एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 18 तंत्रकीय नियंत्रण एवं समन्वय
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 18 तंत्रकीय नियंत्रण एवं समन्वय के प्रश्नों के उत्तर हिंदी और अंग्रेजी मीडियम में सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त करें। 11वीं जीव विज्ञान के पाठ 18 के प्रश्न उत्तर के साथ साथ इस पाठ पर आधारित वस्तुनिष्ठ बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर भी दिए गए हैं।
कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 18 तंत्रकीय नियंत्रण के प्रश्न उत्तर
तंत्रिकीय नियंत्रण एवं समन्वय
सभी प्राणियों का तंत्रिका तंत्र अति विशिष्ट प्रकार की कोशिकाओं से बनता है, जिन्हें तंत्रिकोशिका कहते हैं। ये विभिन्न उद्दीपनों को पहचान कर ग्रहण करती हैं तथा इनका संचरण करती हैं। निम्न अकशेरुकी प्राणियों में तंत्रिकीय संगठन बहुत ही सरल प्रकार का होता है। उदाहरणार्थ हाइड्रा में यह तंत्रिकीय जाल के रूप में होता है। कीटों का तंत्रिका तंत्र अधिक व्यवस्थित होता है। इनका मस्तिष्क अनेक गुच्छिकाओं एवं तंत्रिकीय ऊतकों का बना होता है। कशेरुकी प्राणियों में अधिक विकसित तंत्रिका तंत्र पाया जाता है।
कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 18 के बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर
अंतर्ग्रंथनी संधि से निकलने वाले रसायन को कहा जाता है:
सुप्त झिल्ली का विभव किसके द्वारा कायम रहता है?
हमारे अंतरंगों का कार्य किस के द्वारा नियंत्रित होता है?
निम्न में से कौन जानु प्रतिक्षेप प्रतिवर्त (नी-जर्क रिफ्रलेक्स) से संबंधित नहीं है?
मानव का तंत्रिकीय तंत्र
जिस तन्त्र के द्वारा विभिन्न अंगों का नियंत्रण और अंगों और वातावरण में सामंजस्य स्थापित होता है उसे तन्त्रिका तन्त्र कहते हैं।मानव का तंत्रिका तंत्र दो भागों में विभाजित होता है:
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र
परिधीय तंत्रिका तंत्र
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क तथा मेरूरज्जु सम्मिलित है, जहाँ सूचनाओं का संसाधन एवं नियंत्रण होता है। मस्तिष्क एवं परिधीय तंत्रिका तंत्र सभी तंत्रिकाओं से मिलकर बनता है, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क व मेरूरज्जू) से जुड़ी होती हैं। परिधीय तंत्रिका तंत्र में दो प्रकार की तंत्रिकाएं होती हैं:
संवेदी या अभिवाही
चालक/प्रेरक या अपवाही
संवेदी या अभिवाही तंत्रिकाएं उद्दीपनों को ऊतकों/अंगों से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तक तथा चालक/अभिवाही तंत्रिकाएं नियामक उद्दीपनों को केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित परिधीय ऊतक/अंगों तक पहुँचाती है।
कक्षा 11 जीव विज्ञान पाठ 18 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
मस्तिष्क में ग्रे और सफेद पदार्थ क्या दर्शाते हैं?
प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध को ढकने वाली कोशिकाओं की परत को प्रमस्तिष्क प्रांतस्था कहा जाता है और प्रमुख परतों में फेंक दिया जाता है। सेरेब्रल कॉर्टेक्स को इसकी धूसर उपस्थिति के कारण ग्रे मैटर कहा जाता है। न्यूरॉन सेल बॉडी यहां रंग देने के लिए केंद्रित हैं। ट्रैक्ट्स के तंतु माइलिन म्यान से ढके होते हैं, जो सेरेब्रल गोलार्ध के आंतरिक भाग का निर्माण करते हैं। वे परत को एक अपारदर्शी सफेद रूप देते हैं और इसलिए इसे सफेद पदार्थ कहा जाता है।
सिनाप्सिस में ऐसीटिलकोलीन न रहे तो क्या होगा?
