एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ के अभ्यास के प्रश्न उत्तर अतिरिक्त सवाल जवाब सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 11 भूगोल पाठ 6 पुस्तक भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत के इकाई III भू-आकृतियाँ के सभी प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए तैयार किए गए हैं।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 6

अपक्षय पृथ्‍वी पर जैव विविधता के लिए उत्तरदायी है। कैसे?

अपक्षय प्रक्रियाऍं चटृानों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने एवं मृदा निर्माण के कार्य में ही सहायक न‍हीं होती हैं बल्कि वे अपरदन एवं बृहत संचलन के लिए भी उत्तरदायी हैं। जैव मात्रा एवं जैव विविधता प्रमुखत: वन की उपज हैं तथा वन अपक्षयी प्रवाल की गहराई अर्थात न केवल आवरण प्रस्‍तर एवं मिटृी अपितु अपरदन बृहत संचलन पर निर्भर करता है। यदि चटृानों का अपक्षय न हो तो अपरदन का कोई महत्‍व नहीं होता। चटृानों का अपक्षय एवं निक्षेपण राष्‍ट्रीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए अति महत्‍वपूर्ण एवं मूल्‍यवान है। यह कुछ खनिजों जैसें लोहा, मैंगनीज, एल्‍युमीनियम, ताँबे के अयस्‍कों के समृद्धीकरण एवं संकेंद्रण में सहायक होता है।

कक्षा 11 भूगोल अध्याय 6 बहुविकल्पीय प्रश्न

Q1

निम्‍नलिखित में से कौन सी एक अनुक्रमिक प्रक्रिया है?

[A]. निक्षेप
[B]. ज्वालामुखीयता
[C]. पटल- विरूपण
[D]. अपरदन
Q2

जलयोजन प्रक्रिया निम्‍नलिखित पदार्थो में से किसे प्रभावित करती है?

[A]. ग्रेनाईट
[B]. क्वार्टज़
[C]. चिका (क्ले) मिट्टी
[D]. लवण
Q3

मलवा अवधाव को किस श्रेणी में सम्मिलित किया जा सकता है?

[A]. भूस्खलन
[B]. तीव्र प्रभावी बृहत संचलन
[C]. मंद प्रभावी बृहत संचलन
[D]. अवतलन/ धसकन

बृहत संचलन जो वास्‍तविक, तीव्र एवं गोचर/अवगम्‍य हैं, वे क्‍या हैं? सूचीबद्ध कीजिए।

बृहत संचलन के अंतर्गत वे सभी संचलन आते हैं, जिनमें चटृानों के मलबे गुरूत्‍वाकर्षण के सीधे प्रभाव के कारण ढाल अनुरूप स्‍थानांतरित होते हैं। भूस्‍खलन अपेक्षाकृत तीव्र एवं अवगम्‍य संचलन हैं। भूस्‍खलन मुख्‍यत: पर्वतीय भाग में अधिक होता है। पर्वतीय भागों में शिखरों की ढाल काफी तीव्र होती है। तीव्र ढाल के कारण शिखरों से पत्‍थर, मलबा, मिटृी आदि घाटी की ओर गिरने लगते हैं। कमज़ोर पदार्थ, छिछले स्‍तर वाली चटृानें, भ्रंश, तीव्रता से झुके हुए संस्‍तर, खड़े, भृगु या तीव्र ढाल, पर्याप्‍त वर्षा, मूसलाधार वर्षा, भूकंप तथा वनस्‍पति का अभाव, झीलों, नदियों एवं जलाशयों से भारी मात्रा में जल निष्‍कासन, विस्‍फोट आदि बृहत संचलन को अनुकूलित करते हैं।

विभिन्‍न गतिशील एवं शक्तिशाली बहिर्जनिक भू-आकृतिक कारक क्‍या हैं तथा वे क्‍या प्रधान कार्य सम्पन्न करते हैं?

बहिर्जनिक प्रक्रियाएँ सूर्य द्वारा निर्धारित वायुमंडलीय ऊर्जा एवं अंतर्जनित शक्तियों से नियंत्रित विवर्तनिक कारकों से उत्‍पन्‍न प्रवणता से अपनी ऊर्जा प्राप्‍त करती हैं। सभी बहिर्जनित भू-आकृतिक प्रक्रियाओं को एक सामान्‍य शब्‍दावली अनान्‍छादन के अतंर्गत रखा जा सकता है। अनान्‍छादन से तात्‍पर्य आवरण को हाटने से है। अपक्षय, वृहत क्षरण, संचलन, परिवहन आदि अनान्‍छादन प्रकिय्रा से सम्मिलित होते हैं। तापमान एवं वर्षण जलवायु के दो महत्‍वपर्ण घटक हैं जो विभिन्‍न भू-आकृतिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।

क्‍या मृदा निर्माण में अपक्षय एक आवश्‍यक अनिवार्यता है?

