एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर नोट्स सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 11 भूगोल पाठ 10 पुस्तक भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत के इकाई IV जलवायु के सभी सवाल जवाब हिंदी और अंग्रेजी में छात्र यहाँ से निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 10

वायुदाब मापने की इकाई क्‍या है? मौसम मानचित्र बनाते समय किसी स्‍थान के वायुदाब को समुद्रतल तक क्‍यों घटाया जाता है?

वायुदाब मापने की इकाई मिलीबार है। व्‍यापक रूप से प्रयोग की जाने वाली इकाई किलो पास्‍कल है, जिसे Kpa लिखा जाता है। वायुदाब के क्षैतिज वितरण का अध्‍ययन समान अंतराल पर खींची गई समदाब रेखाओं द्वारा किया जाता है। समदाब रेखाऍं, वे रेखाऍं हैं जो समुद्रतल से एक समान वायुदाब वाले स्‍थानों को मिलती हैं। दाब पर ऊँचाई के प्रभाव को दूर करने और तुलनात्‍मक बनाने के लिए वायुदाब मापने के बाद इसे समुद्रतल के स्‍तर पर घटा लिया जाता है। समुद्रतल पर वायुदाब वितरण मौसम मानचित्रों में दिखाया जाता है।

कक्षा 11 भूगोल अध्याय 10 बहुविकल्पीय प्रश्न

Q1

यदि धरातल पर वायुदा‍ब 1000 मिलीबार है तो धरातल से 1 कि.मी. की ऊँचाई पर वायुदाब कितना होगा?

[A]. 700 मिलीबार
[B]. 900 मिलीबार
[C]. 1,100 मिलीबार
[D]. 1,300 मिलीबार
Q2

अंतर उष्‍ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र प्राय: कहाँ होता है?

[A]. विषुवत वृत्त के निकट
[B]. कर्क रेखा के निकट
[C]. मकर रेखा के निकल
[D]. आर्कटिक वृत्त के निकट
Q3

उत्तरी गोलार्ध में निम्‍न वायुदाब के चारों तरफ पवनों की दिशा क्‍या होगी?

[A]. घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के अनुरूप
[B]. घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के विपरीत
[C]. समदाब रेखाओं के समकोण पर
[D]. समदाब रेखाओं के विपरीत
Q4

वायुराशियों के निर्माण का उद्गम क्षेत्र निम्‍नलिखित में से कौन सा है?

[A]. विषुवतीय वन
[B]. साईबेरिया का मैदानी भाग
[C]. हिमालय पर्वत
[D]. दक्कन पठार

भू-विक्षेपी पवनें क्‍या हैं?

पवनों का वेग व उनकी दिशा, पवनों को उत्‍पन्‍न करने वाले बलों का परिणाम है। पृथ्‍वी की सतह से 2-3 कि.मी. की ऊँचाई पर ऊपरी वायुमंडल में पवनें धरातलीय घर्षण के प्रभाव से मुक्‍त होती हैं और दाब प्रवणता तथा कोरिऑलिस बल से नियंत्रित होती हैं। जब समदाब रेखाऍं सीधी हो और घर्षण का प्रभाव न हो, तो दाब प्रवणता बल कोरिऑलिस बल से संतुलित हो जाता है और फलस्‍वरूप पवनें समदाब रेखाओं के समानांतर बहती हैं। ये पवनें भू-विक्षेपी पवनों के नाम से जानी जाती हैं।

समुद्र व स्‍थल समीर का वर्णन करें।

स्‍थल समीर स्‍थल भाग से समुद्र की ओर चलती है और यह प्राय: रात में चलती है। जबकि समुद्र समीर समुद्र भाग से स्‍थल की ओर चलती है यह प्राय: दिन में चलती है। ऊष्‍मा के अवशोषण तथा स्‍थानांतरण में स्‍थल तथा समुद्र में भिन्‍नता पाई जाती है। दिन के दौरान स्‍थल भाग समुद्र की अपेक्षा अधिक गर्म हो जाते हैं।
अत: स्‍थल पर हवाऍं ऊपर उठती हैं और निम्‍न दाब क्षेत्र बनता है। जबकि समुद्र अपेक्षाकृत ठंडे रहते हैं उन पर उच्‍च दाब बना रहता है। इससे समुद्र से स्‍थल की ओर दाब प्रवणता उत्‍पन्‍न होती है और पवनें समुद्र से स्‍थल की तरफ समुद्र समीर के रूप में प्रवाहित होती हैं। रात्रि में इसके एकदम विपरीत प्रक्रिया होती है। स्‍थल समुद्र की अपेक्षा जल्‍दी ठंडा होता है इसलिए दाब प्रवणता स्‍थल से समुद्र की तरफ होने पर स्थल समीर प्रवाहित होती है।

