एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 राजनीति विज्ञान अध्याय 2 भारतीय संविधान में अधिकार
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 राजनीति विज्ञान अध्याय 2 भारतीय संविधान में अधिकार के प्रश्नों के उत्तर सभी सवाल जवाब सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से निशुल्क प्राप्त करें। 11वीं कक्षा में राजनीति शास्त्र की किताब भारत का संविधान, सिद्धांत और व्यवहार के पाठ 2 के प्रश्न उत्तर सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड दोनों ही विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
कक्षा 11 राजनीति विज्ञान अध्याय 2 भारतीय संविधान में अधिकार के प्रश्न उत्तर
नीति निर्देशक तत्वों और मौलिक अधिकारों में संबंध में बताइए?
नीति निर्देशक तत्वों और मौलिक अधिकारों में संबंध:
मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्वों को एक-दूसरे के पूरक के रूप में देखा जा सकता है। जहाँ मौलिक अधिकार सरकार के कुछ कार्यों पर प्रतिबंध लगाते हैं वहीं नीति निर्देशक तत्व उसे कुछ कार्यों को करने की प्रेरणा देते हैं। मौलिक अधिकार खासतौर से व्यक्ति के अधिकारों को सरंक्षित करते हैं।
परंतु नीति-निर्देशक तत्व पूरे समाज के हित की बात करते हैं लेकिन कभी-कभी जब सरकार नीति-निर्देशक तत्वों को लागू करने का प्रयास करती है, तो ये नागरिकों के मौलिक अधिकारों से टकरा सकते हैं। यह समस्या तब पैदा हुई जब सरकार ने ज़मीदारी उन्मूलन कानून बनाने का फैसला किया। इसका विरोध इस आधार पर किया गया कि उससे संपत्ति के मौलिक अधिकार का हनन होता है लेकिन यह सोचकर कि सामाजिक आवश्यकताऍं व्याक्ति हित के ऊपर है, सरकार ने नीति-निर्देशक तत्वों को लागू करने के लिए संविधान का संशोधन किया।
आपके अनुसार कौन-सा मौलिक अधिकार सबसे ज्यादा महत्वपूण है? इसके प्रावधानों को संक्षेप में लिखें और तर्क देकर बताएं कि यह क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर:
भारतीय संविधान में दिया गया अंतिम अधिकार संवैधानिक उपचारों का अधिकार सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह अधिकार है कि अगर संविधान में किये गये अन्य मौलिक अधिकारों का उल्लघन हो तो यह अधिकार नागरिकों को न्यायालय में जाने का अधिकार देता है। डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने इस अधिकार को संविधान का ह्रदय व आत्मा कहा है।
इस अध्याय में उद्धृत सोमनाथ लाहिड़ी द्वारा संविधान-सभा में दिए गए वक्तव्य को पढ़ें। क्या आप उनके कथन से सहमत हैं? यदि हाँ तो इसकी पुष्टि में कुछ उदाहरण दें। यदि नहीं तो उनके कथन के विरुद्ध तर्क प्रस्तुत करें।
हां, मैं सोमनाथ लाहिड़ी से सहमत हूं क्योंकि उन्होंने कहा कि न्यूनतम अधिकार स्वीकृत किए गए हैं और लगभग आदतन एक ही प्रावधान का पालन किया जाता है जो पुलिस के दृष्टिकोण से बनाया गया है।
यह कुछ प्रावधानों में दिखाई देता है जो मौलिक अधिकारों का आह्वान करते हैं और उन पर रोक लगाते हैं। कुछ प्रावधान जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का खंडन करता है और अक्सर सरकार द्वारा इसका दुरुपयोग किया जाता है।
स्वतंत्रता के अधिकार के तहत कई अधिकार हैं जो सरकार द्वारा विभिन्न तरीकों से प्रतिबंधित हैं। उदाहरण के लिए, कुछ क्षेत्रों में पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध के प्रावधान का प्रशासन द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता है।
