एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 2 दो ध्रुवीयता का अंत
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 2 दो ध्रुवीयता का अंत भाग 1 पाठ 2 के सभी प्रश्न उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित रूप में यहाँ दिए गए हैं। विद्यार्थी 12वीं कक्षा के लिए राजनीति विज्ञान पाठ 2 के प्रश्न उत्तर यहाँ से निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। पूरे पाठ को विडियो के माध्यम से भी समझाया गया है। जिन छात्रों को पीडीएफ के माध्यम से समझने में दिक्कत आती हो वे विडियो के माध्यम से समझ सकते हैं।
कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 2 एनसीईआरटी समाधान
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 2 दो ध्रुवीयता का अंत
एनसीईआरटी कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 2 प्रश्न उत्तर
सोवियत अर्थव्यवस्था की प्रकृति के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है?
निम्नलिखित को कालक्रमानुसार सजाएँ?
निम्नलिखित में कौन-सा सोवियत संघ के विघटन का परिणाम नहीं है?
निम्नलिखित में मेल बैठाएं:
स्तम्भ 1 | स्तम्भ 2 |
---|---|
(1) मिखाइल गोर्बाचेव | (क) सोवियत संघ का उत्तराधिकारी |
(2) शॉक थेरेपी | (ख) सैन्य समझौता |
(3) रूस | (ग) सुधारों की शुरूआत |
(4) बोरिस येल्तसिन | (घ) आर्थिक मॉडल |
(5) वारसॉ | (ड) रूस के राष्ट्रपति |
उत्तर
स्तम्भ 1 | स्तम्भ 2 |
---|---|
(1) मिखाइल गोर्बाचेव | (ग) सुधारों की शुरूआत |
(2) शॉक थेरेपी | (घ) आर्थिक मॉडल |
(3) रूस | (ड) रूस के राष्ट्रपति |
(4) बोरिस येल्तसिन | (क) सोवियत संघ का उत्तराधिकारी |
(5) वारसॉ | (ख) सैन्य समझौता |
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
(क) सोवियत राजनीतिक प्रणाली ________ की विचारधारा पर आधारित थी।
(ख) सोवियत संघ द्वारा बनाया गया सैन्य गठबंधन _________ था।
(ग) ___________ पार्टी का सोवियत राजनीतिक व्यवस्था पर दबदबा था।
(घ) __________ ने 1985 में सोवियत संघ के सुधारों की शुरूआत की।
(ड) ____________ का गिरना शीतयुद्ध के अंत का प्रतीक था।
उत्तर:
(क) समाजवाद
(ख) वारसा पैक्ट
(ग) समाजवादी
(घ) मिखाइल गोर्बाचेव
(ड.) बर्लिन की दीवार
सोवियत अर्थव्यवस्था को किसी पूँजीवादी देश जैसे संयुक्त राज्य अमरीका की अर्थव्यवस्था से अलग करने वाली किन्हीं तीन विशेषताओं का जिक्र करें।
सोवियत संघ ने समाजवादी व्यवस्था को अपनाया तथा अमेरिका ने पूँजीवादी व्यवस्था को अपनाया। सोवियत अर्थव्यवस्था को पूँजीवादी देश जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था से अलग करने वाली तीन विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
i) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था वाले देशों के विपरीत सोवियत संघ में अर्थव्यवस्था योजनाबद्ध और राज्य के नियंत्रण में थी।
ii) पूँजीवादी देशों में निजीकरण को अपनाया गया जबकि सोवियत अर्थव्यवस्था के उत्पादन तथा वितरण के साधनों पर राज्य या सरकार का नियंत्रण था।
iii) सोवियत संघ केंद्रीयकृत थी जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था विकेंद्रीकृत थी।
किन बातों के कारण गोर्बाचेव सोवियत संघ में सुधार के लिए बाध्य हुए?