जब दाब प्रवणता बल उत्तर से दक्षिण दिशा की तरफ हो अर्थात् उपोष्‍ण उच्‍च दाब विषुवत वृत की ओर हो तो उत्तरी गोलार्द्ध में उष्‍णकटिबंध में पवनें उत्तरी-पूर्वी क्‍यों होती हैं?

पृथ्‍वी का अपने अक्ष पर घूर्णन पवनों की दिशा को प्रभावित करता है। इसे कोरिऑलिस बल कहा जाता है। इसके प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी मूल दिशा से दाहिने तरफ व दक्षिणी गोलार्ध में अपने बाई तरफ विक्षेपित हो जाती हैं। कोरिऑलिस प्रभाव दाब प्रवणता के समकोण पर कार्य करता है। दाब प्रवणता बल समदाब रेखाओं के समकोण पर होता है। दाब प्रवणता जितनी अधिक होगी, पवनों का वेग उतना ही अधिक होगा और पवनों की दिशा उतनी ही अधिक विक्षेपित होगी। इन दो बलों के एक-दूसरे से समकोण पर होने के कारण निम्‍न दाब क्षेत्रों में पवनें इसी के इर्द- गिर्द बहती हैं। इसलिए जब दाब प्रवणता बल उत्तर से दक्षिण दिशा की तरफ हो अर्थात् उपोष्‍ण उच्‍चदाब विषुवत वृत की ओर हो तो उत्तरी गोलार्ध में उष्‍णकटिबंध में पवनें उत्तर-पूर्व होती हैं।

पवनों की दिशा व वेग को प्रभावित करने वाले कारक बताऍं।

पवनें उच्‍च दाब से निम्न दाब की ओर प्रवाहित होती हैं। भूतल पर धरातलीय विषमताओं के कारण घर्षण पैदा होता है, जो पवनों की गति को प्रभावित करता है। इसके साथ पृथ्‍वी का घूर्णन भी पवनों के वेग को प्रभावित करता है। पृथ्‍वी के घूर्णन द्वारा लगने वाले बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है। अत:, पृथ्‍वी के धरातल पर क्षैतिज पवनें तीन संयुक्‍त प्रभावों का परिणाम हैं: (क) दाब प्रवणता प्रभाव, (ख) घर्षण बल, (ग) कोरिऑलिस बल। इसके अतिरिक्‍त गुरूत्‍वाकर्षण बल पवनों को नीचे प्रवाहित करता है।

    • दाब प्रवणता प्रभाव: वायुमंडलीय दाब भिन्‍नता एक बल उत्‍पन्‍न करता है। दूरी के संदर्भ में दाब-परिवर्तन की दर दाब प्रवणता है। जहाँ समदाब रेखाऍं पास-पास होती है, वहाँ दाब प्रवणता अधिक होती है तथा समदाब रेखाओं के दूर-दूर होने से दाब प्रवणता कम होती है।
    • घर्षण बल: यह पवनों की गति को प्रभावित करता है। धरातल पर घर्षण सर्वाधिक होता है और इसके प्रभाव प्राय: धरातल से 1 से 3 कि.मी. ऊँचाई तक होता है। समुद्र सतह पर घर्षण न्‍यूनतम होता है।
    • कोरिऑलिस बल: अपने अक्ष पर घूर्णन करती हुई पृथ्‍वी पर‍ विषुवत रेखा के पास कोई भी बिंदु सर्वाधिक तीव्र गति से संचालन करता है।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 10
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 10 हिंदी मीडियम में
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