कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 8 एनसीईआरटी समाधान – पादप में जनन

कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 8 पादप में जनन एनसीईआरटी समाधान – सलूशन, नोट्स, पाठ के प्रश्न उत्तर, वस्तुनिष्ठ प्रश्न, रिक्त स्थान भरो, आदि प्रश्नों के उत्तर तथा पठन सामाग्री सीबीएसई शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। छात्र छात्राएँ इसे तिवारी अकादमी से निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं या फिर कक्षा 7 विज्ञान समाधान ऐप डाउनलोड करके ऑफलाइन सलूशन भी प्राप्त कर सकते हैं। 7वीं विज्ञान अध्याय 8 पर आधारित पठन सामाग्री भी दी गई है जो विद्यार्थियों को उनकी परीक्षा में मदद करती है।

जीवों में प्रजनन की मुख्य विधियाँ कौन कौन सी हैं?

प्रजनन की सामान्यतया दो विधियाँ होती हैं:

    • 1. अलैंगिक प्रजनन: इसमें केवल एकल जनक द्वारा ही नए जीव की उत्पत्ति हो जाती है अर्थात्‌ दोनों लिंगों की आवश्यकता नहीं होती है। जीव, जैसे अमीबा, पैरामीशियम, यीस्ट, हाइड्रा आदि अलैंगिक विधि द्वारा प्रजनन करते हैं।
    • 2. लैंगिक प्रजनन: इसमें अपने जैसे नए जीवों की उत्पत्ति के लिए दोनों – नर तथा मादा, जनकों की आवश्यकता होती है। मेंढक, मछली, पक्षी, स्तनधारी आदि जीव प्रजनन की लैंगिक विधि द्वारा प्रजनन करते हैं।

कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 8 के लिए अतिरिक्त प्रश्न

विखंडन से आप क्या समझते हैं?

विखंडन में जनक जीव दो या अधिक टुकड़ों मे टूट जाता है, जो नए जीवों में परिवर्तित हो जाते हैं। यह विधि एल्गी, स्पाइरोगाइरा, फ्लैटवॉर्म आदि में देखी जा सकती है।

संयुग्मन से किस प्रकार के जीवों मे जनन होता है?

एक-कोशिकीय जंतुओं जैसे अमीबा, पैरामीशियम, बैक्टीरिया आदि में कोशिका, विभाजन द्‌वारा दो बराबर भागों में विभाजित हो जाती है। केन्द्रक सर्वप्रथम विभाजित होता है और उसके पश्चात जीवद्रव्य का विभाजन होता है। ये विकसित तथा परिपक्व हो जाने पर पूर्ण जीवों में परिवर्तित हो जाते हैं।

बीजाणु निर्माण से जनन करने वाले जीव कौन से हैं?

बीजाणु निर्माण को, सर्वोत्तम रूप में, डबलरोटी फफूँद में देखा जा सकता है। अन्य कुछ उदाहरण, जहाँ बीजाणु निर्माण देखा जा सकता है, फर्न (मितद), मॉस तथा अन्य निम्न जीव हैं। बीजाणु छोटे, एक- कोशिकीय प्रजनन संरचनाएँ हैं जिनमें मोटी दीवारें होती हैं। इनकी, उपयुक्त अध:स्तर पर, अनुकूल परिस्थितियों में दीवारें टूट जाती हैं ंतथा बीजाणु अंकुरण द्‌वारा नए जीवों की उत्पत्ति करते है।

मुकुलन से जीव अपने जैसे ही जीवों को किस प्रकार उत्पन्न करते हैं?

कुछ जीवों के शरीर पर अलैंगिक प्रजनन के लिए कंद के समान रचना के रूप में उत्पन्न होती है। हाइड्रा तथा यीस्ट, मुकुलन द्‌वारा प्रजनन करते हैं। जनक केन्द्रक दो केन्द्रिकाओं में बँट जाता है, एक केन्द्रिका में प्रवेश कर लेती है। यह मुकुल परिपक्व होने पर जनक शरीर से पृथक हो जाती है अथवा फिर भी उससे जुड़ी रहती है। यीस्ट में जनक यीस्ट कोशिका पर मुकुल की कतार तथा कॉलोनी निर्मित हो जाती है।

वर्धी प्रजनन क्या है?

