एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 राजनीति विज्ञान अध्याय 7 राष्ट्रवाद

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 राजनीति विज्ञान अध्याय 7 राष्ट्रवाद के प्रश्नों के उत्तर हिंदी और अंग्रेजी मीडियम में सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 11 राजनीति शास्त्र के राजनीतिक सिद्धांत के पाठ 7 के सभी सवाल जवाब सरल भाषा में चरण दर चरण समझाकर लिखे गए हैं ताकि विद्यार्थियों को समझने में कोई दिक्कत न हो।

राष्ट्र किस प्रकार से बाकी सामूहिक संबद्धताओं से अलग है?

राष्ट्र जनता का कोई आकस्मिक समूह नहीं है। लेकिन यह मानव समाज में पाए जाने वाले अन्य समूहों अथवा समुदायों से अलग है। यह परिवार से भी अलग है। परिवार से प्रत्यक्ष संबंधों पर आधारित होता है जिसका प्रत्येक सदस्य दूसरे सदस्यों के व्यक्तित्व और चरित्र के बारे में व्यक्तिगत जानकारी रखता है। यह जनजातीय, जातीय और अन्य सगोत्रीय समूहों से भी भिन्न है। इन समूहों में विवाह और वंश परंपरा सदस्यों को आपस में बाँधती है। इसलिए यदि हम सभी सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से नहीं भी जानते हों तो भी आवश्यकता पड़ने पर हम उन सूत्रों को खोज लेते हैं। परंतु राष्ट्र के सदस्य के रूप में हम अपने राष्ट्र के अधिकतर सदस्यों को प्रत्यक्ष रूप से कभी नहीं जान पाते और न ही उनसे वंशानुगत रिश्ता जोड़ पाने की आवश्यकता पड़ती है। लोग राष्ट्र में रहते हैं और उनका सम्मान भी करते हैं।

राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार से आप क्या समझते हैं? किस प्रकार यह विचार राष्ट्र-राज्यों के निर्माण और उनको मिल रही चुनौती में परिणीत होता है?

राष्ट्र अन्य सामाजिक समूहों से अलग अपना शासन अपने आप करने का अधिकार चाहता है। राष्ट्र आत्म-निर्णय का अधिकार चाहता है। आत्म-निर्णय के अपने दावे में राष्ट्र अन्तराष्ट्रीय समुदाय से माँग करता है कि उसके अलग राजनीतिक इकाई के दर्जे को मान्यता दी जाए। कई बार ऐसी माँग उन लोगों की तरफ़ से आती है जो लंबे समय से किसी निश्चित भू-भाग पर साथ-साथ रहते आए हों और उनमें साझी पहचान का बोध हो। कुछ मसलों में आत्म-निर्णय के ऐसे दावे एक स्वतंत्र राज्य बनाने की उस इच्छा से भी संबंधित होते हैं। इन दावों का संबंध किसी समूह की संस्कृति की संरक्षण से होता है।

हम देख चुके हैं कि राष्ट्रवाद लोगों को जोड़ भी सकता है और तोड़ भी सकता है। उन्हें मुक्त कर सकता है और उनमें कटुता और संघर्ष भी पैदा कर सकता है। उदाहरणों के साथ उत्तर दीजिए।

यह कथन सत्य है कि राष्ट्रवाद लोगों को जोड़ भी सकता है और तोड़ भी सकता है। राष्ट्रवाद का विचार लोगों को अलग-अलग छोटे समूहों के बंधन से मुक्त राष्ट्रों के एक व्यापक तथा सामान्य समूह में कर सकता है जहां वे समान हितों और लक्ष्यों को साझा करते हैं। 19वीं सदी के यूरोप में इसने कई छोटी-छोटी रियासतों के एकीकरण से राष्ट्रों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। राष्ट्रवादी संघषों ने राष्ट्रों की सीमाओं के निर्धारण में योगदान दिया। इसने अत्याचारी शासन से मुक्ति दिलाने में मदद की तो इसके साथ यह विरोध, कटुता और युद्ध का कारण भी रहा है। साम्राज्यों और राष्ट्रों के धवस्त होने का यह भी एक कारण रहा है। राष्ट्रवाद बड़े-बड़े साम्राज्यों के पतन में हिस्सेदार भी रहा है। यूरोप में बीसवीं शाताब्दी के शुरूआत में ऑस्ट्रिया-हंगेरियाई और रूसी साम्राज्य तथा इनके साथ एशिया और अफ्रीका में ब्रिटिश, फ्रांसीसी, डच और पुर्तगाली साम्राज्य के विघटन के मूल में राष्ट्रवाद ही था।

