एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र भाग 1 पाठ 4 के सभी प्रश्न उत्तर तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 12 के लिए राजनीति विज्ञान के पथ 4 पर आधारित पठन सामग्री भी दी गई है जिसे विद्यार्थी मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं। छात्र पाठ को समझने के लिए पाठ के विविरण का विडियो प्रयोग कर सकते हैं।
कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 4 एनसीईआरटी समाधान
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र
एनसीईआरटी कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 3 प्रश्न उत्तर
तिथि के हिसाब से इन सबको क्रम दें:
आसियान शैली क्या है?
इनमें से किसने ‘खुल द्वार’ की नीति अपनाई?
खाली स्थान भरें:
(क) 1992 में भारत और चीन के बीच ______ और _________ को लेकर सीमावर्ती लड़ाई हुई थी।
(ख) आसियान क्षेत्रीय मंच के कामों में ______ और __________ करना शामिल है।
(ग) चीन ने 1972 में ___________ के साथ दोतरफा संबंध शुरू करके अपना एकांतवास समाप्त किया।
(घ) _____________ योजना के प्रभाव से 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना हुई।
(ङ) _____________ आसियान का एक स्तम्भ है जो इसके सदस्य देशों की सुरक्षा के मामले देखता है।
उत्तर:
(क) 1992 में भारत और चीन के बीच अरूणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों और लद्दाख के अक्साई चिन क्षेत्र को लेकर सीमावर्ती लड़ाई हुई थी।
(ख) आसियान क्षेत्रीय मंच के कामों में आर्थिक विकास को तेज करना और सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास प्राप्त करना शामिल है।
(ग) चीन ने 1972 में अमेरिका के साथ दोतरफा संबंध शुरू करके अपना एकांतवास समाप्त किया।
(घ) मार्शल योजना के प्रभाव से 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना हुई।
(ङ) आसियान सुरक्षा समुदाय आसियान का एक स्तम्भ है जो इसके सदस्य देशों की सुरक्षा के मामले देखता है।
क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के उद्देश्य क्या है?
क्षेत्रीय संगठनों (Regional Organizations) की स्थापना के उद्देश्य:
• क्षेत्रीय संगठनों का प्रमुख उद्देश्य संगठन में सम्मिलित देशों की प्रगति एवं सुरक्षा पर बल देना है।
• आत्मनिर्भरता पर बल देना।
• सामूहिक विकास, आर्थिक उन्नति एवं एकता की भावना को मजबूत करना।
• संगठन में सम्मिलित सदस्यों में आपसी व्यापार को बढ़ावा देना आदि।
भौगोलिक निकटता का क्षेत्रीय संगठनों के गठन पर क्या असर होता है?
भौगोलिक निकटता क्षेत्रीय संगठनों के गठन पर विशेष प्रभाव डालती है। क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले देशों में संगठन की भावना का विकास होता है। भौगोलिक निकटता के कारण क्षेत्रीय संगठनों के गठन से परस्पर भाईचारे, बंधुत्व एवं शांति की भावना का उदय होता है। भौगोलिक निकटता क्षेत्रीय संगठनों के गठन को प्रभावशाली, शक्तिशाली बनाता है तथा आर्थिक, सामाजिक विकास में भी सहायक होता है।
‘आसियान विजन -2020′ की मुख्य–मुख्य बातें क्या हैं?
आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) एक बहुत ही महत्वपूर्ण संगठन है जो शांति, सुरक्षा, समृद्धि एवं आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने का कार्य करता है। सन् 1997 में आसियान विजन 2020 को अपनाया गया। 1967 में आसियान की स्थापना इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया, फिलीपिंस, थाईलैंड द्वारा की गई। ब्रुनेई (1984), वियतनाम (1995), म्यांमार तथा लाओस (1997), कम्बोडिया (1999) राष्ट्रों को शामिल किया गया। 2008 में आसियान चार्टर लागू हुआ। 2015 से आसियान समुदाय का शुभारंभ हुआ। आसियान का मुख्यालय जकार्ता में है।
आसियान समुदाय के मुख्य स्तंभों और उनके उद्देश्यों के बारे में बताएँ।
आसियान (ASEAN) का आदर्श वाक्य है- “वन विज़न, वन आईडेंटिटी, वन कम्युनिटी” आसियान में 3 प्रमुख स्तंभ हैं। आसियान आर्थिक समुदाय, आसियान सामाजिक एवं सांस्कृतिक समुदाय, असियान राजनीतिक सुरक्षा समुदाय। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं:
• व्यापार, परिवहन, उद्योग को प्रभावी बनाना।
• जीवन स्तर में सुधार लाना।
• सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, प्रशासनिक क्षेत्रों में सेहयोग एवं बंधुत्व की भावना का विकास।
आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित अर्थव्यवस्था से किस तरह अलग है?
चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वैश्विक आर्थिक शक्तियों की कतार में चीन भी सम्मिलित है। चीन की अर्थव्यवस्था न तो संवहनीय है और न ही टिकाऊ। 1982 में खेती का निजीकरण किया गया। नयी आर्थिक नीतियों की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था को अपनी परेशानियों से निकलने में मदद मिली है। चीन द्वारा नियंत्रित अर्थव्यवस्था के अंतर्गत विदेशी पूंजी के निवेश के लिए कोई स्थान नहीं होता फिर भी चीन की अर्थव्यवस्था विदेशी पूँजी को आकर्षित करती है। चीन अब विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बना है। चीन अपनी नीतियों तथा प्रणालियों की वजह से आज विकासशील देशों से आगे निकल गया।
किस तरह यूरोपीय देशों ने युद्ध के बाद की अपनी पेरशानियाँ सुलझाई ? संक्षेप में उन कदमों की चर्चा करें जिनसे होते हुए यूरोपीय संघ की स्थापना हुई।
यूरोपीय राष्ट्रों को द्वितीय विश्व युद्ध के कारण अत्यधिक विनाश का सामना करना पड़ा। यूरोपीय संघ, यूरोप में स्थित 27 देशों का एक राजनैतिक एवं आर्थिक मंच है। 1945 तक यूरोपीय देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं की बर्बादी तो झेली ही, उन मान्यताओं और व्यवस्थाओं को ध्वस्त होते भी देख लिया जिन पर यूरोप खड़ा हुआ है। मार्शल योजना के अन्तर्गत 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की गई जिसके माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक मदद दी गई।
इसका उदय 1957 में रोम की संधि द्वारा यूरोपीय आर्थिक परिषद के द्वारा 6 यूरोपीय देशों की आर्थिक भागीदारी से हुई है। सोवियत गुट के पतन के बाद इस प्रक्रिया में तेजी आयी तथा 1992 में इस प्रक्रिया की परिणति यूरोपीय संघ की स्थापना के रूप में हुई। 1993 में मास्त्रिख संधि के द्वारा इसके आधुनिक वैधानिक स्वरूप की नींव रखी गयी।
क्या चीजें यूरोपीय संघ को एक प्रभावी क्षेत्रीय संगठन बनाती है?
पूरी दुनिया में यूरोपीय संघ ने राजनीतिक, आर्थिक, सैनिक प्रभाव तथा कूटनीतिक प्रभाव डाला है। यूरोपीय संघ की भौगोलिक स्थिति एवं निकटता इस क्षेत्रीय संगठन को एक शक्तिशाली रूप प्रदान करती है। 2016 में यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। इसकी मुद्रा यूरो अमेरीकी डॉलर के प्रभुत्व के लिए खतरा बन सकती है। विश्व व्यापार में इसकी हिस्सेदारी अमेरिका से ज्यादा है तथा इसी वजह से अमरीका और चीन से व्यापारिक मुद्दों में भी यह इन देशों की बराबरी कर रहा है। इसकी आर्थिक शक्ति का प्रभाव इसके पड़ोसी देशों पर ही नहीं, बल्कि एशिया, अफ्रीका जैसे महाद्वीपों पर भी देखने को मिलता है। सैनिक सहायता के अनुसार यूरोपीय सैन्य शक्ति दुनिया की दूसरी बड़ी सैन्य शक्ति है। प्रौद्योगिकी तथा तकनीकि के हिसाब से भी यूरोपीय संघ दुनिया में दूसरा स्थान बनाए हुए है। 2012 में यूरोपीय संघ को शांति का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। यूरोपीय संघ के दो सदस्य देश ब्रिटेन तथा फ्रांस सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं। उपरोक्त सभी कारण ही यूरोपीय संघ को एक अत्यधिक शक्तिशाली क्षेत्रीय संगठन बनाते हैं।
चीन और भारत की उभरती हुई अर्थव्यवस्था में एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था को चुनौति दे सकने की क्षमता है। क्या आप कथन से सहमत हैं? अपने तर्कों से अपने विचारों की पुष्टि करें।
