कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 12 एनसीईआरटी समाधान – वन हमारी जीवन रेखा

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वनों से लाभ

वन अनेक जंतुओं और पादपों के लिए आश्रय या आवास प्रदान करते हैं। वन में अनेक प्रकार के वृक्ष, झाडियाँ, शाक और घास पाई जाती है। वृक्षों पर विभिन्न प्रकार की विसर्पी लताएँ और आरोही लताएँ भी लिपटी होती हैं। वृक्षों की घनी पत्तियों के आवरण के कारण सूर्य मुश्किल से ही कहीं दिखाई दे पाता है। घर की विभिन्न वस्तुओं को ध्यान से देखें तो हम पाएँगे कि उनमें से अधिकांश वनों से प्राप्त हैं जैसे प्लाईवुड, ईधन की लकड़ी, बक्से, कागज, माचिस की तिल्लियाँ और फर्नीचर, गोंद, तेल, मसाले, जंतुओं का चारा और औषधीय (जड़ी-बूटी) भी वनों से प्राप्त उत्पाद हैं। वन की भूमि उनके अंकुरण और नवोद्‌भिद और पौध में विकसित होने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करती हैं। इनमें से कुछ वृक्ष के रूप में वृद्धि कर जाते हैं। किसी वृक्ष का शाखीय भाग तने से ऊपर उठ जाता है, जो शिखर कहलाता है। वन में ऊँचे वृक्षों की शाखाएँ कम ऊँचाई के वृक्षों के ऊपर छत की तरह दिखाई देती हैं।

कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 12 के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

समझाइए कि वन में रहने वाले जंतु किस प्रकार वनों की वृद्धि करने और पुनर्जनन में सहायक होते हैं?

विभिन्न प्रकार के जानवर (शाकाहारी, मांसाहारी, सर्वाहारी) जंगलों में रहते हैं और खाद्य श्रृंखला में योगदान करते हैं। निम्नलिखित गतिविधियों से पता चलता है कि कैसे जानवर वन को बढ़ने और पुनर्जीवित करने में मदद करते हैं:

    1. जानवर जंगल के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक बीजों के फैलाव में मदद करते हैं।
    2. पशुओं का मलमूत्र और उनके मृत शरीर जब मिट्टी में विघटित हो जाते हैं तो पौधों के लिए खाद के रूप में काम करते हैं।
    3. सूक्ष्मजीव, मृत पौधों और पत्तियों को खाद तथा ह्यूमस में परिवर्तित करते हैं जो पोषक तत्वों से भरपूर होता है। मिट्टी में ह्यूमस पौधे के विकास के लिए आवश्यक खनिज प्रदान करते हैं।
समझाइए कि वन ,बाढ़ की रोकथाम किस प्रकार करते हैं?

वन वर्षा जल के प्राकृतिक अवशोषक के रूप में कार्य करता है। जब बारिश का पानी पेड़ों और पौधों की पत्तियों पर गिरता है, तो यह सीधे जमीन पर नहीं गिरता है। यह धीरे-धीरे वन भूमि पर पहुँचता है और अवशोषित कर लिया जाता है। इस प्रकार वन न केवल जल को अवशोषित करते हैं बल्कि मिट्टी की कटाई एवं बाढ़ को भी रोकते हैं।

अपघटक किन्हें कहते हैं? इनमें से किसी दो के नाम बताइए। ये वन में क्या करते हैं?

