एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 भूगोल अध्याय 6
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 6 जनसंख्या के प्रश्न उत्तर तथा पाठ की बीच में दिए तथ्यों पर आधारित प्रश्न तथा उनके उत्तर विद्यार्थी यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 9 भूगोल – समकालीन भारत के सभी प्रश्न उत्तर शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए तैयार किए गए हैं। प्रत्येक उत्तर को सरल तरीके से बनाया गया गया है ताकि विद्यार्थियों को इसे याद करने में कोई परेशानी न हो। मोबाइल से पढने वाले छात्र-छात्राएँ तिवारी अकादमी मोबाइल ऐप मुफ़्त डाउनलोड कर सकते हैं जो प्ले स्टोर तथा ऐप स्टोर पर उबलब्ध है।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 6 जनसंख्या
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 भूगोल अध्याय 6
निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में प्रवास, आबादी की संख्या, वितरण एवं संरचना में परिवर्तन लाता है
जनसंख्या में बच्चों का एक बहुत बड़ा अनुपात निम्नलिखित में से किसका परिणाम है
निम्नलिखित में से कौन-सा एक जनसंख्या वृद्धि का परिणाम दर्शाता है
2011 की जनगणना के अनुसार एक ‘साक्षर’ व्यक्ति वह है
कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 6 के प्रश्न उत्तर
जनसंख्या वृद्धि के महत्वपूर्ण घटकों की व्याख्या करें।
परिवार नियोजन कार्यक्रम ने छोटे परिवार के आकार के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद की। इसने 1981 से भारत में जनसंख्या वृद्धि की दर को कम करने में मदद की।
1981 से भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर क्यों घट रही है?
जन्म दर, मृत्यु दर और प्रवास जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख घटक हैं। एक उच्च जन्म दर; कम मृत्यु दर के साथ युग्मित होने से जनसंख्या वृद्धि होती है। अंतर्राष्ट्रीय प्रवास से जनसंख्या में वृद्धि हो सकती है और अधिक संख्या में लोग दूसरे देशों से आ रहे हैं जो देश के बाहर जा रहे लोगों की संख्या से अधिक है।
आयु संरचना, जन्म दर एवं मृत्यु दर को परिभाषित करें।
आयु संरचना: जनसंख्या में विभिन्न आयु समूहों के सापेक्ष प्रतिशत को जनसंख्या की आयु संरचना कहा जाता है। आयु समूह को आमतौर पर बच्चों (14 साल तक), कामकाजी उम्र (15 – 59 वर्ष) और वृद्ध (60 वर्ष और अधिक) में विभाजित किया जाता है।
मृत्यु दर: प्रति 1000 व्यक्तियों पर मृत्यु की संख्या को मृत्यु दर कहा जाता है।
जन्म दर: प्रति 1000 व्यक्तियों पर जीवित जन्म की संख्या को जन्म दर कहा जाता है।
प्रवास, जनसंख्या परिवर्तन का एक कारक क्यों है?
देश के भीतर प्रवासन को आंतरिक प्रवास कहा जाता है, जबकि दो देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय प्रवास कहा जाता है। आंतरिक प्रवास का जनसंख्या के आकार में कोई परिवर्तन नहीं है, लेकिन यह किसी विशेष क्षेत्र की जनसंख्या संरचना को बदलता है। अंतर्राष्ट्रीय प्रवास से जनसंख्या में वृद्धि या गिरावट हो सकती है; आव्रजन और उत्प्रवास की डिग्री के आधार पर।
जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या परिवर्तन के बीच अंतर स्पष्ट करें।
जनसंख्या वृद्धि: जनसंख्या में वृद्धि या कमी के बारे में है।
जनसंख्या परिवर्तन: जनसंख्या संरचना में परिवर्तन के बारे में है; जैसे-आयु संरचना, लिंग अनुपात, साक्षरता दर, व्यावसायिक संरचना आदि।
व्यावसायिक संरचना एवं विकास के बीच क्या संबंध है?
व्यावसायिक संरचना किसी देश के विकास को बहुत प्रभावित करती है। भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी रोजगार के लिए प्राथमिक क्षेत्र पर निर्भर है; जो भारत में विकास की कमी का एक कारण है। विकसित राष्ट्रों के उदाहरणों से पता चलता है कि जब आबादी का एक बड़ा हिस्सा माध्यमिक और तृतीयक गतिविधियों में संलग्न होता है, तो यह उचित विकास की ओर जाता है।
स्वस्थ जनसंख्या कैसे लाभकारी है?
