एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व भाग 1 पाठ 3 अभ्यास के प्रश्न उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए मुफ्त डाउनलोड यहाँ दिए गए हैं। प्रश्नों के उत्तर सरल तथा आसान भाषा में बनाए गए हैं तथा इसे विडियो के माध्यम से भी समझाया गया है। प्रश्न उत्तर हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में उपलब्ध हैं। कक्षा 12 राजनीति विज्ञान पाठ 3 के लिए पठन सामग्री भी डाउनलोड के लिए उपलब्ध है।
कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 3 एनसीईआरटी समाधान
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व
एनसीईआरटी कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 3 प्रश्न उत्तर
वर्चस्व के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है?
समकालीन विश्व व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
ऑपरेशन इराकी स्वतंत्रता के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
इस अभ्यास में वर्चस्व के तीन अर्थ बताए गए हैं। प्रत्येक का एक-एक उदाहरण बतायें। ये उदाहरण इस अध्याय में बताए गए उदाहरणों से अलग होने चाहिए।
अभ्यास में बताए गए तीन प्रकार के वर्चस्व के उदाहरण निम्नलिखित हैं
(i) आर्थिक वर्चस्व :- अमेरिकी डॉलर सबसे शक्तिशाली मुद्राओं में से एक है। विश्व के सभी संस्थानों में अमेरिका की एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
(ii) सैनिक वर्चस्व :- अमेरिका की सैन्य शक्ति विश्व में सबसे मजबूत है। संख्यात्मक तथा गुणात्मक दोनों रूपों में ही विश्व में अपना वर्चस्व बनाए हुए है।
(iii) सांस्कृतिक वर्चस्व :- अमेरिका की संस्कृति से बहुत से देश प्रभावित हुए हैं चाहे वह रहन-सहन का तरीका हो या जीवन-शैली।
उन तीन बातों का जिक्र करें जिससे साबित होता है कि शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद अमरीकी प्रभुत्व का स्वभाव बदला है और शीतयुद्ध के वर्षों के अमरीकी प्रभुत्व की तुलना में यह अलग है।
1991 में अमेरिकी वर्चस्व स्थापित हुआ जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोवियत संघ गिरने लगा। जब शीतयुद्ध समाप्त हुआ तब अमेरिका के वर्चस्व में सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक तथा संगठनात्मक शक्ति भी सम्मिलित थे। अमेरिका ने शीतयुद्ध के पश्चात् आतंकवाद की समस्या के खिलाफ भी अपनी ताकत का प्रयोग किया। प्रथम खाड़ी युद्ध में अमेरिका की सैन्य शक्ति तथा अन्य देशों के मध्य ताकत का अंतर पता चला। अमेरिका ने स्मार्ट बमों द्वारा कंप्यूटर युद्ध के लिए भी प्रेरित किया।
निम्नलिखित में मेल बैठायें:
स्तम्भ 1 | स्तम्भ 2 |
---|---|
(1) ऑपरेशन इनपफाइनाइट रीच | (क) तालिबान और अल-कायदा के खिलाफ जंग |
(2) ऑपरेशन इंड्यूरिंग फ्रीडम | (ख) इराक पर हमले के इच्छुक देशों का गठबंधन |
(3) ऑपरेशन डेजर्ट स्टार्म | (ग) सूडान पर मिसाइल से हमला |
(4) ऑपरेशन इराकी फ्रीडम | (घ) प्रथम खाड़ी युद्ध |
उत्तर:
स्तम्भ 1 | स्तम्भ 2 |
---|---|
(1) ऑपरेशन इनपफाइनाइट रीच | (ग) सूडान पर मिसाइल से हमला |
(2) ऑपरेशन इंड्यूरिंग फ्रीडम | (क) तालिबान और अल-कायदा के खिलाफ जंग |
(3) ऑपरेशन डेजर्ट स्टार्म | (घ) प्रथम खाड़ी युद्ध |
(4) ऑपरेशन इराकी फ्रीडम | (ख) इराक पर हमले के इच्छुक देशों का गठबंधन |
अमरीकी वर्चस्व की राह में कौन-से व्यवधान हैं। आपके जानते इनमें से कौन-सा व्यवधान आगामी दिनों में सबसे महत्वपूर्ण साबित होगा?
