एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 11 वायुमंडल में जल
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 11 वायुमंडल में जल के सभी प्रश्नों के हल विस्तार से सवाल जवाब हिंदी और अंग्रेजी में सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 11 भूगोल पाठ 11 पुस्तक भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत के इकाई IV जलवायु के समाधान सीबीएसई एक साथ-साथ राजकीय बोर्ड के छात्रों के लिए भी उपयोगी हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 11
कक्षा 11 भूगोल अध्याय 11 वायुमंडल में जल के प्रश्न उत्तर
वर्षण के तीन प्रकारों के नाम लिखें।
वर्षण के कई प्रकार होते हैं। जैसे- वर्षा, हिमपात, सहिम वृष्टि तथा करकापात।
- वर्षा: वर्षण जब पानी के रूप में होता है, उसे वर्षा कहा जाता है।
- हिमपात: जब तापमान 0° सेंटीग्रेड से कम होता है, तब वर्षण हिमतूलों के रूप में होता है, जिसे हिमपात कहते हैं।
- सहिम वृष्टि: वर्षा की बूँदें जब गर्म हवा से होकर निकलती हैं तथा नीचे की ओर ठंडी हवा से मिलती हैं तो वे ठोस हो जाती हैं और सतह पर वर्षा की बूँदों से भी छोटे आकार के बर्फ के रूप में गिरती हैं, जिसे सहिम वृष्टि कहा जाता है।
- करकापात: यह वर्षण का एक प्रकार है जो बहुत सीमित मात्रा में होता है। यह समय तथा क्षेत्र की दृष्टि से यदाकदा ही होता है।
कक्षा 11 भूगोल अध्याय 11 बहुविकल्पीय प्रश्न
मानव के लिए वायुमंडल का सबसे महत्वपूर्ण घटक निम्नलिखित में से कौन सा है:
निम्नलिखित में से वह प्रक्रिया कौन सी है, जिसके द्वारा जल, द्रव से गैस में बदल जाता है:
निम्नलिखित में से कौन सा वायु की उस दशा को दर्शाता है, जिसमें नमी उसकी पूरी क्षमता के अनुरूप होती है:
निम्नलिखित प्रकार के बादलों में से आकाश में सबसे ऊँचा बादल कौन सा है?
सापेक्ष आर्द्रता की व्याख्या कीजिए।
दिए गए तापमान पर अपनी पूरी क्षमता की तुलना में वायुमंडल में मौजूद आर्द्रता के प्रतिशत को सापेक्ष आर्द्रता कहा जाता है। हवा के तापमान के बदलने के साथ ही आर्द्रता ग्रहण करने की क्षमता बदलती है तथा सापेक्ष आर्द्रता भी प्रभावित होती है। यह महासागरों के ऊपर सबसे अधिक तथा महाद्वीपों के ऊपर सबसे कम होती है।
ऊँचाई के साथ जलवाष्प की मात्रा तेज़ी से क्यों घटती है?
वायुमंडल में जलवाष्प की मात्रा वाष्पीकरण तथा संघनन से क्रमश: घटती-बढ़ती रहती है। हवा में मौजूद जलवाष्प को आर्द्रता कहते हैं। हवा के प्रति कई इकाई आयतन में विघमान जल वाष्प को ग्राम प्रतिघन मीटर के रूप में व्यक्त किया जाता है। हवा द्वारा जलवाष्प ग्रहण करने की क्षमता पूरी तरह से तापमान पर निर्भर होती है। ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ तापमान घटता जाता है इसलिए 165 मीटर की ऊँचाई पर 10 सेंटीग्रेड तक तापमान घट जाता है। इसप्रकार, ऊँचाई बढ़ने के साथ साथ तापमान घटने पर जलवाष्प की मात्रा भी घटती जाती है।
बादल कैसे बनते है, बादलों का वर्गीकरण कीजिए।
बादल पानी की छोटी बूँदों या बर्फ के छोटे कणों के संघनन से बनते हैं, जो पर्याप्त ऊँचाई पर स्वतंत्र हवा में जलवाष्प की उपस्तिथि में होता है। चूँकि बादलों का निर्माण पृथ्वी की सतह से कुछ ऊँचाई पर होता है इसलिए ये विभिन्न आकारों के होते हैं। ऊँचाई, विस्तार, घनत्व तथा पारदर्शिता या अपारदर्शिता के आधार पर बादलों को चार रूपों में वर्गीकृत किया जाता है:
- पक्षाभ मेघ
- कपासी मेघ
- स्तरी मेघ
- वर्षा मेघ।
