एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी मल्हार अध्याय 2 दो गौरैया
एनसीईआरटी कक्षा 8 हिंदी मल्हार के अध्याय 2 दो गौरैया का यह समाधान सत्र 2025–26 के लिए तैयार किया गया है। यह पाठ भीष्म साहनी द्वारा रचित एक मार्मिक और रोचक कहानी है, जिसमें दो गौरैयों और एक परिवार के बीच के संबंध को भावनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। समाधान में सरल भाषा में प्रश्न-उत्तर, MCQ, शब्दार्थ और मुख्य भाव को शामिल किया गया है जिससे छात्रों को पाठ अच्छे से समझने में सहायता मिलेगी। यह समाधान परीक्षा की दृष्टि से भी अत्यंत उपयोगी है।
कक्षा 8 हिंदी मल्हार अध्याय 2 के MCQ
कक्षा 8 हिंदी मल्हार के अन्य अध्याय
कक्षा 8 मल्हार दो गौरैया के प्रश्न-उत्तर
कक्षा 8 मल्हार अध्याय 2 का सारांश
कक्षा 8 हिंदी मल्हार के अध्याय 2 प्रश्न उत्तर
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मेरी समझ से
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (*) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) पिताजी ने कहा कि घर सराय बना हुआ है क्योंकि-
• घर की बनावट सराय जैसी बहुत विशाल है
• घर में विभिन्न पक्षी और जीव-जंतु रहते हैं
• पिताजी और माँ घर के मालिक नहीं हैं
• घर में विभिन्न जीव-जंतु आते-जाते रहते हैं
उत्तर देखें(*) घर में विभिन्न जीव-जंतु आते-जाते रहते हैं।
पिताजी इसलिए घर को ‘सराय’ कहते हैं क्योंकि उसमें तरह-तरह के जीव-जंतु जैसे चूहे, बिल्ली, चमगादड़, गौरैया, कबूतर, बर्रे, चींटियाँ आदि बिना पूछे आते-जाते रहते हैं — जैसे किसी सराय में अजनबी लोग आते हैं।
(2) कहानी में ‘घर के असली मालिक’ किसे कहा गया है?
• माँ और पिताजी को जिनका वह मकान है
• लेखक को जिसने यह कहानी लिखी है
• जीव-जंतुओं को जो उस घर में रहते थे
• मेहमानों को जो लेखक से मिलने आते थे
उत्तर देखें(*) जीव-जंतुओं को जो उस घर में रहते थे।
कहानी में लेखक कहता है कि वे तो जैसे घर में मेहमान हैं, असली मालिक तो कोई और ही हैं। यह कथन व्यंग्य में उन पक्षियों और जीव-जंतुओं की ओर संकेत करता है जिन्होंने घर में डेरा जमा रखा है।
(3) गौरैयों के प्रति माँ और पिताजी की प्रतिक्रियाएँ कैसी थीं?
• दोनों ने खुशी से घर में उनका स्वागत किया
• पिताजी ने उन्हें भगाने की कोशिश की लेकिन माँ ने मना किया
• दोनों ने मिलकर उन्हें घर से बाहर निकाल दिया
• माँ ने उन्हें निकालने के लिए कहा लेकिन पिताजी ने घर में रहने दिया
उत्तर देखें(*) पिताजी ने उन्हें भगाने की कोशिश की लेकिन माँ ने मना किया।
पिताजी गौरैयों को भगाने के लिए लाठी और शोर का प्रयोग करते हैं, जबकि माँ उन्हें रोकती हैं, मजाक करती हैं और अंत में गंभीर होकर कहती हैं कि अब उन्हें मत भगाओ।
(4) माँ बार-बार पिताजी की बातों पर मुसकराती और मजाक करती थीं। इससे क्या पता चलता है?
• माँ चाहती थीं कि गौरैयाँ घर से भगाई न जाएँ
• माँ को पिताजी के प्रयत्न व्यर्थ लगते थे
• माँ को गौरैयों की गतिविधियों पर हँसी आ जाती थी
• माँ को दूसरों पर हँसना और उपहास करना अच्छा लगता था
उत्तर देखें(*) माँ चाहती थीं कि गौरैयाँ घर से भगाई न जाएँ।
माँ का व्यंग्य और हँसी यह दर्शाते हैं कि वह पिताजी को गंभीरता से नहीं ले रहीं, क्योंकि उन्हें गौरैयाँ प्रिय हैं। वे उनका घोंसला तोड़ने के विरोध में भी थीं और अंत में दरवाजे खोलकर उनका स्वागत भी करती हैं।
(5) कहानी में गौरैयों के बार-बार लौटने को जीवन के किस पहलू से जोड़ा जा सकता है?
• दूसरों पर निर्भर रहना
• असफलताओं से हार मान लेना
• अपने प्रयास को निरंतर जारी रखना
• संघर्ष को छोड़कर नए रास्ते अपनाना
उत्तर देखें(*) अपने प्रयास को निरंतर जारी रखना।
गौरैयाँ बार-बार भगाए जाने पर भी हार नहीं मानतीं, वे फिर-फिर लौटती हैं, नए रास्ते तलाशती हैं। यह उनकी जिजीविषा, संघर्ष-शक्ति और निरंतर प्रयास का प्रतीक है – जो जीवन के लिए आवश्यक गुण हैं।
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(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ विचार कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर देखेंमित्रों के साथ निम्न बिन्दुओं पर विचार:
क्या पाठ में उस उत्तर का कोई संकेत या प्रमाण है?
कौन-सा उत्तर कहानी के भाव और पात्रों की मनोदशा के अधिक निकट है?
क्या उत्तर में कहानी की मूल संवेदना (गौरैयों का संघर्ष, माँ की सहानुभूति, पिताजी की झुँझलाहट) को सही से समझा गया है?
