एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 13 नाभिक

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 13 नाभिक के अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर सीबीएसई और राजकीय बोर्ड सत्र 2024-25 के लिए छात्र यहाँ से निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। छात्रों की सुविधा के लिए अभ्यास के प्रश्नों के साथ-साथ अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर भी दिए गए हैं।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 13

नाभिक

नाभिक, परमाणु के मध्य स्थित धनात्मक वैद्युत आवेश युक्त अत्यन्त ठोस क्षेत्र होता है। नाभिक, नाभिकीय कणों प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन से बने होते है। इस कण को नूक्लियान्स कहते है। प्रोटॉन व न्यूट्रॉन दोनो का द्रव्यमान लगभग बराबर होता है और दोनों का आंतरिक कोणीय संवेग 1/2 होता है। प्रोटॉन इकाई धन विद्युत आवेशयुक्त होता है जबकि न्यूट्रॉन अनावेशित होता है। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन दोनो न्यूक्लिऑन कहलाते है। नाभिक का व्यास 10⁻¹⁵ m के कोटि का होता है। परमाणु का लगभग सारा द्रव्यमान नाभिक के कारण ही होता है, इलेक्ट्रान का योगदान लगभग नगण्य होता है। सामान्यतः नाभिक की पहचान परमाणु संख्या Z, न्यूट्रॉन संख्या N और द्रव्यमान संख्या A से होती है जहाँ A = Z + N। नाभिक के व्यास की परास “फर्मी” के कोटि की होती है। न्यूट्रॉन की संख्या=A – Z होता है।

Q1

मान लीजिए हम ऐसे बहुत से पात्रों पर विचार करते हैं जिनमें प्रत्येक में प्रारम्भ में 1 वर्ष अर्धायु वाले रेडियोएक्टिव पदार्थ के 10000 परमाणु हैं। 1 वर्ष के पश्चात्

[A]. सभी पात्रें में इस पदार्थ के 5000 परमाणु होंगे।
[B]. सभी पात्रें में इस पदार्थ के परमाणुओं की संख्या समान होगी, परन्तु यह लगभग 5000 होगी।
[C]. सामान्य तौर पर इन पात्रें में इस पदार्थ के परमाणुओं की संख्या भिन्न होगी, परन्तु इनका औसत 5000 के निकट होगा।
[D]. किसी भी पात्र में इस पदार्थ के 5000 परमाणुओं से अधिक नहीं होंगे।
Q2

जब किसी परमाणु के नाभिक का रेडियोएक्टिव विघटन होता है तो परमाणु के इलेक्ट्रॉनिक ऊर्जा स्तरों में

[A]. किसी भी प्रकार की रेडियोएक्टिवता के लिए कोई परिवर्तन नहीं होता।
[B]. α एवं β रेडियोएक्टिवता के लिए परिवर्तन होते हैं परन्तु γ रेडियो एक्टिवता के लिए कोई परिवर्तन नहीं होते।
[C]. α रेडियोएक्टिवता के लिए परिवर्तन होते हैं, परन्तु अन्य के लिए नहीं।
[D]. α रेडियोएक्टिवता के लिए परिवर्तन होते हैं, परन्तु अन्य के लिए नहीं।
Q3

ट्राइटियम हाइड्रोजन का एक समस्थानिक है जिसके नाभिक ट्राइटॉन में दो न्यूट्रॉन और एक प्रोटॉन है। मुक्त न्यूट्रॉन p + ē + v̄ विघटित हो जाते हैं। यदि ट्राइटॉन के दो न्यूट्रॉनों में से किसी एक न्यूट्रॉन का विघटन होता, तो यह He³ नाभिक में रूपान्तरित हो जाता, परन्तु ऐसा नहीं होता क्योंकि

[A]. ट्राइटॉन की ऊर्जा He³ नाभिक की ऊर्जा से कम होती है।
[B]. β – विघटन प्रकिया में उत्पन्न इलेक्ट्रॉन नाभिक के भीतर नहीं रह सकता।
[C]. ट्राइटॉन में दोनों न्यूट्रॉन साथ-साथ विघटित होते हैं, जिसके फलस्वरूप तीन प्रोटॉनों का एक नाभिक बनता है जो He³ नाभिक नहीं होता।
[D]. क्योंकि मुक्त न्यूट्रॉन बाह्य क्षोभ के कारण विघटित होते हैं और ट्राइटॉन नाभिक में मुक्त न्यूट्रॉन नहीं होते।
Q4

स्थायी भारी नाभिकों में न्यूट्रॉनों की संख्या प्रोटॉनों से अधिक होती है। इसका कारण यह है कि

[A]. न्यूट्रॉन प्रोटॉन से अधिक भारी होते हैं।
[B]. प्रोटॉनों के बीच स्थिर विद्युत बल प्रतिकर्षणात्मक होता है।
[C]. β – विघटन द्वारा न्यूट्रॉन प्रोटॉनों में विघटित हो जाते हैं।
[D]. न्यूट्रॉनों के बीच नाभिकीय बल प्रोटॉन के बीच नाभिकीय बल की अपेक्षा दुर्बल होता है।

परमाणु द्रव्यमान

परमाणु का द्रव्यमान किलोग्राम की तुलना में बहुत कम होता है। उदाहरण के लिए, कार्बन के परमाणु 12ब् का द्रव्यमान 1.992647 × 10⁻²⁶ kg है। इतनी छोटी राशियों को मापने के लिए किलोग्राम बहुत सुविधाजनक मात्रक नहीं है। अतः परमाणु द्रव्यमानों को व्यक्त करने के लिए द्रव्यमान का एक अन्य मात्रक प्रस्तुत किया गया। इस मात्रक को परमाणु द्रव्यमान मात्रक (u) कहते हैं। इसको ¹²C परमाणु के द्रव्यमान के बारहवें 1/12th भाग से व्यक्त करते हैं।
अतः इस परिभाषा के अनुसार
1 u = ¹²C परमाणु का द्रव्यमान/12
= 1.992647 × 10⁻²⁶ kg/12
= 1.660539 × 10⁻²⁷ kg