इतिहास बताता है कि साम्राज्यों का पतन उनकी अंदरूनी कमजोरियों के कारण होता है। ठीक इसी तरह अमेरिकी वर्चस्व की सबसे बड़ी बाधा खुद उसके वर्चस्व के भीतर मौजूद है। अमेरिकी शक्ति की राह में तीन अवरोध हैं। 11 दिसंबर 2001 की घटना के बाद सालों में ये व्यवधान निष्क्रिय से हो गये थे लेकिन बाद में धीरे-धीरे पुनः सामने आने लगे हैं। पहला व्यवधान स्वयं अमेरिकी की संस्थागत बनावट है। शासन के तीन अंगों के मध्य शक्ति का बँटवारा है। दूसरा व्यवधान है अमेरिका में जन-संचार के साधन समय-समय पर वहाँ के जनमत को खास दिशा में परिवर्तन करने की कोशिश करनी पड़ती है। परन्तु अमेरिकी राजनीतिक संस्कृति में शासन के उद्देश्य और तरीके को लेकर गहरे संदेह का भाव भरा है। तीसरा व्यवधान अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में आज सिर्फ एक संगठन है जो संभवतः अमेरिकी शक्ति पर लगाम लगा सकता है और इस संगठन का नाम है ‘नाटो’। इस बात से यह आशंका लगायी जा सकती है कि नाटो में सम्मिलित अन्य देश जो अमेरिका के साथी है वे उसके वर्चस्व पर लगाम लगा सकते हैं।
भारत-अमरीका समझौते से संबंधित बहस के तीन अंग इस अध्याय में दिए गए हैं। इन्हें पढ़े और किसी एक अंश को आधार मानकर पूरा भाषण तैयार करें जिसमें भारत-अमरीकी संबंध के बारे में किसी एक रूख का समर्थन किया गया हो।
मेरे मतानुसार यह कथन सत्य है। अमेरिका विश्व का सबसे शक्तिशाली देश है। जब अन्य शक्तिशाली तथा विससित देश अमेरिका को सीधे चुनौति नहीं दे सकते तो छोटे व कमजोर देश से उनके प्रतिरोध की अपेक्षा करना अवास्तविक है। प्रथम खाड़ी युद्ध में सैन्य क्षमता की बात हो या तकनीकि विकास की बात हो दोनों ही रूपों में अमेरिका विश्व में अग्रणी है। अमेरिका की शक्ति तथा वर्चस्व को किसी एक राष्ट्र द्वारा नहीं बल्कि एक वैश्विक संगठन द्वारा ही नियंत्रित किया जा सकता है।
“यदि बड़े और संसाधन संपन्न राज्य अमरीकी वर्चस्व का प्रतिकार नहीं कर सकते तो यह मानना अव्यावहारिक है कि अपेक्षाकृत छोटी और कमजोर राज्येत्तर संस्थाएँ अमरीकी वर्चस्व का कोई प्रतिरोध कर पाएंगी।” इस कथन की जाँच करें और अपनी राय बताएँ।
मेरे मतानुसार यह कथन सत्य है। अमेरिका विश्व का सबसे शक्तिशाली देश है। जब अन्य शक्तिशाली तथा विकसित देश अमेरिका को सीधे चुनौति नहीं दे सकते तो छोटे व कमजोर देश से उनके प्रतिरोध की अपेक्षा करना अवास्तविक है। प्रथम खाड़ी युद्ध में सैन्य क्षमता की बात हो या तकनीकि विकास की बात हो दोनों ही रूपों में अमेरिका विश्व में अग्रणी है। अमेरिका की शक्ति तथा वर्चस्व को किसी एक राष्ट्र द्वारा नहीं बल्कि एक वैश्विक संगठन द्वारा ही नियंत्रित किया जा सकता है।