ऐसीटिलकोलीन ही सिनाप्सिस में उद्दीपनों को एक तंत्रिका कोशिका के ऐक्सॉन से दूसरी कोशिका के डेन्ड्राइट तक पहुँचाता है। अतः ऐसीटिलकोलीन के अभाव में तंत्रिकीय संवेदना या उद्दीपन एक तंत्रिका से दूसरी तंत्रिका कोशिका में नहीं जा पाएँगे, फलतः तंत्रिकीय आवेगों का संचरण रुक जायेगा।
मनुष्य के कर्ण में स्थित सबसे छोटी अस्थि का नाम क्या है? इस अस्थि को निकाल देने पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
मनुष्य के कर्ण में स्थित सबसे छोटी अस्थि स्टेप्स है, इसको निकाल देने से ध्वनि की तरंग आन्तरिक कर्ण तक नहीं पहुँच सकेगी क्योंकि स्टेप्स, जो कि फेनेस्ट्रा ओवेलिस से संबंधित होती है, कम्पन को वेस्टिबुलर गुहा में स्थित पेरिलिम्फ में पहुँचाने का कार्य करती है। इस कम्पन की तरंग कॉक्लियर नली से होती हुई सैकुला टेम्पैनी के पेरिलिम्फ में पहुँचकर फेनेस्ट्रा रोटण्डस तक पहुँचते-पहुँचते लगभग समाप्त हो जाती है।
आवेगों का संचरण
तंत्रिका आवेगों का एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक संचरण सिनेप्सिस द्वारा होता है। एक सिनेप्स का निर्माण पूर्व सिनैप्टिक न्यूरॉन तथा पश्च सिनेप्टिन न्यूरॉन की झिल्ली द्वारा होता है, जो कि सिनेप्टिक दरार द्वारा विभक्त हो भी सकती है या नहीं भी। सिनेप्स दो प्रकार के होते हैं, विद्युत सिनेप्स एवं रासायनिक सिनेप्स। विद्युत सिनेप्सिस पर, पूर्व और पश्च सिनेप्टिक न्यूरॉन की झिल्लियाँ एक दूसरे के समीप होती है। एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक विद्युत धारा का प्रवाह सिनेप्सिस से होता है। विद्युतीय सिनेप्सिस से आवेग का संचरण, एक तंत्रिकाक्ष से आवेग के संचरण के समान होता है। विद्युतीय-सिनेप्सिस से आवेग का संचरण, रासायनिक सिनेप्सिस से संचरण की तुलना में अधिक तीव्र होता है। हमारे तंत्र में विद्युतीय सिनेप्सिस बहुत कम होते हैं।
कक्षा 11 जीव विज्ञान पाठ 18 एमसीक्यू के उत्तर
मस्तिष्क का एक क्षेत्र जो तीव्र संवेग से संबंधित है:
रोडॉप्सिन में विद्यमान विटामिन को चिह्नित करिए:
कर्ण-नाल में विद्यमान मोम (वैक्स) ग्रंथि को क्या कहा जाता है?
आंतरिक कर्ण का एक भाग जिसके कारण सुनाई पड़ता है:
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र – मानव मस्तिष्क
मस्तिष्क हमारे शरीर का केंद्रीय सूचना प्रसारण अंग है और यह ‘आदेश व नियंत्रण तंत्र’ की तरह कार्य करता है। यह ऐच्छिक गमन शरीर के संतुलन, प्रमुख अनैच्छिक अंगों के कार्य (जैसे फेफड़े, हृदय, वृक्क आदि), तापमान नियंत्रण, भूख एवं प्यास, परिवहन, लय, अनेकों अंतःस्रावी ग्रंथियों की क्रियाएं और मानव व्यवहार का नियंत्रण करता है। यह देखने, सुनने, बोलने की प्रक्रिया, याददाश्त, कुशाग्रता, भावनाओं और विचारों का भी स्थल है।
मानव मस्तिष्क खोपड़ी के द्वारा अच्छी तरह सुरक्षित रहता है। खोपड़ी के भीतर कपालीय मेनिंजेज से घिरा होता है, जिसकी बाहरी परत ड्यूरा मैटर, बहुत पतली मध्य परत एरेक्नॉइड और एक आंतरिक परत पाया मैटर (जो कि मस्तिष्क ऊतकों के संपर्क में होती है) कहलाती है। मस्तिष्क को 3 मुख्य भागों में विभक्त किया जा सकता हैः
(i) अग्र मस्तिष्क
(ii) मध्य मस्तिष्क
(iii) पश्च मस्तिष्क
संवेदिक अभिग्रहण एवं संसाधन
संवेदी अंग सभी प्रकार की वातावरणीय बदलावों का पता लगाकर समुचित संदेशों को केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को भेजते हैं जहाँ सभी अंतर क्रियाएं संचालित व विश्लेषित की जाती हैं। इसके बाद संदेशों को मस्तिष्क के विभिन्न भागों या केंद्रों तक भेजा जाता है। इस प्रकार आप वातावरणीय बदलावों को अनुभव करते हैं। हम वस्तुओं को अपनी नासिका द्वारा सूँघते हैं, जीभ द्वारा स्वाद की पहचान करते हैं, कान द्वारा सुनते हैं तथा आँखों द्वारा देखते हैं।
नासिका में श्लेष्म आवरणयुक्त संवेदनग्राही होते हैं जो गंध का संवेदन करते हैं। इन्हें घ्राणग्राही कहते हैं। ये घ्राण उपकला से बने होते हैं जिनमें तीन प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं। घ्राण उपकला की तंत्रिका कोशिकाएँ (न्यूरॉन्स) बाह्य वातावरण से सीधे एक जोड़ी सेम के आकार के अंग में विस्तारित होते हैं। इन्हें घ्राण बल्ब कहते हैं। घ्राण बल्ब मस्तिष्क के पादाधार तंत्र का विस्तारण हैं। नासिका (घ्राणांग) तथा जीभ दोनों ही विलेय रसायनों की पहचान करते हैं। स्वाद (रस संवेदन) तथा घ्राण (गंध) के रासायनिक संवेदन क्रियात्मक रूप से समान हैं तथा परस्पर संबंधित हैं। जीभ स्वाद कलिकाओं द्वारा स्वाद की पहचान करती है। स्वाद कलिकाओं में रसग्राही होते हैं। आहार अथवा पेय पदार्थ के प्रत्येक स्वाद के साथ मस्तिष्क स्वाद कलिकाओं से प्राप्त विभेदक निवेश का समाकलन करता है और एक सुरुचिकर अवगम (अनुभव) होता है।