मृदा निर्माण में अपक्षय एक आवश्‍यक अनिवार्यता है क्‍योंकि अपक्षय प्रक्रियाऍं शैलों को न केवल छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने तथा आवरण प्रस्‍तर एवं मृदा निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्‍त करती हैं अपितु अपरदन एवं बृहत संचलन के लिए भी उत्तरदायी हैं। अपक्षय जलवायु, चटृान निर्माणकारी पदार्थो की विशेषताओं एवं जीवों सहित कई अन्‍य कारकों के समुच्‍चय पर निर्भर करता है। मृदा निर्माण में मूल शैल एवं निष्क्रीय नियंत्रक कारक हैं। मूल शैल को अपक्षय छोटे कण के रूप में परिवर्तित कर देता है और वही धीरे-धीरे मृदा का रूप ले लेता है।

हमारी पृथ्‍वी भू-आकृतिक प्रक्रियाओं के दो विरोधात्‍मक वर्गों के खेल का मैदान है, विवेचना कीजिए।

धरातल पर दिखाई देने वाले विविध स्‍थलरूपों का निर्माण पृथ्‍वी के आंतरिक एवं बाह्रा बलों के पारस्‍परिक प्रभाव के कारण होता है। इन बलों द्वारा मुलायम शैलें आसानी से काटी-छांटी जाती हैं, जबकि अपेक्षाकृत कठोर शैलों पर इनका प्रभाव कम पड़ता है। अत:, किसी क्षेत्र के स्‍थल रूपों के निर्माण में शैलों की अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण भूमिका होती है। पृथ्‍वी के आंतरिक बल धरातल को निरंतर ऊपर उठाने में लगे रहते हैं जबकि बाह्रा बल उठे हुए भागों को काट-छांटकर समतल बनाने में निरंतर कार्यशील रहते हैं।

इस प्रकार बाह्रा बलों अर्थात् तल संतुलन के कारकों के लगातार किय्राशील रहने के कारण विविध प्रकार के स्‍थलरूप बनते रहते हैं। धरातल पर पाए जाने वाले प्रमुख स्‍थलरूप पर्वत, पठार और मैदान हैं। इन स्‍थलरूपों में बाह्रा बल द्वारा अपरदन, निक्षेपण, परिवहन जैसी क्रियाएँ शुरू हो जाती हैं, जिससे कई नए स्‍थलाकृतियों का निर्माण होता है। सामान्‍यत: अन्‍तर्जनित शक्तियाँ मूल रूप से आकृति निर्मात्री शक्तियाँ होती हैं। धरातल का निर्माण एवं विघटन क्रमश: अंतर्जनिक एंव बहिर्जनिक शक्तियों का परिणाम है।

क्‍या भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाऍं एक-दूसरे से स्‍वतंत्र हैं? यदि नहीं तो क्‍यों? सोदाहरण व्‍याख्‍या कीजिए।

भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय की प्रक्रियाएँ अलग-अलग हैं, लेकिन एक-दूसरे से सबंधित भी हैं। भौतिक बल द्वारा चटृानों का विघटन होता है जबकि रासायनिक क्रिया द्वारा चटृानों का अपघटन होता है। भौतिक अपक्षय प्रक्रियाओं में कुछ अनुप्रयुक्‍त शक्तियॉं जैसे गुरूत्‍वाकर्षण बल, तापक्रम में परिवर्तन, क्रिस्‍टल रवों में वृद्धि आदि साम्मिलित हैं। रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाओं का एक वर्ग जैसे विलयन, कार्बोनेटीकरण, जलयोजन, ऑक्‍सीजन तथा न्‍यूनीकरण शैलों के अपघटन, विलयन अथवा न्‍यूनीकरण का कार्य करते हैं। पदार्थ रासयानिक क्रिया द्वारा सूक्ष्‍म अवस्‍था में परिवर्तित हो जाते हैं तथा ऑक्‍सीजन, धरातलीय मृदा-जल एवं अन्‍य अम्‍लों की प्रक्रिया द्वारा चटृानों का न्‍यूनीकरण होता है।

इस तरह से दोनों में अतंर देखने को मिलता है लेकिन कई क्षेत्रो में भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय की ये प्रक्रियाएं अंतर्सबंधित हैं। ये साथ-साथ चलती रहती हैं। तथा अपक्षय प्रकिय्रा को त्‍वरित बना देती हैं ये भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाएं चटृानों को टुकड़ों या कणों में परिवर्तित करती हैं। दोनों चटृानों में विखंडन करती है। दोनों मूल पदार्थो में अपघर्षण करती हैं।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 6 सवाल जवाब
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