एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 भूगोल अध्याय 3

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 3 अपवाह के प्रश्न उत्तर तथा पाठ 3 पर आधारित अतिरिक्त महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। कक्षा 9 भूगोल के पाठ 3 में हम अपवाह तंत्र के बारे में पढ़ते हैं और साथ ही साथ यह जानने की कोशिक भी करेंगे कि इसे और अच्छा कैसे बनाया जा सकता है। तिवारी अकादमी वेबसाइट तथा ऐप दोनों से ही कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान भूगोल के पीडीएफ को प्राप्त किया जा सकता है।

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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 भूगोल अध्याय 3

कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 3 के प्रश्न उत्तर

जल विभाजक का क्या कार्य है? एक उदाहरण दीजिए।

किसी भी उच्चभूमि या पहाड़ से दो अलग-अलग जल निकासी घाटियों को अलग करने को पानी के विभाजन के रूप में जाना जाता है। हालांकि सिंधु, सतलज और ब्रह्मपुत्र नदियां मानसरोवर झील के पास एक-दूसरे के बहुत करीब हैं, लेकिन जल विभाजन के कारण वे अलग-अलग दिशाओं में बहती हैं।

भारत में सबसे विशाल नदी द्रोणी कौन-सी है?

गंगा द्रोणी भारत का सबसे विशाल नदी द्रोणी है।

सिंधु एवं गंगा नदियाँ कहाँ से निकलती हैं?

सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत में मानसरोवर झील के पास है जबकि गंगा नदी का उद्गम उत्तरांचल के गंगोत्री हिमानी से निकलती है जो हिमालय की दक्षिण ढलान पर स्थित है।

गंगा की दो मुख्य धाराओं के नाम लिखिए? ये कहाँ पर एक-दूसरे से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती है?

अलकनंदा और भागीरथी गंगा की दो प्रमुख धाराएँ हैं। वे देवप्रयाग में मिलते हैं।

लंबी धारा होने के बावजूद तिब्बत के क्षेत्रों में ब्रह्मपुत्र में काम गाद (सिल्ट) क्यों है?

ब्रह्मपुत्र नदी, जिसे तिब्बत में त्सांगपो के नाम से जाना जाता है, तिब्बत में बहुत कम मात्रा में पानी प्राप्त करती है; यह वहाँ बहुत कम गाद है। दूसरी ओर, यह नदी जब भारत में प्रवेश करती है तो यह ऐसे क्षेत्र से गुजरती है जहां भारी वर्षा होती है। भारत में यह बड़ी मात्रा में पानी और बड़ी मात्रा में गाद प्राप्त करती है।

कौन-सी दो प्रायद्वीपीय नदियां गर्त से होकर बहती हैं? समुद्र में प्रवेश करने के पहले वे किस प्रकार की आकृतियों का निर्माण करती हैं?

नर्मदा और तापी दो प्रायद्वीपीय नदियाँ हैं जो गर्त से होकर बहती हैं तथा ज्वारनदमुख का निर्माण करती हैं।

नदियों तथा झीलों के कुछ आर्थिक महत्त्व को बताएँ।

झील का उपयोग जलविद्युत उत्पादन के लिए किया जा सकता है। एक झील एक अच्छा पर्यटक आकर्षण हो सकता है। प्राचीन काल से ही नदियां मानव सभ्यता का केंद्र रही हैं। आज भी, कई बड़े शहर एक नदी के किनारे स्थित हैं। नदी के पानी का उपयोग सिंचाई, नेविगेशन, जलविद्युत, मत्स्य पालन आदि के लिए किया जाता है।

किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए नदियाँ महत्वपूर्ण क्यों हैं?

