कक्षा 6 भूगोल अध्याय 2 एनसीईआरटी समाधान – ग्लोब अक्षांश एवं देशांतर
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 भूगोल अध्याय 2 ग्लोब अक्षांश एवं देशांतर के अभ्यास के प्रश्न उत्तर और अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई सत्र 2024-25 के लिए यहाँ दिए गए हैं। विद्यार्थी कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान भूगोल के पाठ 2 में पृथ्वी, कर्क रेखा, 3 थर्मल जोन, पृथ्वी के अक्षांश और देशांतर के बारे में जानेंगे। एनसीईआरटी वर्ग 6 एसएसटी समाधान के साथ साथ पूरे पाठ को विस्तार से विडियो के माध्यम से भी समझाया गया है। कक्षा 6 भूगोल पाठ 2 पर आधारित अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर भी दिए गए हैं जो परीक्षा के लिए उपयोगी हैं।
कक्षा 6 भूगोल अध्याय 2 के लिए एनसीईआरटी समाधान
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 भूगोल अध्याय 2 ग्लोब अक्षांश एवं देशांतर
ग्लोब
ग्लोब पृथ्वी का लघु रूप में एक वास्तविक प्रतिरूप है। ग्लोब विभिन्न आकार एवं प्रकार के हो सकते हैं। हमारी पृथ्वी गोलाकार नहीं है। यह उत्तर एवं दक्षिण ध्रुवों पर थोड़ी चपटी तथा मध्य में थोड़ी उभरी हुई है। आप देखेंगे कि एक सुई ग्लोब में झुकी हुई अवस्था में स्थित होती है, जिसे अक्ष कहा जाता है। ग्लोब पर वे दो बिंदु जिनसे होकर सुई गुजरती है, उत्तर तथा दक्षिण ध्रुव हैं। यह अपने अक्ष पर चारों ओर घूमती है, जो एक काल्पनिक रेखा है।
विषुवत् वृत्त (भूमध्य रेखा) से क्या तात्पर्य है?
एक अन्य काल्पनिक रेखा भी ग्लोब को दो बराबर भागों में बाँटती है। इसे विषुवत् वृत्त कहा जाता है। पृथ्वी के उत्तर में स्थित आधे भाग को उत्तरी गोलार्ध तथा दक्षिण वाले आधे भाग को दक्षिणी गोलार्ध कहा जाता है। ये दोनों बराबर के आधे भाग होते हैं। इस प्रकार, विषुवत् वृत्त पृथ्वी पर एक काल्पनिक वृत्त बनाती है एवं यह पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों की स्थिति बताने का सबसे महत्त्वपूर्ण संदर्भ बिंदु है।
अक्षांश रेखाएं किसे कहते हैं?
विषुवत् वृत्त से ध्रुवों तक स्थित सभी समानांतर वृत्तों को अक्षांश (समानांतर) रेखाएँ कहा जाता है। अक्षांशों को अंश में मापा जाता है। विषुवत् वृत्त शून्य अंश अक्षांश को दर्शाती है। चूँकि, विषुवत् वृत्त से दोनों तरफ ध्रुवों के बीच की दूरी पृथ्वी के चारों ओर के वृत्त का एक चौथाई है, अत: इसका माप होगा 360 अंश का 1/4, यानी 90 अंश। इस प्रकार 90 अंश उत्तरी अक्षांश उत्तर ध्रुव को दर्शाता है तथा 90 अंश दक्षिणी अक्षांश दक्षिण ध्रुव को। इस प्रकार विषुवत् वृत्त के उत्तर की सभी समानांतर रेखाओं को उत्तरी अक्षांश कहा जाता है तथा विषुवत् वृत्त के दक्षिण स्थित सभी समानांतर रेखाओं को दक्षिणी अक्षांश कहा जाता है।
महत्त्वपूर्ण अक्षांश (समानांतर) रेखाएँ
विषुवत् वृत्त (0⁰), उत्तर ध्रुव (90⁰ उ.) तथा दक्षिण ध्रुव (90⁰ द.) के अतिरिक्त चार महत्त्वपूर्ण अक्षांश (समानांतर) रेखाएँ और भी हैं। ये हैं-
1. उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा (23(1/2)⁰ उ.),
2. दक्षिणी गोलार्ध में मकर रेखा (23(1/2)⁰ द.),
3. विषुवत् वृत्त के 66(1/2)⁰ उत्तर में उत्तर ध्रुव वृत्त,
4. विषुवत् रेखा के 66(1/2)⁰ दक्षिण में दक्षिण ध्रुव वृत्त।
देशांतर क्या हैं?
किसी स्थान की स्थिति को बताने के लिए उस स्थान के अक्षांश के अतिरिक्त कुछ और जानकारियों की आवश्यकता भी होती है। आप देख सकते हैं कि प्रशांत महासागर में स्थित टोंगा द्वीप एंव हिंद महासागर में स्थित मॉरीशस द्वीप एक ही अक्षांश (20⁰ 00’ द.) पर स्थित हैं। उनकी सही स्थिति जानने के लिए यह पता करना होगा कि उत्तर ध्रुव को दक्षिण ध्रुव से जोड़ने वाली संदर्भ रेखा से पूर्व या पश्चिम की ओर इन स्थानों की दूरी कितनी है? इन संदर्भ रेखाओं को देशांतरीय याम्योत्तर कहते हैं तथा उनके बीच की दूरी को देशांतर के अंशों में मापा जाता है। प्रत्येक अंश को मिनट में तथा मिनट को सेकेंड में विभाजित किया जाता है। ये अर्धवृत्त हैं तथा उनके बीच की दूरी ध्रुवों की तरफ बढ़ने पर घटती जाती है एवं ध्रुवों पर शून्य हो जाती है, जहाँ सभी देशांतरीय याम्योत्तर आपस में मिलती हैं।
प्रमुख याम्योत्तर से क्या तात्पर्य है?
अक्षांश रेखाओं के विपरीत देशांतर रेखाओं की लम्बाई एक सामान होती है इसलिए इन्हें सीमित संख्याओं में व्यक्त करना कठिन था। तब सभी देशों ने निश्चय किया कि ग्रीनिच, जहाँ ब्रिटिश राजकीय वेधशाला स्थित है, से गुजरने वाली याम्योत्तर से पूर्व और पश्चिम की ओर गिनती शुरू की जाए। इस याम्योत्तर को प्रमुख याम्योत्तर कहते हैं। इसका मान 0⁰ देशांतर है तथा यहाँ से हम 180⁰ पूर्व या 180⁰ पश्चिम तक गणना करते हैं।