एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 9 सौर विकिरण ऊष्मा संतुलन एवं तापमान
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान के प्रश्न उत्तर अभ्यास के सवाल जवाब शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए संशोधित रूप में यहाँ से डाउनलोड किए जा सकते हैं। कक्षा 11 भूगोल पाठ 9 पुस्तक भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत के इकाई IV जलवायु के सभी उत्तर हिंदी और अंग्रेजी में यहाँ दिए गए हैं।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 भूगोल अध्याय 9
कक्षा 11 भूगोल अध्याय 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान के प्रश्न उत्तर
पृथ्वी का तापमान का असमान वितरण किस प्रकार जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है?
तापमान के असमान वितरण से मौसम और जलवायु प्रभावित होती है। जिस क्षेत्र में तापमान अधिक होता है उस क्षेत्र में हवाऍं कम तापमान वाले क्षेत्रों से चलती हैं। इसलिए विषुवतीय प्रदेशों से हवाऍं ऊपर उठ जाती हैं और हवाऍं अपने दोनों गोलार्धो में उतरती हैं। जिसके कारण वहॉं का वायुदाब अधिक हो जाता है। शीतऋतु में हवाऍं स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं। इसलिए ये हवाऍं प्राय: शुष्क होती हैं। ग्रीष्म ऋतु में हवाऍं समुद्र से स्थल की ओर चलती हैं इसलिए ये पवने आर्द्र होती हैं। तापमान का असमान वितरण वायु की उत्पत्ति का मुख्य कारण है। चक्रवात की उत्पत्ति भी तापमान के असमान वितरण के कारण होती है। इस तरह तापमान के असमान वितरण से मौसम और जलवायु प्रभावित होती है।
कक्षा 11 भूगोल अध्याय 9 बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्न में से किस आक्षांश पर 21 जून की दोपहर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है?
निम्न में से किन शहरों में दिन ज्यादा लंबा होता है?
निम्नलिखित में से किस प्रक्रिया द्वारा वायुमंडल मुख्यत: गर्म होता है।
पृथ्वी के विषुवत वृत्तीय क्षेत्रों की अपेक्षा उत्तरी गोलार्ध के उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों का तापमान अधिकतम होता है, इसका मुख्य कारण है:
वे कौन से कारक है, जो पृथ्वी पर तापमान के वितरण को प्रभावित करते हैं?
तापमान को प्रभावित करने वाले कारक आक्षांश, ऊॅंचाई, स्थल एवं जल, प्रचलित पवनें, महासागरीय धाराऍं आदि हैं:
- आक्षांश: अप्रैल से जून तक उत्तरी गोलार्ध में तथा दिसंबर से मार्च तक दक्षिण गोलार्द्ध में सूर्यातप अधिक रहता है तथा सिंतबर से मार्च महीने में विषुवत रेखा पर सूर्यातप अधिक रहता है।
- ऊँचाई: प्रत्येक 165 मीटर की ऊँचाई पर 10 सेटीग्रेड तापमान घट जाता है। इसलिए पर्वतीय भागों की अपेक्षा मैदानी भागों में तापमान अधिक मिलता है।
- स्थल व जल: जलीय भागों की अपेक्षा स्थलीय भागों में सूर्यातप अधिक देखने को मिलता है।
- प्रचलित पवनें: प्रचलित पवनें अपने क्षेत्रों में तापमान दशाओं को प्रभावित करती हैं। महासागरों की ओर से बहने वाले प्रचलित पवनें वहॉं के मृदु तापमान का प्रभाव समीपवर्ती स्थल पर लाती हैं।
- महासागरीय धाराऍं: गर्म धाराऍं समीपवर्ती ठंडे स्थल भाग का तापमान बढ़ा देती हैं और ठंडी धाराएं समीपवर्ती गर्म स्थल भाग का तापमान घटा देती हैं।
भारत में मई में तापमान सर्वाधिक होता है, लेकिन उत्तर अयंनात के बाद तापमान अधिकतम नहीं होता। क्यों?