सूक्ष्म जीव जो मृत पौधों और जानवरों को ह्यूमस में परिवर्तित करते हैं, उन्हें अपघटक कहा जाता है।
उदाहरण: मशरूम और बैक्टीरिया। अपघटक मृत पदार्थों को ह्यूमस में परिवर्तित करते हैं जो वन की मिट्टी के साथ मिश्रित हो जाता है। यह पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। इस प्रकार अपघटक मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं।

वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के बीच संतुलन को बनाए रखने में वनों की भूमिका को समझाइए।

वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के बीच संतुलन बनाए रखने में वन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वन एक आत्मनिर्भर प्रणाली की तरह काम करते हैं। जंगल में जो कुछ भी उत्पन्न होता है उसका उपयोग जंगल के विभिन्न घटकों द्वारा किया जाता है। श्वसन के दौरान पशु तथा पेड़ पौधे ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के माध्यम से ऑक्सीजन में बदल देते हैं। यहाँ तक कि कचरे को भी जंगल में उपयोगी पदार्थों में बदल दिया जाता है।

समझाइए कि वनों में कुछ भी व्यर्थ क्यों नहीं होता है?

वन उत्कृष्ट, परिपूर्ण और प्राकृतिक पुनर्जनन कारखाने हैं। सभी जानवर, चाहे शाकाहारी हों या मांसाहारी, अंततः भोजन के लिए पौधों पर निर्भर होते हैं। शाकाहारी पौधे और उनके उत्पाद खाते हैं। मांसाहारी शाकाहारी जानवरों को खाते हैं। जानवरों और पौधों के मृत अवशेष सूक्ष्म जीवों द्वारा उपयोग किए जाते हैं और विघटित हो जाते हैं। जंगल में जो कुछ भी उत्पन्न होता है उसका उपयोग अंततः जंगल के विभिन्न घटकों द्वारा किया जाता है। वन खाद्य श्रृंखलाओं का एक जाल बनाए रखते हैं और लगभग सभी पदार्थों का उपयोग या नवीनीकरण होता रहता है। इसलिए एक जंगल में कुछ भी बेकार नहीं जाता है।

ऐसे पाँच उत्पादों के नाम बताइए, जिन्हें हम वनों से प्राप्त करते हैं?

1. फल और सब्जियां
2. लकड़ी
3. तारपीन, लेटेक्स (रबर का कच्चा उत्पाद)
4. मसाले, राल, गोंद
5. दवाएँ एवं जड़ी बूटियाँ

हमें अपने से दूर स्थित वनों से संबंधित परिस्थितियों और मुद्दों के विषय में चिंतित होने की क्यों आवश्यकता है?

वन हमारे महत्वपूर्ण संसाधनों में से एक हैं। हमें निम्नलिखित कारणों से वन से संबंधित मुद्दों के बारे में सावधान रहना चाहिए:

    1. यदि जंगल नहीं हैं, तो अधिक बाढ़ और मिट्टी का कटाव होगा।
    2. वन वैश्विक पर्यावरण को शानदार तरीके से प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, एक विशेष क्षेत्र में कम वन क्षेत्र हमें ग्लोबल वार्मिंग की ओर जाता है जो पूरी पृथ्वी को प्रभावित करता है।
    3. वन कई जानवरों के आवास हैं। वनों की कटाई इनके जीवन और पर्यावरण को खतरे में डालेगी।
    4. पेड़ और पौधों की अनुपस्थिति में, बहुत से जानवरों को भोजन और आश्रय नहीं मिलेगा।
    5. वन हमें बड़ी संख्या में उपयोगी उत्पाद प्रदान करते हैं जिनमें लकड़ी, फल और दवाएं शामिल हैं। ये उत्पाद पेड़-पौधों की अनुपस्थिति में उपलब्ध नहीं होंगे।
समझाइए की वनों में विभिन्न प्रकार के जंतुओं और पादपों के होने की आवश्यकता क्यों है?