विश्व के वर्षण वितरण के प्रमुख लक्षणों की व्याख्या कीजिए।
एक साल में वर्षा की कुल मात्रा के आधार पर विश्व में निम्नलिखित भिन्नता देखने को मिलती है। सामान्य तौर पर जब हम विषुवत रेखा से ध्रुव की ओर जाते हैं, वर्षा की मात्रा धीरे-धीरे घटती जाती है। विश्व के तटीय क्षेत्रों में महाद्वीपों के भीतरी भागों की अपेक्षा अधिक वर्षा होती है। विश्व के स्थलीय भागों की अपेक्षा महासागरों के ऊपर वर्षा अधिक होती है। वार्षिक वर्षण की कुल मात्रा के आधार पर विश्व की मुख्य वर्षण प्रकृति को निम्नलिखित रूपों में पहचाना जाता है।
विषुवतीय पटृी, शीतोष्ण प्रदेशों में पश्चिमी तटीय किनारों के पास के पर्वतों से वायु की ढाल पर तथा मानसून वाले क्षेत्रों के तटीय भागों में वर्षा बहुत अधिक होती है, जो प्रतिवर्ष 200 सेंटीमीटर से ऊपर होती है। महाद्वीपों के आंतरिक भागों में प्रतिवर्ष 100 से 200 सेंटीमीटर वर्षा होती है। महाद्वीपों के तटीय क्षेत्रों में वर्षा की मात्रा मध्यम होती है। उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र के केन्द्रीय भाग तथा शीतोष्ण क्षेत्रों के पूर्वी एवं भीतरी भागों में वर्षा की मात्रा 50 से 100 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष तक होती है। महाद्वीप के भीतरी भाग के वृष्टिछाया क्षेत्रों में पड़ने वाले भाग तथा ऊँचे अक्षाशों वाले क्षेत्रों में प्रतिवर्ष 50 सेंटीमीटर से भी कम वर्षा होती है।
संघनन के कौन-कौन से प्रकार हैं? ओस एवं तुषार के बनने की प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए।
वायुमंडल में विद्यमान जलवाष्प का जल के रूप में बदलना संघनन कहलाता है। इस क्रिया के उत्पन्न होने के कई कारण हैं:
- (क) जल वायु निरंतर ऊपर उठ कर ठंडी हो जाए।
- (ख) जब नमी से भरी वायु किसी पर्वत के सहारे ऊँची उठ कर ठंडी हो जाए।
- (ग) जब ठंडी और गर्म वायु आपस में मिल जाए।
संघनन कई रूपों में हमारे सामने आते हैं। जैसे: ओस, तुषार, कोहरा, कुहासा, बादल आदि।
- ओस: जब आर्द्रता धरातल के ऊपर हवा में संघनन केन्द्र पर संघनित न होकर ठोस वस्तु जैसे पत्थर, घास तथा पौधों की पत्तियों पर पानी की बूंदों के रूप में जमा होती है, तब इसे ओस के नाम से जाना जाता है।
- तुषार: यह ठंडी सतहों पर बनता है। जब संघनन तापमान के जमाव बिन्दु पर या उससे नीचे चले जाने पर होता है। इसमें अतिरिक्त नमी, पानी की बूंदों की बजाय बर्फ के छोटे-छोटे रवों के रूप में जमा होता है।
- कोहरा एवं कुहासा: जब बहुत अधिक मात्रा में जलवाष्प से भरी हुई वायु अचानक नीचे की ओर गिरती है तब छोटे-छोटे धूलकणों के ऊपर ही संघनन की प्रक्रिया होती है। यह सतह पर या सतह के काफी निकट होती है। कुहासें एवं कोहरे में केवल इतना अंतर होता है कि कुहासे में कोहरे की अपेक्षा नमी अधिक होती है यानि कोहरे कुहासे की अपेक्षा अधिक शुष्क होते हैं।
- बादल: बादल पानी की छोटी बूंदों या बर्फ के छोटे रवों के होते हैं जो पर्याप्त ऊँचाई पर स्वंतत्र हवा में जलवाष्प के संघनन के कारण बनते हैं।
ओस और तुषार बनने की परिक्रिया
ओस बनने के लिए सबसे उपयुक्त अवस्थाएँ साफ आकाश, शांत हवा, उच्च सापेक्ष आर्द्रता तथा ठंडी एवं लंबी रातें हैं। ओस बनने के लिए यह आवश्यक है कि ओसांक जमा बिंदु से ऊपर हो। तुषार ठंडी सतहों पर बनता है। जब संघनन तापमान के जमाव बिंदु से नीचे चले जाते हैं। उजले तुषार के बनने की सबसे उपयुक्त अवस्थाएँ ओस के बनने की अवस्थाएँ के समान है, केवल हवा का तापमान जमाव बिन्दु पर या उससे नीचे होना चाहिए।