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मिलकर करें मिलान
(क) पाठ में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। प्रत्येक वाक्य के सामने दो-दो अर्थ दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सबसे उपयुक्त अर्थ से मिलाइए।
उत्तर:
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पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।
(क) “अब तो ये नहीं उड़ेंगी। पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं। अब तो इन्होंने यहाँ घोंसला बना लिया है।”
उत्तर देखेंयह कथन स्थायित्व और अपनापन को दर्शाता है। पहले गौरैयाँ केवल मकान का निरीक्षण कर रही थीं, इसलिए उन्हें हटाना आसान होता, पर अब उन्होंने घर में अपना घोंसला बना लिया है, यानी उन्होंने इसे अपना घर मान लिया है। जब कोई किसी स्थान को अपना मान लेता है, तो उसे वहाँ से हटाना कठिन हो जाता है। यह बात केवल पक्षियों पर ही नहीं, बल्कि मनुष्यों पर भी लागू होती है—चाहे वह किसी स्थान पर रहने लगे हों, किसी भावना से जुड़ गए हों या किसी रिश्ते में रच-बस गए हों।
(ख) “एक दिन अंदर नहीं घुस पाएँगी, तो घर छोड़ देंगी।”
उत्तर देखेंयह वाक्य पिताजी की रणनीति और उनके विचारों को दर्शाता है। वे सोचते हैं कि अगर एक दिन गौरैयों को घर के अंदर आने से रोक दिया जाए, तो वे खुद ही यह समझकर किसी दूसरी जगह चली जाएँगी। यह सोच एक तरह की मानव मानसिकता को दिखाती है कि रोकथाम या उपेक्षा से कोई समस्या सुलझ जाएगी। परन्तु प्रकृति और जीवों का अपनापन केवल एक दिन की बाधा से नहीं टूटता। यह पंक्ति इस गलत सोच की ओर इशारा करती है कि स्थायी परिवर्तन, अस्थायी रोकथाम से आ जाएगा, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है।
(ग) “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो, तो उसका घर तोड़ देना चाहिए।”
उत्तर देखेंयह कथन क्रूर निर्णय और अंतिम उपाय को दर्शाता है। पिताजी अब थक हारकर यह मानते हैं कि अगर गौरैयों को सचमुच हटाना है, तो केवल डराने या भगाने से काम नहीं चलेगा—उनका घोंसला यानी उनका घर ही तोड़ देना होगा। यह एक गहरी बात है—कोई भी जीव अपने घर से जुड़ा होता है, और घर तोड़ना केवल उसका निवास स्थान नहीं, बल्कि उसके अस्तित्व पर चोट करना होता है। यह पंक्ति इस बात की आलोचना करती है कि हम अक्सर समस्याओं के समाधान के लिए कठोर और असंवेदनशील मार्ग अपनाते हैं।
यह पंक्ति मानवीय दुनिया में भी लागू होती है, जब किसी को हटाना हो तो लोग उसे मजबूर करने के लिए उसका आधार ही छीन लेते हैं—चाहे वह घर हो, नौकरी हो या सम्मान।
कक्षा 8 हिंदी मल्हार पाठ 2 के उत्तर
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सोच-विचार के लिए
पाठ को पुन: ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए।
(क) आपको कहानी का कौन-सा पात्र सबसे अच्छा लगा – घर पर रहने आई गौरैयाँ, माँ, पिताजी, लेखक या कोई अन्य प्राणी? आपको उसकी कौन-कौन सी बातें अच्छी लगीं और क्यों?
उत्तर देखेंमुझे इस कहानी में माँ का पात्र सबसे अच्छा लगा। वे संयमित, संवेदनशील और व्यावहारिक हैं। उन्हें जानवरों और पक्षियों के प्रति करुणा है, साथ ही वे व्यंग्य और हास्य के माध्यम से कठिन परिस्थितियों को हल्का बना देती हैं। पिताजी की चिड़चिड़ाहट और गुस्से के बीच वे धैर्यपूर्वक सबकुछ सहती हैं और अंत तक मानवीय भावनाओं को बनाए रखती हैं।
(ख) लेखक के घर में चिड़िया ने अपना घोंसला कहाँ बनाया? उसने घोंसला वहीं क्यों बनाया होगा?
उत्तर देखेंलेखक के घर में चिड़िया ने बैठक की छत में लगे पंखे के गोले में अपना घोंसला बनाया। वहाँ इसलिए बनाया होगा क्योंकि वह स्थान ऊँचाई पर, सुरक्षित, गर्म और अज्ञात था। वहाँ इंसानों की सीधी पहुँच नहीं थी और यह जगह अंडे देने और बच्चों को पालने के लिए उपयुक्त लगी होगी।
(ग) क्या आपको लगता है कि पशु-पक्षी भी मनुष्यों के समान परिवार और घर का महत्व समझते हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कहानी से उदाहरण दीजिए।
उत्तर देखेंहाँ, कहानी से यह स्पष्ट होता है कि पशु-पक्षी भी घर और परिवार का महत्व समझते हैं। गौरैयों ने घर की ठीक तरह से जाँच की, फिर उसमें घोंसला बनाया और अंडे दिए। जब उनके बच्चे निकले, तो वे बार-बार खतरे के बावजूद लौटकर उन्हें चुग्गा देने आईं। अंत में जब बच्चे “चीं-चीं” करके अपने माता-पिता को पुकारते हैं, तो गौरैया और गौरैइया तुरंत लौट आते हैं। यह ममतापूर्ण व्यवहार परिवार और घर के प्रति उनके जुड़ाव को दर्शाता है।
(घ) “अब मैं हार मानने वाला आदमी नहीं हूँ।” इस कथन से पिताजी के स्वभाव के कौन-से गुण उभरकर आते हैं?
उत्तर देखेंइस कथन से पिताजी के हठी, जिद्दी और आत्ममुग्ध स्वभाव का पता चलता है। वे बार-बार यही कहते हैं कि वह हार मानने वाले नहीं हैं, जिससे यह साफ है कि वे अपनी बात मनवाने पर अड़े रहते हैं, चाहे परिस्थिति जैसी भी हो। वे गौरैयों को निकालने के लिए बार-बार प्रयास करते हैं, लेकिन जब हार मानते हैं, तो शांति से बैठ जाते हैं।
(ङ) कहानी में गौरैयों के व्यवहार में कब और कैसा बदलाव आया? यह बदलाव क्यों आया?