इसलिए, हम लाहिड़ी के विचारों से सहमत हैं क्योंकि एक पुलिस समाज में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए गैरकानूनी गतिविधियों पर नजर रखता है। अधिकतम मौलिक अधिकार इस ढांचे के तहत काम करते हैं जैसे कि, इनका अक्सर उल्लंघन किया जाता है और बाद में अदालत द्वारा उपचारात्मक आदेश की आवश्यकता होती है। इन अधिकारों में शामिल नहीं हैं:
पर्याप्त आजीविका का अधिकार
समान काम के लिए समान वेतन
काम करने का अधिकार
आर्थिक शोषण के खिलाफ अधिकार।
ये मानव जीवन के लिए आवश्यक हैं और इन्हें लोगों के मौलिक अधिकारों के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।
गरीबों के बीच काम कर रहे एक कार्यकर्ता का कहना है कि गरीबों को मौलिक अधिकारों की जरूरत नहीं है। उनके लिए जरूरी है कि नीति-निर्देशक सिद्धांतों को कानूनी तौर पर बाध्यकारी बना दिया जाए। क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण बताऍं।
हम इस बात से सहमत नहीं हैं क्योंकि नागरिकों के लिए मौलिक अधिकार नीति निर्देशक तत्वों से अधिक ज़रूरी हैं। दूसरी ओर नीति-निर्देशक तत्वों को बाध्यकारी नहीं बनाया जा सकता है क्योंकि हमारे पास सभी को नीति-निर्देशक तत्वों मे दी गयी सुविधाओं को देने के लिए पर्याप्त श्रोत नहीं हैं।
एक मानवधिकार-समूह ने अपनी याचिका में अदालत का ध्यान देश में मौजूद भूखमरी की स्थिति की तरफ खींचा। भारतीय खाद्य-निगम के गोदामों में 5 करोड़ टन से ज्यादा अनाज भरा हुआ था। शोध से पता चलता है कि अधिकांश राशन-कार्डधारी यह नहीं जानते कि उचित-मूल्य की दुकानों से कितनी मात्रा में वे अनाज खरीद सकते हैं। मानवाधिकार समूह ने अपनी याचिका में अदालत से निवेदन किया कि वह सरकार को सार्वजनिक-वितरण-प्रणाली में सुधार करने का आदेश दें।
(क) इस मामलें में कौन-कौन से अधिकार शामिल हैं? ये अधिकार आपस में किस तरह जुड़े हैं?
(ख) क्या ये अधिकार जीवन के अधिकार का एक अंग हैं?
(क) इस मामले में निम्न मौलिक अधिकार शमिल हैं:
(i) कानून के सामने समानता का अधिकार (अनुच्छेद 94)
(ii) भेदभाव की मनाही (अनुच्देद 15)
(ख) हॉं, यह जीवन के अधिकार का एक अंग है।
इनमें कौन मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और क्यों?
(क) न्यूनतम देय मज़दूरी नहीं देना।
(ख) किसी पुस्तक पर प्रतिबंध लगाना।
(ग) 9 बजे रात के बाद लाऊड-स्पीकर बजाने पर रोक लगाना।
(घ) भाषण तैयार करना।
उत्तर:
किसी पुस्तक पर प्रतिबंध लगाना।
निम्नलिखित में कौन सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों की सही व्याख्या है?
(क) शैक्षिक-संस्था खोलने वाले अल्पसंख्यक वर्ग के ही बच्चे उस संस्थान में पढ़ाई कर सकते हैं।
(ख) सरकारी विद्यालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक विश्वासों से परिचित कराया जाए।
(ग) भाषाई और धार्मिक-अल्पसंख्यक अपने बच्चों के लिए विद्यालय खोल सकते हैं और उनके लिए इन विद्यालयों को आरक्षित कर सकते हैं।
(घ) भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक यह मांग कर सकते हैं उनके बच्चें उनके द्वारा संचालित शैक्षणिक-संस्थाओं के अतिरिक्त किसी अन्य संस्थान में नहीं पढ़ेगें।
उत्तर:
भाषाई और धार्मिक अल्पासंख्यक अपने बच्चों के लिए विद्यालय खोल सकते हैं और उनके लिए इन विद्यालयों को आरक्षित कर सकते हैं।