भारत में मई में तापमान अधिकतम होने का मुख्य कारण सूर्य का उत्तरायण होना है। सूर्य उस समय कर्क रेखा पर लंबवत रूप से चमकता है और कर्क रेखा भारत के बीचों बीच से होकर गुज़रती है। लेकिन यह तापमान मई के अंत तक ही संपूर्ण भारत में अधिकतम रहता है। मई के अंत में मालाबार तट पर वर्षा की शुरूआत हो जाती है जिसके कारण दक्षिण भारत में तापमान में वृद्धि नहीं हो पाती है भले ही उत्तर भारत में तापमान में वृद्धि 21 जून के तक जारी रहती है। यहाँ पर जून के पहले सप्ताह में तापमान अधिकतम देखने को मिलता है।
साइबेरिया के मैदान में वार्षिक तापांतर सर्वाधिक होता है। क्यों?
साइबेरिया के मैदानी भाग समुद्र से बहुत दूर हैं और समुद्र से दूर वाले क्षेत्रों में विषम जलवायु पाई जाती है। साइबेरिया के मैदानी भाग में शीतऋतु में तापमान 18° से 48° सेंटीग्रेड तक रहता है लेकिन ग्रीष्म ऋतु का तापमान 20° सेल्सियस तक पाया जाता है। इस तरह से साइबेरिया के मैदानी भागों का वार्षिक तापांतर 68° सेटीग्रेड तक होता है जो बहुत अधिक है। इसका मुख्य कारण कोष्ण महासागरीय धाराएं गल्फ स्ट्रीम। अंधमहासागरीय ड्रिफ्ट की उत्पति से उत्तरी अंधमहासागर अधिक गर्म होता है तथा समताप रेखाएं उत्तर की तरह मुड जाती हैं। यह साइबेरिया के मैदान पर स्पष्ट होता है।
उन प्रक्रियाओ की व्याख्या करें, जिनके द्वारा पृथ्वी तथा इसका वायुमंडल ऊष्मा संतुलन बनाए रखते हैं।
पृथ्वी पर सूर्यातप असमान वितरण हैं। सूर्यातप के असमान वितरण के बावजूद वायुमंडल सूर्यातप की असमानता को कम देता है सूर्य पृथ्वी को गर्म करता है और पृथ्वी वायुमडल को गर्म करती है। प्रकृति संपूर्ण पृथ्वी पर संतुलन बनाए रखने के लिए ऐसी क्रियाविधि को जन्म देती है जिससे ऊष्मा का स्थानांतरण उष्णकटिबंध से उच्च अक्षांशों की ओर वायुमंडलीय परिसंचरण तथा महासागरीय धाराओं द्वारा संपन्न होता है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में अधिक गर्मी पड़ने के कारण वहॉं की वायु गर्म होकर ऊपर उठती है और उस खाली स्थान को भरने के लिए उपोष्ण कटिबंध से हवाऍं उष्णकटिबंध की ओर चलती हैं।
इससे उष्ण कटिबंध के तापमान में ज़्यादा वृद्धि नहीं हो पाती है। इसी तरह से उपोष्ण कटिबंध क्षेत्र में शीतोष्ण कटिबंध से हवाएँ चलकर इन क्षेत्रों के तापमान में संतुलन बनाती हैं। इसी तरह से वायुमंडल एक क्षेत्र के तापमान को ज़्यादा नही बढ़ने देती तथा शीत कटिबंधीय और शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में यदि गर्म महासागरीय धाराऍं चलती हैं तो ये धाराएं इन क्षेत्रों के तापमान को बढ़ा देती हैं। यदि उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में ठंडी धाराएं चलती हैं तो उन क्षेत्रों के तापमान को कम कर देती हैं। इस तरह पृथ्वी की महासागरीय धाराएं वायुमडल ताप को संतुलित करते हैं।