उत्तर देखेंगौरैयों के व्यवहार में बदलाव तब आया, जब उनके घोंसले को तोड़ने की कोशिश की गई और उन्होंने अपने बच्चों को जन्म दे दिया। पहले वे चहकती थीं और मल्हार गाती थीं, पर जब उनके अंडे फूटे और बच्चे निकले, तो वे गुमसुम हो गईं और दुबली व काली पड़ गईं। यह बदलाव उनकी चिंता, थकान और बच्चों की सुरक्षा को लेकर हुआ।
(च) कहानी में गौरैयाँ ने किन-किन स्थानों से घर में प्रवेश किया था? सूची बनाइए।
उत्तर देखेंगौरैयों ने निम्नलिखित स्थानों से घर में प्रवेश किया था:
► दरवाजों के नीचे के खाली स्थानों से
► टूटे हुए रोशनदान से
► किचन के खुले दरवाजे से
► कभी-कभी अन्य खुले दरवाजों या खिड़कियों से भी
(छ) इस कहानी को कौन सुना रहा है? आपको यह बात कैसे पता चली?
उत्तर देखेंइस कहानी को लेखक स्वयं (प्रथम पुरुष) में सुना रहा है। इसका पता हमें बार-बार आने वाले “मैं” शब्द से चलता है—जैसे:
► “मैंने भागकर दोनों दरवाजे बंद कर दिए।”
► “मैंने सिर उठाकर ऊपर की ओर देखा।”
► “मैंने देखा, पिताजी स्टूल से उतर आए हैं।”
इन वाक्यों से स्पष्ट है कि लेखक इस कहानी का प्रेक्षक और कथावाचक दोनों है।
(ज) माँ बार-बार क्यों कह रही होंगी कि गौरैयाँ घर छोड़कर नहीं जाएँगी?
उत्तर देखेंमाँ बार-बार कह रही थीं कि गौरैयाँ घर छोड़कर नहीं जाएँगी क्योंकि उन्होंने यहाँ घोंसला बना लिया था और बाद में अंडे भी दे दिए थे। माँ जानती थीं कि जब कोई जीव अपने बच्चों के साथ होता है, तो वह किसी भी खतरे के बावजूद अपना घर नहीं छोड़ता। साथ ही, माँ प्रकृति के इस व्यवहार को समझती थीं और वह पक्षियों के साथ सहानुभूति रखती थीं।
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अनुमान और कल्पना से
(क) कल्पना कीजिए कि आप उस घर में रहते हैं जहाँ चिड़ियाँ अपना घर बना रही हैं। अपने घर में उन्हें देखकर आप क्या करते?
उत्तर देखें(क) मैं चिड़ियों को घोंसला बनाने देता और उन्हें घर का हिस्सा मानता। मैं उनके लिए पानी और दाना भी रखता ताकि उन्हें बाहर न जाना पड़े। मैं पिताजी की तरह उन्हें भगाने की कोशिश नहीं करता।
(ख) मान लीजिए कि कहानी में चिड़िया नहीं, बल्कि नीचे दिए गए प्राणियों में से कोई एक प्राणी घर में घुस गया है। ऐसे में घर के लोगों का व्यवहार कैसा होगा? क्यों? (प्राणियों के नाम – चूहा, कुत्ता, मच्छर, बिल्ली, कबूतर, कॉकरोच, तितली, मक्खी)
उत्तर देखें(ख) चूहा: घर में पहले से ही बीसियों चूहे रहते हैं। पिताजी चूहों को निकालने में असफल रहे थे, इसलिए, शायद वे उसे नजरअंदाज कर देते।
कुत्ता: अगर कुत्ता घर में आता तो सब लोग उसे बाहर निकालने की कोशिश करते क्योंकि वह एक पालतू जानवर है और उसे घर के अंदर रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
मच्छर: मच्छर एक सामान्य कीट है और घर के लोग शायद उन्हें भगाने के लिए मच्छरदानी या स्प्रे का उपयोग करते।
बिल्ली: बिल्ली कभी-कभी घर में झाँक जाती थी और माँ उसे पसंद करती थीं । अगर वह घर में घुस जाती तो माँ उसे दूध पिलाती और पिताजी को शायद गुस्सा आता, लेकिन वह उसे बाहर निकालने की कोशिश नहीं करते क्योंकि वह खुद ही वापस चली जाती ।
कबूतर: कहानी में पहले से ही कबूतर थे । पिताजी उनके ‘गुटर-गूँ’ से परेशान थे, इसलिए वे उसे भगाने की कोशिश करते ।
कॉकरोच: कॉकरोच को आमतौर पर सब पसंद नहीं करते, इसलिए घर के सभी लोग उसे मारने या बाहर निकालने की कोशिश करते।
तितली: तितली एक सुंदर प्राणी है। परिवार के सदस्य शायद उसे देखकर खुश होते और उसे बाहर निकालने की बजाय उसे देखने में मज़ा लेते।
मक्खी: मक्खी को कोई भी पसंद नहीं करता है। घर के सभी सदस्य उसे बाहर निकालने या मारने की कोशिश करते।
(ग) “मैं अवाक् उनकी ओर देखता रहा।” लेखक को विस्मय या हैरानी किसे देखकर हुई? उसे विस्मय क्यों हुआ होगा?
उत्तर देखें(ग) लेखक को हैरानी नन्हीं-नन्हीं गौरैया के बच्चों को देखकर हुई, जो घोंसले से सिर निकालकर नीचे की ओर देख रहे थे और चीं-चीं कर रहे थे। उसे विस्मय इसलिए हुआ होगा क्योंकि पिताजी ने घोंसला तोड़ दिया था और उन्हें लगा था कि गौरैया हार मानकर चली गई हैं, लेकिन वास्तव में वे अपने बच्चों को छोड़कर नहीं गई थीं । बच्चों की आवाज़ सुनकर लेखक को एहसास हुआ कि वे अपने माँ-बाप को बुला रहे थे।
(घ) “माँ मदद तो करती नहीं थीं, बैठी हँसे जा रही थीं।” माँ ने गौरैयों को निकालने में पिताजी की सहायता क्यों नहीं की होगी?
