एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 11 उच्च पादपों में प्रकाश संश्लेषण

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 11 उच्च पादपों में प्रकाश संश्लेषण के अभ्यास के सवाल जवाब हिंदी और अंग्रेजी में प्रश्न उत्तर यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 11 के छात्र जीव विज्ञान के पाठ 11 के एमसीक्यू तथा अन्य अध्ययन सामग्री हिंदी मीडियम में यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं।

उच्च पादपों में प्रकाश-संश्लेषण

प्रकाश-संश्लेषण में कार्बनडाइऑक्साइड और जल के बीच रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप ग्लूकोज का निर्माण होता है तथा ऑक्सीजन मुक्त होती है। श्वसन में इसके विपरीत ग्लूकोज के ऑक्सीकरण के फलस्वरूप जल तथा कार्बनडाइऑक्साइड बनती हैं। प्रकाश-संश्लेषण एक रचनात्मक क्रिया है इसके फलस्वरूप सजीव के शुष्क भार में वृद्धि होती है।

कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 11 के बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर

Q1

कौन-सा धातु आयन क्लोरोफिल का एक घटक है?

[A]. आयरन
[B]. कॉपर
[C]. मैंगनीशियम
[D]. जिक
Q2

कौन-सा वर्णक प्रकाश ऊर्जा को प्रत्यक्ष रूप से रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है?

[A]. क्लोरोफिल a
[B]. क्लोरोफिल b
[C]. जैन्थोफिल
[D]. कैरोटिनॉयड
Q3

तरंगदैर्ध्य का कौन-सा परास (nm में) प्रकाश संश्लेषित दृष्टि से सक्रिय विकरण (PAR) है?

[A]. 100 – 390
[B]. 390 – 430
[C]. 400 – 700
[D]. 760 – 100,00
Q4

प्रकाश-संश्लेषण में कौन-सा प्रकाश परास सबसे अधिक प्रभावशील है?

[A]. नीला
[B]. हरा
[C]. लाल
[D]. बैंगनी

जल का विघटन

वे इलेक्ट्रॉन जो फोटोसिस्टम II में निकलते हैं, उनकी जगह निश्चित ही दूसरों को लेनी चाहिए। जल विघटन का संबंध पीएस II से है। जल H⁺, [O] तथा इलेक्ट्रॉन में विघटित होता है। इससे ऑक्सीजन उत्पन्न होती है, जो प्रकाश-संश्लेषण का एक शुद्ध उत्पाद है। फोटोसिस्टम I से निकलने वाले इलेक्ट्रॉन, फोटोसिस्टम II से उपलब्ध कराए जाते हैं।
2H₂O ⟶ 4H⁺+ O₂ + 4e⁻
हमें यह अच्छी प्रकार जान लेना चाहिए कि जल विघटन पीएस II से संबंधित है जो थाइलेकोइड की झिल्ली की भीतरी ओर होता है। तब इस दौरान बनने वाले प्रोटोन्स एवं O₂ झिल्लिका के बाहर की ओर मुक्त होते हैं।

कक्षा 11 जीव विज्ञान पाठ 11 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

क्या प्रकाश-संश्लेषण की अभिक्रियाएँ ‘‘अप्रकाशी अभिक्रिया’’ कहलाती हैं और इसे प्रकाश की भी आवश्यकता होती है? व्याख्या कीजिए।

ATP और NADPH का उपयोग भोजन के संश्लेषण की प्रक्रियाओं को चलाने के लिए किया जाता है, अधिक सटीक रूप से, शर्करा। यह बायोसिंथेटिक चरण या प्रकाश संश्लेषण की अप्रकाशी अभिक्रिया है। यह प्रक्रिया सीधे तौर पर प्रकाश की उपस्थिति पर निर्भर नहीं करती है, बल्कि CO₂ और H₂0 के अलावा प्रकाश प्रतिक्रिया के उत्पादों, यानी ATP और NADPH पर भी निर्भर करती है।

पता लगाएँ कि मेल्विन केल्विन ने चीनी के संश्लेषण के लिए पूर्ण जैवसंश्लेषण मार्ग कैसे तैयार किया।

द्वितीय विश्व युद्ध के ठीक बाद, रेडियोआइसोटोप को लाभकारी उपयोग में लाने के कई प्रयासों में मेल्विन कैल्विन का कार्य अनुकरणीय है। शैवाल प्रकाश संश्लेषण अध्ययन में उनके द्वारा रेडियोधर्मी C₁₄ के उपयोग से यह पता चला कि पहला C0₂ स्थिरीकरण उत्पाद एक 3-कार्बन कार्बनिक अम्ल था। उन्होंने संपूर्ण बायोसिंथेटिक मार्ग को विकसित करने में भी योगदान दिया। इसलिए, उनके बाद इसे केल्विन चक्र कहा गया। इस प्रक्रिया में पहचाना गया पहला उत्पाद 3-फॉस्फोग्लिसरिक एसिड या संक्षेप में पीजीए था।

प्रकाश-संश्लेषण की परिभाषा लिखिए। प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले एक बाह्य कारक तथा एक आन्तरिक कारक का उल्लेख कीजिए।

