एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 राजनीति विज्ञान अध्याय 2 स्वतंत्रता

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 राजनीति विज्ञान अध्याय 2 स्वतंत्रता के अभ्यास के सभी सवाल जवाब अंग्रेजी और हिंदी मीडियम में सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से निशुल्क प्राप्त करें। ग्यारहवीं कक्षा के लिए राजनीति शास्त्र की पुस्तक राजनीतिक सिद्धांत के पाठ 2 के सभी प्रश्न उत्तर तथा अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर यहाँ सरल भाषा में दिए गए हैं।

स्वतंत्रता से क्या आशय है? क्या व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता और राष्ट्र के लिए स्वतंत्रता में कोई संबंध है।

स्वतंत्रता : स्वतंत्रता का अर्थ व्यक्ति की आत्म-अभिव्यक्ति की योग्यता का विस्तार करना और उसके अंदर की संभावनाओं को विकसित करना भी है। इस अर्थ में स्वतंत्रता वह स्थिति है, जिसमें लोग अपनी रचनात्मकता और क्षमताओं का विकास कर सके। स्वतंत्रता मानव समाज के केंद्र में है और गरिमापूर्ण मानव जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, इसलिए इस पर प्रतिबंध बहुत ही खास स्थिति में लगाए जा सकते हैं। बाहरी प्रतिबंधों का अभाव और ऐसी स्थितियों का होना जिनमें लोग अपनी प्रतिभा का विकास कर सकें, स्वतंत्रता के ये दोनों ही पहलू महत्वपूर्ण हैं। व्यक्ति और राष्ट्र के लिए स्वतंत्रता के बीच एक घनिष्ठ संबंध है क्योंकि यदि राष्ट्र स्वतंत्र है, तो इसका प्रत्येक व्यक्ति अपनी रचनात्मकता और क्षमताओं को बढ़ाने के लिए स्वतंत्र होगा। स्वतंत्र राष्ट्र में ही व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का विकास और उत्तरदायित्वों का निर्वाह अच्छे से कर सकता है। स्वतंत्रता के कारण ही व्यक्ति अपने विवेक और निर्णय की शक्ति का प्रयोग कर पाते हैं। स्वतंत्रता व्यक्ति की संवेदनशीलता, रचनाशीलता, क्षमताओं के भरपूर विकास को बढ़ावा देती है।

स्वतंत्रता की नकारात्मक और सकारात्मक अवधारणा में क्या अतंर है?

स्वतंत्रता की नकारात्मक और सकारात्मक अवधारणा में निम्न अंतर है:
बाहरी प्रतिबंधों के अभाव के रूप मे स्वतंत्रता और स्वयं को अभिव्यक्त करने के अवसरों के विस्तार के रूप में स्वतंत्रता। राजनीतिक सिद्धांत में इन्हें नकारात्मक तथा सकारात्मक स्वतंत्रता कहते हैं। सकारात्मक स्वतंत्रता के पक्षधरों का मानना है कि व्यक्ति केवल समाज मे ही स्वतंत्र हो सकता है, समाज से बाहर नहीं और इसलिए वह समाज को ऐसा बनाने का प्रयास करते हैं। जो व्यक्ति के विकास का रास्ता साफ़ करे, सकारात्मक स्वतंत्रता के विमर्श की एक लंबी परंपरा है। जैसे- मार्क्स, रूसो, गांधी, अरविंद आदि और इन विचारों से प्रेरणा लेने वालों में देखा जा सकता है।

दूसरी ओर नकारात्मक स्वतंत्रता का सरोकार अहस्तक्षेप के इस छोटे क्षेत्र का अधिक से अधिक विस्तार करना चाहेगी। नकारात्मक स्वतंत्रता उस क्षेत्र को पहचानने और बचाने का प्रयास करती है जिसमें व्यक्ति अनुलंघनीय हो। जिसमें वह जो होना, बनना या करना चाहे हो सके, बन सके और कर सके। यह ऐसा क्षेत्र होगा जिसमें किसी बाहरी सत्ता का हस्तक्षेप नहीं होगा।

सामाजिक प्रतिबंधों से क्या आशय है? क्या किसी भी प्रकार के प्रतिबंध स्वतंत्रता के लिए आवश्यक हैं?

सामाजिक प्रतिबंध : सामाजिक प्रतिबंध वे प्रतिबंध हैं जिनसे समाज निरंतर गतिशील रहे तथा समाज की व्यवस्था भंग न हो। लोगों की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबंध आवश्यक हैं क्योंकि बिना उचित प्रतिबंध के समाज में आवश्यक व्यवस्था नहीं होगी जिससे लोगों की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है। व्यक्ति और समाज के बीच बने केंद्रीय संबंधों को समझकर ही यह जाना जा सकता है कि कौन-से सामाजिक प्रतिबंध ज़रूरी हैं। जब तक हम एक-दूसरे के विचारों का सम्मान न करें और दूसरों पर अपने विचार थोपने का प्रयास न करें तब तक हम आज़ादी के साथ और न्यूनतम प्रतिबंधों के साथ रहने में सक्षम होंगे। लेकिन ऐसे समाज के निर्माण के लिए भी कुछ प्रतिबंधों की आवश्यकता होती है।

नागरिकों की स्वतंत्रता को बनाए रखने में राज्य की क्या भूमिका है?

राज्य न्यायालयों के माध्यम से व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं। यदि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा करनी है तो राज्य द्वारा नागरिकों के कार्यों पर नियंत्रण किया जाना चाहिए। राज्य में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली की स्थापना से नागरिकों को अनेक स्वतंत्रताएँ प्राप्त हो जाती हैं।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का क्या अर्थ है? आपकी राय में इस स्वतंत्रता पर समुचित प्रतिबंध क्या होंगे? उदाहरण सहित बताइये।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ है देश के प्रत्येक नागरिक को भाषण देने , अपने विचारों को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता से है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
अनुच्छेद 19(क) – प्रत्येक नागरिक को भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होगी। हालाँकि इसमें प्रेस की स्वतंत्रता का विशेष रूप से उल्लेख नहीं है, परंतु न्यायिक निर्णयों में यह कहा गया है कि यह अधिकार, भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में निहित है। प्रेस को शासन का चौथा स्तंभ माना गया है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ स्वछंदता पर समुचित प्रतिबंध जरूरी है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंधो को कई बार देखा गया है जैसे – फि़ल्मों, नाटकों, लेखों आदि पर प्रतिबंध लगाने के लिए मांगों को उठाया गया है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर समुचित प्रतिबंध भी लगाए गए हैं क्योंकि ये समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक हैं। जैसे न्यायलय का अपमान, गलत शब्दों का प्रयोग आदि। उदाहरण- फि़ल्म सेंसर बोर्ड का है। फि़ल्म सेंसर बोर्ड ने समाज पर प्रतिकूल प्रभाव या शांति को भंग करने से रोकने के लिए तथा हिंसा न हो इसलिए फि़ल्म के कुछ हिस्से पर प्रतिबंध लगा दिया है।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 राजनीति विज्ञान अध्याय 2 के प्रश्न उत्तर
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 राजनीति विज्ञान अध्याय 2