर मृदा में निर्मुक्त करते हैं। ये विलेय पदार्थ पादपों द्वारा जल की सहायता से अवशोषित कर लिए जाते हैं। नाइट्रोजन की मात्रा की प्रचुरता करने के लिए ही किसान खाद तथा उर्वरक का प्रयोग करते हैं। पादपों को प्रोटीन का निर्माण करने के लिए सामान्यत: नाइट्रोजन की अधिक आवश्यकता होती है। फसल कटाई के बाद मृदा में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है।
    • यद्यपि वायु में नाइट्रोजन गैस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है, परंतु पादप इसका उपयोग उस प्रकार करने में समर्थ नहीं होते हैं, जैसे वे कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं। पौधे नाइट्रोजन को विलेय रूप में ही अवशोषित कर सकते हैं। कुछ जीवाणु जो राइजोबियम कहलाते हैं, वायुमंडलीय नाइट्रोजन को विलेय पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं। परंतु राइजोबियम अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते। ये चना, मटर, मूँग, सेम तथा अन्य फलीदार पादपों की जड़ों में रहते हैं तथा उन्हें नाइट्रोजन की आपूर्ति कराते हैं।
    • अधिकतर दालें फलीदार पादपों से प्राप्त होती हैं। इसके बदले पादप राइजोबियम जीवाणु को आवास एवं खाद्य प्रदान करते हैं। उनमें सहजीवी संबंध होता है। इस संबंध का किसानों के लिए विशेष महत्व है। दालों की फसलों के लिए उन्हें मृदा में नाइट्रोजनी उर्वरक देने की आवश्यकता नहीं पड़ती। यही नहीं दाल की फसल उगाने के बाद अगली फसल के लिए भी सामान्यत: उर्वरकों की आवश्यकता नहीं रहती।

हरित वर्णक रहित पौधों में पोषण केवल हरे पेड़-पौधे ही अपना भोजन स्वयं तैयार करने में सक्षम होते हैं। हरित-वर्ण रहित पौधे जैसे जीवाणु, फफूँदी तथा कुछ उच्च स्तरीय प्राणियों को अपनी आहार आवश्यकताओं के लिए अन्य पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे प्राणियों में प्रकाश-संश्लेषक हरित वण पर्णहरित नहीं होता है।
हरित-वर्ण रहित पौधे निम्न प्रकार के हो सकते हैं:

    • मृतजीवी: इस प्रकार के जीव, अपना पोषण, मृत तथा सड़ते हुए कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं। यह मृतजीवी प्रकार का पोषण है। उदाहरण – जीवाणु जैसे लैक्टोबेसिलस, फफूँदी जैसे म्यूकर, मशरूम आदि मृतजीवी हैं।
    • परजीवी: कुछ अन्य हरित वर्ण रहित पौधे अपना पोषण अन्य जीवित प्राणियों के शरीर के भीतर या बाहर रहकर प्राप्त करते हैं। अमरबेल एक ऐसा पौधा है जो अन्य पौधे से चूसने की विधि द्‌वारा अपना भोजन प्राप्त करता है कुछ जीवाणु तथा फफूँदी भी पूर्णतया अन्य जीवित प्राणियों पर निर्भर रहते हैं। इन्हें पूर्ण परजीवी कहते हैं। पौधे जैसे मिस्टलीटो अन्य पौधों द्‌वारा जल तथा खनिज पदार्थ प्राप्त करते हैं परंतु अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं। ऐसे पौधों को अपूर्ण परजीवी कहते हैं।
    • कीटभक्षी: कुछ पौधे जैसे पिचर, वीनसफ्लाई- ट्रैप आदि नाइट्रोजन की अल्पता वाली मिट्‌टी में उगते हैं और कीटों को पोषण के स्थान पर ग्रहण करते हैं। इनके पास कीटों को पचाने के लिए विशेष संरचनाएँ होती हैं जिनमें एन्जाइम विद्यमान होते हैं।
    • सहजीवी: सहजीवी एक प्रकार का लाभदायक साहचर्य है जिसमें दो जीव अपनी भोजन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक-दूसरे को लाभांवित करते हैं। लाइकेन, शैवाल के साथ कवक के सहजीवी साहचर्य का उदाहरण हैं। इसमें शैवाल घटक (स्वपोषी), कवक को तैयार भोजन उपलब्ध कराता है, कवक घटक (मृतजीवी), शैवाल को जल तथा खनिज और आश्रय प्रदान करता है।
पौधों में पोषण अधिग्रहण विधि

जड़ों द्वारा अवशोषित जल और खनिज तत्वों को भोजन बनाने के लिए पत्तियों में एक विशेष प्रकार के ऊतकों द्वारा ऊपर की तरफ ले जाया जाता है, जिसे जाइलम कहते हैं। इसी प्रकार पत्तियों में प्रकाश-संश्लेषण द्वारा बनाया गया भोजन पौधों के अन्य भागों में एक विशेष प्रकार के ऊतक द्वारा पहुँचाया जाता है, जिन्हें फ्लोएम कहते हैं।

कक्षा 7 विज्ञान पाठ 1 में किस बात को विस्तार से बताया गया है?

सभी जीवों की भाँति पौधे भी साँस लेते हैं तथा भोजन ग्रहण करते हैं। पौधों के पास ये भोजन कहाँ से आता है और इसे प्राप्त करने की विधियाँ क्या हैं आदि विषयों पर कक्षा 7 का अध्याय 1 आधारित है।

कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 1 में कौन कौन से मुख्य विषय-बिन्दु हैं?

पौधों में पोषण की विधियाँ, प्रकाश संश्लेषण, मृतजीवी आदि अध्याय 1 कक्षा 7 विज्ञान के मुख्य विषय बिन्दु हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ हम मृदा में पोषक तत्वों की पुनः पूर्ति होना और पौधों में प्रकाश संश्लेषण के अलावा भी भोजन प्राप्त करने के कई और विधियों के बारे में जानेंगे।

एनसीईआरटी किताब के अनुसार 7वीं विज्ञान अध्याय 1 के अभ्यास में कुल कितने प्रश्न हैं?

कक्षा 7 विज्ञान एनसीईआरटी किताब अध्याय 1 में कुल 12 प्रश्न हैं, जिनमें से अंत के दो प्रश्न, 11 और 12, बहुविकल्पीय प्रश्न हैं।

कक्षा 7 विज्ञान पाठ 1 को अच्छी तरह से पढ़ने हेतु लगभग कितना समय पर्याप्त होता है?

7वीं विज्ञान का अध्याय 1 एक महत्वपूर्ण पाठ है। इसे समझ-समझ कर ध्यान से पढ़ने में कुल 3 से चार दिन लग जाते हैं यदि हम प्रतिदिन 1 से डेढ़ घंटे पढ़ते हैं। यह पाठ अगली कक्षाओं के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं।

कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 1 एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 1 के प्रश्न उत्तर
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