एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 गणित अध्याय 4 प्रश्नावली 4.1

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 गणित अध्याय 4 प्रश्नावली 4.1 सारणिक के प्रश्नों के हल सीबीएसई सत्र 2023-24 के लिए यहाँ से निशुल्क प्राप्त करें। बारहवीं कक्षा गणित के ये समाधान सीबीएसई बोर्ड के साथ साथ यूपी बोर्ड या एमपी बोर्ड के विद्यार्थियों के लिए भी बहुत उपयोगी हैं। तिवारी अकादमी पर कक्षा 12 गणित के समाधान हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में उपलब्ध हैं ताकि अंग्रेजी और हिंदी दोनों माध्यम के छात्र इसका उपयोग कर सकें।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 गणित अध्याय 4 प्रश्नावली 4.1

कक्षा 12 के लिए गणित समाधान

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सारणिक क्या है?

हम n कोटि के प्रत्येक वर्ग आव्यूह A = [aᵢⱼ] को एक संख्या (वास्तविक या सम्मिश्र) द्वारा संबंधित करा सकते हैं जिसे वर्ग आव्यूह का सारणिक कहते हैं। इसे एक फलन की तरह सोचा जा सकता है जो प्रत्येक आव्यूह को एक अद्वितीय संख्या (वास्तविक या सम्मिश्र) से संबंधित करता है।
यदि M वर्ग आव्यूहों का समुच्चय है, k सभी संख्याओं (वास्तविक या सम्मिश्र) का समुच्चय है और f : M ⟶ K, f (A) = k, के द्वारा परिभाषित है जहाँ A ∈ M और k ∈ K तब f (A), A का सारणिक कहलाता है। इसे ।A। या det (A) या ∆ के द्वारा भी निरूपित किया जाता है।

सारणिक के बारे में ध्यान देने योग्य बातें

    • (i) आव्यूह A के लिए, ।A। को A का सारणिक पढ़ते हैं।
    • (ii) केवल वर्ग आव्यूहों के सारणिक होते हैं।

आव्यूह की कोटि

एक कोटि के आव्यूह का सारणिक
माना एक कोटि का आव्यूह A = [a], हो तो A के सारणिक को a के बराबर परिभाषित किया जाता है।

द्वितीय कोटि के आव्यूह का सारणिक
किसी आव्यूह जो 2 x 2 का हो उसका सारणीक det (A) = ।A। = ∆ = a₁₁ a₂₂ – a₂₁ a₁₂ भी 2 x 2 का होगा।

तृतीय कोटि के आव्यूह का सारणिक

तृतीय कोटि के आव्यूह के सारणिक को द्वितीय कोटि के सारणिकों में व्यक्त करके ज्ञात किया जाता है। यह एक सारणिक का एक पंक्ति (या एक स्तंभ) के अनुदिश प्रसरण कहलाता है। तृतीय कोटि के सारणिक को छः प्रकार से प्रसारित किया जाता है तीनों पंक्तियों (R₁, R₂ तथा R₃) में से प्रत्येक के संगत और तीनों स्तंभ (C₁, C₂ तथा C₃) में से प्रत्येक के संगत दर्शाए गए प्रसरण समान परिणाम देते हैं।

सारणिक के बारे में याद रखने वाले तथ्य
एक सारणिक को किसी भी पंक्ति या स्तंभ के अनुदिश प्रसरण करने पर समान मान प्राप्त होता है।

सारणिक के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

(i) गणना को सरल करने के लिए हम सारणिक का उस पंक्ति या स्तंभ के अनुदिश प्रसरण करेंगे जिसमें शून्यों की संख्या अधिकतम होती है।
(ii) सारणिकों का प्रसरण करते समय (-1)i+j से गुणा करने के स्थान पर, हम (i + j) के सम या
विषम होने के अनुसार +1 या -1 से गुणा कर सकते हैं।

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