एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 गणित प्रश्नावली 1.1
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 गणित प्रश्नावली 1.1 पूर्णांक के सभी सवाल जवाब हिंदी और अंग्रेजी में सीबीएसई तथा राजकीय बोर्ड सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त करें। कक्षा 7 गणित अध्याय 1.1 के हल सरल भाषा में चरण दर चरण व्याख्या के साथ विडियो के माध्यम से भी दिए गए हैं ताकि छात्रों को कोई असुविधा न हो।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 गणित प्रश्नावली 1.1
पूर्णांकों के योग एवं व्यवकलन के गुण
पूर्णांकों के योग एवं व्यवकलन निम्नलिखित संक्रियाओं को सतुष्ट करते हैं:
योग के अंतर्गत संवृत
हम सीख चुके हैं कि दो पूर्ण संख्याओं का योग पुनः एक पूर्ण संख्या ही होती है । उदाहरणतः 17 + 24 = 41 है, जो कि पुनः एक पूर्ण संख्या है । हम जानते हैं कि यह गुण पूर्ण संख्याओं के योग का संवृत गुण कहलाता है।
क्योंकि पूर्णांक का योग एक पूर्णांक होता है, इसलिए हम कहते हैं कि पूर्णांक योग के अंतर्गत संवृत होते हैं।
व्यापक रूप में, किन्हीं दो पूर्णांकों a तथा b के लिए a + b एक पूर्णांक होता है।
व्यवकलन के अंतर्गत संवृत
जब हम एक पूर्णांक को दूसरे पूर्णांक में से घटाते हैं, तो हम कह सकते हैं कि उनका अंतर भी एक पूर्णांक होता है।
इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि पूर्णांक व्यवकलन के अंतर्गत संवृत होते हैं।
अतः, यदि a और b दो पूर्णांक हैं, तो a – b भी एक पूर्णांक होता है।
क्रमविनिमेय गुण
दो पूर्ण संख्याओं को किसी भी क्रम में जोड़ा जा सकता है । दूसरे शब्दों में, पूर्ण संख्याओं के लिए योग क्रमविनिमेय होता है।
उदाहरण:
हम जानते हैं कि 3 + 5 = 5 + 3 = 8
यह कथन पूर्णांकों के लिए भी सत्य है।
हम पाते हैं कि 5 + (- 6) = -1 और (- 6) + 5 = -1 है।
इसलिए 5 + (- 6) = (- 6) + 5 है।
व्यापक रूप में, किन्हीं दो पूर्णांकों a और b, के लिए हम कह सकते हैं कि
a + b = b + a
नोट:
व्यवकलन पूर्णांकों के लिए क्रमविनिमेय नहीं है।
साहचर्य गुण
पूर्णांकों के लिए योग सहचारी होता है। व्यापक रूप में, पूर्णांकों a, b और c के लिए हम कह सकते हैं कि
a + (b + c) = (a + b) + c
उदाहरण:
(–3) + [1 + (–7)] और [(–3) + 1] + (–7) समान हैं।
(–3) + [1 + (–7)] = -3 -6 = -9
तथा [(–3) + 1] + (–7) = -2 -7 = -9
इस प्रकार (–3) + [1 + (–7)] = [(–3) + 1] + (–7)
योज्य तत्समक
जब हम किसी पूर्ण संख्या में शून्य को जोड़ते हैं, तो हमें वही पूर्ण संख्या प्राप्त होती है। पूर्ण संख्याओं के लिए शून्य एक योज्य तत्समक है। क्या यह पूर्णांकों के लिए भी एक योज्य तत्समक है?
उदाहरण:
(i) (– 8) + 0 = – 8
(ii) 0 + (– 8) = – 8
उपर्युक्त उदाहरण दर्शाते हैं कि शून्य, पूर्णांकों के लिए भी एक योज्य तत्समक है।