एक स्वस्थ आबादी देश के लिए एक उत्पादक कार्यबल बनाने में मदद करती है। यहां तक कि स्वास्थ्य के बोझ को कम करने के लिए गैर-उत्पादक आयु वर्ग को स्वस्थ रहने की आवश्यकता है। स्वस्थ बच्चे स्वस्थ वयस्कों में विकसित होंगे और अर्थव्यवस्था में बेहतर योगदान देने में सक्षम होंगे। स्वस्थ बुजुर्गों का मतलब संसाधनों पर कम दबाव होगा।
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 200 ने किशोरों की आबादी पर विशेष जोर दिया है। किशोरों की विशेष पोषण संबंधी आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाता है। अवांछित गर्भधारण, बाल विवाह, असुरक्षित यौन संबंध के जोखिम आदि के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
कक्षा 9 भूगोल अध्याय 6 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर
एक देश के लिए उसकी जनसँख्या का क्या महत्त्व है?
मानव पृथ्वी के संसाधनों का उत्पादन एवं उपभोग करता है। इसलिए यह जानना आवश्यक है कि एक देश में कितने लोग निवास करते हैं, वे कहाँ एवं कैसे रहते हैं, उनकी संख्याओं में वृद्धि क्यों हो रही है तथा उनकी कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं। इसलिए, सामाजिक अध्ययन में जनसंख्या एक आधारी तत्त्व है। यह एक संदर्भ बिंदु है जिससे दूसरे तत्त्वों का अवलोकन किया जाता है तथा उसके अर्थ एवं महत्त्व ज्ञात किए जाते हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या कितनी थी? विभिन्न राज्यों में जनसँख्या का वितरण किस प्रकार है?
भारत की जनसंख्या का आकार एवं संख्या के आधार पर वितरण मार्च 2011 तक भारत की जनसंख्या 12ए106 लाख थी, जो कि विश्व की कुल जनसंख्या का 17.5 प्रतिशत थी। यह 12.1 करोड़ लोग भारत के 32.8 लाख वर्ग कि॰ मी॰ (विश्व के स्थलीय भूभाग का 2.4 प्रतिशत) के विशाल क्षेत्र में असमान रूप से वितरित हुए हैं 2011 की जनगणना के अनुसार देश की सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश है जहाँ की कुल आबादी 1,990 लाख है। उत्तर प्रदेश में देश की कुल जनसंख्या का 16 प्रतिशत हिस्सा निवास करता है। दूसरी ओर हिमालय क्षेत्र के राज्य, सिक्किम की आबादी
केवल 6 लाख ही है तथा लक्षद्वीप में केवल 64,429 हजार लोग निवास करते हैं।
जनसँख्या घनत्व क्या है? घनत्व के आधार पर भारत की जनसँख्या का वितरण किस प्रकार है?
घनत्व के आधार पर भारत में जनसंख्या वितरण जनसंख्या घनत्व, असमान वितरण का बेहतर चित्र प्रस्तुत करता है। प्रति इकाई क्षेत्रफल में रहने वाले लोगों की संख्या को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। भारत विश्व के घनी आबादी वाले देशों में से एक है। 2011 में भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि॰मी॰ था। जहाँ बिहार का जनसंख्या घनत्व 1,102 व्यक्ति प्रति वर्ग कि॰मी॰ है, वहीं अरुणाचल प्रदेश में यह 17 व्यक्ति प्रति वर्ग कि॰मी॰ है।
भारत की जनसँख्या वृद्धि की प्रक्रिया को किस प्रकार वर्णित किया जा सकता है?
जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या परिवर्तन की प्रक्रिया जनसंख्या एक परिवर्तनशील प्रक्रिया है। आबादी की संख्या, वितरण एवं संघटन में लगातार परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन तीन प्रक्रियाओं- जन्म, मृत्यु एवं प्रवास के आपसी संयोजन के प्रभाव के कारण होता है। जनसंख्या वृद्धि का अर्थ होता है, किसी विशेष समय अंतराल में, जैसे 10 वर्षों के भीतर, किसी देश/राज्य के निवासियों की संख्या में परिवर्तन। इस प्रकार के परिवर्तन को दो प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है। पहला, सापेक्ष वृद्धि तथा दूसरा, प्रति वर्ष होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के द्वारा।
किसी राष्ट्र की जनसंख्या का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता है?