प्रजनन अंगों की भागीदारी के बिना होने वाला प्रजनन, वर्धी प्रजनन कहलाता है। नए पौधे पत्तियों, तनों, जनक पौधों की जड़ों आदि से विकसित हो सकते हैं। उदाहरणतया- गुलाब, आलू, पोदीना, अदरक, गन्ना आदि।

कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 8 के प्रश्न उत्तर विस्तार से

कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 8 के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए। प्रत्येक का उदाहरण दीजिए।

अलैंगिक जनन में पादप बिना बीजों के ही नए पादप को उत्पन्न कर सकते हैं। इसकी विभिन्न विधियाँ निम्नलिखित हैं:

    • कायिक प्रवर्धन: इस प्रकार के अलैंगिक जनन में पादप के मूल, तने, पत्ती अथवा कली (मुकुल) जैसे किसी कायिक अंग द्वारा नया पादप प्राप्त किया जाता है। उदाहरण: गुलाब, ब्रयोफिलम, आलू, अदरक आदि।
    • मुकुलन: इस विधि में कोशिका में बहार की ओर छोटे बल्ब जैसा प्रवर्ध मुकुल या कली बनती है। जो क्रमशः वृद्धि करता है और जनक कोशिका से अलग होकर नए जीव में परिवर्तित हो जाता है। उदाहरण: यीस्ट।
    • खंडन: इस विधि में जीव दो या दो से अधिक खंडों में विखंडित हो जाते हैं। ये खंड अथवा टुकड़े वृद्धि करके नए जीवों में परिवर्तित हो जाते हैं। उदाहरण: शैवाल, कवक आदि।
    • बीजाणु निर्माण: कुछ जीव बहुत अधिक बीजाणुओं का निर्माण करते हैं जो निर्मुक्त होते हैं और हवा में तैरते रहते हैं। हल्के होने के कारण ये लंबी दूरी तक जा सकते हैं। ये बीजाणु उच्च ताप तथा निम्न आर्द्रता जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों को भी सह सकते हैं। अनुकूल परिस्थितियों में बीजाणु अंकुरित हो जाते हैं और नए जीव में विकसित हो जाते हैं। उदाहरण: कवक, फर्न आदि।
पादपों में लैंगिक जनन के प्रक्रम को समझाइए।

लैंगिक जनन में दो जनक होते हैं नर और मादा। नर और मादा युग्मकों के युग्मन से युग्मनज़ बनता है जो बाद में एक नए जीव में परिवर्तित हो जाता है।

अलैंगिक और लैंगिक जनन के बीच प्रमुख अंतर बताइए।

अलैंगिक जनन
1. केवल एक जनक की आवश्यकता होती है।
2. नए जीव सामान्यतः जनक जीव के समान होती है।
3. हाइड्रा, स्पाइरोगाएरा आदि अलैंगिक प्रजनन दिखाते हैं।
लैंगिक जनन
1. नर और मादा दोनों जनक की आवश्यकता होती है।
2. नए जीव दोनों जनक जीवों के गुणों से संपन्न होते हैं।
3. मानव, कीड़े तथा जानवर आदि लैंगिक प्रजनन दिखाते हैं।

स्व-परागण और पर-परागण के बीच अंतर बताइए।

स्व-परागण
1. वर्तिकाग्र पर उसी फूल के परागकण स्थानांतरित होते हैं।
2. परागण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
3. उदाहरण: मूंगफली, सूरजमुखी आदि।
पर-परागण
1. पराग कणों को विभिन्न फूलों के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित किया जाता है।
2. परागण के लिए हवा, पानी, कीड़े आदि माध्यमों की आवश्यकता होती है।
3. उदाहरण: आम, गुलाब और फूलों के अधिकांश पौधे।

पुष्पों में निषेचन का प्रक्रम किस प्रकार संपन्न होता है।

परागण द्वारा परागकण उपयुक्त वर्तिकाग्र तक पहुँच जाते हैं। इसके पश्चात नर युग्मक का अंडाशय में स्थित मादा युग्मक तक पहुँचना निषेचन कहलाता है। इसके लिए परागकण से एक नलिका विकसित होती है जो वर्तिका से होती हुई बीजांड तक पहुँचती है।

बीजों के प्रकीर्णन की विधियों का वर्णन कीजिए।

बीजों के प्रकीर्णन के विभिन्न तरीके निम्नलिखित हैं:

    1. हवा द्वारा: कुछ पौधों के बीज हल्के वजन के होते हैं और उनपर कुछ बाल जैसी या पंख जैसी संरचनाएँ मौजूद होती हैं। इस तरह के बीज हवा में उड़ते हुए दूर तक फ़ैल जाते हैं। उदाहरण: सेहिजन, द्विफल, सूरजमुखी, मदार आदि के बीज।
    2. पानी द्वारा: पानी से बीजों का प्रकीर्णन मुख्यतः जलीय पौधों या जल निकाय के पास बढ़ने वाले पौधों में होता है। उदाहरण के लिए नारियल के बीज में एक सख्त रेशेदार आवरण होता है जिसके अंदर बहुत हवा होती है। यह नारियल के बीज को पानी पर तैरने में मदद करता है।
    3. जानवरों द्वारा: कुछ बीजों पर काँटेदार हुक की तरह संरचना होती है। वे जानवरों के शरीर से चिपक जाते हैं और विभिन्न स्थानों पर फैल जाते हैं। उदाहरण के लिए यूरेना, जैन्थियम आदि। कुछ बीज फलों के साथ पक्षियों और जानवरों द्वारा निगल लिया जाता है। बाद में ये बीज पक्षी या जानवरों द्वारा कहीं और गिराने से फैल जाते हैं।
    4. फटने के कारण: परिपक्व होने पर कुछ फल झटके के साथ फट जाते हैं। फटने के कारण उसके अंदर स्थित बीज प्रकीर्णित हो जाते हैं। उदाहरण; भिंडी, अरंडी, बालसम, आदि।
    5. मनुष्यों द्वारा: मनुष्य बीज के फैलाव में भी मदद करता है। खासकर खेती के दौरान।

वर्धी प्रजनन की कृत्रिम विधियाँ कौन कौन सी हैं?

वर्धी प्रजनन की कृत्रिम विधियाँ:
वर्घी प्रजनन की कृत्रिम विधियाँ इस प्रकार हैं:

    1. कलम
    2. दाब-कलम
    3. रोपण
    4. उतक संवर्धन

मनुष्य ने ही इन विधियों को विकसित किया है क्योंकि ये विधियाँ पौधों की संख्या को बढ़ाने तथा प्रजनन के लिए सरल, तीव्र
तथा सस्ती होती हैं। इन विधियों द्‌वारा जनकों के लक्षण भी संरक्षित हो जाते है तथा ये प्राकृतिक कारकों पर भी आश्रित नहीं
होते हैं।

उतक संवर्धन क्रिया विधि

उतकों का संवर्धन कृत्रिम रूप से, नियंत्रित परिस्थितियों में, प्रयोगशालाओं में संपन्न किया जा सकता है। उतक की कोशिकाएँ विभाजन द्‌वारा कोशिकाओं के समूह, जिसे कैलस कहते हैं, का निर्माण करती हैं। यह कोशिकाओं का अव्यवस्थित समूह एक अन्य पोषण माध्यम में स्थानान्तरित हो जाता है जिसमें वह जड़ तथा तने का निर्माण करना आरंभ कर देता है। इन छोटे पौधों को नए पौधों में विकसित होने के लिए नम मिट्‌टी में स्थानान्तरित कर दिया जाता है। पौधो जैसे गुलदावदरी ऑर्किण्ड, एस्पैरेगस इस विधि द्‌वारा उत्पन्नन किए जाते हैं।

परागण किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?

पराग कणों का परागकोश से किसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर अथवा उसी पौधे के अन्य पुष्पों के वर्तिकाग्र पर पहुँचने को स्वपरागण
कहते हैं। जब परागकण एक पादप के पुष्प से दूसरे पादप के कर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं तो उसे पर-परागण कहते हैं। परागकण एक सुरक्षात्मक आवरण से ढके रहते हैं जो उन्हें शुष्क होने से बचाता है। विभिन्न माध्यमों पर आधारित परागण के विभिन्न प्रकार हो सकते हैं:

    • कीट परागण: जंतु जैसे कीट, पक्षी तथा अन्य जंतु परागण में सहायक होते हैं। फूलों का रस चूसने के लिए कीट पुष्पों पर बैठते हैं। रस, एक मीठा चीनी युक्त पदार्थ होता है। उसी समय, पराग कीट के शरीर से चिपक जाता हैं जो उसी विशिष्ट जाति के किसी अन्य पुष्प पर गिर जाता है। ऐसे, कीटों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए रंग-बिरंगे तथा आकर्षक होते हैं।
    • वायु-परागण: वायु-परागण वाले पुष्प छोटे तथा हल्के होते हैं जिनमें कोई रस नहीं होता है। पराग वायु द्‌वारा एक ही जाति के पुष्प से अन्य पुष्प तक पहुँच जाते हैं। पौधों जैसे मक्का, घास, गेहूँ आदि में वायु-परागण होता है।
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