एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 15 पृथ्वी पर जीवन
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 15 पृथ्वी पर जीवन के सभी प्रश्न उत्तर सवाल जवाब हिंदी और अंग्रेजी में सत्र 2025-26 के लिए यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 11 भूगोल पाठ 15 पुस्तक भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत के इकाई VI पृथ्वी पर जीवन के प्रत्येक प्रश्न को चरण-दर-चरण समझाया गया है।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 15
कक्षा 11 भूगोल अध्याय 15 पृथ्वी पर जीवन के प्रश्न उत्तर
पारितंत्र क्या है? संसार के प्रमुख पारितंत्र प्रकारों को बताऍं।
किसी विशेष क्षेत्र में किसी विशेष समूह के जीवधारियों का भूमि, जल अथवा वायु से ऐसा अंतरसंबंध, जिसमें ऊर्जा प्रवाह व पोषण श्रृंखला स्पष्ट रूप से समायोजित हो, पारितंत्र या पारिस्तिथिक तंत्र कहा जाता है। पारितंत्र मुख्यत: दो प्रकार के हैं, (क) स्थलीय पारितंत्र, (ख) जलीय पारितंत्र। स्थलीय पारितंत्र में वन, घास क्षेत्र, मरूस्थल आदि हैं। जलीय पारितंत्र को समुद्री पारितंत्र तथा ताज़े पानी के पारितंत्र में बाँटा जाता है। समुद्री पारितंत्र को महासागरीय, ज्वारनदमुख, प्रवालभित्ति पारितंत्र तथा ताज़े पानी के पारितंत्र को झील, तालाब, सरिताऍं, कच्छ व दलदल पारितंत्र में बॉंटा जाता है।
कक्षा 11 भूगोल अध्याय 15 बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित में से कौन जैव मंडल में सम्मिलित हैं?
उष्ण कटिबंधीय घास का मैदान निम्न में से किस नाम से जाने जाते हैं?
चटृानों में पाए जाने वाले लोहांश के साथ ऑक्सीजन मिलकर निम्नलिखित में से क्या बनाती है?
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के दौरान, प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड जल के साथ मिलकर क्या बनाती है?
पारिस्थितिकी से आप क्या समझते हैं?
जीवधारियों का आपस में तथा उनके भौतिक पर्यावरण से अंतरसंबंधों का वैज्ञानिक अध्ययन ही पारिस्थितिकी है। पारिस्थितिकी ही प्रमुख रूप से जीवधारियों के जन्म, विकास, वितरण, प्रकृति व उनके प्रतिकूल अवस्थाओं में भी जीवित रहने से संबंधित है।
खाद्य श्रृंखला क्या है? चराई खाद्य श्रृंखला का एक उदाहरण देते हुए इसके अनेक स्तर बताएँ।
प्राथमिक उपभोक्ता, द्वितीयक उपभोक्ताओं के भोजन बनते हैं। द्वितीयक उपभोक्ता फिर तृतीयक उपभोक्ताओं के द्वारा खाए जाते हैं। यह खाद्य क्रम है और इस क्रम में एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा प्रवाह ही खाद्य श्रृंखला कहलाती है। चराई खाद्यश्रृंखला पौधों से शुरू होकर मांसाहारी तक जाती है। जिसमें शाकाहारी जीव घास खाता है और शाकाहारी जीव को मांसाहारी जीव खाते हैं। हर स्तर पर ऊर्जा का ह्रास होता है जिसमें श्वसन, उत्सर्जन व विघटन प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं। खाद्य श्रृंलखाओं में तीन से पॉंच स्तर होते हैं और प्रत्येक स्तर पर ऊर्जा कम होती जाती है। खाद्य श्रृंखला का उदाहरण घास, बकरी, शेर, घास, कीट, मेढ़क, सॉंप इत्यादि।
खाद्य जाल से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित बताऍं।
खाद्य श्रृंखलाएँ पृथक अनुक्रम न होकर एक-दूसरे से जुडी होती हैं। जैसे: एक चूहा, जो अन्न पर निर्भर करता है, वह अनेक द्वितीयक उपभोक्ताओं का भोजन है और तृतीयक मांसाहारी अनेक द्वितीयक जीवों से अपने भोजन की पूर्ति करते हैं। इस प्रकार प्रत्येक मांसाहारी जीव एक से अधिक प्रकार से भोजन पर निर्भर हैं। इसप्रकार, सभी खाद्य श्रृंखलाएँ एक-दूसरें से जुडी हुई हैं। विभिन्न उपभोक्ताओं की आपस में जुड़ी खाद्य श्रृंखलाओं को खाद्य जाल कहा जाता है।
बायोम क्या हैं?
बायोम पौधों एवं प्रणियों का एक समुदाय है जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है। पृथ्वी पर विभिन्न बायोम की सीमा का निर्धारण जलवायु व अपक्षय संबंधी तत्व करते हैं। अत:, विशेष परिस्थितियों में पादप एवं जंतुओं के अंतःसंबधों के कुल योग को बायोम कहा जाता है। इसमें वर्षा, तापमान, आर्द्रता व मिटृी संबंधी अवयव भी शमिल हैं। संसार के कुछ प्रमुख बायोम वन, मरूस्थल, घास भूमि और उच्च प्रदेशीय क्षेत्र हैं।
जैव भू-रासयनिक चक्र क्या है? वायुमंडल में नाइट्रोजन का यौगिकीकरण कैसे होता है? वर्णन करें।
सूर्य ऊर्जा का मूल स्त्रोत है, जिस पर पृथ्वी का संपूर्ण जीवन निर्भर है। यही ऊर्जा जैवमंडल में प्रकाश संशलेषण क्रिया द्वारा जीवन प्रक्रिया आंरभ करती है, जो हरे पौधों के लिए भोजन व ऊर्जा का मुख्य आधार है। प्रकाश संश्लेषण के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड की मदद से ऑक्सीजन व कार्बनिक यौगिकों का निर्माण होता है। धरती पर पहुँचने वाले सूर्यातप का बहुत छोटा भाग प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में काम आता है।
इसका आधे से अधिक भाग पौधों की श्वसन विसर्जन क्रिया में और शेष भाग अस्थायी रूप से पौधों के अन्य भागों में संचित हो जाता है। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि पिछले 100 करोड वर्षों में वायुमंडल एवं जलमंडल की संरचना में रासयनिक घटकों का संतुलन लगभग एक जैसा अर्थात् बदलाव रहित रहा है। रासयनिक तत्वों का यह संतुलन पौधे व प्राणी ऊतकों से होने वाले चक्रीय प्रवाह के द्वारा बना रहता है।
यह चक्र जीवों द्वारा रासायनिक तत्वों के अवशोषण से संचालित होते हैं। जैवमंडल में जीवधारी तथा पर्यावरण के बीच, इस प्रकार के रासयनिक तत्वों के चक्रीय प्रवाह को जैव भू-रासयनिक चक्र कहते हैं। तलछटी चक्र के प्रमुख भंडार पृथ्वी की भूपपर्टी पर पाई जाने वाली मिटृी, तलछट व अन्य चटृानें हैं।