एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 13 महासागरीय जल
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 13 महासागरीय जल के सभी प्रश्नों के उत्तर चित्रों तथा मानचित्रों की सहायता से समझकर यहाँ दिए गए हैं। कक्षा 11 भूगोल पाठ 13 पुस्तक भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत के इकाई V जल – महासागर के समाधान सत्र 2025-26 के लिए संशोधित किए गए हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 13
कक्षा 11 भूगोल अध्याय 13 महासागरीय जल के प्रश्न उत्तर
हम पृथ्वी को नीला ग्रह क्यों कहते हैं?
पृथ्वी के जीव सौभाग्यशाली हैं कि यह एक जलीय ग्रह है। जल पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्रकार के जीवों के लिए यहाँ आवश्यक घटक हैं। जल हमारे सौरमंडलों का दुर्लभ पदार्थ है। सूर्य अथवा सौरमंडल में अन्यत्र कही भी जल नहीं है। पृथ्वी के 71 प्रतिशत भाग पर जल पाया जाता है अर्थात पृथ्वी के धरातल पर जल की प्रचुर मात्रा में आपूर्ति है। इस जल के कारण ही पृथ्वी नीले रंग की प्रतीत होती है और इसे नीलाग्रह भी कहा जाता है।
कक्षा 11 भूगोल अध्याय 13 बहुविकल्पीय प्रश्न
उस तत्व की पहचान करें जो जलीय चक्र का भाग नहीं है।
महाद्वीपीय ढाल की औसत गहराई निम्नलिखित के बीच होती है?
निम्नलिखित में से कौन सी लघु उच्चावच आकृति महासागरों में नही पाई जाती है?
निम्न में से कौन सा सबसे छोटा महासागर है?
महाद्वीपीय सीमांन्त क्या होता है?
महाद्वीपीय सीमांत प्रत्येक महादेश का विस्तृत किनारा होता है जो कि अपेक्षाकृत छिछलें समुद्री तथा खाड़ियों का भाग होता है। यह महासागर का सबसे छिछला भाग होता है, जिसकी औसत प्रवणता एक डिग्री या उससे भी कम होती है। इस सीमा का किनारा बहुत ही खड़े ढाल वाला होता है अर्थात यह अत्यंत तीव्र ढाल पर समाप्त होता है।
विभिन्न महासागरों के सबसे गहरे गर्तों की सूची बनाइए।
गर्त महासागरों के सबसे गहरे भाग होते हैं। अभी तक लगभग 57 गर्तों को खोजा गया है, जिसमें 32 प्रशांत महासागर, 19 अटलांटिक महासागर एवं 6 हिंद महासागर में हैं। विश्व की कुछ प्रमुख गर्तें निम्नलिखित है:
- मेरिआना खाई: प्रशांत महासागर और पृथ्वी का सबसे गहरा भाग, जिसकी गहराई समुद्र तल से 11034 मीटर है।
- प्यूरिटकों खाई: यह अटलांटिक महासागर का सबसे गहरा गर्त है।
- सुंडा ट्रेंच: यह हिंद महासागर की सबसे गहरी खाई है।
ताप प्रवणता क्या है?
समुद्र में तापमान गिरने का सिलसिला समुद्री सतह से लगभग 100 से 400 मीटर नीचे प्रारंभ होता है और कई सौ मीटर नीचे तक जाता है। वह सीमा क्षेत्र जहॉं तापमान में तीव्र गिरावट आती है, ताप प्रवणता कहा जाता है। महासागर में सतहीय एवं गहरी परतों वाले जल के बीच विभाजक रेखा होती है। समुद्र में वहीं से तापमान गिरने लगता है।
समुद्र में नीचे जाने पर आप ताप की किन परतों का सामना करेगें? गहराई के साथ तापमान में भिन्नता क्यों आती है?
मध्य एवं निम्न अक्षांशों में महासागरों के तापमान की संरचना को सतह से तली की ओर तीन परतों से गुजरना पड़ता है।
- पहली परत गर्म महासागरीय जल की सबसे ऊपरी पतर होती है जो लगभग 500 मीटर मोटी होती है और इसका तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 25 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच होता है। उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में यह परत पूरे वर्ष उपस्थित होती है, जबकि मध्य अक्षांशों में यह केवल ग्रीष्म ऋतु में विकसित होती है।
- दूसरी परत जिसे ताप प्रवणता परत कहा जाता है, पहली परत के नीचे स्थित होती है। इसमें गहराई के बढ़ने के साथ तापमान में तीव्र गिरावट आती है। यहाँ ताप प्रवणता की मोटाई 500 से 1000 मीटर तक होती है।
- तीसरी परत बहुत अधिक ठंडी होती है तथा गभीर महासागरीय तली तथा विस्तृत होती है। आर्कटिक महासागर एवं अंटार्कटिक वृत्तों में सतही जल का तापमान 0° डिग्री सेंटीग्रेड के निकट होता है और इसलिए गहराई के साथ तापमान में बहुत कम परिवर्तन होता है।
समुद्री जल की लवणता क्या है?
वर्षा का जल हो या महासागरों का, प्रकृति में उपस्थित सभी जलों में खनिज लवण घुले हुए होते हैं। लवणता वह शब्द है, जिसका उपयोग समुद्री जल में घुले हुए नमक की मात्रा को निर्धारित करने में किया जाता है। इसका परिकलन 1000 ग्राम समुद्री जल में घुले हुए नमक की मात्रा के द्वारा किया जाता है। इसे प्राय: प्रति 1000 भाग (प्रतिशत) या PPT के रूप में व्यक्त किया जाता है।
महासागरों के तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों का परीक्षण कीजिए।
महासागरों में जल के तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं:
आक्षांश: ध्रुवों की ओर प्रवेशी सौर विकिरण की मात्रा घटने के कारण महासागरों के सतही जल का तापमान विषुवतवृत से ध्रुवों की ओर चला जाता है।
स्थल एवं जल का असमान वितरण: उत्तरी गोलार्ध के महासागर दक्षिणी गोलार्ध के महासागरों की अपेक्षा स्थल के बहुत बड़े भाग से जुड़े होने के कारण अधिक मात्रा में ऊष्मा प्राप्त करते हैं।
सनातन पवने: स्थल से महासागरों की तरफ बहने वाली पवनें महासागरों के सतही गर्म जल को तट से दूर धकेल देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप नीचे का ठंडा जल ऊपर की ओर आ जाता है। परिणामस्वरूप तापमान में देशांतरीय अंतर आता है। इसके विपरीत, अभितटीय पवनें गर्म जल को तट पर जमा कर देती है और इससे तापमान बढ़ जाता है।
महासागरीय धाराऍं: गर्म महासागरीय धाराऍं ठंडे क्षेत्रों में तापमान को बढ़ा देती हैं जबकि ठंडी धाराऍं गर्म महासागरीय क्षेत्रों में तापमान को घटा देती हैं। गल्फ स्ट्रीम अमेरिका के पूर्वी तट तथा यूरोप के पश्चिमी तट के तापमान को बढ़ा देती है जबकि लेब्राडोर धारा उत्तरी अमेरिका के उत्तरी-पूर्वी तट के नजदीक के तापमान को कम कर देती है।