वंश भाषा, धर्म या नस्ल में से कोई भी पूरे विश्व में राष्ट्रवाद के लिए साझा कारण होने का दावा नहीं कर सकता। टिप्पणी कीजिए।

कई राष्ट्रों को अपनी कोई एक सामान्य भाषा नहीं है। अधिकतर समाज सांस्कृतिक रूप से विविधता से भरे हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि हम जैसा राज्य या समाज बनाना चाहते हैं। उसके बारे में साझी राजनीतिक दृष्टि व्यक्तियों को एक राष्ट्र के रूप में बांधने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके स्थान पर वह एक समान भाषा या जातीय वंश परंपरा जैसी साझी सांस्कृतिक पहचान चाहते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि एक ही भाषा बोलना आपसी संवाद को काफ़ी आसान बना देते हैं। जैसे कि कनाडा में अंग्रेजी तथा फ्रांसीसी भाषी लोग साथ रहते हैं। भारत में अनेक भाषाएँ हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में और अलग-अलग समुदायों द्वारा बोली जाती है। उपर्युक्त कारणों से यह स्पष्ट है कि वंश, भाषा, नस्ल तथा धर्म में से कोई भी पूरे विश्व में राष्ट्रवाद के लिए साझा कारण होने का दावा नहीं कर सकता।

राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाले कारकों पर सोदाहरण रोशनी डालिए।

इतिहास : जो लोग अपने आप को राष्ट्र मानते हैं उनके अंदर अपने बारे में स्थायी ऐतिहासिक पहचान की भावना होती है। अर्थात् स्वयं को इस रूप में देखते हैं जैसे वे बीते अतीत के साथ-साथ आने वाले भविष्य को समेटे हुए हैं।
भूक्षेत्र : बहुत सारे राष्ट्रों की पहचान एक खास भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ी हुई है। किसी खास भूक्षेत्र पर लंबे समय तक साथ-साथ रहना और उससे जुड़ी साझे अतीत की यादें लोगों को एक सामूहिक पहचान का बोध देती हैं। ये उन्हें एक होने का एहसास भी कराती है।
साझे राजनीतिक आदर्श : अपना भूक्षेत्र और साझी ऐतिहासिक पहचान लोगों में एक होने का बोध पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लोकतंत्र में कुछ राजनीतिक मूल्यों और आदर्श के लिए साझी प्रतिबद्धता ही किसी राजनीतिक समुदाय या राष्ट्र का सबसे अधिक वांछित आधार होता है। इसके अंतर्गत राजनीतिक समुदाय के सदस्य कुछ कर्त्तव्यों से बंधे होते हैं।
साझे विश्वास : राष्ट्र विश्वास के जरिए बनता है। राष्ट्र पहाड़, नदी, भवनों की तरह नहीं होते, जिन्हें हम देख सकते हैं और जिनका स्पर्श महसूस कर सकते हैं।

संघर्षरत राष्ट्रवादी अकांक्षाओं के साथ बर्ताव करने में तानाशाही की अपेक्षा लोकतंत्र अधिक समर्थ होता है। कैसे?

लोकतंत्र में कुछ राजनीतिक आदर्श के लिए साझी प्रतिबद्धता ही किसी राजनीतिक समुदाय का सर्वाधिक वांछित आधार है। दायित्व सभी लोगों के नागरिकों के रूप में अधिकारों को पहचान लेने से पैदा होते हैं। लोकतंत्र राष्ट्रवादी की भावना को समझता है। इसीलिए संघर्षरत राष्ट्रवादी अकांक्षाओं के साथ बर्ताव करने में तानाशाही की अपेक्षा लोकतंत्र अधिक समर्थ होता है।

आपकी राय में राष्ट्रवाद की सीमाएँ क्या हैं?

राष्ट्रवाद की सीमाएँ निम्नलिखित हैं : राष्ट्रवादी अधिकतर स्वतंत्र राज्य को अधिकार के रूप मे मानने लगते हैं। परंतु यह संभव नहीं कि प्रत्येक राष्ट्रीय समूह को स्वतंत्र राज्य प्रदान किया जाए। यह अवांछनीय भी होगा। यह ऐसे राज्यों के गठन की ओर ले जा सकता है जो राजनीतिक तथा आर्थिक क्षमता की दृष्टि से अत्यंत छोटे हों तथा इससे अल्पसंख्यक समूहों की समस्याएँ और बढ़े। हमें राष्ट्रवाद के एक जातीय रूपों के साथ कोई सहानुभूति नहीं रखनी चाहिए।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 राजनीति विज्ञान अध्याय 7
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