एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी दूर्वा अध्याय 14 बच्चों के प्रिय श्री केशव शंकर पिल्लै
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी दूर्वा अध्याय 14 बच्चों के प्रिय श्री केशव शंकर पिल्लै के प्रश्नों के उत्तर अभ्यास के अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से निशुल्क प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 8 दूर्वा के पाठ 14 बच्चों के प्रिय श्री केशव शंकर पिल्लै व्यक्तित्व में छात्र एक ऐसे व्यक्तित्व के बारे में पढेंगे जो बच्चों की रूचि के अनुसार एक गुड़ियों का संग्रहालय बनाता है तथा उसकी प्रदर्शनी विभिन्न जगहों पर लगाता है।
कक्षा 8 हिंदी दूर्वा अध्याय 14 बच्चों के प्रिय श्री केशव शंकर पिल्लै के प्रश्न उत्तर
गुड़ियों का संग्रह करने में केशव शंकर पिल्लै को कौन-कौन सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
गुड़ियों का संग्रह करने में केशव शंकर पिल्लै को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ढेर सारी गुड़ियों का संग्रह करना उनके लिए मुश्किल था। क्योंकि एक तो गुड़िया महँगी होती है, दूसरे उन्हें सुरक्षित रखने के लिए जगह भी ज्यादा चाहिए थी। देश -विदेश घूमकर गुड़ियों को इकट्ठा करना मॅंहगा शौक था। उन्होंने दो-चार, पाँच-दस नहीं, पाँच हजार से भी अधिक गुड़ियों का संग्रह किया है। सारी दुनिया में घूम-घूमकर विभिन्न देशों से भाँति-भाँति की रंग-बिरंगी खूबसूरत गुड़ियों का संग्रह।
लड़ाई भी खेल जैसी: “अनेक देशों के बच्चों की यह -फ़ौज अलग-अलग भाषा, वेशभूषा में होकर भी एक जैसी ही है। कई देशों के बच्चों को इकठ्ठा कर दो, वे खेलेंगे या लड़ेंगे और यह लड़ाई भी खेल जैसी ही होगी। वे रंग, भाषा या जाति पर कभी नहीं लड़ेंगे।“
ऊपर के वाक्यों को पढ़ो और बताओ कि-
(क) यह कब, किसने, किसमें और क्यों लिखा?
(ख) क्या लड़ाई भी खेल जैसी हो सकती है? अगर हो तो कैसे और उस खेल में तुम्हारे विचार से क्या-क्या हो सकता है।
उत्तर:
(क) यह 1950 में ‘शंकर्स वीकली’ के बाल-विशेषांक में श्री नेहरू ने लिखा था।
(ख) कई बार बच्चे खेल में दो टोली बना लेते हैं जो दो देशों की सेनाओं को दर्शाती है फिर खेल-खेल में आपस में युद्ध करते हैं। जिसमें एक सेना जीतती है तथा दूसरी हारती है। यह युद्ध मनोरंजन का एक भाग है।
वे बाल चित्रकला प्रतियोगिता क्यों करना चाहते थे?
बाल चित्रकला करवाकर वे दुनिया के बच्चों को एक मंच पर लाना चाहते थे, जिससे उनकी प्रतिभा को निखारा जा सके और बच्चों को अंर्तराष्ट्रीय मंच पर लाकर उनका उत्साह बढ़ाया जा सके।
घर: तुमने इस पाठ में गुडि़याघर के बारे में पढ़ा। पता करो कि ‘चिडि़याघर’, ‘सिनेमाघर’ और ‘किताबघर’ कौन और क्यों बनवाता है? तुम इनमें से अपनी पसंद के किसी एक घर के बारे में बताओ जहाँ तुम्हें जाना बेहद पसंद हो?
