एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 14 महासागरीय जल संचलन
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 14 महासागरीय जल संचलन के अभ्यास के सवाल जवाब हिंदी और अंग्रेजी में सत्र 2024-25 के लिए संशोधित रूप में यहाँ से निशुल्क प्राप्त करें। कक्षा 11 भूगोल पाठ 14 पुस्तक भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत के इकाई V जल – महासागर के प्रश्न उत्तर विस्तार से समझकर यहाँ दिए गए हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 14
कक्षा 11 भूगोल अध्याय 14 महासागरीय जल संचलन के प्रश्न उत्तर
तरंगें क्या है?
तरंगें वास्तव में ऊर्जा है, जल नहीं, जो कि महासागरीय सतह के आर-पार गति करती हैं। तरंगों में जल के कण छोटे वृत्ताकार रूप में गिरते हैं। वायु जल को ऊर्जा प्रदान करती है, जिससे तरंगें उत्पन्न होती हैं। वायु के कारण तरंगें महासागर में गति करती हैं। जैसे ही एक तरंग महासागरीय तट पर पहुँचती है, इसकी गति कम हो जाती है। बड़ी तरंगें खुले महासागरों में पाई जाती है। तरंगें जैसे-जैसे आगे की ओर बढ़ती हैं, बड़ी होती जाती हैं।
कक्षा 11 भूगोल अध्याय 14 बहुविकल्पीय प्रश्न
महासागरीय जल की ऊपर एवं नीचे गति किससे संबंधित है?
वृहत ज्वार आने का क्या कारण है?
पृथ्वी तथा चंद्रमा की न्यूनतम दूरी कब होती है?
महासागरीय तरंगें ऊर्जा कहाँ से प्राप्त करती हैं?
वायु जल को ऊर्जा प्रदान करती है, जिससे तरंगें उत्पन्न होती है। वायु के कारण तरंगें महासागर में गति करती हैं तथा ऊर्जा तटरेखा पर निर्मृक्त होती है। तरंगें वायु से उर्जा को अवशोषित करती हैं। अधिकतर तरंगें वायु के जल के विपरीत दिशा में गतिमान होने के कारण उत्पन्न होती हैं।
ज्वार-भाटा क्या हैं?
चंद्रमा एवं सूर्य के आकर्षण के कारण दिन में एक बार या दो बार समुद्र तल के नियतकालिक उठने तथा गिरने को ज्वार-भाटा कहा जाता है। जब समुद्र तल का जल समुद्र तल से ऊपर उठता है तो उसे ज्वार कहा जाता है और जब यह जल नीचे की ओर जाता है तो उसे भाटा कहते हैं।
ज्वार-भाटा उत्पन्न होने के क्या कारण हैं?
चंद्रमा के गुरूत्वाकर्षण के कारण तथा कुछ हद तक सूर्य के गुरूत्वाकर्षण द्वारा ज्वार-भाटाओं की उत्पति होती है। दूसरा कारक अपकेन्द्रीय बल है जो कि गुरूत्वाकर्षण को संतुलित करता है। गुरूत्वाकर्षण बल तथा अपकेन्द्रीय बल दोनों मिलकर पृथ्वी पर दो महत्वपूर्ण ज्वार-भाटा को उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी है। चंद्रमा की तरफ वाले पृथ्वी के भाग पर एक ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है तथा विपरीत भाग पर चंद्रमा का गुरूत्वीय आकर्षण बल उसकी दूरी के कारण कम होता है, तब अपकेन्द्रीय बल दूसरी तरफ ज्वार-भाटा उत्पन्न करता है।
ज्वार-भाटा नौसंचालन से कैसे संबंधित है?
ज्वार-भाटा नौसंचालकों व मछुआरों को उनके कार्य-संबंधी योजनाओं में मदद करता है। नौसंचालन में ज्वारीय प्रवाह का अत्यधिक महत्व है। ज्वार की ऊॅंचाई बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, विशेषकर नदियों के किनारे वाले बंदरगाहों पर एवं ज्वारनदमुख के भीतर, जहाँ प्रवेश द्वार पर छिछली रोधिकाऍं होती हैं, जो कि नौकाओं एवं जहाजों को बंदरगाह में प्रवेश करने से रोकती हैं। जिस नदी के समुद्री तट के मुहाने पर बंदरगाह हो और जब ज्वार आता है तो बड़े-बडे़ जहाज बंदरगाह में प्रवेश कर जाते हैं। इसका उदाहरण भारत में हुगली नदी के तट पर स्थित कोलकाता बंदरगाह है।
जलधाराऍं तापमान को कैसे प्रभावित करती हैं? उत्तर-पश्चिम यूरोप के तटीय क्षेत्रों के तापमान को ये किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
जलधाराऍं अधिक तापमान वाले क्षेत्रों से कम तापमान वाले क्षेत्रों की ओर तथा इसके विपरीत कम तापमान वाले क्षेत्रों से अधिक तापमान वाले क्षेत्रों की ओर बहती हैं। जब ये धाराएँ एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर बहती हैं तो ये उन क्षेत्रों के तापमान को प्रभावित करती हैं। किसी भी जलराशि के तापमान का प्रभाव उसके ऊपर की वायु पर पड़ता है। इसी कारण विषुवतीय क्षेत्रों से उच्च अंक्षाशों वाले ठंडे क्षेत्रों की ओर बहने वाली जलधाराऍं उन क्षेत्रों की वायु के तापमान को बढ़ा देती है। उदाहरणार्थ गर्म उत्तरी अंटलाटिक अपवाह जो उत्तर की ओर यूरोप के पश्चिमी तट की ओर बहती है, यह ब्रिटेन ओर नार्वे के तट पर शीत ऋतु में भी बर्फ नहीं जमने देती।
जलधाराओं का जलवायु पर प्रभाव और अधिक स्पष्ट हो जाता है, जब आप समान अक्षांशों पर स्थित ब्रिटिश द्वीप समूह की शीत ऋतु की तुलना कनाडा के उत्तरी पूर्वी तट के शीतऋतु से करते हैं। कनाडा का उत्तरीपूर्वी तट लेब्राडोर की ठंडी धारा के प्रभाव में आ जाता हैं, इसीलिए यह शीतऋतु में बर्फ से ढका रहता है।