जंगलों में रहने वाले जानवरों और पौधों की विविधता एक समृद्ध जैव विविधता का निर्माण करती है। जंगल की प्रणाली में विभिन्न जानवर और पौधे अलग-अलग भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, हरे पौधों को खाने और मांसाहारियों को भोजन देने के लिए शाकाहारी जानवरों की आवश्यकता होती है। इसी तरह मांसाहारियों को भोजन और उनकी आबादी की जांच करने अन्य मांसाहारी जानवरों की जरूरत होती है। यह जैव विविधता जंगलों को अधिक उत्पादक, स्थिर और लचीला बनाती है।
यदि घास नहीं होती, तो सभी शाकाहारी जीव मर जाते। यदि मांसाहारी नहीं होते, तो सभी शाकाहारी पौधे खा जाते और भोजन की कमी हो जाती। यदि कोई अपघटक नहीं हैं, तो पौधों और जानवरों के मृत अवशेष पर्यावरण को प्रदूषित करेंगे। ऐसी जैव विविधता के कारण ही प्रकृति में संतुलन बना रहता है।

कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 12 के प्रश्न उत्तर विस्तार से

वनों हो हरे फेफड़े क्यों कहा जाता है?

वन में अनेक खाद्य श्रृंखलाएँ पाई जाती हैं। सभी खाद्य श्रृंखलाएँ परस्पर सबंद्ध होती हैं। यदि किसी एक खाद्य श्रृंखला में कोई विघ्न पड़ता है तो यह अन्यशृंखलाओं को प्रभावित करता है। वन का प्रत्येक भाग अन्य भागों पर निर्भर होता है। यदि हम वन के किसी घटक; जैसे वृक्ष को अलग कर दें तो इसमें अन्य सभी घटक प्रभावित होते हैं। वन-भूमि की सतह पर से क्षयमान पत्तियों पर नन्हें कीटों, मिलीपीडो (सहस्रपादो), चीटों और भृंगों की सेना भी रहती है। कुछ आसानी से देखे जा सकते हैं जबकि कुछ सूक्ष्मजीवी ऐसे भी हैं, जो मृदा के भीतर रहते हैं। ये जीव मृत पादपों और जंतु ऊतकों को खाते हैं और उन्हें एक गहरे रंग के पदार्थ में परिवर्तित कर देते हैं जिसे ह्यूमस कहते हैं। पादपों और जंतुओं के मृत शरीर को ह्यूमस में परिवर्तित करने वाले सूक्ष्म जीव, अपघटक कहलाते हैं। इस प्रकार के सूक्ष्म जीव वन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मृत पादपों और जंतुओं के पोषक तत्व मृदा में निर्मुक्त होते रहते हैं। वहाँ से ये पोषक तत्व पुन: सजीव पादपों के मूलों द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। वनों को हरे फेफड़े कहा जाता है क्योंकि पादप प्रकाश संश्लेषण के प्रक्रम द्वारा ऑक्सीजन निर्मुक्त करते हैं। इसप्रकार पादप जंतुओं के श्वसन के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में सहायक होते हैं। वे वायुमण्डल में ऑक्सीजन और कार्बन इाइऑक्साइड के संतुलन को भी बनाए रखते हैं इसलिए वनों हो हरे फेफड़े कहा जाता है।

वनों की उपयोगिता

वन हमारे लिए अग्र प्रकार से उपयोगी हैं:

    • 1. वन वायु को शुद्ध करते हैं।
    • 2. वन वर्षा के जल बहाने की गति को कम करते हैं तथा इस प्रकार मृदा अपरदन को रोकते हैं।
    • 3. वन जल को वायुमण्डल में पहुँचाते हैं, जो वर्षा के रूप में भूमि पर गिरकर भौम जल में वृद्धि करता है।
    • 4. वन मृदा की उर्वरता को बनाए रखते हैं।
    • 5. लकड़ी का प्रयोग र्इंधन के रूप में तथा फर्नीचर, घर, नाव आदि बनाने के लिए किया जाता है।
    • 6. वन वर्षा की मात्रा को नियंत्रित करके जलवायु को नियंत्रित करते हैं।
    • 7. लकड़ी से ऐसीटिक अम्ल, ग्लिसरीन तथा मेथिल ऐल्कोहॉल जैसे अनेक रसायन भी प्राप्त होते हैं।
    • 8. वन विभिन्न प्राकर के जंतुओं तथा पौधों को आवास प्रदान करते हैं।
    • 9. वन मनुष्य को लकड़ी, रबड़, बाँस, गोंद, लाख, दवाइयाँ, फल आदि पदार्थ प्रदान करते हैं।
वनों में जंतुओं तथा पेड़-पौधों के साथ परस्पर संबंध