उत्तर देखें(घ) माँ ने पिताजी की मदद नहीं की क्योंकि वह नहीं चाहती थीं कि गौरैयों को घर से निकाला जाए। उन्हें पिताजी के सारे प्रयास व्यर्थ और मूर्खतापूर्ण लग रहे थे, इसलिए वह उन पर हँस रही थीं । माँ को पता था कि चिड़ियों ने अंडे दे दिए हैं और अब वे घर छोड़कर नहीं जाएँगी । वह गौरैयों के घर में रहने के पक्ष में थीं।
(ङ) “एक चूहा अँगीठी के पीछे बैठना पसंद करता है, शायद बूढ़ा है उसे सर्दी बहुत लगती है।” लेखक ने चूहे के विशेष व्यवहार से अनुमान लगाया कि उसे सर्दी लगती होगी। आप भी किसी एक अपरिचित व्यक्ति या प्राणी के व्यवहार को ध्यान से देखकर अनुमान लगाइए कि वह क्या सोच रहा होगा, क्या करता होगा या वह कैसा व्यक्ति होगा आदि। (संकेत- आपको उसके व्यवहार पर ध्यान देना है, उसके रंग-रूप या वेशभूषा पर नहीं)
उत्तर देखें(ङ) अगर मैं किसी व्यक्ति को देखूं जो बार-बार अपने मोबाइल फोन को देखता है और फिर चिंतित होकर इधर-उधर देखता है, तो मैं अनुमान लगा सकता हूं कि वह किसी का इंतज़ार कर रहा होगा और शायद देर होने की वजह से परेशान है।
(च) “पिताजी कहते हैं कि यह घर सराय बना हुआ है।” सराय और घर में कौन-कौन से अंतर होते होंगे?
उत्तर देखें(च) घर: घर एक ऐसी जगह है जहाँ परिवार के सदस्य स्थायी रूप से रहते हैं । यह व्यक्तिगत संपत्ति होती है, और यहाँ रहने वाले लोगों का आपस में गहरा भावनात्मक संबंध होता है। घर में सिर्फ वे ही लोग रहते हैं जो उस परिवार का हिस्सा हैं ।
सराय: सराय एक अस्थायी निवास स्थान है, जहाँ कोई भी यात्री कुछ समय के लिए रुक सकता है । यहाँ लोग केवल रात बिताने या आराम करने के लिए आते-जाते रहते हैं। सराय में रहने वाले लोगों का आपस में कोई स्थायी संबंध नहीं होता। पिताजी ने घर को सराय इसलिए कहा क्योंकि उनके घर में बहुत से पक्षी और जानवर बिन बुलाए मेहमानों की तरह रहते थे।
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संवाद और अभिनय
“नीचे दी गई स्थितियों के लिए अपने समूह में मिलकर कल्पना से संवाद लिखिए और बातचीत को अभिनय द्वारा प्रस्तुत कीजिए-”
(क) “वे अभी भी झाँके जा रही थीं और चीं-चीं करके मानो अपना परिचय दे रही थीं, हम आ गई हैं। हमारे माँ-बाप कहाँ हैं” नन्हीं-नन्हीं दो गौरैया क्या-क्या बोल रही होंगी?
उत्तर देखें(क) संभावित संवाद:
पहली गौरैया (बच्चा): “चीं-चीं! यह इतनी ऊँची जगह पर कौन-सा घर है? नीचे कितना बड़ा मैदान है! मुझे डर लग रहा है!”
दूसरी गौरैया (बच्चा): “चीं-चीं! माँ-पापा कहाँ गए? उन्हें तो अभी चुग्गा लेकर आना था! क्या वे हमें भूल गए?”
पहली गौरैया (बच्चा): “चीं-चीं! मुझे बहुत भूख लगी है। हमारी चोंच में चुग्गा कौन डालेगा? मुझे ठंड भी लग रही है।”
दूसरी गौरैया (बच्चा): “चीं-चीं! शायद माँ-पापा नीचे कहीं चले गए हैं। यह आदमी जो यहाँ खड़ा है, क्या वह हमें खाना देगा?”
(ख) “चिड़ियाँ एक-दूसरे से पूछ रही हैं कि यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है?” घोंसले से झाँकती गौरैयाँ क्या-क्या बातें कर रही होंगी?
उत्तर देखें(ख) संभावित संवाद:
पहली गौरैया: “चीं-चीं! देखो, देखो! यह आदमी कौन है? यह इतना ऊँचा कूद क्यों रहा है?”
दूसरी गौरैया: “चीं-चीं! मुझे लगता है कि यह कोई नया शिकारी है! लेकिन यह ऐसे क्यों कर रहा है?”
पहली गौरैया: “चीं-चीं! मुझे तो लगता है कि यह कोई नाचने वाला है! देखो, कैसे हाथ और पैर हिला रहा है।”
दूसरी गौरैया: “चीं-चीं! इसका नाच देखकर तो हमें भी हँसी आ रही है! चलो, हम भी तालियाँ बजाते हैं।”
(ग) “एक दिन दो गौरैया सीधी अंदर घुस आईं और बिना पूछे उड़-उड़कर मकान देखने लगीं।” जब उन्होंने पहली बार घर में प्रवेश किया तो उन्होंने आपस में क्या बातें की होंगी?
उत्तर देखें(ग) संभावित संवाद:
पहली गौरैया: “चीं-चीं! यह जगह कितनी अच्छी है! यहाँ कितनी हवा आती है और रोशनी भी बहुत है।”
दूसरी गौरैया: “चीं-चीं! हाँ, और यहाँ कोई बड़ा पेड़ भी नहीं है, इसलिए कोई कौवा हमें परेशान नहीं करेगा। इस पंखे के गोले में हम अपना घर बना सकते हैं।”
पहली गौरैया: “चीं-चीं! यह तो बहुत सुरक्षित जगह लग रही है। चलो, हम अपने बच्चों के लिए यहाँ घोंसला बनाते हैं।”
दूसरी गौरैया: “चीं-चीं! ठीक है, चलो! कल से ही हम सामान लाना शुरू कर देंगे। यह जगह हमें पसंद आ गई है।”
(घ) “उनके माँ-बाप झट से उड़कर अंदर आ गए और चीं-चीं करते उनसे जा मिले और उनकी नन्हीं-नन्हीं चोंचों में चुग्गा डालने लगे।” गौरैयों और उनके बच्चों ने क्या-क्या बातें की होंगी?
उत्तर देखें(घ) संभावित संवाद:
बच्चा: “चीं-चीं! माँ, आप कहाँ थीं? हमें कितनी भूख लगी थी! हमें बहुत डर लग रहा था।”
माँ (गौरैया): “चीं-चीं! चुप हो जाओ, मेरे बच्चों! हमें वापस आने में थोड़ी देर हो गई। अब सब ठीक है। चलो, खाना खा लो।”
बच्चा: “चीं-चीं! पिताजी, आप भी आ गए! आप हमारे लिए क्या लाए हैं?”
