एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 इतिहास अध्याय 6 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 इतिहास अध्याय 6 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना के सवाल जवाब हिंदी और अंग्रेजी मीडियम में सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 8 इतिहास के इस अध्याय को विद्यार्थी यहाँ दिए गए अभ्यास के प्रश्न उत्तर के माध्यम से आसानी से समझ सकते हैं।
कक्षा 8 इतिहास अध्याय 6 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना के प्रश्न उत्तर
अंग्रेज़ शिक्षा को किस तरह से देखते थे?
अंग्रेजों ने अपने शासन के पहले 60 वर्षों के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में कोई भी नया काम नहीं किया। दरअसल शुरू में अंग्रेज भारत के प्रचलित कानूनों और परम्पराओं को जानना चाहते थे। इसलिए 1781 में कलकत्ता में स्थापित ‘मदरसा’ और बनारस में स्थापित ‘संस्कृत कॉलेज’ को प्रश्रय दिया गया। 1854 के डिस्पैच के बाद अंग्रेजों ने कई उपायों की शुरुआत की। शिक्षा से संबंधित सभी मामलों पर नियंत्रण बढ़ाने के लिए सरकार के शिक्षा विभागों की स्थापना की गई थी। विश्वविद्यालय शिक्षा की एक प्रणाली स्थापित करने के लिए कदम उठाए गए। 1857 में कलकत्ता, मद्रास और बंबई में विश्वविद्यालयों की स्थापना की जा रही थी।
जेम्स मिल और टॉमस मैकॉले ऐसा क्यों सोचते थे कि भारत में यूरोपीय शिक्षा अनिवार्य है?
उनका विचार था कि शिक्षा उपयोगी एवं व्यावहारिक होनी चाहिए। उनका मानना था कि भारतीयों को पश्चिम द्वारा की जा रही प्रगति से परिचित कराया जाना चाहिए। उनका मानना था कि भारतीय असभ्य हैं और उन्हें सभ्य बनने की आवश्यकता है। यह केवल अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से ही संभव हो सकता है।
पाठशालाओं की शिक्षा प्रणाली क्या थी?
पाठशाला में शिक्षा की व्यवस्था लचीली थी। कोई निश्चित शुल्क नहीं था, कोई मुद्रित पुस्तकें नहीं थीं, कोई अलग स्कूल भवन नहीं था, कोई बेंच या कुर्सियाँ नहीं थीं, कोई ब्लैकबोर्ड नहीं था, अलग कक्षाओं की कोई व्यवस्था नहीं थी, कोई उपस्थिति रजिस्टर नहीं था, कोई वार्षिक परीक्षा नहीं थी और कोई नियमित समय-सारणी नहीं थी। फ़सल कटाई के समय स्कूलों की छुट्टी कर दी जाती थी।
विलियम जोन्स को भारतीय इतिहास, दर्शन और कानून का अध्ययन क्यों ज़रूरी दिखाई देता था?
विलियम जोन्स के मन में भारतीय और पश्चिमी दोनों प्राचीन संस्कृतियों के प्रति गहरा सम्मान था। उन्होंने भारत को समझने के लिए पवित्र ग्रंथों की खोज करना महत्वपूर्ण समझा। उनका विचार था कि इन ग्रंथों का एक नया अध्ययन भारत में भविष्य के विकास का आधार बन सकता है। उनका मानना था कि इससे न केवल अंग्रेजों को भारतीय संस्कृति से सीखने में मदद मिलेगी बल्कि भारतीयों को अपनी विरासत को फिर से खोजने में भी मदद मिलेगी।
क्या अंग्रेजी शिक्षा ने हमें ग़ुलाम बना दिया है?
अंग्रेजी शिक्षा ने हमें गुलाम बना लिया है।” महात्मा गाँधी इस बात से पूरी तरह अवगत थे कि औपनिवेशिक शिक्षा से भारतीयों के मन में हीन भावना उत्पन्न हुई है। अंग्रेजी शिक्षा ने लोगों को पश्चिमी संस्कृति को श्रेष्ठतर देखने और अपनी संस्कृति के गौरव को नष्ट करना सिखाया है।
महात्मा गांधी बच्चों को हस्तकलाएँ क्यों सीखाना चाहते थे?
महात्मा गांधी ने पढ़ने-लिखने की क्षमता की बजाय कौशल विकास पर अधिक जोर दिया। उनका मानना था कि एक व्यक्ति को आवश्यक कौशल सीखना चाहिए ताकि वह आजीविका कमा सके। इसलिए, वह चाहते थे कि बच्चों को हस्तशिल्प सिखाया जाए।
महात्मा गांधी ऐसा क्यों सोचते थे कि अंग्रेज़ी शिक्षा ने भारतीयों को ग़ुलाम बना लिया है?
महात्मा गांधी का मानना था कि अंग्रेजी शिक्षा से भारतीयों में हीनता की भावना विकसित हुई है। कई अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त भारतीयों ने जीवन के पश्चिमी तरीकों का अनुकरण करना शुरू कर दिया। अंग्रेजी में शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे भी भारतीयों को घृणा की दृष्टि से देखने लगे। उनका मानना था कि अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीयों को गुलाम बना लिया है।
निम्नलिखित में से सही या गलत बताएँ
(क) जेम्स मिल प्राच्यवादियों के घोर आलोचक थे।
(ख) 1854 के शिक्षा संबंधी डिस्पैच में इस बात पर ज़ोर दिया गया था।
कि भारत में उच्च शिक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी होना चाहिए।
(ग) महात्मा गांधी मानते थे कि साक्षरता बढ़ाना ही शिक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है।
(घ) रवीन्द्रनाथ टैगोर को लगता था कि बच्चों पर सख्त अनुशासन होना चाहिए।
उत्तर:
(क) जेम्स मिल प्राच्यवादियों के कटु आलोचक थे। सत्य
(ख) शिक्षा पर 1854 का डिस्पैच भारत में उच्च शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी को शुरू करने के पक्ष में था। सत्य
(ग) महात्मा गांधी ने सोचा था कि साक्षरता को बढ़ावा देना शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य था। असत्य
(घ) रवीन्द्रनाथ टैगोर का मानना था कि बच्चों को सख्त अनुशासन के अधीन रखा जाना चाहिए। असत्य