देश की अर्थव्यवस्था के लिए नदियाँ अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। निम्नलिखित कुछ बिंदु हैं जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए नदियों के महत्व को इंगित करते हैं:

    • नदियों में प्राकृतिक ताजा (मीठा) पानी होता है जो मनुष्य सहित अधिकांश जानवरों के अस्तित्व के लिए आवश्यक है।
    • वे सिंचाई और खेती के लिए पानी उपलब्ध कराते हैं।
    • वे मिट्टी को समृद्ध और कृषि योग्य बनाते हैं जिससे बिना अधिक मेहनत के इस पर खेती की जा सके।
    • नौचालनऔर परिवहन के लिए उपयोग किया जाता है, वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है।
    • समुद्र के किनारे का अनुमान है, जहां महासागरों के नमकीन पानी के साथ मीठा पानी स्वतंत्र रूप से मिश्रित होता है, यह दुनिया के सबसे जैविक रूप से उत्पादक क्षेत्र में से एक साबित हुआ है।
    • जल विद्युत उत्पादन के लिए नदियों का उपयोग किया जाता रहा है।
    • कुछ झीलें भी महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं। डल झील, नैनीताल आदि।

कक्षा 9 भूगोल अध्याय 3 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर

अपवाह तंत्र किसे कहते हैं?

अपवाह शब्द एक क्षेत्र के नदी तंत्र की व्याख्या करता है। एक नदी तंत्र द्वारा जिस क्षेत्र का जल प्रवाहित होता है उसे एक अपवाह द्रोणी कहते हैं। मानचित्र का अवलोकन करने पर यह पता चलता है कि कोई भी ऊँचा क्षेत्र, जैसे पर्वत या उच्च भूमि दो पड़ोसी अपवाह द्रोणियों को एक दूसरे से अलग करती है। इस प्रकार की उच्च भूमि को जल विभाजक कहते हैं।

भारत के अपवाह तंत्र का नियंत्रण कैसे होगा है?

भारत के अपवाह तंत्र का नियंत्रण मुख्यत: भौगोलिक आकृतियों के द्वारा होता है। इस आधार पर भारतीय नदियों को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया गया है:

    • क. हिमालय की नदियाँ तथा
    • ख. प्रायद्वीपीय नदियाँ

भारत के दो मुख्य भौगोलिक क्षेत्रों से उत्पन्न होने के कारण हिमालय तथा प्रायद्वीपीय नदियाँ एक-दूसरे से भिन्न हैं। हिमालय की अधिकतर नदियाँ बारहमासी नदियाँ होती हैं। इनमें वर्ष भर पानी रहता है, अधिकतर प्रायद्वीपीय नदियाँ मौसमी होती हैं, क्योंकि इनका प्रवाह वर्षा पर निर्भर करता है। शुष्क मौसम में बड़ी नदियों का जल भी घटकर छोटी-छोटी धाराओं में बहने लगता है। हिमालय की नदियों की तुलना में प्रायद्वीपीय नदियों की लंबाई कम तथा छिछली हैं।

हिमालय से निकालने वाली प्रमुख नदियाँ कौन सी हैं?

सिंधु, गंगा, यमुना तथा ब्रह्मपुत्र हिमालय से निकलने वाली प्रमुख नदियाँ हैं। ये नदियाँ लंबी हैं तथा अनेक महत्त्वपूर्ण एवं बड़ी सहायक नदियाँ आकर इनमें मिलती हैं। किसी नदी तथा उसकी सहायक नदियों को नदी तंत्र कहा जाता है।

सिन्धु जल समझौता किन दो देशों के बीच में है तथा इसकी क्या शर्ते हैं?

सिन्धु जल समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच में है। सिंधु जल समझौता संधि के अनुच्छेदों (1960) के अनुसार भारत इस नदी प्रक्रम के संपूर्ण जल का केवल 20 प्रतिशत जल उपयोग कर सकता है। इस जल का उपयोग हम पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम भागों में सिंचाई के लिए करते हैं।

भारत सरकार का नमामि गंगे परियोजना का उदेश्य क्या है?