उत्तर:
मनोरंजन और ज्ञानवर्धन के लिए अनेक चीजों का निर्माण किया जाता है। ऊपर दी गई चीजों के निर्माण तथा उनका उद्देश्य निम्न है:
घर निर्माणकर्ता उद्देश्य
चिड़ियाघर सरकार मनोरंजन और ज्ञानवर्धन
सिनेमाघर व्यापारी मनोरंजन
किताबघर सरकार/ व्यापारी ज्ञानवर्धन
दूसरे हिस्से का उत्तर छात्र अपनी रूचि के अनुसार दें।
केशव शंकर पिल्लै ने बच्चों के लिए विश्व भर की चुनी हुई गुड़ियों का संग्रह क्यों किया?
बच्चों को देश-विदेश और वहां के रीति-रिवाज और पहनावे की जानकारी देने के लिए केशव शंकर पिल्लै ने विश्व भर की गुड़ियों का संग्रह किया।
केशव शंकर पिल्लै हर वर्ष छुट्टियों में कैंप लगाकर सारे भारत के बच्चों को एक जगह मिलने का अवसर देकर क्या करना चाहते थे?
केशव शंकर पिल्लै हर वर्ष छुट्टियों में कैंप लगाकर सारे भारत के बच्चों को एक जगह पर इसलिए इकट्ठा करना चाहते थे जिससे कि वे सभी एक-दूसरे को जान सके अपने -अपने रीति-रिवाजों से एक दूसरे को परिचित करा सकें।
संग्रह की चीजें: आमतौर पर लोग अपनी मनपसंद, महत्वपूर्ण और आवश्यक चीजों का संग्रह करते हैं। नीचे कुछ चीजों के नाम दिए गए हैं। जैसे-
(क) डाक-टिकट
(ख) पुराने सिक्के
(ग) गुडि़या
(घ) महत्वपूर्ण पुस्तकें
(घ) चित्र
(च) महत्वपूर्ण व्यक्तियों के हस्तलेख
इसके अतिरिक्त भी तुम्हारे आसपास कुछ चीजें होती है जिसे लोग बेकार या अनुपयोगी समझकर कूड़ेदान या अन्य उपयुक्त जगह पर रख या फेंक देते हैं। तुम पता करो यदि उसका भी कोई संग्रह करता है तो क्यों?
उत्तर:
आमतौर पर लोग पुराणी किताबें, डाक टिकट, सिक्के, बर्तन आदि या तो कबाड़ी को बेच देते हैं या फेंक देते हैं। कई बार इनमें ज्ञान वर्धक और दुर्लभ चीजें भी हो सकती हैं जिन्हें जानकारी न होने से फेंक दिया जाता है। लेकिन कुछ लोग उस फेंके हुए कूड़े में से पुस्तकें डाक-टिकट, चित्र तथा हस्त-लिपियों को उठा लेते हैं और अपने पास संगृहीत कर लेते हैं।
कार्टून बनाने के लए उन्हें कौन-कौन से काम करने पड़े होंगे?
कार्टून बनाने के लिए केशव शंकर पिल्लै को सभी की अच्छाइयों और बुराइयों को बहुत बारीकी से देखना पड़ा होगा उसके बाद इन्होंने कार्टून बनाए और ऐसे कार्टून बनाए जिससे किसी को बुरा भी नहीं लगा और उन्होंने अपनी बात भी कह दी।
तरह-तरह के काम
केशव ने कार्टून बनाना, गुड़ियों व पुस्तकों का संग्रह करना, पत्रिका में लिखना व पत्रिका निकालना, बाल चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन व बच्चों का सम्मेलन कराना जैसे तरह-तरह के काम किए। उनको किसी एक काम के लिए भी तरह-तरह के काम करने पड़े होंगे। अब बताओ कि बच्चों के लिए बाल चित्रकला प्रतियोगिता कराने के लिए क्या-क्या करना पड़ा होगा?
उत्तर:
बच्चों के लिए बाल चित्रकला प्रतियोगिता कराने के लिए उन्हें देश के सभी स्कूलों में निमंत्रण पत्र भेजना पड़ा होगा हर विद्यालय से बच्चों का बुलाकर एक जगह पर विशाल प्रतियोगिता करवाने के लिए उन्हें विशाल जगह का भी इंतजाम करना पड़ा होगा।