नाभिक की संरचना

न्यूट्रॉन के आविष्कार के बाद से यह माना जाता है कि नाभिक न्यूट्रॉन और प्रोटॉन से मिलकर बना है। नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या Z से व्यक्त की जाती है। यह परमाणु संख्या के बराबर होती है। नाभिक में उपस्थित न्यूट्रॉनों की संख्या और प्रोटॉनों की संख्या मिलकर परमाणु भार के बराबर होती है। इस प्रकार परमाणु संख्या Z और परमाणु भार A वाले नाभिक में Z प्रोटॉन और A – Z न्यूट्रॉन यहाँ होते हैं। माना X उस तत्व का रासायनिक संकेत है, Z परमाणु संख्या तथा A परमाणु भार है। हल्के नाभिकों में प्राय: प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों कीं संख्या सामान्यतया बराबर होती है। जैसे-जैसे नाभिक भारी होता जाता है प्रोटॉनों से न्यूट्रॉनों की संख्या अधिक होती जाती है। यूरेनियम जैसे भारी तत्व के नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या प्रोटॉनों की संख्या से लगभग डेढ़ गुणा होती है।

किसी नाभिक में प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों का अनुपात ऐच्छिक नहीं होता। इनका निश्चित अनुपात होने पर ही नाभिक स्थायी होता है। प्राय: एक ही तत्व के विभिन्न नाभिकों में प्रोटॉनों की संख्या वही रहने पर भी न्यूट्रॉनों की संख्या में कुछ अंतर हो जाता है। उदाहरण के लिए टिन (Sn) के सभी नाभिकों में प्रोटॉनों की संख्या तो 50 ही होती है, परंतु न्यूट्रॉन 52 से लेकर 74 तक हो सकते हैं। ऐसे नाभिक, जिनमें प्रोटॉनों की संख्या वही हो परंतु न्यूट्रॉनां की संख्या भिन्न हो, समस्थानिक कहलाते हैं।

न्यूट्रॉन की खोज

न्यूट्रॉन की खोज ब्रिटिश भौतिक वैज्ञानिक जेम्स चैडविक ने 1932 में की थी।। न्यूट्रॉन एक आवेश रहित मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन के साथ पाये जाते हैं। इसे n से दर्शाया जाता है। ऊर्जा एवं संवेग संरक्षण नियमों का उपयोग कर, उन्होंने इस नए कण का द्रव्यमान ज्ञात करने में सफलता प्राप्त की, जिसे प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर पाया गया। अब हम न्यूट्रॉन का द्रव्यमान अत्यधिक यथार्थता से जानते हैं। यह है,
mₙ = 1.00866 u = 1.6749 × 10⁻²⁷ kg
अब, नाभिक की संरचना निम्नलिखित पदों एवं संकेत चिह्नों का उपयोग करके समझायी
जा सकती है।
Z – परमाणु क्रमांक = प्रोटॉनों की संख्या
N – न्यूट्रान संख्या = न्यूट्रॉनों की संख्या
A – द्रव्यमान संख्या = Z + N
= न्यूट्रॉनों एवं प्रोटॉनों की कुल संख्या

कक्षा 12 भौतिकी अध्याय 13 के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न

स्थायी नाभिकों में प्रोटॉनों की संख्या न्यूट्रॉनों की संख्या से कदापि अधिक नहीं हो सकती, क्यों?

प्रोटान धनावेशित होते हैं तथा एक दूसरे को विद्युतीय रूप से प्रतिकर्षित करतें हैं। 10 से अधिक प्रोटानों वाले नाभिक में यह प्रतिकर्षण इतना अधिक हो जाता है कि न्यूट्रानों की अधिकता जो केवल आकर्षण बल उत्पन्न करती है, स्थायित्व के लिए आवश्यक हो जाती है।

युग्म विलोपन में एक इलेक्ट्रॉन तथा एक पॉजिट्रॉन एक दूसरे का अस्तित्व समाप्त कर गामा विकिरण उत्पन्न करते हैं। इसमें संवेग संरक्षण कैसे होता है?

दो फोटान उत्पन्न होते हैं, जो ऊर्जा-संरक्षण हेतु विपरीत दिशाओं में गति करते हैं।

क्या न्यूक्लियॉन मूल कण हैं अथवा उनके और छोटे भाग भी होते हैं। इसके अन्वेषण की एक विधि यह भी हो सकती है कि न्यूक्लियॉन का उसी प्रकार अन्वेषण किया जाए जैसा रदरफोर्ड ने एक परमाणु से किया था। किसी न्यूक्लियॉन के अन्वेषण के लिए इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा कितनी होनी चाहिए? न्यूक्लियॉन का व्यास लगभग 10⁻¹⁵ m लीजिए।

d दूरी पर पृथक्कृत दो वस्तुओं को अलग करने हेतु अन्वेषी सिग्नल की तरंगदैर्घ्य सए क से कम होनी चाहिए।
अतः न्यूक्लियान के भीतर अलग-अलग भागों का संसूचन करने के लिए, इलेक्ट्रॉन की तरंगदैर्घ्य 10⁻¹⁵ m से कम होनी चाहिए।
λ = h/p और K ≈ pc
इसलिए, K ≈ pc = hc/λ
= (6.63 × 10³⁴ × 3 × 10⁸)/ (1.6 × 10⁻¹⁹ × 10⁻¹⁵) eV
= 10⁹ eV = 1 GeV

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