सन् 1985 में सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाईल गोर्बाचेव बने। उन्होंने सोवियत संघ में सुधार के लिए ग्लासनोस्त्र (खुलापन) तथा प्रेस्त्रोइका (पुनर्गठन) की नीति को अपनाया।
सोवियत संघ प्रशासनिक और राजनीतिक रूप से गतिरूद्ध हो चुका था। सोवियत संघ में नौकरशाही का प्रभाव बढ़ता जा रहा था और नौकरशाही के नियंत्रण में पूरी सोवियत प्रणाली फंस गई थी जो कि सत्तावादी थी, इस कारण लोगों का जीवन जीना कठिन हो गया था। गतिरूद्ध प्रशासन, भ्रष्टाचार, शासन में जनता पार्टी की भागीदारी का न होना, इन सभी बातों के कारण गोर्बचेव को सुधार करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
भारत जैसे देशों के लिए सोवियत संघ के विघटन के क्या परिणाम हुए?
भारत जैसे विकासशील देशों में सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख परिणाम इस प्रकार हैं:
बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत व अन्य विकासशील देशों में अनियंत्रित प्रवेश की सुविधा। भारत की विदेश नीति में परिवर्तन आया। 1981 में सोवियत संघ के विघटन के बाद अलग हुए राज्यों को भारत ने मान्यता दी तथा अपने अपने मैत्रीपूर्ण संबंध कायम रखे। भारत के रूस के साथ भी गहरे संबंध बने। रूस और भारत दोनों का सपना बहुध्रुवीय विश्वास का था।
सोवियत संघ के विघटन के बाद भारत को यह उम्मीद थी कि अंतर्राष्ट्रीय तनाव एवं संघर्ष की समाप्ति हो जाएगी और हथियारों की दौड़ पर अंकुश लगेगा। भारत, रूस के लिए हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा खरीददार देश बना। भारत तथा रूस विभिन्न परियोजनाओं में साझीदार है। निष्कर्षतः सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् भारत ने अपनी विदेश नीति में परिवर्तन करके भारत के हितों की पूर्ति एवं अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि को और अधिक सुधारा।
शॉक थेरेपी क्या थी? क्या साम्यवाद से पूँजीवाद की तरफ संक्रमण का यह सबसे बेहतर तरीका था?
शॉक थेरेपी – इसका शाब्दिक अर्थ है आघात पहुँचाकर उपचार करना। साम्यवाद के पतन के बाद सोवियत संघ के गणराज्यों को विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित साम्यवाद से पूँजीवाद की ओर संक्रमण (परिवर्तन) के मॉडल को अपनाने को कहा गया। इसे ही शॉक थेरेपी कहते हैं। प्रत्येक देश पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की ओर पूरी तरह मुड़ना चाहता था। अर्थात् सोवियत संघ के दौरे की हर संरचना में पूरी तरह मूक्ति पाना। शॉक थेरेपी की सर्वोपरि मान्यता थी कि मिल्कियत का सबसे प्रभावी रूप निजी स्वामित्व होगा। शॉक थेरेपी के कारण अर्थव्यवस्थाओं के बाहरी व्यवस्थाओं के प्रति बुनियादी तौर पर परिवर्तित हो गए। इस कारण मुक्त व्यापार को पूर्ण रूप से अपनाना आवश्यक माना गया। अब यह स्वीकार कर लिया गया कि अधिक-से-अधिक व्यापार करके ही विकास किया जा सकता है।
निम्नलिखित कथन के पक्ष या विपक्ष में एक लेख लिखें – “दूसरी दुनिया के विघटन के बाद भारत को अपनी विदेश नीति बदलनी चाहिए और रूस जैसे परंपरागत मित्र की जगह संयुक्त राज्य अमेरीका से दोस्ती करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।”
पक्ष में तर्क:
1. सेवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका ही महाशक्ति के रूप में रह गया है। सुरक्षा के लिए हमें अमेरिकी गुट में चले जाना चाहिए।
2. अमेरिका की अर्थव्यवस्था अच्छी है और साथ ही परमाणु हथियार की दृष्टि से भी ये संपन्न है।
विपक्ष में तर्क:
सोवियत संघ ने 1947 में स्वतंत्रता के पश्चात् भारत के आर्थिक तथा तकनीकि विकास में बहुत मदद की। भारत को अंतरिक्ष में पहुँचाने के लिए सोविसत संघ ने तकनीकि सहायता की। ‘आर्यभट्ट’ और ‘ऐपल’ इस मित्रता के प्रतीक हैं।