वनों में पेड़-पौधे तथा जंतु कई प्रकार से एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं:

    1. जंतु, भोजन तथा ऑक्सीजन के लिए पेड़-पौधों पर निर्भर होते हैं।
    2. जंतु, वृक्षों पर अपना आश्रय बना लेते हैं जैसे घोंसले बनाना, अथवा जंगलों में निवास करते हैं।
    3. मनुष्य फर्नीचर, घरों आदि को बनाने के लिए पेड़ों पर निर्भर रहते हैं। पत्ते तथा शाखाएँ भी असंख्य कीटों, सरीसृपों आदि के घर होते हैं।
    4. वृक्षों द्‌वारा सीधे ताप तथा वर्षा में रुकावट होती है तथा जंतुओं को सुरक्षा प्राप्त होती है।
    5. विभिन्न प्रकार की दवाइयाँ भी पेड़-पौधों से प्राप्त होती हैं। रबड़, गोंद, लकड़ी आदि भी वृक्षों से प्राप्त होते हैं। कपास तथा पटसन के रेशे भी पेड़-पौधों से प्राप्त होते हैं।
    6. पेड़-पौधे परागण के लिए जंतुओं जैसे कीटों पर निर्भर रहते हैं। जंतु फलों तथा बीजों के छितराव में सहायता करते हैं।
    7. जंतु श्वसन द्‌वारा कार्बन डाइ-ऑक्साइड बाहर छोड़ते हैं जो पेड़-पौधों द्‌वारा प्रकाश-संश्लेषण के लिए उपयोग में लाई जाती है।
    8. जंतुओं के साथ पेड़-पौधों के मृत अवशेष ह्‌यूमस निर्माण तथा पेड़-पौधों को खनिज उपलब्ध कराने में सहायता करते हैं।
जैविक तथा अजैविक घटकों के मध्य संबंध

पेड़-पौधे तथा जंतु एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं तथा एक-दूसरे के साथ संपर्क स्थापित करते हैं। जीवित (जैविक) तथा मृत
(अजैविक) घटक प्राकृतिक वास (वह स्थान जहाँ जैविक तथा अजैविक समुदाय निवास करते हैं) में आपस में क्रिया करते हैं।
जीवित प्राणी तभी सर्वोत्तम ढंग से जीवित रह सकते हैं जब भौतिक कारक जैसे तापमान, नमी, प्रकाश, वायु, जल, मृदा आदि
उचित मात्रा में उपलब्ध होते हैं। पेड़-पौधे भोजन निर्माण के लिए प्रकाश, जल, उपयुक्त तापमान, मृदा पर पूर्णतया निर्भर होते हैं।
सभी जंतुओं को जीवित रहने के लिए वायु, जल तथा भोजन की आवश्यकता होती है।
प्रकृति के प्रकृति में मौसम तथा जलवायु, जैविक तथा अजैविक दोनों ही घटकों को प्रभावित करते हैं। दूसरी ओर, भौतिक कारक
मौसम तथा जलवायु का निर्धारण करते हैं। यह एक तथ्य है कि जीवित प्राणी भी मौसम तथा जलवायु के रूपांतरण में योगदान
देते हैं। अत: सभी कारक संतुलित अवस्था में होने चाहिए, तथा इसे पर्यावरण संतुलन कहते हैं। ऐसे पारस्परिक संबंधों के विज्ञान
के अध्ययन को पर्यावरणीय विज्ञान कहते हैं।

कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 12 एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 12 के प्रश्न उत्तर
कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 12 के सवाल जवाब
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