पिता (गौरैया): “चीं-चीं! चिंता मत करो, मेरे प्यारे बच्चों। हम हमेशा तुम्हारे पास रहेंगे। यह देखो, हम तुम्हारे लिए खाना लाए हैं।”
माँ (गौरैया): “चीं-चीं! अब हम कभी भी तुम्हें छोड़कर नहीं जाएँगे।”
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बदली कहानी
मान लीजिए कि घोंसले में अंडों से बच्चे न निकले होते। ऐसे में कहानी आगे कैसे बढ़ती? यह बदली हुई कहानी लिखिए।
उत्तर देखेंअगर घोंसले में अंडों से बच्चे नहीं निकले होते, तो कहानी कुछ इस तरह आगे बढ़ सकती थी:
पिताजी ने जब टेबल पर चढ़कर घोंसला तोड़ने की कोशिश की, तो उन्हें अचानक ‘चीं-चीं’ की आवाज सुनाई नहीं पड़ती । उन्हें केवल घोंसले के तिनके, रुई के फाहे और धागे ही मिलते । वे पूरा घोंसला तोड़कर नीचे फेंक देते।
माँ और पिताजी दोनों चुपचाप देखते रहते। माँ शायद कहतीं कि “मैंने तो पहले ही कहा था, ये गौरैयाँ यहाँ रुकने वाली नहीं थीं”। पिताजी अपनी जीत पर खुश होकर कहते कि “देखा! मैं हार मानने वाला आदमी नहीं हूँ”। वे दरवाजे और रोशनदान में लगे कपड़े हटा देते और राहत की सांस लेते।
कुछ देर बाद, गौरैयाँ वापस आतीं और देखतीं कि उनका घोंसला टूटा हुआ है। वे कुछ देर के लिए निराश होकर दीवार पर बैठतीं और फिर हमेशा के लिए उस घर को छोड़कर चली जातीं। पिताजी की जीत हो जाती, लेकिन घर में फिर से वह पुरानी शांति लौट आती । न तो कोई शोर होता और न ही कोई चहचहाहट। शायद माँ और पिताजी कुछ दिनों बाद उस शांति से थोड़ा उदास हो जाते और उन्हें गौरैयों की कमी महसूस होती।
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कहने का ढंग/क्रिया विशेषण
“माँ खिलखिलाकर हँस दीं।”
इस वाक्य में ‘खिलखिलाकर’ शब्द बता रहा है कि माँ कैसे हँसी थीं। कोई कार्य कैसे किया गया है, इसे बताने वाले शब्द ‘क्रिया विशेषण’ कहलाते हैं। ‘खिलखिलाकर’ भी एक क्रिया विशेषण शब्द है।
अब नीचे दिए गए रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। इन शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने मन से वाक्य बनाइए।
(क) पिताजी ने झिड़ककर कहा, “तू खड़ा क्या देख रहा है?”
(ख) “देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो , माँ ने अबकी बार गंभीरता से कहा।
(ग) “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो, तो उसका घर तोड़ देना चाहिए”, उन्होंने गुस्से में कहा।
अब आप इनसे मिलते-जुलते कुछ और क्रिया विशेषण शब्द सोचिए और उनका प्रयोग करते हुए कुछ वाक्य बनाइए।
(संकेत – धीरे से, जोर से, अटकते हुए, चिल्लाकर, शरमाकर, सहमकर, फुसफुसाते हुए आदि।)
उत्तर देखें(क) पिताजी ने झिड़ककर कहा, “तू खड़ा क्या देख रहा है?”
वाक्य: अध्यापक ने छात्र को झिड़ककर कहा, “अपना काम जल्दी पूरा करो।”
(ख) “देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो , माँ ने अबकी बार गंभीरता से कहा।
वाक्य: उसने अपने दोस्त से गंभीरता से कहा, “अब हमें भविष्य के बारे में सोचना चाहिए।”
(ग) “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो, तो उसका घर तोड़ देना चाहिए”, उन्होंने गुस्से में कहा।
वाक्य: जब मैंने अपना खिलौना टूटते देखा, तो मैंने गुस्से में कहा, “यह किसने किया?”
मिलते-जुलते क्रिया विशेषण शब्द और वाक्य:
धीरे से: उसने धीरे से दरवाजा बंद किया ताकि कोई जाग न जाए।
जोर से: चोर को देखकर सिपाही ने जोर से चिल्लाया।
अटकते हुए: बच्चा डर के मारे अटकते हुए अपनी बात कह रहा था।
चिल्लाकर: माँ ने बच्चे को चिल्लाकर बुलाया, “जल्दी यहाँ आओ!”
शरमाकर: उसने शरमाकर अपनी गलती मान ली।
सहमकर: बिल्ली कुत्ते को देखकर सहमकर एक कोने में छिप गई।
फुसफुसाते हुए: परीक्षा के दौरान विद्यार्थी फुसफुसाते हुए एक दूसरे से बात कर रहे थे।
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घर के प्राणी
कहानी में आपने पढ़ा कि लेखक के घर में अनेक प्राणी रहते थे। लेखक ने उनका वर्णन ऐसे किया है जैसे वे भी मनुष्यों की तरह व्यवहार करते हैं। कहानी में से चुनकर उन प्राणियों की सूची बनाइए और बताइए कि वे मनुष्यों जैसे कौन-कौन से काम करते थे?