“नमामि गंगे परियोजना”, एक एकीकृत संरक्षण मिशन है, इसमें राष्ट्रीय नदी गंगा से संबंधित दो उद्देश्यों: प्रदूषण के प्रभाव को कम करना तथा उसके संरक्षण और कायाकल्प को पूरा किया जा सके।

गंगा नदी का डेल्टा किस नाम से प्रसिद्ध है और यह कहाँ पर स्थित है?

गंगा पूर्व दिशा में, पश्चिम बंगाल के फरक्का तक बहती है। यह गंगा डेल्टा का सबसे उत्तरी बिंदु है। यहाँ नदी दो भागों में बँट जाती है, भागीरथी हुगली (जो इसकी एक वितरिका है), दक्षिण की तरफ बहती है तथा डेल्टा के मैदान से होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। मुख्य धारा दक्षिण की ओर बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है एवं ब्रह्मपुत्र नदी इससे आकर मिल जाती है। अंतिम चरण में गंगा और ब्रह्मपुत्र समुद्र में विलीन होने से पहले मेघना के नाम से जानी जाती हैं। गंगा एवं ब्रह्मपुत्र के जल वाली यह वृहद्‌ नदी बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। इन नदियों के द्वारा बनाए गए डेल्टा को सुंदरवन डेल्टा के नाम से जाना जाता है।

ब्रह्मपुत्र नदी का उदगम स्थल कहाँ है तथा भारत में यह किन राज्यों से होकर बहती है?

ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत की मानसरोवर झील के पूर्व तथा सिंधु एवं सतलुज के स्रोतों के काफी नजदीक से निकलती है। इसकी लंबाई सिंधु से कुछ अधिक है, परंतु इसका अधिकतर मार्ग भारत से बाहर स्थित है। यह हिमालय के समानांतर पूर्व की ओर बहती है। नामचा बारवा शिखर (7,757 मीटर) के पास पहुँचकर यह अंग्रेजी के यू (न्) अक्षर जैसा मोड़ बनाकर भारत के अरुणाचल प्रदेश में गॉर्ज के माध्यम से प्रवेश करती है। यहाँ इसे दिहाँग के नाम से जाना जाता है तथा दिबांग, लोहित, केनुला एवं दूसरी सहायक नदियाँ इससे मिलकर असम में ब्रह्मपुत्र का निर्माण करती हैं।

प्रायद्वीपीय भारत में मुख्यतः कौन सी नदियाँ बहती हैं?

प्रायद्वीपीय भारत में मुख्य जल विभाजक का निर्माण पश्चिमी घाट द्वारा होता है, जो पश्चिमी तट के निकट उत्तर से दक्षिण की ओर स्थित है। प्रायद्वीपीय भाग की अधिकतर मुख्य नदियाँ जैसे – महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी पूर्व की ओर बहती हैं तथा बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। ये नदियाँ अपने मुहाने पर डेल्टा का निर्माण करती हैं। पश्चिमी घाट से पश्चिम में बहने वाली अनेक छोटी धाराएँ हैं। नर्मदा एवं तापी, दो ही बड़ी नदियाँ हैं जो कि पश्चिम की तरफ बहती हैं और ज्वारनदमुख का निर्माण करती हैं। प्रायद्वीपीय नदियों की अपवाह द्रोणियां आकार में अपेक्षाकृत छोटी हैं।

नदियों का आर्थिक महत्त्व क्या है?

संपूर्ण मानव इतिहास में नदियों का अत्यधिक महत्त्व रहा है। नदियों का जल मूल प्राकृतिक संसाधन है तथा अनेक मानवीय क्रियाकलापों के लिए अनिवार्य है। किंतु भारत जैसे देश के लिए, जहाँ कि अधिकांश जनसंख्या जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है, वहाँ सिंचाई, नौसंचालन, जलविद्युत निर्माण में नदियों का महत्त्व बहुत अधिक है।

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