एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 4 भगवान के डाकिए
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 4 भगवान के डाकिए के प्रश्नों के उत्तर पाठ पर आधारित अतिरिक्त प्रश्नों के हल सत्र 2024-25 के लिए छात्र यहाँ से निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। आठवीं कक्षा के छात्र हिंदी के पाठ 4 को आसानी से समझने के लिए यहाँ दिए गए समाधान की मदद लेकर इसे आसान बना सकते हैं।
कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 4 भगवान के डाकिए के प्रश्न उत्तर
कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिए।
कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए कहा है क्योंकि वे देशकाल की सीमा से परे होते हैं और एक-दूसरे में भेदभाव नहीं करते जिन्हें देखकर ऐसा लगता कि वे भगवान के संदेशवाहक हैं। ठीक उसी प्रकार हमें भी उनसे शिक्षा लेकर आपस में मिलजुलकर रहना चाहिए।
किन पंक्तियों का भाव है: पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं।
जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं। हम तो समझ नहीं पाते हैं मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं।
कवि का पक्षी और बादल को भगवान् के डाकिए कहने के पीछे क्या तात्पर्य है?
पक्षी और बादल वे संदेशवाहक हैं जिन पर इंसानों का कोई ज़ोर नहीं है। वे अपनी मर्जी या कह सकते हैं कि भगवान् की मर्जी से अपना कार्य करते हैं। इसलिए इनको भगवान् के डाकिए कहा गया है।
पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोचकर लिखिए।
पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को पौधे, पानी और पहाड़ आदि पढ़ पातें हैं और अपनी अभिव्यक्ति से सबका मन मोह लेते हैं।
किन पंक्तियों का भाव है: प्रकृति देश-देश में भेदभाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।
एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।
पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं?
पक्षी और बादल सभी के साथ समानता का व्यवहार करते हैं। वे ठीक वैसे ही जैसे पहाड़ सभी को मजबूती और दृढ़ता तथा हर मुसीबत का सामना करने की प्रेरणा देते हैं। पानी सबको निर्मलता का संदेश देता है । पेड़ पौधे सबको हवा और छाया देते हैं । इसी प्रकार इन्हें देखकर ऐसा लगता है मानों भगवान का संदेश दे रहे हों। इस प्रकार इन सभी का संसार में प्रेम को फैलाने का काम है। इसीलिए वे सभी एक दूसरे की भाषा को आसानी से पढ़ पाते हैं।
‘हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका’ क्या है? इस विषय पर दस वाक्य लिखिए।
डाकिया हमारे जीवन का आधार है। वह हमारी चिट्ठियों को हम तक पहुँचाता है। वह हमारे संबंधियों को जोड़ने की एक मजबूत कड़ी है। वह हमारे हर सुख-दुख का साथी है। वह हमारे संदेशों को जल्द से जल्द पहुँचाने का प्रयत्न करता है। वह दिन-रात समाज की सेवा में लगा रहता है। वह जाति के बंधनों को नहीं मानता। वह समाज को एक-दूसरे से जोड़ने का काम करता है।
एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है ̧कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।
जिस प्रकार बहने वाली हवा सीमाओं के बंधन नहीं मानती। फूल अपनी सुगंध से सभी को प्रभावित करते हैं, बारिश का पानी सभी को समान रूप से भिगोता है। ठीक उसी प्रकार हमें भी उनसे शिक्षा लेकर आपसी प्रेम व्यवहार को फैलाना चाहिए।
डाकिया, इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब (डब्ल्यू. डब्ल्यू. डब्ल्यू. WWW.) तथा पक्षी और बादल-इन तीनों संवादवाहकों के विषय में अपनी कल्पना से एक लेख तैयार कीजिए। लेख लिखने के लिए आप ‘चिट्ठियों की अनूठी दुनिया’ पाठ का सहयोग ले सकते हैं।
संदेशों का आदान-प्रदान प्राचीन काल से होता आ रहा है। समय-समय पर इसमें बदलाव आता रहा है। लेकिन कुछ ऐसे भी संदेशवाहक है जो सदा से बिना बदलाव के अपना कार्य किए जा रहे हैं। ऐसा ही कुछ उदाहरण हैं-बादल, हवाएं और पक्षी।, जो सदा से बिना थके अपना कार्य कर रहे हैं। संदेश पहुँचाने का दूसरा माध्यम है डाक-व्यवस्था, यह भी काफी समय से चली आ रही है। छोटे-बड़े बदलावों के साथ आज भी डाकिया चिट्ठियाँ घर-घर पहुंचाता है। संदेश पहुँचाने के मामले में वर्तमान समय में सबसे बड़ा क्रांतिकारी बदलाव है इन्टरनेट। इन्टरनेट के माध्यम से कुछ ही क्षण में हम संदेश एक देश से दूसरे देश तक पहुँचा सकते हैं।
पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को आप किस दृष्टि से देख सकते हैं?
पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को हम प्रेम और सौहार्द के आदान-प्रदान के रूप में देखते हैं । इनसे शिक्षा लेकर हमें भी आपसी प्रेम और सौहार्द को आगे बढ़़ाना चाहिए और समाज से नफरत को मिटाने में अपना योगदान देना चाहिए।
आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इंटरनेट है। पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इंटरनेट से करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए।
जैसे पक्षी और बादल सीमाओं से परे हैं वैसे ही इंटरनेट भी, दोनों ही भेदभाव नहीं करते, दोनों एकता का संदेश देते हैं, दोनों ही ज्ञान को बांटते हैं, दोनों ही मिलजुल कर काम करना सिखाते हैं, दोनों ही संदेश का आदान प्रदान करते हैं, दोनों ही स्वतंत्र हैं, दोनों ही खुशियां बांटते हैं ।दोनों ही सुख-दुख बांटते हैं।
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ कैसे भगवान् के डाकियों की चिट्ठियों को बांचते हैं?
पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ भगवान के भेजे एकता और सद्भावना के संदेश को पढ़ पाते हैं। इसपर अमल करते नदियाँ समान भाव से सभी लोगों में अपने पानी को बाँटती है। पहाड़ भी समान रूप से सबके साथ खड़ा होता है। पेड़-पौधें समान भाव से अपने फल, फूल व सुगंध को बाँटते हैं, कभी भेदभाव नहीं करते।
एक देश की धरती की सुगंध किस माध्यम से दूसरे देश तक पहुँचती है?
एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है, और वह सौरभ हवा में तैरते हुए पक्षियों के पंखों के माध्यम से एक देश से दूसरे देश में पहुँच जाती है।