(क) बिल्ली – ‘फिर आऊँगी’ कहकर चली जाती है।
(ख) _____________________________
(ग) _____________________________
(घ) _____________________________
(ङ) _____________________________
उत्तर देखें(क) बिल्ली -‘फिर आऊँगी’ कहकर चली जाती है।
(ख) चूहे – रात-भर एक कमरे से दूसरे कमरे में भागते फिरते हैं और धमा-चौकड़ी मचाते हैं।
वे अँगीठी के पीछे बैठना पसंद करते हैं, शायद इसलिए कि वे बूढ़े हैं और उन्हें सर्दी लगती है।
दूसरा चूहा बाथरूम की टंकी पर चढ़कर बैठना पसंद करता है, शायद उसे गरमी बहुत लगती है।
(ग) चमगादड़ – शाम होते ही पर फैलाए कसरत करने लगते हैं।
(घ) कबूतर – दिन-भर ‘गुटर गूँ’ का संगीत सुनाते रहते हैं।
(ङ) गौरैयाँ – बिना पूछे घर में घुस आती हैं और उड़-उड़कर मकान देखने लगती हैं।
पिताजी के अनुसार, वे मकान का निरीक्षण कर रही होती हैं कि वह उनके रहने योग्य है या नहीं। वे मजे से बैठकर गाना गाती हैं।
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हेर-फेर मात्रा का
“माँ और पिताजी दोनों सोफे पर बैठे उनकी ओर देखे जा रहे थे।”
“पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं।”
उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। आपने ध्यान दिया होगा कि शब्द में एक मात्रा-भर के अंतर से उसके अर्थ में परिवर्तन हो जाता है।
अब नीचे दिए गए शब्दों की मात्राओं और अर्थों के अंतर पर ध्यान दीजिए। इन शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने मन से वाक्य बनाइए।
• नाच-नाचा-नचा
• हार-हरा-हारा
• पिता-पीता
• चूक-चुक
• नीचा-नीचे
• सहसा-साहस
उत्तर देखें• नाच – नाचा – नचा
नाच: मुझे मंच पर नाच देखना पसंद है।
नाचा: उसने खुशी के मारे खूब नाचा।
नचा: सर्कस में मदारी बंदरिया को खूब नचा रहा है।
• हार – हरा – हारा
हार: फूलों का हार बहुत सुंदर था।
हरा: बगीचे में चारों ओर हरा-भरा वातावरण है।
हारा: खेल में मेरे दोस्त ने अपनी हार मान ली।
• पिता – पीता
पिता: मेरे पिता रोज सुबह टहलने जाते हैं।
पीता: गर्मी के मौसम में मोहन खूब पानी पीता है।
• चूक – चुक
चूक: तुम अपना काम समय पर करो, नहीं तो एक बड़ी चूक हो जाएगी।
चुक: मेरी सहनशीलता अब चुक गई है, मैं और नहीं सह सकता।
• नीचा – नीचे
नीचा: हमें किसी को भी नीचा नहीं दिखाना चाहिए।
नीचे: गेंद मेज के नीचे गिर गई।
• सहसा – साहस
सहसा: सहसा ही आसमान में बादल छा गए और बारिश होने लगी।
साहस: उसने बहुत साहस के साथ शेर का सामना किया।
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वाद-विवाद
कहानी में माँ द्वारा कही गई कुछ बातें नीचे दी गई हैं –
“अब तो ये नहीं उड़ेंगी। पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं।”
“एक दरवाजा खुला छोड़ो, बाकी दरवाजे बंद कर दो। तभी ये निकलेंगी।”
“देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो। अब तो इन्होंने अंडे भी दे दिए होंगे। अब यहाँ से नहीं जाएँगी।”
कक्षा में एक वाद-विवाद गतिविधि का आयोजन कीजिए। वाद-विवाद का विषय है –
“माँ चिड़ियों को घर से निकालना चाहती थीं।”
कक्षा में आधे समूह इस कथन के पक्ष में और आधे समूह इसके विपक्ष में तर्क देंगे।
उत्तर देखेंपक्ष में तर्क:
• माँ ने पिताजी से कहा था, “एक दरवाजा खुला छोड़ो, बाकी दरवाजे बंद कर दो। तभी ये निकलेंगी।” यह बात दर्शाती है कि माँ उन्हें बाहर निकालने का तरीका बता रही थीं।
• जब पिताजी ने पहली बार गौरैयों को भगाने की कोशिश की थी, तो माँ ने कहा था कि “पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं।” इससे पता चलता है कि वह उन्हें भगाने के पक्ष में थीं, लेकिन सही समय पर।
• माँ को भी घर में हो रहे शोर और धमा-चौकड़ी से परेशानी होती थी, जो विभिन्न प्राणियों के कारण होती थी।
विपक्ष में तर्क:
• माँ ने गंभीरता से पिताजी से कहा था, “देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो।”
• माँ ने यह भी कहा था कि “अब तो इन्होंने अंडे भी दे दिए होंगे। अब ये यहाँ से नहीं जाएँगी।” यह बात स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि माँ अब उन्हें घर में रहने देना चाहती थीं।
• माँ बार-बार पिताजी की बातों पर हँसती और मज़ाक करती थीं, जिससे पता चलता है कि उन्हें पिताजी के प्रयास व्यर्थ लग रहे थे और वह गौरैयों को निकालना नहीं चाहती थीं।
• कहानी के अंत में, जब पिताजी ने घोंसला तोड़ दिया था, तो माँ ने उठकर सभी दरवाज़े खोल दिए ताकि गौरैयाँ अपने बच्चों के पास आ सकें। यह उनका पक्षियों के प्रति दयालु स्वभाव दिखाता है।
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कहानी की रचना
“कमरे में फिर से शोर होने लगा था, पर अबकी बार पिताजी उनकी ओर देख-देखकर केवल मुसकराते रहे।”
इस पंक्ति में बताया गया है कि पिताजी का दृष्टिकोण कैसे बदल गया। इस प्रकार यह विशेष वाक्य है। इस तरह के वाक्यों से कहानी और अधिक प्रभावशाली बन जाती है।
(क) आपको इस कहानी में ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी। उन्हें अपने समूह के साथ मिलकर ढूंढ़िए और उनकी सूची बनाइए।
उत्तर देखेंकल्पना और बढ़ा-चढ़ाकर कहना: कहानी में कुछ बातों को वास्तविकता से ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर कहा गया है, जैसे “कानों के पर्दे फट जाएँ”, “घर सराय बना हुआ है” और “चूहा… शायद बूढ़ा है उसे सर्दी बहुत लगती है”।
हास्य और व्यंग्य: माँ की हंसी और व्यंग्यात्मक बातें कहानी में हास्य पैदा करती हैं, जैसे “चूहों को तो निकाल नहीं पाए, अब चिड़ियों को निकालेंगे!”।
सोचा कुछ और हुआ कुछ और: पिताजी सोचते हैं कि वे गौरैयों को निकाल देंगे, लेकिन हर बार वे किसी न किसी रास्ते से वापस आ जाती हैं।
मनुष्य-जैसे व्यवहार: जानवरों को मनुष्यों की तरह व्यवहार करते दिखाया गया है, जैसे बिल्ली का ‘फिर आऊँगी’ कहकर जाना, गौरैयों का मकान देखना और मल्हार गाना ।
संवाद लेखन: कहानी में संवादों का उपयोग करके पात्रों के विचारों और भावनाओं को सीधे प्रस्तुत किया गया है ।
भावनाओं का अनुमान लगाना: कहानी के पात्र दूसरों के मन की भावनाओं का अनुमान लगाते हैं, जैसे पिताजी को लगता है कि माँ उनका मज़ाक उड़ा रही हैं, और लेखक सोचता है कि गौरैयों को अक्ल आ गई होगी ।
(ख) इस कहानी की कुछ विशेषताओं को नीचे दिया गया है। इनके उदाहरण कहानी में से चुनकर लिखिए।
उत्तर:
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पाठ से आगे
(क) “गौरैयों ने घोंसले में से सिर निकालकर नीचे की ओर झाँककर देखा और दोनों एक साथ ‘चीं-चीं’ करने लगीं।” आपने अपने घर के आस-पास पक्षियों को क्या-क्या करते देखा है? उनके व्यवहार में आपको कौन-कौन से भाव दिखाई देते हैं?
