एनसीईआरटी समाधान कक्षा 1 हिंदी सारंगी पाठ 14 बरखा और मेघा

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 1 हिंदी सारंगी पाठ 14 बरखा और मेघा के अभ्यास के प्रश्न उत्तर विस्तार से चित्र सहित यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 1 हिंदी विषय के अध्याय 14 को अच्छी तरह से समझने के लिए विद्यार्थी यहाँ दिए गए समाधान का उपयोग करके पाठ को सरल बना सकते हैं।

कक्षा 1 हिंदी सारंगी पाठ 14 के लिए एनसीईआरटी समाधान

एक बार की बात है, दो सहेलियाँ थीं — एक मुर्गी और एक बतख। मुर्गी का नाम था— मेघा। बतख का नाम था— बरखा। उनके तीन-तीन बच्चे थे। वे सब मेला देखने दूसरे गाँव जा रहे थे। रास्ते में नदी आ गई। मेघा ने कहा, “हम नदी कैसे पार करेंगे? हम तो डूब जाएँगे।” बरखा ने कहा, “हम सब तैरकर नदी पार कर लेंगे।” मेघा ने पूछा, “वो कैसे?” बरखा ने सबको पास बुलाया और अपनी जुगत बताई। सब खुशी से उछल पड़े — हुर्रे! वे सब नदी पार कर गए।

दो सहेलियाँ और उनके बच्चे

एक खूबसूरत गाँव में, दो प्यारी सहेलियाँ थीं—मेघा, जो एक सुन्दर मुर्गी थी, और बरखा, जो एक चंचल बतख थी। मेघा के तीन रंग-बिरंगे चूजे थे, और बरखा के भी तीन नटखट बतख के बच्चे थे। वे सभी बहुत अच्छे दोस्त थे और साथ में खूब खेलते और मस्ती करते थे। एक दिन, उन्होंने फैसला किया कि वे सब मिलकर दूसरे गाँव में लगने वाले बड़े मेले को देखने जाएँगे।

मेले की ओर यात्रा
सुबह-सुबह सभी ने अपनी यात्रा शुरू की। वे हँसते-खेलते, गाते-बजाते चल दिए मेले की ओर। रास्ते में वे खेतों से गुजरे, फूलों के बगीचों से होते हुए, और पक्षियों की चहचहाहट सुनते हुए आगे बढ़ते गए। उनके चेहरे उत्साह और खुशी से भरे हुए थे। बच्चे नए दोस्त बनाने और मेले में खेलने के ख्वाब देख रहे थे।

नदी का सामना

उनकी खुशियों में भंग तब पड़ा जब वे एक बड़ी नदी के किनारे पहुँचे। मेघा ने चिंता जताते हुए कहा, “हम इस नदी को कैसे पार करेंगे? हम तो डूब सकते हैं।” बच्चे भी घबरा गए और उनके चेहरे चिंता से भर गए। नदी का पानी शांत और गहरा था, और किनारे पर छोटे-छोटे लहरें बन रही थीं।

बरखा की योजना

तब बरखा ने मुस्कुराते हुए कहा, “चिंता मत करो, हम सब मिलकर नदी पार कर लेंगे।” उसने सभी को पास बुलाया और अपनी जुगत बताई। उसने सुझाव दिया कि चूजों और बतख के बच्चों को उसकी पीठ पर बिठा लिया जाए और वे तैरकर नदी पार करें। मेघा और बच्चे यह सुनकर खुश हो गए और बरखा की बुद्धिमत्ता की प्रशंसा करने लगे।

खुशी का पल
जब बरखा ने अपनी योजना सबको सुनाई, तो सभी खुशी से उछल पड़े और “हुर्रे!” कहकर खुशी जाहिर की। बच्चे उत्साहित हो गए और उन्होंने बरखा के साथ नदी पार करने का इंतजार करने लगे। वे सब बरखा के आस-पास इकट्ठा हो गए, और बरखा ने उन्हें अपनी पीठ पर बिठा लिया।

सफल यात्रा

फिर वे सब नदी पार करने लगे। बरखा धीरे-धीरे और सावधानी से तैरती हुई नदी को पार कर गई। मेघा भी पानी में उतरी और संभलते हुए बरखा के पीछे-पीछे चली। आखिरकार, वे सब सुरक्षित नदी के दूसरे किनारे पहुँच गए। वहाँ पहुँचकर, उन्होंने एक-दूसरे को खुशी से गले लगाया और मेले की ओर अपनी यात्रा जारी रखी।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 1 हिंदी सारंगी पाठ 14
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