वर्तमान समय में चीन एवं भारत दोनों ही उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएँ हैं। दोनों ही देश प्रौद्योगिकी तथा तकनीकि क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ते जा रहे हैं। साथ ही भारत एवं चीन विकासशील देश हैं। भारत तथा चीन के मैत्रीपूर्ण संबंध अमेरिका जैसे अन्य देशों के लिए चिंता का विषय बन सकते है। दोनों ही देश वैश्वीकरण, उदारीकरण, आत्मनिर्भरता के पक्ष में रहकर कार्य कर रहे हैं। दोनों देशों की सीमाओं पर प्रवाहित होने वाली नदियाँ जल विद्युत का निर्माण, मछली पालन, बाँध तथा पर्यटन को बढ़ावा देने की राह पर अग्रसर हैं। वन संसाधन, खनिज संपदा, पशुधन, कृषि के क्षेत्र में आवश्यक नीतियों को अपनाकर एक ध्रुवीय विश्व को चुनौति दे सकते हैं।
मुल्कों की शांति और समृद्धि क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों को बनाने और मजबूत करने पर टिकी है। इस कथन की पुष्टि करें।
“मुल्कों की शांति और समृद्धि क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों को बनाने और मजबूत करने पर टिकी है।” यह कथन सत्य है। विश्व में आर्थिक विकास एवं शांति का होना बहुत आवश्यक है जिसके लिए क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों का होना आवश्यक है। क्षेत्रीय आर्थिक संगठन सभी देशों में सुदृढ़ता, गतिशीलता, सुविधाएँ प्रदान करने तथा समृद्धि लाने का कार्य करते हैं। ये आर्थिक गतिविधि, व्यापार, उद्योग, विकास आदि महत्वपूर्ण चीजों के विकास पर बल देते हैं।
भारत और चीन के बीच विवाद के मामलों की पहचान करें और बताएँ कि वृहत्तर सहयोग के लिए इन्हें कैसे निपटाया जा सकता है? अपने सुझाव भी दीजिए।
भारत एवं चीन दोनों ही विकासशील देश हैं तथा पड़ोसी भी हैं। भारत तथा चीन के मध्य कई ऐसे विवादित मामले हैं जो इनके संबंधों के बीच तनाव पैदा किए हुए हैं।
1) मैकमोहन रेखा: प्रारंभ से ही विवादों में रही मैकमोहन रेखा को लेकर विवाद 1950 में बढ़ गया जिस वजह से 1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ। कुछ इतिहासकारों का यह मत है कि चीन मैकमोहन रेखा को मानने से इंकार करता है क्योंकि उसका यह मानना है कि तिब्बत कभी स्वतंत्र देश नहीं था। यही वजह है कि इस रेखा को लेकर आज भी दोनों देशों के बीच गलवान घाटी में हिंसक घटनाएँ सामने आ रही हैं।
2) सीमा विवाद: भारत के साथ चीन का सीमा विवाद लगभग 64 वर्ष पुराना है। चीन की तरफ से लगातार घुसपैठ के मामले कई बार सामने आए हैं। भारत को इस विवाद को कूटनीतिक तरीके से सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए। भारत और चीन के मध्य बहुत से इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा अर्थात् एलएसी स्पष्ट नहीं है जो कि विवाद का कारण बनी हुई है।
3) बह्मपुत्रः चीन अपने कई बाँधों का निर्माण ब्रह्मपुत्र नदी पर कर रहा है। भविष्य में इस मामले के बड़े विवाद बन जाने की संभावना है।
4) तिब्बत: भारत तथा चीन के बीच राजनीतिक एवं भौगोलिक स्तर पर तिब्बत एक अहम भूमिका निभाता था। चीन ने 1950 में इसे हटा दिया था। भारत द्वारा तिब्बत को मान्यता दी जा चुकी है। फिर भी इस मामले में विवाद जारी है।
5) POK: पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित बालटिस्तान में चीनी गतिविधियाँ देखी गई हैं। तथा चीन द्वारा पाकिस्तान को हथियार दिए जाने का मामला भी विवाद का कारण बना हुआ है। उपरोक्त विवादित मामलों के कारण अब भारत एवं चीन के मध्य संबंध अधिक मैत्रीपूर्ण नहीं रह गये हैं। भारत की नई नीतियों के तहत किसी भी भारतीय कंपनी में हिस्सेदारी के लिए सरकारी अनुमति लेना अनिवार्य होगा। सबसे ज्यादा व्यापार चीन के साथ होने के कारण सर्वाधिक प्रभाव भी उसी पर होगा। इन सभी विवादों को बातचीत व शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जाना चाहिए।