उत्तर देखें(क) मेरे घर के आस-पास मैंने कई तरह के पक्षियों को देखा है।
वे सुबह-सुबह चहचहाते हैं, जो मुझे खुशी का भाव देता है।
जब वे अपने बच्चों को चुग्गा खिलाते हैं, तो उनके व्यवहार में प्यार और देखभाल दिखाई देती है।
कभी-कभी जब कोई दूसरा पक्षी उनके घोंसले के पास आता है, तो वे आक्रामक हो जाते हैं और उसे भगाने की कोशिश करते हैं, जिससे उनके बचाव का भाव दिखता है।
जब कोई बिल्ली या शिकारी जानवर आता है, तो वे जोर-जोर से शोर करके खतरे का संकेत देते हैं, जो डर और सतर्कता का भाव दर्शाता है।
(ख) “कमरे में फिर से शोर होने लगा था, पर अबकी बार पिताजी उनकी ओर देख-देखकर केवल मुसकराते रहे।” कहानी के अंत में पिताजी गौरैयों का अपने घर में रहना स्वीकार कर लेते हैं। क्या आप भी कोई स्थान या वस्तु किसी अन्य के साथ साझा करते हैं? उनके बारे में बताइए। साझेदारी में यदि कोई समस्या आती है तो उसे कैसे हल करते हैं?
उत्तर देखें(ख) हाँ, मैं भी अपने भाई-बहन के साथ अपना कमरा साझा करता हूँ। हम अपनी अलमारी और खिलौने भी एक-दूसरे के साथ साझा करते हैं।
कभी-कभी हममें लड़ाई हो जाती है कि कौन-सी जगह किसकी है या कौन-सा खिलौना किसका है, लेकिन हम मिलकर उस समस्या को सुलझाते हैं। हम एक-दूसरे की जरूरतों को समझते हैं और बारी-बारी से चीजों का इस्तेमाल करते हैं। अगर समस्या ज्यादा बड़ी हो जाती है, तो हम अपने माता-पिता से मदद लेते हैं।
(ग) परिवार के लोग गौरैयों को घर से बाहर भगाने की कोशिश करते हैं, किंतु गौरैयों के बच्चों के कारण उनका दृष्टिकोण बदल जाता है। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि किसी को देखकर या किसी से मिलकर आपका दृष्टिकोण बदल गया हो?
उत्तर देखें(ग) हाँ, एक बार मेरे साथ ऐसा हुआ था। मैं अपने स्कूल के एक नए छात्र को नापसंद करता था क्योंकि वह बहुत शांत रहता था और किसी से बात नहीं करता था। मुझे लगता था कि वह घमंडी है। लेकिन एक दिन, मैं स्कूल में अपना लंच बॉक्स घर भूल गया और उसने अपना लंच मेरे साथ साझा किया। मैंने उससे बात की और मुझे पता चला कि वह बस शर्मीला था और किसी को जानता नहीं था। उस दिन के बाद, मेरे प्रति उसका दृष्टिकोण बदल गया और हम अच्छे दोस्त बन गए।
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चिड़ियों का घोसला
घोंसला बनाना चिड़ियों के जीवन का एक सामान्य हिस्सा है। विभिन्न पक्षी अलग-अलग तरह के घोंसले बनाते हैं। इन घोंसलों में वे अपने अंडे देते हैं और अपने चूजों को पालते हैं।
(क) अपने आस-पास विभिन्न प्रकार के घोंसले ढूंढ़िए और उन्हें ध्यान से देखिए और नीचे दी गई तालिका को पूरा कीजिए। (सावधानी – उन्हें हाथ न लगाएँ अन्यथा पक्षियों, उनके अंडों और आपको भी खतरा हो सकता है)
उत्तर:
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हास्य-व्यंग्य
“छोड़ो जी, चूहों को तो निकाल नहीं पाए, अब चिड़ियों को निकालेंगे! माँ ने व्यंग्य से कहा।”
आप समझ गए होंगे कि इस वाक्य में माँ ने पिताजी से कहा है कि वे चिड़ियों को नहीं निकाल सकते। इस प्रकार से कही गई बात को ‘व्यंग्य करना’ कहते हैं।
व्यंग्य का अर्थ होता है- हँसी-मज़ाक या उपहास के माध्यम से किसी कमी, बुराई या विडंबना को उजागर करना। व्यंग्य में बात को सीधे न कहकर उलटा या संकेतात्मक ढंग से कहा जाता है ताकि उसमें चुटकीलापन भी हो और गंभीर सोच की संभावना भी बनी रहे। अनेक बार व्यंग्य में हास्य भी छिपा होता है।
(क) आपको इस कहानी में कौन-कौन से वाक्य पढ़कर हँसी आई? उन वाक्यों को चुनकर लिखिए।
उत्तर देखें(क) वाक्य जिनको पढ़कर हँसी आई:
• वह शोर मचता है कि कानों के पर्दे फट जाएँ, पर लोग कहते हैं कि पक्षी गा रहे हैं!
• एक चूहा अँगीठी के पीछे बैठना पसंद करता है, शायद बूढ़ा है उसे सर्दी बहुत लगती है।
• “छोड़ो जी, चूहों को तो निकाल नहीं पाए, अब चिड़ियों को निकालेंगे!” माँ ने व्यंग्य से कहा।
• माँ को ऐसे मौकों पर हमेशा मजाक सूझता है। हँसकर बोली, “चिड़ियाँ एक-दूसरे से पूछ रही हैं कि यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है?”