वह अभिक्रिया जिसमें हरे पेड़-पौधे सूर्य के प्रकाश, CO₂, जल तथा क्लोरोफिल की उपस्थिति में भोजन का निर्माण करते हैं, प्रकाश-संश्लेषण कहलाता है। प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में बाह्य कारक प्रकाश तथा आन्तरिक कारक क्लोरोफिल है।

पौधों के जीवन में प्रकाश का क्या महत्त्व है? स्पष्ट कीजिए।

पौधों के जीवन में प्रकाश का बहुत महत्त्व है क्योंकि प्रकाश के बिना पौधों का जीवन संभव नहीं है। पौधों को भोजन निर्माण करने के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती है जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन बना सकें। यदि प्रकाश ही नहीं होगा तो पेड़-पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया नहीं कर पाएँगे। और भोजन के अभाव में मृत हो जायेंगे। इसके अतिरिक्त पौधों को अनेक कार्यों हेतु, जैसे: फलने-फूलने, वृद्धि, प्रजनन, बीजों के अंकुरण आदि के लिए भी प्रकाश की आवश्यकता होती है। अतः हम कह सकते हैं कि प्रकाश के बिना पौधों का जीवन संभव नहीं है।

रसोपरासरणी परिकल्पना

रसोपरासरण (केमिओस्मोसिस) के लिए एक झिल्लिका, एक प्रोटोन पंप, एक प्रोटोन प्रवणता तथा एटीपी सिन्थेज की आवश्यकता होती है। प्रोटोन को एक झिल्लिका के आर-पार पंप करने के लिए ऊर्जा का उपयोग होता है, ताकि थाइलेकोइड ल्यूमेन में एक प्रवणता अथवा प्रोटोन की उच्च सांद्रता पैदा हो सके। एटीपी सिन्थेज के पास एक चैनल अथवा नलिका होता है, जो झिल्लिका के आर-पार प्रोटोन को विसरण का अवसर देता है। यह एटीपी सिन्थेज एंजाइम को सक्रिय करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा छोड़ता है जो एटीपी संश्लेषण को उत्प्रेरित करता है।

कक्षा 11 जीव विज्ञान पाठ 11 एमसीक्यू के उत्तर

Q5

रसोसंश्लेषित जीवाणु अपनी ऊर्जा कहाँ से प्राप्त करते हैं?

[A]. सूर्य
[B]. परालाल किरणें
[C]. कार्बनिक पदार्थ
[D]. अकार्बनिक पदार्थ
Q6

PS II में ATP संश्लेषण के लिए आवश्यक ऊर्जा कहाँ से आती है?

[A]. प्रोटोन प्रवणता
[B]. इलेक्ट्रॉन प्रवणता
[C]. ग्लूकोज का अपचयन
[D]. ग्लूकोज का ऑक्सीकरण
Q7

प्रकाशसंश्लेषण में प्रकाश अभिक्रिया के दौरान निम्नलिखित में से किनका निर्माण होता है?

[A]. ATP तथा शर्करा
[B]. हाइड्रोजन, O₂, तथा शर्करा
[C]. ATP हाइड्रोजन दाता तथा O₂
[D]. ATP, हाइड्रोजन, तथा O₂ दाता
Q8

प्रकाशसंश्लेषण में ‘‘अप्रकाशी अभिक्रिया’’ इसलिए कहलाती है क्योंकि:

[A]. यह अंधेरे में भी हो सकती है।
[B]. इसको प्रत्यक्ष प्रकाश ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती।
[C]. यह दिन के प्रकाश में नहीं हो सकती।
[D]. रात्रि के समय यह अधिक तीव्रता से होती है।
प्रकाश-संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक

प्रकाश-संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारकों के विषय में जानना आवश्यक है। प्रकाश-संश्लेषण की दर पौधों एवं फसली पादपों के उत्पादन जानने में अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। प्रकाश-संश्लेषण कई कारकों से प्रभावित होता है जो बाह्य तथा आंतरिक दोनों ही हो सकते हैं। पादप कारकों में संख्या, आकृति, आयु तथा पत्तियों का विन्यास, पर्णमध्योतक कोशिकाएं तथा क्लोराप्लास्ट आंतरिक CO₂ की सांद्रता और क्लोराफिल की मात्रा आदि है। पादप अथवा आंतरिक कारक पौधे की वृद्धि तथा आनुवंशिक पूर्वानुकूलता पर निर्भर करते हैं।
बाह्य कारक हैं सूर्य का प्रकाश, ताप, CO₂ की सांद्रता तथा जल। पादप की प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया में ये सभी कारक एक समय में साथ-साथ ही प्रभाव डालते हैं।

प्रकाश-संश्लेषण पर जल का प्रभाव

यद्यपि प्रकाश अभिक्रिया में जल एक महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया अभिकारक है, तथापि, कारक के रूप में जल का प्रभाव पूरे पादप पर पड़ता है, न कि सीधे प्रकाश-संश्लेषण पर। जल तनाव रंध्र को बंद कर देता है अतः CO₂ की उपलब्धता घट जाती है। इसके साथ ही, जल तनाव से पत्तियाँ मुरझा जाती हैं, जिससे पत्ती का क्षेत्रफल कम हो जाता है और इसके साथ ही साथ उपापचयी क्रियाएं भी कम हो जाती हैं।

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