किसी राष्ट्र की आबादी को सामान्यत: तीन वर्गों में बाँटा जाता है :
बच्चे (सामान्यत: 15 वर्ष से कम): ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील नहीं होते हैं तथा इनको भोजन, वस्त्र एवं स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएँ उपलब्ध कराने की आवश्यकता होती है।
वयस्क (15 से 59 वर्ष): ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील तथा जैविक रूप से प्रजननशील होते हैं। यह जनसंख्या का कार्यशील वर्ग है।
वृद्ध (59 वर्ष से अधिक): ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील या अवकाश पा्रप्त हो सकते हैं। ये स्वैच्छिक रूप से कार्य कर सकते हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया के द्वारा इनकी नियुक्ति नहीं होती है।
लिंग अनुपात से क्या तात्पर्य है? हमारे देश में लिंगानुपात की क्या स्थिति है?
प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या को लिंग अनुपात कहा जाता है। यह जानकारी किसी दिए गए समय में, समाज में पुरुषों एवं महिलाओं के बीच समानता की सीमा मापने के लिए एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक सूचक है। सन् 1951 में लिंग अनुपात 946 था जो 2011 में घटकर 943 रह गया।
देश के विभिन्न राज्यों में लिंग अनुपात कैसे है? लिंग अनुपात के अनुसार सबसे अच्छी और सबसे खराब स्थिति किs राज्य की है?
केरल में प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1,084 है, पुडुच्चेरी में प्रति 1,000 पर 1,038 है, जबकि दिल्ली में प्रति 1,000 पर 866 तथा हरियाणा में प्रति 1,000 पर केवल 877 है। सिक्किम में प्रति 1,000 पर केवल 809 है जो कि सबसे कम है। केरल का स्थान सबसे ऊपर है।
किसी राष्ट्र के लिए साक्षरता का क्या महत्व है? भारत में साक्षरता की स्थिति कैसी है?
साक्षरता किसी जनसंख्या का बहुत ही महत्त्वपूर्ण गुण है। स्पष्टत: केवल एक शिक्षित और जागरूक नागरिक ही बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय ले सकता है तथा शोध एवं विकास के कार्य कर सकता है। साक्षरता स्तर में कमी आर्थिक प्रगति में एक गंभीर बाधा है। 2011 की जनगणना के अनुसार एक व्यक्ति जिसकी आयु 7 वर्ष या उससे अधिक है जो किसी भी भाषा को समझकर लिख या पढ़ सकता है उसे साक्षर की श्रेणी में रखा जाता है। भारत की साक्षरता के स्तर में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। 2011 की जनगणना के अनुसार देश की साक्षरता दर 73 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर
80.9 प्रतिशत एवं महिलाओं की 64.6 प्रतिशत है।
व्यावसायिक संरचना का आधार क्या है?
आर्थिक रूप से क्रियाशील जनसंख्या का प्रतिशत, विकास का एक महत्त्वपूर्ण सूचक होता है। विभिन्न प्रकार के व्यवसायों के अनुसार किए गए जनसंख्या के वितरण को व्यावसायिक संरचना कहा जाता है। किसी भी देश में विभिन्न व्यवसायों को करने वाले भिन्न-भिन्न लोग होते हैं। व्यवसायों को सामान्यत: प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।
- प्राथमिक : इनमें कृषि, पशुपालन, वृक्षारोपण एवं मछली पालन तथा खनन आदि क्रियाएँ शामिल हैं।
- द्वितीयक: क्रियाकलापों में उत्पादन करने वाले उद्योग, भवन एवं निर्माण कार्य आते हैं।
- तृतीयक: क्रियाकलापों में परिवहन, संचार, वाणिज्य, प्रशासन तथा सेवाएँ शामिल हैं।
जनसँख्या के अनुसार भारत का व्यावसायिक वितरण किस प्रकार का है?
भारत में कुल जनसंख्या का 64 प्रतिशत भाग केवल कृषि कार्य करता है। द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों मे कार्यरत लोगों की संख्या का अनुपात क्रमश: 13 तथा 20 प्रतिशत है। वर्तमान समय में बढ़ते हुए औद्योगीकरण एवं शहरीकरण में वृद्धि होने के कारण द्वितीय एवं तृतीय क्षेत्रों में व्यावसायिक परिवर्तन हुआ है।