• गौरैयाँ घोंसले में से निकलकर दूसरे पंखे के डैने पर जा बैठीं। उन्हें पिताजी का नाचना जैसे बहुत पसंद आ रहा था।
• माँ फिर हँस दी। “तुम तो बड़े समझदार हो जी, सभी दरवाजे खुले हैं और तुम गौरैयों को बाहर निकाल रहे हो। एक दरवाजा खुला छोड़ो, बाकी दरवाजे बंद कर दो। तभी ये निकलेंगी।”
• “चलो, दो तिनके तो निकल गए” माँ हँसकर बोलीं, “अब बाकी दो हजार भी निकल जाएँगे !”
• “दरवाजे के नीचे से आ गई हैं,” माँ बोलीं।
(ख) अब चुने हुए वाक्यों में से कौन-कौन से वाक्य ‘व्यंग्य’ कहे जा सकते हैं? उन पर सही का चिह्न लगाइए।
उत्तर देखें(ख)
✔ “छोड़ो जी, चूहों को तो निकाल नहीं पाए, अब चिड़ियों को निकालेंगे!” माँ ने व्यंग्य से कहा।
✔ माँ को ऐसे मौकों पर हमेशा मजाक सूझता है। हँसकर बोली, “चिड़ियाँ एक-दूसरे से पूछ रही हैं कि यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है?”
✔ “इतनी तकलीफ करने की क्या जरूरत थी। पंखा चला देते, तो ये उड़ जातीं।” माँ ने हँसकर कहा।
✔ माँ फिर हँस दी। “तुम तो बड़े समझदार हो जी, सभी दरवाजे खुले हैं और तुम गौरैयों को बाहर निकाल रहे हो। एक दरवाजा खुला छोड़ो, बाकी दरवाजे बंद कर दो। तभी ये निकलेंगी।”
✔ “चलो, दो तिनके तो निकल गए” माँ हँसकर बोलीं, “अब बाकी दो हजार भी निकल जाएँगे !”
✔ “दरवाजे के नीचे से आ गई हैं”, माँ बोलीं।
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आज की पहेली
नीचे दी गई चित्र-पहेली में बिल्ली को चूहे तक पहुंचाइए।
उत्तर:
कक्षा 8 मल्हार अध्याय 2 का सारांश और मुख्य भाव
कक्षा 8 हिंदी मल्हार अध्याय 2 का सारांश
यह अध्याय एक मार्मिक और हास्यपूर्ण संस्मरण है, जिसमें लेखक ने अपने घर में दो गौरैयों के घोंसला बनाने की घटना को रोचक शैली में प्रस्तुत किया है। लेखक का परिवार – माँ, पिताजी और स्वयं – दिल्ली में एक घर में रहते हैं, लेकिन वह घर पक्षियों और जानवरों का भी ठिकाना बन गया है। आम के पेड़ और खुली खिड़कियों वाले इस घर में चूहे, छिपकलियाँ, बिल्ली, कबूतर, चमगादड़ और अंततः दो गौरैयाँ आकर डेरा डाल देती हैं।
गौरैयों के घर में घोंसला बना लेने पर पिताजी पहले उन्हें भगाने की बहुत कोशिश करते हैं – लाठी से, दरवाजे बंद करके, पंखा चलाकर और रोशनदान तक बंद करके। लेकिन गौरैयाँ हार मानने वाली नहीं थीं। वे हर बार वापस लौट आतीं और अंततः उन्होंने पंखे पर अपना घोंसला बना लिया।
एक दिन जब पिताजी घोंसला तोड़ने लगे, तभी उसमें से दो नन्ही गौरैयाँ चीं-चीं करती बाहर झाँकती हैं। यह दृश्य इतना भावुक होता है कि पिताजी ठिठक जाते हैं, लाठी एक ओर रख देते हैं और गौरैयों को स्वीकार कर लेते हैं। माँ सभी दरवाजे खोल देती हैं और माता-पिता गौरैयाएँ अपने बच्चों के पास लौट आती हैं।
कक्षा 8 हिंदी मल्हार पाठ 2 का मुख्य भाव
कहानी मानवीय करुणा, सह-अस्तित्व और प्रकृति के जीवों के साथ सहनशीलता से रहने का संदेश देती है। लेखक ने मजाकिया लहजे में एक गहरी बात कही है कि हर जीव को अपने जीवन और प्रेम की जगह चाहिए होती है।
कक्षा 8 हिंदी मल्हार अध्याय 2 से शिक्षा
► प्रकृति के सभी प्राणी हमारे साथ रहने का अधिकार रखते हैं।
► सह-अस्तित्व और करुणा का भाव हर मनुष्य के भीतर होना चाहिए।
► कभी-कभी छोटे-छोटे प्राणी भी हमें भावुक कर जाते हैं और हमारी सोच बदल देते हैं।
क्या कक्षा 8 हिंदी मल्हार पाठ 2 “दो गौरैया” कठिन है?
नहीं, पाठ “दो गौरैया” कठिन नहीं है। यह एक भावनात्मक और हास्यपूर्ण कहानी है जिसे प्रसिद्ध लेखक भीष्म साहनी ने सरल और सहज भाषा में लिखा है। कहानी में एक परिवार और दो गौरैयों के बीच की रोचक घटनाएँ हैं, जिन्हें पढ़ना दिलचस्प लगता है। कुछ नए शब्द हो सकते हैं, लेकिन वे भी अभ्यास से समझ में आ जाते हैं।
कक्षा 8 हिंदी मल्हार के पाठ “दो गौरैया” से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
इस पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि सभी जीवों को जीने और अपने घर बसाने का हक है। हमें उनके साथ करुणा, सहानुभूति और सह-अस्तित्व का भाव रखना चाहिए। पिताजी का व्यवहार बदलना यह दिखाता है कि प्रेम और समझ से हम अपनी सोच को बदल सकते हैं।
कक्षा 8 हिंदी मल्हार के अध्याय 2 को कैसे तैयार करें?
पाठ को ध्यान से पढ़ें, कठिन शब्दों के अर्थ लिखें, घटनाओं का क्रम याद करें और प्रश्न-उत्तर अभ्यास करें। भाव समझना ज़रूरी है।